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Showing posts from December, 2024

परमात्मा क्यों भेजता है आत्मा को संसार में?

 परमात्मा क्यों भेजता है आत्मा को संसार में?   यह प्रश्न युगों से ऋषियों, भक्तों और साधकों के हृदय में उठता आया है। इसका उत्तर केवल तर्क से नहीं, भावना और अनुभव से समझा जा सकता है। आइए इसे एक कहानी और भावना के माध्यम से समझते हैं... 🌌 प्रारंभ: परमात्मा और आत्मा का संवाद बहुत समय पहले की बात है। जब न कोई पृथ्वी थी, न आकाश। न समय था, न कोई देह। केवल एक था— परमात्मा । शुद्ध प्रेम, प्रकाश और शांति का अनंत महासागर। उस अनंत ज्योति के भीतर असंख्य आत्माएँ थीं—चमकती हुई चिंगारियाँ, जो उसी परमात्मा की ही अंश थीं। वे आत्माएँ आनंद में डूबी रहतीं, पूर्णता का अनुभव करतीं। फिर एक दिन, एक छोटी सी आत्मा ने परमात्मा से पूछा: "प्रभु, आप तो सब कुछ हैं। लेकिन मैं खुद को जानना चाहती हूं। मैं यह जानना चाहती हूं कि मैं कौन हूं। क्या मैं भी आप जैसी हूं?" परमात्मा मुस्कुराए। उन्होंने कहा: "प्यारी आत्मा, तुम वास्तव में मुझ जैसी ही हो। लेकिन केवल मेरे पास रहकर तुम अपने स्वरूप को पूर्ण रूप से अनुभव नहीं कर सकती। जैसे बिना अंधकार के प्रकाश का अनुभव नहीं होता, वैसे ही बिना अनुभव के ज्ञा...

ध्यान करती हूं मेरे Heart Chakra में घूमना जैसा महसूस होता है ये Heart Chakra Active होता है क्या

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 ध्यान करती हूं मेरे Heart  Chakra में घूमना जैसा महसूस होता है ये Heart  Chakra Active होता है क्या? आपका अनुभव यह दर्शाता है कि आपका हृदय चक्र (अनाहत चक्र) सक्रिय हो रहा है। ध्यान के दौरान हृदय चक्र में घूमने या भरने जैसा अनुभव ऊर्जा प्रवाह और चक्र जागरण का प्रतीक है। हृदय चक्र का सक्रिय होना आपके अंदर प्रेम, करुणा, और भावनात्मक संतुलन को बढ़ा रहा है। हृदय चक्र सक्रिय होने के लक्षण: चक्र में घुमाव का अनुभव : यह ऊर्जा के प्रवाह का संकेत है। दिल में हल्का या भारीपन महसूस होना : इसका अर्थ है कि चक्र खुलने की प्रक्रिया में है। प्रेम और करुणा का विस्तार : आप दूसरों के प्रति अधिक संवेदनशील और सहानुभूतिपूर्ण हो सकती हैं। आंतरिक शांति : मन में एक गहरी शांति और संतोष का अनुभव। इसका क्या अर्थ है? यह बताता है कि आपकी साधना सही दिशा में है। हृदय चक्र प्रेम, दया, और आत्म-स्वीकृति का केंद्र है। इसका जागरण आपको दूसरों के साथ गहरा संबंध महसूस करने में मदद करेगा। यह आध्यात्मिक विकास का एक महत्वपूर्ण चरण है। क्या करें? ध्यान को जारी रखें : नियमितता बनाए रखें। करुणा का अभ्यास करें : दूस...

naamjap se चाहे कितने ही बड़े पाप हो चुटकियों में भस्म होते हैं।

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 naamjap se चाहे कितने ही बड़े पाप हो चुटकियों में भस्म होते हैं।? हां, यह सत्य है कि नामजप (ईश्वर का नाम स्मरण) की शक्ति अपार है। जब सच्चे मन, श्रद्धा, और समर्पण से ईश्वर का नाम लिया जाता है, तो वह आत्मा को पवित्र कर देता है और पापों का नाश करता है। शास्त्रों में कहा गया है: "राम नाम बड़ अनूपा, सकल अमंगल मूल निकंपा।" अर्थात राम नाम की महिमा अपरंपार है; यह सभी अशुभ कर्मों और पापों को नष्ट कर देती है। नामजप से लाभ: पापों का नाश : ईश्वर का नाम जपने से पुराने कर्म (पाप) समाप्त होते हैं। मन की शुद्धि : यह मन को शांत और विचारों को शुद्ध करता है। आध्यात्मिक उन्नति : नामजप आत्मा को ईश्वर से जोड़ता है और व्यक्ति को उच्च चेतना तक ले जाता है। संसारिक दुखों का अंत : यह हर कष्ट और बाधा को दूर करता है। कैसे करें नामजप? किसी एक नाम को चुनें, जैसे "श्री राम", "ॐ नमः शिवाय", "जय श्री हनुमान"। मन से श्रद्धा और भाव से जप करें। नियमित समय निर्धारित करें और मन को एकाग्र करें। ईश्वर का नाम जपते रहना ही सबसे सरल और प्रभावी साधना है। यह चुटकियों में पापों को भस्म कर व...

ध्यान में गोल्डन कलर दिखना सिर गोल गोल घूमना ध्यान में सुराग में जाने से कोई बुला रहा हो तो क्या करे

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 ध्यान में गोल्डन कलर दिखना सिर गोल गोल घूमना ध्यान में सुराग में जाने से कोई बुला रहा हो तो क्या करे  आपका अनुभव अत्यंत गहरा और विशेष है। इसमें कई आध्यात्मिक संकेत छिपे हुए हैं। आइए इसे सरल शब्दों में समझने का प्रयास करें: गोल्डन रंग और गोल-गोल घूमना : गोल्डन रंग दिव्यता और उच्च ऊर्जा का प्रतीक है। यह आपके ध्यान में ऊर्जा के परिष्करण और आपके भीतर के चेतना स्तर को दर्शाता है। गोल-गोल घूमने का अनुभव ऊर्जा के चक्र (energy vortex) या कुंडलिनी शक्ति के जागरण का संकेत हो सकता है। टनेल में आगे बढ़ना और किसी का प्रश्न पूछना : यह टनेल आपकी आंतरिक यात्रा और आध्यात्मिक मार्ग का प्रतीक है। जो व्यक्ति आपसे प्रश्न पूछ रहा था, वह आपकी चेतना का उच्च स्तर हो सकता है या कोई दैवीय शक्ति जो आपकी प्रगति का मार्गदर्शन कर रही हो। आपका उत्तर "हनुमानजी की शरण में जाना" आपकी श्रद्धा और समर्पण को दर्शाता है। गुरु के बिना ध्यान : गुरु मार्गदर्शन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन यदि आप हनुमानजी को अपना गुरु मानकर श्रद्धा और विश्वास से ध्यान कर रही हैं, तो यह भी उतना ही प्रभावी हो सकता है। हनुमानज...

