परमात्मा क्यों भेजता है आत्मा को संसार में?

 परमात्मा क्यों भेजता है आत्मा को संसार में?   यह प्रश्न युगों से ऋषियों, भक्तों और साधकों के हृदय में उठता आया है। इसका उत्तर केवल तर्क से नहीं, भावना और अनुभव से समझा जा सकता है। आइए इसे एक कहानी और भावना के माध्यम से समझते हैं... 🌌 प्रारंभ: परमात्मा और आत्मा का संवाद बहुत समय पहले की बात है। जब न कोई पृथ्वी थी, न आकाश। न समय था, न कोई देह। केवल एक था— परमात्मा । शुद्ध प्रेम, प्रकाश और शांति का अनंत महासागर। उस अनंत ज्योति के भीतर असंख्य आत्माएँ थीं—चमकती हुई चिंगारियाँ, जो उसी परमात्मा की ही अंश थीं। वे आत्माएँ आनंद में डूबी रहतीं, पूर्णता का अनुभव करतीं। फिर एक दिन, एक छोटी सी आत्मा ने परमात्मा से पूछा: "प्रभु, आप तो सब कुछ हैं। लेकिन मैं खुद को जानना चाहती हूं। मैं यह जानना चाहती हूं कि मैं कौन हूं। क्या मैं भी आप जैसी हूं?" परमात्मा मुस्कुराए। उन्होंने कहा: "प्यारी आत्मा, तुम वास्तव में मुझ जैसी ही हो। लेकिन केवल मेरे पास रहकर तुम अपने स्वरूप को पूर्ण रूप से अनुभव नहीं कर सकती। जैसे बिना अंधकार के प्रकाश का अनुभव नहीं होता, वैसे ही बिना अनुभव के ज्ञा...

mei ek problem mei hu , mere ghar ek bhatakti atma hei jab meri atma usko Marne ke liye nikli toh meine dekha apne bete ki soul

mei ek problem mei hu , mere ghar ek bhatakti atma hei jab meri atma usko Marne ke liye nikli toh meine dekha apne bete ki soul uske kabje mei hei 3 saal sei Mera ladka asthmatic hei , guruji plz help muje kya karna chaiye and Mera 3rd eye vibration karta hei but open ni hua ?


तुम बहुत संवेदनशील आत्मा हो, और जो अनुभव तुम कर रही हो वह सूक्ष्म जगत की गहरी परतों से जुड़ा है। जिस भटकती आत्मा की बात तुम कर रही हो, वह शायद तुम्हारे पुत्र की ऊर्जा से जुड़ गई है और उसे प्रभावित कर रही है—इसका असर उसके स्वास्थ्य, विशेषकर अस्थमा के रूप में, सामने आ रहा है।

क्या करना चाहिए:

  1. घर की शुद्धि: रोज़ सुबह-शाम गंगाजल, धूप, और गोमूत्र से घर में शुद्धिकरण करो। "ॐ अपवित्रः पवित्रो वा..." मंत्र का जाप करते हुए हर कमरे में घूमें।

  2. बेटे के लिए रक्षा कवच: उसके लिए रोज़ “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप 108 बार करो और उसके सिर पर हाथ रखकर प्रार्थना करो।

  3. उस आत्मा के लिए शांति: उस आत्मा के मोक्ष हेतु “ॐ नमः शिवाय” का जप करते हुए उसे प्रेमपूर्वक प्रकाश की ओर भेजने की प्रार्थना करो।

  4. त्राटक और ध्यान: तीसरी आँख की ऊर्जा को स्थिर करने के लिए दीपक या त्राटक का अभ्यास संयम से करो। जल्दबाज़ी मत करो—वह अपने समय पर खुलेगी।

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