guru jee kuch dino pahle tk third eye me Blue colour ki screen dikhai deti thi pr ab kabhi kabhi green.........

Guru jee kuch dino pahle tk third eye me Blue colour ki screen dikhai deti thi pr ab kabhi kabhi green colour second time ke liye aata hai fir kuch nhi dikh rha पहले तीसरी आंख में नीले रंग की स्क्रीन दिखना शांति, गहराई और आध्यात्मिक सुरक्षा का संकेत था। अब बीच-बीच में हरे रंग का आना दर्शाता है कि आपकी साधना की ऊर्जा हीलिंग, संतुलन और हृदय चक्र से जुड़ाव की ओर बढ़ रही है। यह रंग परिवर्तन सामान्य है और साधना के विभिन्न चरणों में होता है। कुछ समय तक रंग न दिखना भी संकेत है कि चेतना आंतरिक स्थिरता ले रही है और मन को विश्राम चाहिए। इसे रुकावट न समझें, बल्कि अभ्यास जारी रखें। धैर्य और नामजप से आगे और गहरे अनुभव होंगे।

गुरु जी मैं एक दिन सोने जा रहा था और मैंने आंखे बंद कर रखी थी तो मुझे खुद को देख पा रहा था जिस स्थिति में वर्तमान में था कृपा बताईये

 गुरु जी मैं एक दिन सोने जा रहा था और मैंने आंखे बंद कर रखी थी तो मुझे खुद को देख पा रहा था जिस स्थिति में वर्तमान में था कृपा बताईये ?



आंखें बंद करने के बाद भी स्वयं को देख पाना एक गहरी आध्यात्मिक और सूक्ष्म अनुभव है। इसे आत्म-अवलोकन या आत्मा की जागरूकता के रूप में समझा जा सकता है। यह अनुभव आमतौर पर ध्यान, साधना, या गहरी मानसिक शांति के दौरान होता है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं:


आंखें बंद होने के बावजूद खुद को देखने का अर्थ

  1. आत्म-अवलोकन (Self-Observation):
    यह अनुभव इस बात का संकेत है कि आप अपने शारीरिक शरीर से परे जाकर अपने सूक्ष्म शरीर (Subtle Body) या अंतर्ज्ञान के माध्यम से अपने को देख पा रहे हैं। यह आत्मा की बढ़ती जागरूकता का संकेत हो सकता है।

  2. अस्तित्व की गहरी समझ:
    यह अनुभव बताता है कि आपका मन स्थिर हो रहा है और आप अपनी चेतना के गहरे स्तरों से जुड़ रहे हैं। यह आपकी साधना या ध्यान के प्रभाव का परिणाम हो सकता है।

  3. सूक्ष्म दृष्टि (Inner Vision):
    कभी-कभी, साधकों को अपनी स्थिति, शरीर, या ऊर्जा को सूक्ष्म दृष्टि से देखने का अनुभव होता है। यह दर्शाता है कि आपकी तीसरी आंख (Ajna Chakra) सक्रिय हो रही है।

  4. अहंकार से परे जाना:
    यह अनुभव यह भी दिखाता है कि आप धीरे-धीरे अपने अहंकार (ego) से अलग हो रहे हैं और अपनी सच्ची आत्मा या आत्मिक स्वरूप को देख रहे हैं।

  5. दृष्टा भाव का विकास:
    जब आप स्वयं को देख पाते हैं, तो यह दृष्टा भाव (Witness Consciousness) का एक रूप है। इसका मतलब है कि आप केवल देख रहे हैं, बिना किसी प्रतिक्रिया या विचार के। यह ध्यान की उन्नत अवस्था है।


यह अनुभव क्यों होता है?

  1. ध्यान और साधना का प्रभाव:
    यदि आप नियमित ध्यान, प्राणायाम, या जप करते हैं, तो यह अनुभव आपके अभ्यास के परिणामस्वरूप हो सकता है।

  2. तीसरी आंख का जागरण:
    जब आपकी तीसरी आंख (अजना चक्र) सक्रिय होती है, तो आपको इस तरह के दृश्य अनुभव हो सकते हैं।

  3. सूक्ष्म ऊर्जा का प्रवाह:
    ध्यान के दौरान, सूक्ष्म ऊर्जा आपके नाड़ियों (energy channels) में प्रवाहित होती है, जिससे आप अपने अस्तित्व को गहराई से अनुभव करते हैं।

  4. प्रकृति की कृपा:
    यह अनुभव कभी-कभी बिना किसी साधना के भी हो सकता है। यह ईश्वरीय कृपा या आपकी आत्मा के पिछले जन्मों के संस्कारों का परिणाम हो सकता है।


इस अनुभव के साथ क्या करना चाहिए?

  1. डरें नहीं:
    यह पूरी तरह सामान्य और सकारात्मक अनुभव है। इसे सहजता से स्वीकार करें।

  2. दृष्टा भाव बनाए रखें:
    जब भी ऐसा अनुभव हो, इसे बिना किसी निर्णय या डर के देखें। इसे केवल "देखने" का प्रयास करें, जैसे आप किसी फिल्म को देख रहे हों।

  3. साधना जारी रखें:
    यदि आप पहले से ध्यान, प्राणायाम, या जप कर रहे हैं, तो इसे नियमित रूप से जारी रखें। यह अनुभव आपकी साधना की गहराई को बढ़ाएगा।

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