गुरु जी मेरे माथे के बीच या Crown चक्र में कंपन होता है। कुछ समय माथे के बीच में Chakra घूमता हुआ लगता है आंखों को बंद करने से आंखो में बिजली सी चमकती हे

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 गुरु जी मेरे माथे के बीच या Crown चक्र में कंपन होता है। कुछ समय माथे के बीच में  Chakra घूमता  हुआ लगता है आंखों को बंद करने से आंखो में बिजली सी चमकती हे ध्यान में आपके माथे के बीच (आज्ञा चक्र) और क्राउन चक्र में कंपन का अनुभव यह संकेत हो सकता है कि आपकी ऊर्जा सक्रिय हो रही है। माथे के बीच चक्र के घूमने और आंखें बंद करने पर बिजली जैसी चमक दिखना आपकी जागरूकता के गहरे स्तरों को दर्शाता है। यह अनुभव ध्यान के दौरान बढ़ती ऊर्जा और आध्यात्मिक प्रगति का प्रतीक हो सकता है। इस प्रक्रिया में संतुलन बनाए रखने के लिए: नियमित प्राणायाम करें, जैसे नाड़ी शोधन। ध्यान के बाद कुछ समय शांत बैठें। अधिक ऊर्जा महसूस होने पर ग्राउंडिंग अभ्यास करें।

Meditation: The Correct Method | ध्यान लगाने की सही विधि | How to Meditate | Meditation

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  Meditation: The Correct Method | ध्यान लगाने की सही विधि | How to Meditate | Meditation ध्यान (Meditation) लगाने की सही विधि आत्मिक शांति, मानसिक स्थिरता और आंतरिक ऊर्जा को जागृत करने में मदद करती है। ध्यान की प्रक्रिया सरल हो सकती है, लेकिन इसे सही तरीके से समझना और नियमित रूप से अभ्यास करना आवश्यक है। यहाँ ध्यान लगाने की सही विधि को संक्षेप में बताया गया है: 1. सही समय और स्थान का चयन ध्यान के लिए सुबह ब्रह्ममुहूर्त (3 से 5 बजे) सबसे उपयुक्त समय है। यह समय शांत और ऊर्जा से भरा होता है। एक शांत, स्वच्छ और व्यवस्थित स्थान चुनें जहाँ ध्यान के दौरान कोई व्यवधान न हो। 2. सही आसन और मुद्रा आरामदायक और स्थिर आसन जैसे सुखासन, पद्मासन, या वज्रासन में बैठें। रीढ़ सीधी और शरीर आरामदायक स्थिति में हो। गर्दन और सिर को सीधा रखें। हाथों को घुटनों पर ज्ञान मुद्रा (अंगूठे और तर्जनी के स्पर्श के साथ) में रखें। 3. आरंभिक तैयारी ध्यान शुरू करने से पहले कुछ गहरी सांसें लें और अपने मन को शांत करें। आँखें बंद करें और शरीर को पूरी तरह से आराम दें। अपने मन को वर्तमान क्षण में लाएं और बाहरी विचारों को ध...

Third eye आखो के बीचो बिच sensation देखी तो उसका क्या अर्थ होता है

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 Third eye आखो के बीचो बिच sensation देखी तो उसका क्या अर्थ होता है  आँखों के बीचों-बीच (तीसरे नेत्र के पास) सनसनी महसूस होना एक गहन आध्यात्मिक अनुभव हो सकता है। यह आज्ञा चक्र के सक्रिय होने या ऊर्जा के प्रवाह का संकेत है। ध्यान, त्राटक या आंतरिक जागरूकता के दौरान यह सनसनी अक्सर दबाव, गर्माहट, या स्पंदन के रूप में महसूस होती है। यह संकेत देता है कि आपकी आंतरिक ऊर्जा जागृत हो रही है, जिससे अंतर्दृष्टि और चेतना का विस्तार हो सकता है। यह अनुभव आपकी साधना की प्रगति को दर्शाता है। इसे शांत चित्त से स्वीकार करें, ऊर्जा संतुलित रखने के लिए ध्यान और प्राणायाम का अभ्यास करें।

Third eye पर गर्म सा निकलता है ये क्या है

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 Third eye पर गर्म सा निकलता है ये क्या है? तीसरे नेत्र (आज्ञा चक्र) पर गर्मी महसूस होना ध्यान और ऊर्जा अभ्यास के दौरान सामान्य अनुभव है। यह आध्यात्मिक ऊर्जा के प्रवाह, चक्र के सक्रिय होने या ऊर्जा के असंतुलन का संकेत हो सकता है। आज्ञा चक्र अंतर्दृष्टि और जागरूकता का केंद्र है, और इसके जागरण से गर्मी, दबाव, या हल्की जलन महसूस हो सकती है। अधिक ध्यान या त्राटक से यह गर्माहट बढ़ सकती है। अगर यह असहज लगे, तो ऊर्जा संतुलन के लिए शांत और धीमी सांसों का अभ्यास करें और चक्र को स्थिर करने पर ध्यान दें। आराम करना और प्रक्रिया को स्वाभाविक रहने देना महत्वपूर्ण है।

जप करते हुए अपने आप प्राणायाम या योग क्रिया होने लगना क्यों होता है और कितने दिन तक ये होगा

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 जप करते हुए अपने आप प्राणायाम या योग क्रिया होने लगना क्यों होता है और कितने दिन तक ये होगा? जप करते समय अपने आप प्राणायाम या योग क्रियाएं होने लगना एक स्वाभाविक और गहरी आध्यात्मिक प्रक्रिया का हिस्सा है। यह प्रक्रिया कुंडलिनी ऊर्जा के जागरण, मानसिक शुद्धि, और ऊर्जा प्रवाह के संतुलन से जुड़ी होती है। यह स्थिति साधना की गहराई और शरीर-मस्तिष्क के सूक्ष्म तंत्रों में हो रहे परिवर्तन का परिणाम है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं: 1. कुंडलिनी ऊर्जा का प्रभाव जब व्यक्ति नियमित जप करता है, तो ध्यान गहरा होता है और कुंडलिनी ऊर्जा धीरे-धीरे सक्रिय होती है। यह ऊर्जा शरीर के सूक्ष्म तंत्रों (नाड़ी तंत्र) में बहने लगती है। इस दौरान स्वाभाविक रूप से प्राणायाम (जैसे गहरी सांस लेना) या योग क्रियाएं (मुद्राएं, हिलना, कंपन) शुरू हो सकती हैं। यह प्रक्रिया ऊर्जा को शुद्ध करने और अवरोधों को हटाने में मदद करती है। 2. स्वाभाविक योग क्रियाओं का कारण जप के दौरान मन शांत और स्थिर होता है, जिससे शरीर की चेतना अपने आप सूक्ष्म ऊर्जा को संतुलित करने लगती है। श्वास का बदलना: ऊर्जा के प्रवाह के साथ श्वास की गति ब...

