परमात्मा क्यों भेजता है आत्मा को संसार में?

 परमात्मा क्यों भेजता है आत्मा को संसार में?   यह प्रश्न युगों से ऋषियों, भक्तों और साधकों के हृदय में उठता आया है। इसका उत्तर केवल तर्क से नहीं, भावना और अनुभव से समझा जा सकता है। आइए इसे एक कहानी और भावना के माध्यम से समझते हैं... 🌌 प्रारंभ: परमात्मा और आत्मा का संवाद बहुत समय पहले की बात है। जब न कोई पृथ्वी थी, न आकाश। न समय था, न कोई देह। केवल एक था— परमात्मा । शुद्ध प्रेम, प्रकाश और शांति का अनंत महासागर। उस अनंत ज्योति के भीतर असंख्य आत्माएँ थीं—चमकती हुई चिंगारियाँ, जो उसी परमात्मा की ही अंश थीं। वे आत्माएँ आनंद में डूबी रहतीं, पूर्णता का अनुभव करतीं। फिर एक दिन, एक छोटी सी आत्मा ने परमात्मा से पूछा: "प्रभु, आप तो सब कुछ हैं। लेकिन मैं खुद को जानना चाहती हूं। मैं यह जानना चाहती हूं कि मैं कौन हूं। क्या मैं भी आप जैसी हूं?" परमात्मा मुस्कुराए। उन्होंने कहा: "प्यारी आत्मा, तुम वास्तव में मुझ जैसी ही हो। लेकिन केवल मेरे पास रहकर तुम अपने स्वरूप को पूर्ण रूप से अनुभव नहीं कर सकती। जैसे बिना अंधकार के प्रकाश का अनुभव नहीं होता, वैसे ही बिना अनुभव के ज्ञा...

गुरुजी हमारे शरीर के 7 चक्रों को 7 समुद्र भी कहा जाता है। कृपया मुझे बताएं कि प्रत्येक चक्र के सामने वे 7 समुद्री नाम क्या हैं।

 गुरुजी हमारे शरीर के 7 चक्रों को 7 समुद्र भी कहा जाता है। कृपया मुझे बताएं कि प्रत्येक चक्र के सामने वे 7 समुद्री नाम क्या हैं। ?



हमारे शरीर के 7 चक्रों को 7 समुद्रों से जोड़ा जाना एक गहरी आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक दृष्टि है। ये समुद्र हमारी चेतना और ऊर्जा के विशालता और गहराई का प्रतिनिधित्व करते हैं। हालांकि, शास्त्रों में इसे सीधे 7 समुद्रों के नाम से जोड़ने का उल्लेख कम मिलता है, लेकिन एक आध्यात्मिक दृष्टिकोण से इसे निम्नलिखित रूप में समझा जा सकता है:

  1. मूलाधार चक्र (Root Chakra): लवण सागर (Salt Sea)
    स्थिरता, सुरक्षा और जीवन के मूल आधार को दर्शाता है।

  2. स्वाधिष्ठान चक्र (Sacral Chakra): दूध सागर (Milk Sea)
    सृजनात्मकता, भावनाओं और प्रजनन शक्ति का प्रतीक।

  3. मणिपुर चक्र (Solar Plexus Chakra): घी सागर (Ghee Sea)
    आत्मबल, शक्ति और पाचन ऊर्जा का केंद्र।

  4. अनाहत चक्र (Heart Chakra): मधु सागर (Honey Sea)
    प्रेम, करुणा और भावनात्मक संतुलन को दर्शाता है।

  5. विशुद्ध चक्र (Throat Chakra): सुधा सागर (Nectar Sea)
    सत्य, अभिव्यक्ति और शुद्धता का प्रतीक।

  6. आज्ञा चक्र (Third Eye Chakra): रसोदधि सागर (Juice Sea)
    अंतर्ज्ञान, ज्ञान और मानसिक स्पष्टता का केंद्र।

  7. सहस्रार चक्र (Crown Chakra): अमृत सागर (Amrita Sea)
    परमात्मा से जुड़ाव, चेतना और दिव्यता का प्रतीक।

यह दृष्टिकोण प्रतीकात्मक है और इन समुद्रों का नाम हमारे आंतरिक गुणों और चक्रों की विशेषताओं के साथ जुड़ता है। इसे अपनी साधना और ज्ञान में एक नई दिशा के रूप में देखें। 🙏

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