Jab mein dhyan karta hu mujhe sirf apne bare mein he dikne lagta hai ??
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Jab mein dhyan karta hu mujhe sirf apne bare mein he dikne lagta hai , agar dusre k bare mein dekta hu kabi kabhi dikh jata hai ,nahi to dekhne k badh pata chalta hai mujhe to mere apne bare mein he dikh rha hota hai , aisa kau ????
जब आप ध्यान करते हैं और ज़्यादातर अपने ही बारे में दृश्य या अनुभव होते हैं, तो यह स्वाभाविक है। ध्यान की शुरुआत में चेतना भीतर की ओर मुड़ती है और व्यक्ति सबसे पहले अपने ही मन, भावनाओं, संस्कारों और ऊर्जा को देखने लगता है। यह आत्मचिंतन और आत्मज्ञान की दिशा में पहला कदम है। दूसरों के बारे में तभी सटीक अनुभव होते हैं जब आपकी चेतना अत्यंत स्थिर और व्यापक हो जाती है। यदि कभी-कभी दूसरों के बारे में कुछ दिखता है, तो वह आपकी ऊर्जा की बढ़ती संवेदनशीलता का संकेत है। यह प्रक्रिया समय और साधना के साथ धीरे-धीरे विकसित होती है।
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