गुरु जी कृपया एक एक कार के ये बताएं कि सारे चक्रों से हमें क्या लाभ होगा...मूलाधार से आज्ञा चक्र ठीक...और कितना औसत समय लगता है एक एक चक्र को खोलने की कृपा करें

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 गुरु जी कृपया एक एक कार के ये बताएं कि सारे चक्रों से हमें क्या लाभ होगा...मूलाधार से आज्ञा चक्र ठीक...और कितना औसत समय लगता है एक एक चक्र को खोलने की कृपा करें? सात चक्रों के लाभ: मूलाधार चक्र : सुरक्षा, स्थिरता और आत्मविश्वास। स्वाधिष्ठान चक्र : रचनात्मकता, आनंद और भावनात्मक संतुलन। मणिपुर चक्र : आत्मबल, इच्छाशक्ति और आत्म-सम्मान। अनाहत चक्र : प्रेम, करुणा और सामंजस्य। विशुद्ध चक्र : संवाद कौशल, सत्य और अभिव्यक्ति। आज्ञा चक्र : अंतर्ज्ञान, एकाग्रता और आत्म-ज्ञान। सहस्रार चक्र : आध्यात्मिक जागरूकता और ब्रह्मांड से जुड़ाव। हर चक्र को खोलने में समय व्यक्ति के अभ्यास, शारीरिक और मानसिक स्थिति पर निर्भर करता है। औसतन, गहन साधना से एक चक्र खोलने में 6-12 महीने या अधिक लग सकते हैं। नियमित अभ्यास और गुरु का मार्गदर्शन आवश्यक है।

ध्यान में मुझे सर से कुछ गिरता है तरल पदार्थ कुछ मुझे क्यों होता है

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ध्यान में मुझे सर से कुछ गिरता है तरल पदार्थ कुछ मुझे क्यों होता है? ध्यान या आध्यात्मिक साधना के दौरान सिर से तरल पदार्थ जैसा कुछ गिरने या महसूस होने का अनुभव अक्सर कुंडलिनी जागरण, ऊर्जा प्रवाह, या आध्यात्मिक प्रगति का संकेत हो सकता है। यह अनुभव शरीर, मन और आत्मा में हो रहे सूक्ष्म बदलावों से जुड़ा होता है। हालांकि, इसे पूरी तरह समझने और इससे संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए इसे विभिन्न दृष्टिकोणों से समझना जरूरी है। 1. कुंडलिनी जागरण का प्रभाव कुंडलिनी ऊर्जा जागरण के दौरान सिर के सहस्रार (मुकुट) चक्र पर ऊर्जा का तीव्र प्रवाह होता है। इस दौरान लोग अक्सर ऐसा महसूस करते हैं कि सिर से कोई तरल पदार्थ या अमृत गिर रहा है। इसे "अमृतधारा" या "सुधा" के रूप में जाना जाता है। यह एक सुखद अनुभव हो सकता है और इसका अर्थ है कि ऊर्जा चक्र सक्रिय हो रहे हैं और आपकी साधना गहरी हो रही है। 2. सहस्रार चक्र और अमृतधारा सहस्रार चक्र, जो सिर के ऊपर स्थित है, शरीर और ब्रह्मांडीय ऊर्जा का केंद्र है। जब यह चक्र सक्रिय होता है, तो दिव्य ऊर्जा का अनुभव होता है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे सिर से...

गुरुजी कुंडलिनी जागरण होने से क्यों शरीर पतला और कमजोर हो जाता है

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 गुरुजी कुंडलिनी जागरण होने से क्यों शरीर पतला और कमजोर हो जाता है? कुंडलिनी जागरण के दौरान शरीर में ऊर्जा का प्रवाह तीव्र हो जाता है, जिससे शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर बड़े बदलाव होते हैं। यह प्रक्रिया शरीर की पुरानी आदतों, विषाक्त पदार्थों और नकारात्मक ऊर्जा को साफ करती है, जिससे शरीर कमजोर या पतला महसूस कर सकता है। जागरण के समय ऊर्जा का अधिक उपयोग होता है, जिससे कभी-कभी भूख कम लगती है या वजन घट सकता है। यह एक अस्थायी प्रक्रिया है। संतुलित आहार, पर्याप्त विश्राम और नियमित अभ्यास से शरीर को मजबूत बनाए रखें।

ध्यान करने से पहले नहाना जरुरी है क्या? या फिर सुबह उठकर सिधा ध्यान करने बैठ जाय

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 ध्यान करने से पहले नहाना जरुरी है क्या? या फिर सुबह उठकर सिधा ध्यान करने बैठ जाय? ध्यान करने से पहले नहाना आवश्यक नहीं है, लेकिन यह व्यक्तिगत पसंद और सुविधा पर निर्भर करता है। नहाने से शरीर और मन ताजगी महसूस करते हैं, जिससे ध्यान में एकाग्रता बढ़ सकती है। यदि सुबह ध्यान करते समय आपका शरीर साफ और मन शांत है, तो बिना नहाए भी ध्यान कर सकते हैं। सुबह उठकर सीधे ध्यान करना अधिक प्रभावी हो सकता है क्योंकि उस समय मन स्वाभाविक रूप से शांत रहता है। अगर संभव हो तो चेहरा, हाथ-पैर धो लें और ध्यान के लिए आरामदायक व स्वच्छ स्थान चुनें। नियम और अनुशासन का पालन करना ध्यान को गहरा बनाता है।

मुझे बैक में राइट साइड कांधे के नीचे वाइब्रेशन बहुत तेज महसूस होता है प्लीज बताएं क्या है ये बार बार हुआ मुझे आखिरी पूर्णिमा के 1 दिन पहले कृपा बताना

