परमात्मा क्यों भेजता है आत्मा को संसार में?

 परमात्मा क्यों भेजता है आत्मा को संसार में?   यह प्रश्न युगों से ऋषियों, भक्तों और साधकों के हृदय में उठता आया है। इसका उत्तर केवल तर्क से नहीं, भावना और अनुभव से समझा जा सकता है। आइए इसे एक कहानी और भावना के माध्यम से समझते हैं... 🌌 प्रारंभ: परमात्मा और आत्मा का संवाद बहुत समय पहले की बात है। जब न कोई पृथ्वी थी, न आकाश। न समय था, न कोई देह। केवल एक था— परमात्मा । शुद्ध प्रेम, प्रकाश और शांति का अनंत महासागर। उस अनंत ज्योति के भीतर असंख्य आत्माएँ थीं—चमकती हुई चिंगारियाँ, जो उसी परमात्मा की ही अंश थीं। वे आत्माएँ आनंद में डूबी रहतीं, पूर्णता का अनुभव करतीं। फिर एक दिन, एक छोटी सी आत्मा ने परमात्मा से पूछा: "प्रभु, आप तो सब कुछ हैं। लेकिन मैं खुद को जानना चाहती हूं। मैं यह जानना चाहती हूं कि मैं कौन हूं। क्या मैं भी आप जैसी हूं?" परमात्मा मुस्कुराए। उन्होंने कहा: "प्यारी आत्मा, तुम वास्तव में मुझ जैसी ही हो। लेकिन केवल मेरे पास रहकर तुम अपने स्वरूप को पूर्ण रूप से अनुभव नहीं कर सकती। जैसे बिना अंधकार के प्रकाश का अनुभव नहीं होता, वैसे ही बिना अनुभव के ज्ञा...

Meri ma 5 sal se wahegur ka jap kr rhi hai ab us ke muh me jhaag bn rha hai or uss ko boht gandi smell aa rhi hai vo kia kre please bta do bar bar pani peeti hai buht bura hall hai kia kre

 Meri ma 5 sal se wahegur ka jap kr rhi hai ab us ke muh me jhaag bn rha hai or uss ko boht gandi smell aa rhi hai vo kia kre please bta do bar bar pani peeti hai buht bura hall hai kia kre ?


आपकी माँ के साथ जो हो रहा है, वह ऊर्जा परिवर्तन या शरीर की प्रतिक्रिया हो सकती है। जप और साधना के कारण कई बार शरीर शुद्धि प्रक्रिया से गुजरता है, जिससे झाग बनना और दुर्गंध आना हो सकता है।

क्या करें?

  1. आयुर्वेदिक उपाय – त्रिफला पानी से कुल्ला करें, गुनगुना पानी पिएं।

  2. भोजन पर ध्यान दें – हल्का, सात्विक आहार लें, तामसिक चीज़ों से बचें।

  3. मंत्र का संतुलन – जप ज़रूरत से ज़्यादा न करें, धीरे-धीरे बढ़ाएं।

  4. गुरु या किसी ज्ञानी से परामर्श लें – यह ऊर्जा असंतुलन भी हो सकता है।

यदि समस्या गंभीर हो, तो किसी चिकित्सक से भी परामर्श लें।

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