12 चक्रों की विस्तृत जानकारी बताएं जो मुकुट चक्र से ऊपर चक्र होते हैं दिव्य प्रवेश द्वार चक्र की ?
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12 चक्रों की विस्तृत जानकारी बताएं जो मुकुट चक्र से ऊपर चक्र होते हैं दिव्य प्रवेश द्वार चक्र की ?
मुकुट चक्र से ऊपर के 12 दिव्य चक्रों की विस्तृत जानकारी
योग और तंत्र साधना में आमतौर पर सात चक्रों (मूलाधार से सहस्रार तक) का उल्लेख किया जाता है, लेकिन उन्नत साधकों और उच्च आत्मिक चेतना प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के लिए सात से ऊपर के दिव्य चक्र भी अस्तित्व में हैं। ये चक्र भौतिक शरीर से परे होते हैं और हमें उच्च चेतना, ब्रह्मांडीय ऊर्जा और दिव्य लोकों से जोड़ते हैं।
मुकुट चक्र (सहस्रार) से ऊपर के 12 दिव्य चक्र आत्मा की उच्चतम यात्रा और ब्रह्मांडीय रहस्यों के द्वार खोलते हैं। इन्हें "दिव्य प्रवेश द्वार चक्र" कहा जाता है क्योंकि वे साधक को स्थूल से सूक्ष्म और सूक्ष्म से पराशक्ति तक की यात्रा कराते हैं।
1. मुकुट चक्र (Crown Chakra - सहस्रार चक्र)
स्थान: सिर के शीर्ष पर
तत्व: दिव्य चेतना
रंग: बैंगनी या सफेद
कार्य: यह शरीर का अंतिम स्थूल चक्र है, जो हमें आत्मिक ज्ञान और ब्रह्मांडीय चेतना से जोड़ता है। जब यह सक्रिय होता है, तो व्यक्ति समाधि, आत्म-साक्षात्कार, और ब्रह्मज्ञान की अवस्था में प्रवेश करता है।
मुकुट चक्र से ऊपर के दिव्य प्रवेश द्वार चक्र (Higher Dimensional Chakras)
2. सौम्य द्वार चक्र (Soul Star Chakra - आत्म तारा चक्र)
स्थान: सिर के थोड़ा ऊपर, लगभग 6-12 इंच (15-30 सेमी)
रंग: स्वर्णिम-सफेद
कार्य:
- यह चक्र पिछले जन्मों की यादों, कर्म, और आत्मिक उद्देश्य से जुड़ा है।
- जब यह सक्रिय होता है, तो साधक को अपने वास्तविक उद्देश्य और आत्मा के मार्ग का आभास होता है।
- यह अकशिक रिकॉर्ड्स (Akashic Records) को खोलने में मदद करता है।
3. ब्रह्मांडीय द्वार चक्र (Cosmic Gateway Chakra - ब्रह्मांडीय प्रवेश द्वार चक्र)
स्थान: आत्म तारा चक्र के थोड़ा ऊपर
रंग: सुनहरा
कार्य:
- यह चक्र ब्रह्मांड की उच्च ऊर्जा तरंगों को ग्रहण करता है।
- साधक को अंतरिक्षीय चेतना (Galactic Consciousness) से जोड़ता है।
- जब सक्रिय होता है, तो व्यक्ति को भविष्य दृष्टि, दिव्य ध्वनियाँ, और ब्रह्मांडीय ऊर्जा का अनुभव होने लगता है।
4. दिव्य प्रेम चक्र (Divine Love Chakra - दिव्य प्रेम चक्र)
स्थान: ब्रह्मांडीय द्वार चक्र के ऊपर
रंग: गुलाबी-सुनहरा
कार्य:
- यह चक्र निर्विकल्प प्रेम, करुणा और सेवा की भावना को जाग्रत करता है।
- जब यह सक्रिय होता है, तो साधक को निर्गुण भक्ति, परम आनंद और दिव्य प्रेम की अनुभूति होती है।
- यह हृदय को संपूर्ण ब्रह्मांड के साथ जोड़ देता है।
5. उच्च मन चक्र (Higher Mind Chakra - उच्च मन चक्र)
स्थान: दिव्य प्रेम चक्र के ऊपर
रंग: चमकीला नीला
कार्य:
- यह चक्र सात्विक बुद्धि और आत्मज्ञान से जुड़ा है।
- जब यह सक्रिय होता है, तो व्यक्ति की बुद्धि सूक्ष्म और दिव्य रूप से जागृत हो जाती है।