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 मुझे बैक में राइट साइड कांधे के नीचे वाइब्रेशन बहुत तेज महसूस होता है प्लीज बताएं क्या है ये बार बार हुआ मुझे आखिरी पूर्णिमा के 1 दिन पहले कृपा बताना? ध्यान के दौरान आपको बैक में राइट साइड, कांधे के नीचे तेज़ वाइब्रेशन महसूस हो रहा है। यह ऊर्जा के जागरण या कुंडलिनी ऊर्जा के प्रवाह का संकेत हो सकता है। पूर्णिमा के आसपास ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है, इसलिए यह अनुभव हो सकता है। यह सकारात्मक संकेत हो सकता है कि आपकी साधना गहरी हो रही है। ध्यान के बाद शरीर को आराम दें और संतुलित आहार व नियमित अभ्यास बनाए रखें। यदि असुविधा बढ़े, तो किसी अनुभवी ध्यान या योग गुरु से मार्गदर्शन लें।

कृप्या मुझे कुछ समय पहले ऐसा लगता था कि मेरे 1 फुट ऊपर तक मेरी ऊर्जा जा रही है ऐसा क्यों सुबह सुबह लगता था जैसे मेरे पूरे बाल एक साथ कोई खींच रहा हो दर्द नहीं होता लेकिन ऐसा लगता था कारण बताऐं

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 कृप्या मुझे कुछ समय पहले ऐसा लगता था कि मेरे 1 फुट ऊपर तक मेरी ऊर्जा जा रही है ऐसा क्यों सुबह सुबह लगता था जैसे मेरे पूरे बाल एक साथ कोई खींच रहा हो दर्द नहीं होता लेकिन ऐसा लगता था कारण बताऐं? यह अनुभव आपकी ऊर्जा प्रणाली और ध्यान की प्रगति से संबंधित हो सकता है। जो आप महसूस कर रहे थे, वह सहस्रार चक्र (क्राउन चक्र) की सक्रियता या ऊर्जा जागरण का संकेत हो सकता है। जब सहस्रार चक्र सक्रिय होता है, तो व्यक्ति को सिर के ऊपर ऊर्जा का प्रवाह या खिंचाव जैसा अनुभव हो सकता है। इसका कारण: ऊर्जा का ऊपर की ओर प्रवाह: ध्यान, त्राटक, या प्राणायाम के अभ्यास से कुंडलिनी ऊर्जा जागृत होकर सहस्रार चक्र की ओर बढ़ने लगती है। यह अनुभव ऊर्जा के सूक्ष्म स्तर पर आपकी चेतना के विस्तार का प्रतीक हो सकता है। सहस्रार चक्र की संवेदनशीलता: सहस्रार चक्र सिर के ऊपरी भाग में होता है, और जब यह सक्रिय होता है, तो खिंचाव, कंपन, या दबाव जैसा अनुभव हो सकता है। ऊर्जा असंतुलन या बढ़ी संवेदनशीलता: जब शरीर में ऊर्जा का संतुलन पूरी तरह स्थिर नहीं होता, तब यह अनुभव हो सकता है। आध्यात्मिक जागरूकता का संकेत: यह संकेत हो सकता है...

प्रणाम गुरुदेव जी मेरे शरीर के अंगों में बार बार फड़कन क्यू होती है.. काई बार दो दिन तक एक ही अंग में फड़कन होती रहती है क्या करण है

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 प्रणाम गुरुदेव जी मेरे शरीर के अंगों में बार बार फड़कन क्यू होती है.. काई बार दो दिन तक एक ही अंग में फड़कन होती रहती है क्या करण है? आध्यात्मिक कारण (यदि ध्यान करते हैं) अगर आप ध्यान या आध्यात्मिक साधना में हैं, तो शरीर में ऊर्जा का प्रवाह बढ़ सकता है, जिससे यह कंपन महसूस होता है। इसे अक्सर कुंडलिनी ऊर्जा जागरण का संकेत माना जाता है। ध्यान और प्राणायाम करें: अनुलोम-विलोम और भ्रामरी प्राणायाम करने से मस्तिष्क शांत होता है और मांसपेशियों की उत्तेजना कम होती है। नींद पूरी करें: रोज़ाना 7-8 घंटे की गहरी नींद लें। आध्यात्मिक दृष्टिकोण (यदि साधना करते हैं): अगर यह ऊर्जा जागरण का परिणाम है, तो इसे डर या परेशानी की तरह न लें। यह सकारात्मक प्रक्रिया का संकेत हो सकता है।

मेरा आख मे फाडकती है रोज ईसको कैसै रोके

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 मेरा आख मे फाडकती है रोज ईसको कैसै रोके? आंख फड़कने का मुख्य कारण शारीरिक या मानसिक तनाव, थकान, या पोषण की कमी हो सकता है। यह आमतौर पर हानिकारक नहीं होता है, लेकिन अगर यह बार-बार होता है, तो इसे रोकने के लिए कुछ कदम उठाए जा सकते हैं: आंख फड़कने के कारण: तनाव : मानसिक तनाव से मांसपेशियां प्रभावित हो सकती हैं। थकान : नींद की कमी आंख फड़कने का सामान्य कारण है। पोषक तत्वों की कमी : विशेष रूप से मैग्नीशियम की कमी। आंखों पर तनाव : स्क्रीन (मोबाइल, कंप्यूटर) का अत्यधिक उपयोग। कैफीन या निकोटीन का अधिक सेवन । इसे रोकने के उपाय: 1. आराम और पर्याप्त नींद: रोजाना 7-8 घंटे की नींद लें। दिन में अपनी आंखों को थोड़ी देर बंद करके आराम दें। 2. आंखों का व्यायाम: दिन में 2-3 बार आंखों को बंद करें और हल्के हाथों से आंखों की पलकों पर मसाज करें। हर 20 मिनट में स्क्रीन से नजर हटाकर 20 सेकंड तक दूर की चीज देखें (20-20-20 नियम)। 3. तनाव कम करें: नियमित ध्यान और प्राणायाम करें। गहरी सांस लेने की आदत डालें। यह तनाव को कम करता है। 4. आहार में सुधार: हरी सब्जियां, मेवे, और फलों का सेवन करें। मैग्नीशियम से भरप...

