परमात्मा क्यों भेजता है आत्मा को संसार में?

 परमात्मा क्यों भेजता है आत्मा को संसार में?   यह प्रश्न युगों से ऋषियों, भक्तों और साधकों के हृदय में उठता आया है। इसका उत्तर केवल तर्क से नहीं, भावना और अनुभव से समझा जा सकता है। आइए इसे एक कहानी और भावना के माध्यम से समझते हैं... 🌌 प्रारंभ: परमात्मा और आत्मा का संवाद बहुत समय पहले की बात है। जब न कोई पृथ्वी थी, न आकाश। न समय था, न कोई देह। केवल एक था— परमात्मा । शुद्ध प्रेम, प्रकाश और शांति का अनंत महासागर। उस अनंत ज्योति के भीतर असंख्य आत्माएँ थीं—चमकती हुई चिंगारियाँ, जो उसी परमात्मा की ही अंश थीं। वे आत्माएँ आनंद में डूबी रहतीं, पूर्णता का अनुभव करतीं। फिर एक दिन, एक छोटी सी आत्मा ने परमात्मा से पूछा: "प्रभु, आप तो सब कुछ हैं। लेकिन मैं खुद को जानना चाहती हूं। मैं यह जानना चाहती हूं कि मैं कौन हूं। क्या मैं भी आप जैसी हूं?" परमात्मा मुस्कुराए। उन्होंने कहा: "प्यारी आत्मा, तुम वास्तव में मुझ जैसी ही हो। लेकिन केवल मेरे पास रहकर तुम अपने स्वरूप को पूर्ण रूप से अनुभव नहीं कर सकती। जैसे बिना अंधकार के प्रकाश का अनुभव नहीं होता, वैसे ही बिना अनुभव के ज्ञा...

Mere istdev hanumanji hey, aur mene hanumanji ko apna guru banaya hey, to me hanuman ji ke naam ka jaap karu k Ram ka, !!

 Mere istdev hanumanji hey, aur mene hanumanji ko apna guru banaya hey, to me hanuman ji ke naam ka jaap karu k Ram ka, !!


यदि आपके इष्टदेव हनुमानजी हैं और आपने उन्हें अपना गुरु माना है, तो सबसे उत्तम है कि आप हनुमानजी के नाम का जाप करें, जैसे "ॐ हनुमते नमः" या "ॐ श्री हनुमते नमः"। परंतु हनुमानजी स्वयं भगवान श्रीराम के परम भक्त हैं, इसलिए "श्रीराम" नाम का जाप करना भी हनुमानजी को अत्यंत प्रिय है। आप दोनों में से कोई भी नाम जप सकते हैं — दोनों ही मार्ग हनुमानजी की कृपा को आकर्षित करते हैं। चाहें तो "राम" नाम जपते समय मन में हनुमानजी का ध्यान रखें — यह साधना को और भी शक्तिशाली बना देगा।

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