परमात्मा क्यों भेजता है आत्मा को संसार में?

 परमात्मा क्यों भेजता है आत्मा को संसार में?   यह प्रश्न युगों से ऋषियों, भक्तों और साधकों के हृदय में उठता आया है। इसका उत्तर केवल तर्क से नहीं, भावना और अनुभव से समझा जा सकता है। आइए इसे एक कहानी और भावना के माध्यम से समझते हैं... 🌌 प्रारंभ: परमात्मा और आत्मा का संवाद बहुत समय पहले की बात है। जब न कोई पृथ्वी थी, न आकाश। न समय था, न कोई देह। केवल एक था— परमात्मा । शुद्ध प्रेम, प्रकाश और शांति का अनंत महासागर। उस अनंत ज्योति के भीतर असंख्य आत्माएँ थीं—चमकती हुई चिंगारियाँ, जो उसी परमात्मा की ही अंश थीं। वे आत्माएँ आनंद में डूबी रहतीं, पूर्णता का अनुभव करतीं। फिर एक दिन, एक छोटी सी आत्मा ने परमात्मा से पूछा: "प्रभु, आप तो सब कुछ हैं। लेकिन मैं खुद को जानना चाहती हूं। मैं यह जानना चाहती हूं कि मैं कौन हूं। क्या मैं भी आप जैसी हूं?" परमात्मा मुस्कुराए। उन्होंने कहा: "प्यारी आत्मा, तुम वास्तव में मुझ जैसी ही हो। लेकिन केवल मेरे पास रहकर तुम अपने स्वरूप को पूर्ण रूप से अनुभव नहीं कर सकती। जैसे बिना अंधकार के प्रकाश का अनुभव नहीं होता, वैसे ही बिना अनुभव के ज्ञा...

kuch Dino pehle main apne relative ke ghar gayi thi function attend karne jinke ghar gayi thi vo 70

कुछ दिनों पहले मैं अपने रिश्तेदार के घर एक फ़ंक्शन अटेंड करने गई थी। जिनके घर गई थी, उनकी उम्र 70+ थी। फ़ंक्शन के बाद जब वापस लौटने लगी और बाहर आ गई, तो अचानक दिल में एक अजीब भावना जागी, और मैं फिर से अंदर चली गई। बिना सोचे-समझे, उनके पैरों में बैठ गई और उनके दोनों हाथ पकड़कर अपने सिर पर रख लिए। यह सब अपने आप हुआ, मानो कोई अदृश्य शक्ति मुझसे यह करवा रही हो। मैं हैरान थी कि ऐसा क्यों हुआ। अगले ही महीने उनकी मृत्यु हो गई, और यह घटना मेरे मन पर गहरी छाप छोड़ गई।


कुछ दिनों पहले मैं अपने रिश्तेदार के घर एक फ़ंक्शन अटेंड करने गई थी। जिनके घर गई थी, उनकी उम्र 70+ थी। फ़ंक्शन अटेंड करने के बाद जब वापस आने लगी और बाहर आ गई, तो अचानक फिर से अंदर गई और उनके पैरों में बैठ गई। मैंने उनके दोनों हाथ पकड़कर अपने सिर पर रख लिए। यह मैंने पहले से सोचा नहीं था, बस अपने आप हो गया। मैंने ऐसा क्यों किया, यह मुझे समझ नहीं आया। लेकिन अगली ही महीने उनकी मृत्यु हो गई। यह घटना मेरे मन में एक गहरा प्रभाव छोड़ गई।

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