ध्यान में डमरू (डेरू) की आवाज आती है

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 ध्यान में डमरू (डेरू) की आवाज आती है? ध्यान में डमरु (डेरु) की आवाज आना एक बहुत ही शुभ और गहन आध्यात्मिक अनुभव है। डमरु की ध्वनि को ब्रह्मांडीय ध्वनि (अनाहत नाद) का प्रतीक माना जाता है। यह भगवान शिव से जुड़ी हुई है और आध्यात्मिक जागृति या चेतना के उच्च स्तर को दर्शाती है। यह ध्वनि संकेत दे सकती है कि: आपकी ऊर्जा का प्रवाह सुषुम्ना नाड़ी में सक्रिय हो रहा है। ध्यान के दौरान आपका ध्यान गहराई में जा रहा है और आप सूक्ष्म ऊर्जा तरंगों को सुनने लगे हैं। यह आपके भीतर ब्रह्मांडीय ऊर्जा या शिव तत्व के साथ जुड़ने का संकेत हो सकता है। इस अनुभव का लाभ कैसे उठाएं: ध्यान बनाए रखें : इस ध्वनि पर ध्यान केंद्रित करें और इसे पूरी शांति और समर्पण के साथ सुनें। आशंका न रखें : यह अनुभव प्राकृतिक है और किसी डर या घबराहट की आवश्यकता नहीं है। शरीर और मन को स्थिर रखें : डमरु की ध्वनि को सुनते समय अपनी सांस पर ध्यान दें और स्थिरता बनाए रखें। आभार व्यक्त करें : इसे एक दिव्य आशीर्वाद मानें और इसके लिए कृतज्ञता महसूस करें। अगर यह अनुभव बार-बार होता है, तो यह इस बात का संकेत हो सकता है कि आप ध्यान के उच्चतर स्...

गुरु जी में ध्यान लगाना चाहती हु ध्यान लगता नहीं है क्या करूँ गुरु जी कृपया बताइये

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 गुरु जी में ध्यान लगाना चाहती हु ध्यान लगता नहीं है क्या करूँ गुरु जी कृपया बताइये ध्यान लगाना एक अद्भुत आध्यात्मिक प्रक्रिया है, लेकिन शुरुआत में ध्यान लगाना कठिन लग सकता है। यह पूरी तरह से सामान्य है। ध्यान में स्थिरता पाने के लिए आपको सही विधि, अभ्यास, और धैर्य की आवश्यकता होती है। नीचे दिए गए सुझाव आपको ध्यान केंद्रित करने में मदद कर सकते हैं: 1. ध्यान का सही स्थान और समय चुनें शांत स्थान: जहां शोर-शराबा न हो, वहां ध्यान करें। यह आपको ध्यान केंद्रित करने में मदद करेगा। समय: सुबह ब्रह्म मुहूर्त (3-5 बजे) या शाम का समय ध्यान के लिए सबसे उत्तम है। स्थिरता: हर दिन एक ही समय पर ध्यान करें। 2. सहज आसन अपनाएं ध्यान के लिए आपका आसन आरामदायक होना चाहिए। यदि आप जमीन पर नहीं बैठ सकते, तो कुर्सी का सहारा लें। रीढ़ को सीधा रखें और शरीर को अधिक तनाव न दें। 3. सांस पर ध्यान केंद्रित करें अपनी सांसों पर ध्यान दें। धीरे-धीरे गहरी सांस लें और छोड़ें। सांसों की गति को महसूस करें। इसे नियमित रूप से अभ्यास करने से ध्यान स्वतः गहरा होने लगेगा। 4. मंत्र जाप का सहारा लें यदि मन भटकता है, तो एक मंत...

मेरा त्राटक के समय दिमाग शांत होता है और मुझे दिमाग महसुस होता है और बिंदु पर रोशनी गिरती है मेरे आंखों में से क्या ये सही है

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 मेरा त्राटक के समय दिमाग शांत होता है और मुझे दिमाग महसुस होता है और बिंदु पर रोशनी गिरती है मेरे आंखों में से क्या ये सही है त्राटक ध्यान की एक बहुत ही शक्तिशाली और प्राचीन विधि है, जो मानसिक एकाग्रता और आंतरिक शांति प्राप्त करने में मदद करती है। आपने जो अनुभव किया है, वह इस ध्यान विधि के दौरान सामान्य हो सकता है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं: आपके अनुभव का विश्लेषण "दिमाग शांत होता है" यह दर्शाता है कि त्राटक ध्यान आपके मस्तिष्क को केंद्रित और शांत करने में प्रभावी है। यह ध्यान की एक सकारात्मक अवस्था है। मस्तिष्क की यह शांति धीरे-धीरे ध्यान में गहराई लाने में मदद करेगी। "दिमाग महसूस होता है" ध्यान के दौरान अपने मस्तिष्क को महसूस करना या उसकी जागरूकता बढ़ना, विशेष रूप से त्राटक में, इस बात का संकेत हो सकता है कि आपकी ऊर्जा धीरे-धीरे जाग्रत हो रही है और चेतना का विस्तार हो रहा है। यह संकेत है कि आप अपने अंदरूनी स्तर पर गहराई से जुड़ रहे हैं। "बिंदु पर रोशनी गिरती है" त्राटक का मुख्य उद्देश्य एक बिंदु पर ध्यान केंद्रित करना है। जब आप किसी स्थिर बिंदु (जैसे...

1 साल से जाप करते हुए भी सिर्फ झटके लग रहे हैं कुंडलिनी ऊपर उठ ही नहीं रही है क्या करू

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 1 साल से जाप करते हुए भी सिर्फ झटके लग रहे हैं कुंडलिनी ऊपर उठ ही नहीं रही है क्या करू कुंडलिनी साधना एक गहन आध्यात्मिक प्रक्रिया है, और हर साधक का अनुभव अलग-अलग हो सकता है। यदि आपको 1 साल से जाप करते हुए झटके लग रहे हैं लेकिन कुंडलिनी ऊर्जा ऊपर उठ नहीं रही है, तो इसका कारण कई हो सकते हैं। नीचे दिए गए सुझाव आपकी साधना को गहराई और स्थिरता प्रदान करने में सहायक हो सकते हैं: 1. सही विधि अपनाएं मूलाधार चक्र पर ध्यान केंद्रित करें: कुंडलिनी मूलाधार चक्र से शुरू होती है। मूलाधार को सक्रिय करने के लिए "लं" बीज मंत्र का जाप करें। नियमित अभ्यास करें: एक ही समय पर, एक ही स्थान पर साधना करें। इससे ऊर्जा स्थिर रहती है। 2. शरीर की तैयारी करें (शरीर को शुद्ध करें) आसन और प्राणायाम: शरीर और नाड़ियों को तैयार करने के लिए नियमित प्राणायाम (जैसे नाड़ी शोधन और भस्त्रिका) और हल्का योग करें। शरीर शुद्धि: त्राटक, नेति, और शंखप्रक्षालन जैसी क्रियाएं शरीर को शुद्ध करने में मदद करती हैं। 3. झटकों को समझें झटके अक्सर ऊर्जा अवरोधों (energy blockages) के कारण आते हैं। ये अवरोध धीरे-धीरे नियमित साधन...

