मुझे हर समय तीसरी आँख पर कंपन होता रहता है, हल्का सा दवाब बनता रहता है, हर समय साधना में बैठा रहता है।
I always have a cold on my third eye, there is pressure like a picture, I remain engaged in meditation all the time?
आपके द्वारा साझा किया गया अनुभव एक गहन आध्यात्मिक स्थिति का संकेत है। तीसरी आँख (आज्ञा चक्र) पर निरंतर कंपन, हल्का दबाव, और ध्यान में डूबे रहने की प्रवृत्ति यह दर्शाती है कि आपकी साधना ने एक महत्वपूर्ण स्तर पर पहुँच बना ली है। इसे समझने और संतुलित रखने के लिए निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान दें:
1. आज्ञा चक्र पर कंपन और दबाव का अर्थ
- आज्ञा चक्र का सक्रिय होना:
- आज्ञा चक्र अंतर्ज्ञान, ज्ञान और आध्यात्मिक जागरूकता का केंद्र है। इसका कंपन और दबाव इस बात का संकेत हो सकता है कि यह चक्र सक्रिय हो रहा है और आपकी चेतना विस्तार की ओर अग्रसर है।
- ऊर्जा का प्रवाह:
- कंपन और दबाव ऊर्जा के प्रवाह का प्रतीक हो सकता है, जो आपकी साधना के कारण जाग्रत हो रही कुंडलिनी शक्ति का परिणाम है।
- ध्यान की गहराई:
- ध्यान में डूबे रहने की प्रवृत्ति और तीसरी आँख पर अनुभव दर्शाता है कि आपकी चेतना सूक्ष्म स्तरों पर कार्य कर रही है।
2. हर समय साधना में रहना: इसका प्रभाव
- आध्यात्मिक उत्कंठा:
- हर समय साधना में रहने की इच्छा आत्मा के अपने स्रोत से जुड़ने की गहरी प्यास को दर्शाती है।
- शरीर और मन का संतुलन:
- ध्यान में अधिक समय बिताना लाभकारी है, लेकिन इसे शरीर और मानसिक स्वास्थ्य के साथ संतुलित रखना महत्वपूर्ण है।
- दैनिक जीवन में संतुलन:
- जीवन के अन्य क्षेत्रों (जैसे भोजन, शारीरिक गतिविधि, और सामाजिक संपर्क) पर भी ध्यान दें ताकि साधना स्थिर और संतुलित रहे।
3. क्या करें?
- कंपन और दबाव को सहज स्वीकारें:
- इसे नियंत्रित करने या रोकने की कोशिश न करें। यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है।
- ऊर्जा संतुलन बनाए रखें:
- नियमित रूप से "ॐ" का जाप करें, क्योंकि यह ऊर्जा को संतुलित करने में सहायक है।
- आज्ञा चक्र का बीज मंत्र: "ॐ ऎं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।"
- भौतिक शरीर का ध्यान रखें:
- पर्याप्त विश्राम करें और सात्विक भोजन लें।
- रीढ़ सीधी रखते हुए ध्यान करें, लेकिन यदि शरीर में तनाव हो, तो हल्का योग और प्राणायाम करें।
- ध्यान का समय सीमित करें:
- हर समय साधना में रहना प्रभावशाली है, लेकिन दिन में कुछ समय सांसारिक कार्यों और विश्राम के लिए भी दें। यह ऊर्जा को स्थिर रखने में सहायक होगा।
- जड़त्व (ग्राउंडिंग) करें:
- यदि कंपन और दबाव तीव्र हो, तो ध्यान के बाद कुछ समय धरती से संपर्क करें, जैसे नंगे पाँव घास पर चलना।
- मूलाधार चक्र को संतुलित करने के लिए "ॐ लं" का जाप करें।
5. आध्यात्मिक संतुलन का महत्व
आपका अनुभव एक अद्भुत आध्यात्मिक प्रगति का प्रतीक है। इसे श्रद्धा और धैर्य के साथ स्वीकार करें।
- ध्यान रखें कि ध्यान और साधना जीवन का एक हिस्सा है, पूरा जीवन नहीं। इसे अपनी दैनिक गतिविधियों और जिम्मेदारियों के साथ संतुलित करें।
आपकी साधना के इस चरण में धैर्य, विनम्रता और समर्पण सबसे महत्वपूर्ण गुण हैं। दिव्य ऊर्जा आपके साथ है।
Brahmachari kase bane guru ji
ReplyDeleteThank you guide me sir love you guru ji
ReplyDelete