परमात्मा क्यों भेजता है आत्मा को संसार में?

 परमात्मा क्यों भेजता है आत्मा को संसार में?   यह प्रश्न युगों से ऋषियों, भक्तों और साधकों के हृदय में उठता आया है। इसका उत्तर केवल तर्क से नहीं, भावना और अनुभव से समझा जा सकता है। आइए इसे एक कहानी और भावना के माध्यम से समझते हैं... 🌌 प्रारंभ: परमात्मा और आत्मा का संवाद बहुत समय पहले की बात है। जब न कोई पृथ्वी थी, न आकाश। न समय था, न कोई देह। केवल एक था— परमात्मा । शुद्ध प्रेम, प्रकाश और शांति का अनंत महासागर। उस अनंत ज्योति के भीतर असंख्य आत्माएँ थीं—चमकती हुई चिंगारियाँ, जो उसी परमात्मा की ही अंश थीं। वे आत्माएँ आनंद में डूबी रहतीं, पूर्णता का अनुभव करतीं। फिर एक दिन, एक छोटी सी आत्मा ने परमात्मा से पूछा: "प्रभु, आप तो सब कुछ हैं। लेकिन मैं खुद को जानना चाहती हूं। मैं यह जानना चाहती हूं कि मैं कौन हूं। क्या मैं भी आप जैसी हूं?" परमात्मा मुस्कुराए। उन्होंने कहा: "प्यारी आत्मा, तुम वास्तव में मुझ जैसी ही हो। लेकिन केवल मेरे पास रहकर तुम अपने स्वरूप को पूर्ण रूप से अनुभव नहीं कर सकती। जैसे बिना अंधकार के प्रकाश का अनुभव नहीं होता, वैसे ही बिना अनुभव के ज्ञा...

सर जी प्रणाम क्या हम बिना गुरु के ध्यान कर सकते हैं ?

 सर जी प्रणाम क्या हम बिना गुरु के ध्यान कर सकते हैं ?

Sir, how can we meditate without a Guru?



गुरु का मार्गदर्शन ध्यान और साधना में बहुत सहायक होता है, क्योंकि गुरु हमें सही दिशा में ले जाते हैं और साधना में आने वाली समस्याओं का समाधान करते हैं। लेकिन यदि आपके पास गुरु नहीं हैं, तो भी ध्यान संभव है।

ध्यान आत्मा की यात्रा है, और इस यात्रा में आप स्वानुभव से भी बहुत कुछ सीख सकते हैं। हालांकि, ध्यान करते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  1. शास्त्रों और ग्रंथों का अध्ययन करें: ध्यान की विधियाँ समझने के लिए प्रामाणिक ग्रंथों का सहारा लें, जैसे गीता, उपनिषद, या योग सूत्र।

  2. सादगी और नियमितता: नियमित समय पर ध्यान का अभ्यास करें और अपने भीतर से मार्गदर्शन पाने की कोशिश करें।

  3. आंतरिक गुरु: प्रत्येक व्यक्ति के भीतर उसका स्वयं का गुरु होता है। अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुनें और उसे मार्गदर्शक मानें।

  4. आध्यात्मिक समुदाय का सहयोग: अगर संभव हो, तो किसी साधना समूह का हिस्सा बनें, जिससे आपको मार्गदर्शन और प्रेरणा मिल सके।

  5. धैर्य रखें: बिना गुरु के भी ध्यान में गहराई तक पहुँचना संभव है, लेकिन इसके लिए धैर्य और अनुशासन आवश्यक है।

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