मुझे हर समय तीसरी आँख पर कंपन होता रहता है, हल्का सा दवाब बनता रहता है, हर समय साधना में बैठा रहता है।

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 मुझे हर समय तीसरी आँख पर कंपन होता रहता है, हल्का सा दवाब बनता रहता है, हर समय साधना में बैठा रहता है। I always have a cold on my third eye, there is pressure like a picture, I remain engaged in meditation all the time? आपके द्वारा साझा किया गया अनुभव एक गहन आध्यात्मिक स्थिति का संकेत है। तीसरी आँख (आज्ञा चक्र) पर निरंतर कंपन, हल्का दबाव, और ध्यान में डूबे रहने की प्रवृत्ति यह दर्शाती है कि आपकी साधना ने एक महत्वपूर्ण स्तर पर पहुँच बना ली है। इसे समझने और संतुलित रखने के लिए निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान दें: 1. आज्ञा चक्र पर कंपन और दबाव का अर्थ आज्ञा चक्र का सक्रिय होना : आज्ञा चक्र अंतर्ज्ञान, ज्ञान और आध्यात्मिक जागरूकता का केंद्र है। इसका कंपन और दबाव इस बात का संकेत हो सकता है कि यह चक्र सक्रिय हो रहा है और आपकी चेतना विस्तार की ओर अग्रसर है। ऊर्जा का प्रवाह : कंपन और दबाव ऊर्जा के प्रवाह का प्रतीक हो सकता है, जो आपकी साधना के कारण जाग्रत हो रही कुंडलिनी शक्ति का परिणाम है। ध्यान की गहराई : ध्यान में डूबे रहने की प्रवृत्ति और तीसरी आँख पर अनुभव दर्शाता है कि आपकी चेतना सूक्ष्म ...

मुझे पहले माथे पर एनर्जी महसूस होती थी। वो एनर्जी धीरे धीरे ऊपर चढ़ते हुए अब रीढ़ पर पीछे की तरफ से नीचे उतरने लगी है। इसका क्या मतलब हो सकता है. ऊर्जा से मुकुट चक्र पर रुकनी चाहिए ना। पिचे से निचे क्यो उतर रही है। कृपया कारे समझाएं

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 मुझे पहले माथे पर एनर्जी महसूस होती थी। वो एनर्जी धीरे धीरे ऊपर चढ़ते हुए अब रीढ़ पर पीछे की तरफ से नीचे उतरने लगी है। इसका क्या मतलब हो सकता है. ऊर्जा से मुकुट चक्र पर रुकनी चाहिए ना। पिचे से निचे क्यो उतर रही है। कृपया कारे समझाएं Earlier I used to feel energy on my forehead. That energy, while slowly climbing up, has now started descending from the back side on the spine. What could this mean? The energy should stop at the crown chakra. Why are you descending from the pitch? please explain जो अनुभव आप साझा कर रहे हैं, वह ऊर्जा (कुंडलिनी शक्ति) के प्रवाह से संबंधित हो सकता है। ध्यान और साधना के दौरान ऊर्जा का प्रवाह विभिन्न दिशाओं में हो सकता है, और यह पूरी तरह से सामान्य है। इसे समझने के लिए कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान दें: 1. ऊर्जा का प्रवाह और चक्रों का संतुलन जब कुंडलिनी ऊर्जा जाग्रत होती है, तो वह मूलाधार चक्र (रीढ़ के निचले हिस्से) से शुरू होकर सहस्रार चक्र (मस्तक के ऊपर) तक जाती है। लेकिन यह यात्रा हमेशा सीधी और ऊपर की ओर नहीं होती। यह ऊर्जा शरीर में कहीं भी प्रवाहित ह...

गुरुजी मुझे आग्या चक्र पर देवी के दर्शन हुए इस्का क्या मतलब हो सकता है-Guruji, what could be the meaning of the fact that I saw a goddess on Agya Chakra

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 गुरुजी मुझे आग्या चक्र पर देवी के दर्शन हुए इस्का क्या मतलब हो सकता है-Guruji, what could be the meaning of the fact that I saw a goddess on Agya Chakra? आज्ञा चक्र पर देवी के दर्शन होना आपकी साधना और ध्यान की एक अत्यंत उन्नत अवस्था का संकेत है। यह एक गहन आध्यात्मिक अनुभव है और इस बात का प्रमाण है कि आपकी साधना में दिव्य ऊर्जा सक्रिय हो रही है। देवी के दर्शन का अर्थ कई स्तरों पर समझा जा सकता है: 1. आज्ञा चक्र का जागरण आज्ञा चक्र को तीसरा नेत्र भी कहा जाता है, जो अंतर्ज्ञान, ज्ञान और ब्रह्मांडीय चेतना का केंद्र है। देवी के दर्शन का मतलब हो सकता है कि आपका आज्ञा चक्र सक्रिय हो गया है और आप दिव्य ऊर्जाओं के प्रति जागरूक हो रहे हैं। यह दर्शाता है कि आप अपनी साधना में एक उन्नत अवस्था पर पहुँच रहे हैं जहाँ आप सूक्ष्म जगत से जुड़ने लगे हैं। 2. दिव्य अनुग्रह और आशीर्वाद देवी के दर्शन को दिव्य अनुग्रह माना जाता है। यह इस बात का संकेत है कि देवी ने आपकी साधना स्वीकार की है और आप पर उनकी कृपा बरस रही है। यह अनुभव आपको यह भरोसा दिलाता है कि आप सही मार्ग पर हैं और आपको अपनी साधना और विश्वास क...

