परमात्मा क्यों भेजता है आत्मा को संसार में?

 परमात्मा क्यों भेजता है आत्मा को संसार में?   यह प्रश्न युगों से ऋषियों, भक्तों और साधकों के हृदय में उठता आया है। इसका उत्तर केवल तर्क से नहीं, भावना और अनुभव से समझा जा सकता है। आइए इसे एक कहानी और भावना के माध्यम से समझते हैं... 🌌 प्रारंभ: परमात्मा और आत्मा का संवाद बहुत समय पहले की बात है। जब न कोई पृथ्वी थी, न आकाश। न समय था, न कोई देह। केवल एक था— परमात्मा । शुद्ध प्रेम, प्रकाश और शांति का अनंत महासागर। उस अनंत ज्योति के भीतर असंख्य आत्माएँ थीं—चमकती हुई चिंगारियाँ, जो उसी परमात्मा की ही अंश थीं। वे आत्माएँ आनंद में डूबी रहतीं, पूर्णता का अनुभव करतीं। फिर एक दिन, एक छोटी सी आत्मा ने परमात्मा से पूछा: "प्रभु, आप तो सब कुछ हैं। लेकिन मैं खुद को जानना चाहती हूं। मैं यह जानना चाहती हूं कि मैं कौन हूं। क्या मैं भी आप जैसी हूं?" परमात्मा मुस्कुराए। उन्होंने कहा: "प्यारी आत्मा, तुम वास्तव में मुझ जैसी ही हो। लेकिन केवल मेरे पास रहकर तुम अपने स्वरूप को पूर्ण रूप से अनुभव नहीं कर सकती। जैसे बिना अंधकार के प्रकाश का अनुभव नहीं होता, वैसे ही बिना अनुभव के ज्ञा...

सात सालो से युही प्रेसन हु मेरे पास कोई गुरु ही नहीं, कृपा करे मार्गदर्शन करे

 सात सालो से युही प्रेसन हु मेरे पास कोई गुरु ही नहीं, कृपा करे मार्गदर्शन करे ?


सच्चे गुरु की प्राप्ति के लिए सच्ची तड़प और पूर्ण समर्पण आवश्यक है। जब शिष्य तैयार होता है, तब गुरु स्वयं प्रकट होते हैं। निरंतर साधना, ध्यान और भक्ति करें, क्योंकि आंतरिक शुद्धता ही सच्चे गुरु तक ले जाती है। हर अनुभव से सीखें, हर कष्ट को तपस्या मानें। ईश्वर से प्रार्थना करें कि वे आपको सही मार्ग दिखाएं। स्वयं को आध्यात्मिक रूप से तैयार करें, क्योंकि गुरु केवल ज्ञान देने नहीं, बल्कि आत्मोद्धार के लिए आते हैं। धैर्य रखें, सच्ची भक्ति करें—गुरु अवश्य मिलेंगे। ॐ गुरवे नमः।

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