- यह चक्र हमें दिव्य योजनाओं और ब्रह्मांडीय संरचनाओं को समझने की शक्ति देता है।
6. आत्मा का प्रकाश चक्र (Soul Light Chakra - आत्म प्रकाश चक्र)
स्थान: उच्च मन चक्र के ऊपर
रंग: सुनहरी रोशनी
कार्य:
- यह चक्र आत्मा की उज्ज्वलता और प्रकाशमान स्वरूप को प्रकट करता है।
- जब यह सक्रिय होता है, तो व्यक्ति का अहंकार नष्ट हो जाता है और वह स्वयं को शुद्ध प्रकाश के रूप में देखने लगता है।
- यह साक्षी भाव और निर्विकल्प स्थिति में प्रवेश कराता है।
7. लौकिक द्वार चक्र (Universal Gateway Chakra - लौकिक प्रवेश द्वार चक्र)
स्थान: आत्म प्रकाश चक्र के ऊपर
रंग: बैंगनी-सफेद
कार्य:
- यह चक्र व्यक्ति को सम्पूर्ण ब्रह्मांडीय चेतना से जोड़ता है।
- जब यह सक्रिय होता है, तो साधक को ब्रह्मांड के रहस्यों की झलक मिलती है।
- इसमें प्रवेश करने पर व्यक्ति का अहम् पूरी तरह नष्ट हो जाता है और वह शुद्ध ब्रह्मांडीय ऊर्जा में विलीन हो जाता है।
8. अनंत प्रकाश चक्र (Infinity Light Chakra - अनंत प्रकाश चक्र)
स्थान: लौकिक द्वार चक्र के ऊपर
रंग: उज्ज्वल सफेद
कार्य:
- यह चक्र सम्पूर्ण आत्मिक ऊर्जा का स्रोत है।
- जब सक्रिय होता है, तो व्यक्ति की आत्मा अनंत चेतना में प्रवेश कर जाती है।
- साधक को परम ब्रह्म का साक्षात्कार होता है।
9. शुद्ध चेतना चक्र (Pure Consciousness Chakra - शुद्ध चेतना चक्र)
स्थान: अनंत प्रकाश चक्र के ऊपर
रंग: पारदर्शी प्रकाश
कार्य:
- यह चक्र शुद्ध सत्-चित्-आनंद का अनुभव कराता है।
- जब यह सक्रिय होता है, तो व्यक्ति की आत्मा कर्म और माया से मुक्त हो जाती है।
- यह चक्र निर्विकल्प समाधि की अवस्था में ले जाता है।
10. परब्रह्म चक्र (Param Brahma Chakra - परब्रह्म चक्र)
स्थान: शुद्ध चेतना चक्र के ऊपर
रंग: अलौकिक स्वर्णिम प्रकाश
कार्य:
- यह परम सत्य का द्वार है।
- जब यह सक्रिय होता है, तो आत्मा को सम्पूर्ण सृष्टि के निर्माता का साक्षात्कार होता है।
- व्यक्ति पूर्ण मुक्त अवस्था (मोक्ष) में प्रवेश कर जाता है।
11. परमात्मा द्वार चक्र (Supreme Gateway Chakra - परमात्मा द्वार चक्र)
स्थान: परब्रह्म चक्र के ऊपर
रंग: अलौकिक प्रकाश
कार्य:
- यह चक्र व्यक्ति को सम्पूर्ण ब्रह्मांड की सभी ऊर्जाओं से जोड़ता है।
- जब यह सक्रिय होता है, तो साधक स्वयं को पूर्ण सृष्टि में व्याप्त अनुभव करता है।
12. महाशून्य चक्र (Great Void Chakra - महाशून्य चक्र)
स्थान: सबसे ऊपर
रंग: शून्य (कोई रंग नहीं)
कार्य:
- यह अंतिम चक्र है, जहां व्यक्ति पूर्ण शून्यता और निर्विकल्प स्थिति में प्रवेश करता है।
- यह अहंकार, द्वैत और समस्त पहचान का अंत करता है।
- व्यक्ति परमशक्ति के साथ एकरूप हो जाता है।
निष्कर्ष
सहस्रार चक्र से ऊपर के 12 दिव्य चक्र साधक को भौतिक अस्तित्व से परे, ब्रह्मांडीय चेतना और परब्रह्म के साक्षात्कार तक ले जाते हैं। इन चक्रों की सक्रियता केवल गहन ध्यान, गुरु कृपा और दिव्य साधना से ही संभव होती है।
🙏 ॐ तत्सत् 🙏
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