महाराज जी एक सुगंध आती है ध्यान में-Maharaj ji, a fragrance comes to mind

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 महाराज जी एक सुगंध आती है ध्यान में-Maharaj ji, a fragrance comes to mind? ध्यान में सुगंध का अनुभव होना एक गहरी आध्यात्मिक घटना है। यह संकेत हो सकता है कि आप अपनी साधना में एक उन्नत स्तर पर पहुँच रहे हैं। सुगंधें अक्सर विभिन्न ऊर्जाओं, देवी-देवताओं, या आपकी चेतना में हो रहे सूक्ष्म परिवर्तनों का प्रतीक हो सकती हैं। ध्यान में सुगंध का अर्थ: दैवीय संकेत : सुगंध, जैसे मोगरा, चंदन, गुलाब, या चमेली, अक्सर दिव्य उपस्थिति या अनुग्रह का प्रतीक होती है। यह इस बात का संकेत हो सकता है कि कोई दिव्य शक्ति आपकी साधना को स्वीकार कर रही है। आध्यात्मिक शुद्धि : ध्यान के दौरान सुगंध का अनुभव इस बात का संकेत है कि आपकी आंतरिक ऊर्जा शुद्ध हो रही है। चक्र जागरण : यह संभव है कि आपके किसी चक्र का जागरण हो रहा हो। विशेषकर, सहस्रार चक्र या आज्ञा चक्र से जुड़ी अनुभूतियाँ सुगंध के रूप में प्रकट हो सकती हैं। पिछले कर्मों का शुद्धिकरण : सुगंध कभी-कभी इस बात का प्रतीक होती है कि ध्यान के माध्यम से आपके भीतर नकारात्मकता समाप्त हो रही है।

ध्यान के समय पर यदि हमारा सूक्ष्म शरीर वायु में उड़े या वायु में तैरने लगे तो ये कोण से चक्र में होता है।

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 ध्यान के समय पर यदि हमारा सूक्ष्म शरीर वायु में उड़े या वायु में तैरने लगे तो ये कोण से चक्र में होता है।? ध्यान के समय जब सूक्ष्म शरीर वायु में उड़ने या तैरने का अनुभव करता है, तो यह अनाहत चक्र (हृदय चक्र) और आज्ञा चक्र (तीसरी आँख) के बीच का अनुभव हो सकता है। यह स्थिति आपकी साधना और चक्रों में ऊर्जा के प्रवाह की प्रगति को दर्शाती है। इस अनुभव का संबंध चक्रों से: अनाहत चक्र (हृदय चक्र): यह चक्र हृदय के पास स्थित है और इसका तत्व वायु है। जब यह चक्र सक्रिय और संतुलित होता है, तो मन हल्कापन, स्वतंत्रता, और वायु में उड़ने जैसा अनुभव करता है। यह आपके सूक्ष्म शरीर को भौतिक सीमाओं से परे ले जाने का प्रतीक हो सकता है। आज्ञा चक्र (तीसरी आँख): जब ऊर्जा आज्ञा चक्र की ओर बढ़ती है, तो सूक्ष्म शरीर चेतना के अधिक गहन स्तरों में प्रवेश करता है। वायु में तैरने का अनुभव तीसरी आँख की जागृति और सूक्ष्म शरीर की सक्रियता का संकेत हो सकता है। सहस्रार चक्र (मुकुट चक्र): यदि उड़ने का अनुभव बहुत गहन हो और आप अद्भुत शांति और आनंद का अनुभव करें, तो यह सहस्रार चक्र से जुड़ा हो सकता है। यह आत्मा के ब्रह्मांड...

गुरुजी मुझे सास लेने का अहसास नहीं हो रहा शरीर ही नहीं लगता है रात को झटके लगते है सिर पर हाथ फेरता तो डर लगता है पगलपन ना हो जाए मुझे क्या करना चाहिए

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 गुरुजी मुझे सास लेने का अहसास नहीं हो रहा शरीर ही नहीं लगता है रात को झटके लगते है सिर पर हाथ फेरता तो डर लगता है पगलपन ना हो जाए मुझे क्या करना चाहिए? आपकी स्थिति से यह प्रतीत होता है कि आपकी साधना में ऊर्जा (प्राण) असंतुलित हो गई है। यह ध्यान और आध्यात्मिक अभ्यास में गहराई के साथ कभी-कभी अनुभव हो सकता है, खासकर जब बिना उचित मार्गदर्शन के उन्नत साधनाएँ की जाएँ। आप चिंता न करें; इसे संतुलित और नियंत्रित किया जा सकता है। यहाँ कुछ सुझाव दिए जा रहे हैं जो आपकी स्थिति में मदद कर सकते हैं: 1. सांस पर ध्यान दें और उसे वापस अनुभव करें धीमी, गहरी और आरामदायक श्वास: दिन में 3-4 बार, 5-10 मिनट तक धीमी और गहरी सांस लें। इसे इस तरह करें: नाक से सांस लें, पेट को बाहर फैलाएं। सांस छोड़ते समय पेट को धीरे-धीरे अंदर खींचें। यह प्रक्रिया आपकी प्राण ऊर्जा को संतुलित करेगी। यदि सांस लेने का अहसास कम हो रहा है, तो ध्यान को सीधे सांस पर केंद्रित करने के बजाय, इसे सहज रहने दें। 2. जमीन से जुड़ाव (ग्राउंडिंग) करें जड़ चक्र पर ध्यान दें: मूलाधार चक्र पर ध्यान केंद्रित करें। कल्पना करें कि आपकी ऊर्जा पृथ्...

लोग पागल हो जाते है जो ध्यान करते है बिना गुरु के

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 लोग पागल हो जाते है जो ध्यान करते है बिना गुरु के यह धारणा कि ध्यान करने वाले लोग बिना गुरु के पागल हो सकते हैं, पूरी तरह सही नहीं है। यह अधिकतर गलतफहमी या असावधानीपूर्ण ध्यान अभ्यास के कारण होता है। ध्यान का उद्देश्य मानसिक शांति, आत्म-जागरूकता, और आध्यात्मिक विकास है, लेकिन इसे सही तरीके से और सही मार्गदर्शन में करना महत्वपूर्ण है। ध्यान में "पागलपन" क्यों समझा जाता है? अधूरी जानकारी से ध्यान का अभ्यास: कुछ लोग ध्यान के गहरे अभ्यास, जैसे कुंडलिनी जागरण या चक्र साधना, बिना पर्याप्त समझ या मार्गदर्शन के शुरू कर देते हैं। इससे ऊर्जा असंतुलित हो सकती है, जिससे मानसिक या भावनात्मक समस्याएँ हो सकती हैं। अति ध्यान: अधिक समय तक ध्यान करने से कुछ लोगों में वास्तविकता से दूर होने का भाव आ सकता है। यह संतुलन की कमी का परिणाम हो सकता है। असंभव अपेक्षाएँ: ध्यान में कुछ अद्भुत अनुभवों की उम्मीद करना और जब वे अनुभव न हों तो निराशा में डूब जाना। भावनात्मक मुद्दों का सामना: ध्यान के दौरान दबे हुए भावनात्मक मुद्दे और अनसुलझे मानसिक घाव सतह पर आ सकते हैं। इससे व्यक्ति असहज महसूस कर सकता है। ...

मुझे तीसरी आँख पर प्रकाश दिखता है लेकिन उसे आगे कुछ नहीं दिखता प्रकाश दिखता है, बहुत समय हो गया है कृपा मेरा मार्गदर्शन कीजिए

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 मुझे तीसरी आँख पर प्रकाश दिखता है लेकिन उसे आगे कुछ नहीं दिखता प्रकाश दिखता है, बहुत समय हो गया है कृपा मेरा मार्गदर्शन कीजिए तीसरी आँख (आज्ञा चक्र) पर प्रकाश का अनुभव एक महत्वपूर्ण और गहन ध्यान का संकेत है। यह आपकी आध्यात्मिक यात्रा में एक प्रगति का प्रतीक है, लेकिन यह भी आवश्यक है कि इस अनुभव को समझने और आगे बढ़ने के लिए सही दृष्टिकोण अपनाया जाए। आपकी स्थिति को समझते हुए, मैं आपको निम्नलिखित मार्गदर्शन दे सकता हूँ: 1. ध्यान में स्थिरता बनाए रखें केवल प्रकाश देखने पर केंद्रित न रहें। प्रकाश आपकी ध्यान साधना का एक चरण है, लेकिन यह अंतिम गंतव्य नहीं है। इसे स्वीकार करें, लेकिन इसे पकड़ने या नियंत्रित करने की कोशिश न करें। अपनी साधना को नित्य रूप से जारी रखें। यदि आप पहले से किसी मंत्र का जाप करते हैं, तो उसे करते रहें। 2. ध्यान का उद्देश्य समझें प्रकाश के अनुभव को केवल एक संकेत मानें कि आप सही दिशा में हैं। ध्यान का मुख्य उद्देश्य आत्मा से जुड़ना और आंतरिक शांति को महसूस करना है। अपनी चेतना को उस प्रकाश में डूबने दें और उसे अपनी मार्गदर्शक बनने दें। 3. सहजता के साथ ऊर्जा का संतुलन ...

गुरु जी मैं एक दिन सोने जा रहा था और मैंने आंखे बंद कर रखी थी तो मुझे खुद को देख पा रहा था जिस स्थिति में वर्तमान में था कृपा बताईये

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 गुरु जी मैं एक दिन सोने जा रहा था और मैंने आंखे बंद कर रखी थी तो मुझे खुद को देख पा रहा था जिस स्थिति में वर्तमान में था कृपा बताईये ? आंखें बंद करने के बाद भी स्वयं को देख पाना एक गहरी आध्यात्मिक और सूक्ष्म अनुभव है। इसे आत्म-अवलोकन या आत्मा की जागरूकता के रूप में समझा जा सकता है। यह अनुभव आमतौर पर ध्यान, साधना, या गहरी मानसिक शांति के दौरान होता है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं: आंखें बंद होने के बावजूद खुद को देखने का अर्थ आत्म-अवलोकन (Self-Observation) : यह अनुभव इस बात का संकेत है कि आप अपने शारीरिक शरीर से परे जाकर अपने सूक्ष्म शरीर (Subtle Body) या अंतर्ज्ञान के माध्यम से अपने को देख पा रहे हैं। यह आत्मा की बढ़ती जागरूकता का संकेत हो सकता है। अस्तित्व की गहरी समझ : यह अनुभव बताता है कि आपका मन स्थिर हो रहा है और आप अपनी चेतना के गहरे स्तरों से जुड़ रहे हैं। यह आपकी साधना या ध्यान के प्रभाव का परिणाम हो सकता है। सूक्ष्म दृष्टि (Inner Vision) : कभी-कभी, साधकों को अपनी स्थिति, शरीर, या ऊर्जा को सूक्ष्म दृष्टि से देखने का अनुभव होता है। यह दर्शाता है कि आपकी तीसरी आंख (Ajna ...

मैं ध्यान तो मूलाधार चक्र का करता हूं मगर मुझे जो है नीला रंग दिखता है या काला रंग इसका क्या मतलब है

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 मैं ध्यान तो मूलाधार चक्र का करता हूं मगर मुझे जो है नीला रंग दिखता है या काला रंग इसका क्या मतलब है ध्यान के दौरान नीला और काला रंग देखना आपके ध्यान और ऊर्जा प्रवाह से जुड़ा हुआ अनुभव है। भले ही आप मूलाधार चक्र (Root Chakra) पर ध्यान कर रहे हैं, अन्य चक्र या ऊर्जा केंद्र भी सक्रिय हो सकते हैं, और उनकी ऊर्जा का प्रभाव आपको दिखाई दे सकता है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं: नीला रंग दिखने का अर्थ: विशुद्धि चक्र की ऊर्जा : नीला रंग विशुद्धि चक्र (गले का चक्र) से जुड़ा है। यह चक्र संचार, सत्य, और आध्यात्मिकता का केंद्र है। यदि आप नीला रंग देख रहे हैं, तो यह संकेत हो सकता है कि आपका विशुद्धि चक्र सक्रिय हो रहा है या उस पर ध्यान केंद्रित हो रहा है। आध्यात्मिक उन्नति : नीला रंग अक्सर शांति, स्पष्टता, और दिव्य ऊर्जा का प्रतीक है। यह संकेत हो सकता है कि आप ध्यान में गहरी शांति या उच्च ऊर्जा स्तर तक पहुंच रहे हैं। उच्च चेतना : नीला रंग उच्च चेतना और ईश्वर से जुड़े संकेतों का प्रतीक भी हो सकता है। यह दर्शाता है कि आप अपने ध्यान में गहराई से आगे बढ़ रहे हैं। काला रंग दिखने का अर्थ: आंतरिक अव...

ध्यान के समय जो पीठ पर जो रेंगता हुआ अनुभव होता है क्या वह पूरा जीवन अनुभव होता रहेगा

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 ध्यान के समय जो पीठ पर जो रेंगता हुआ अनुभव होता है क्या वह पूरा जीवन अनुभव होता रहेगा ध्यान के दौरान पीठ पर रेंगने जैसा अनुभव आमतौर पर ऊर्जा प्रवाह या कुंडलिनी ऊर्जा के जागरण से संबंधित हो सकता है। यह अनुभव हर किसी के लिए अलग-अलग हो सकता है, और इसका प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितनी गहराई से ध्यान करते हैं और आपका शरीर, मन, और चक्र संतुलित हैं या नहीं। पीठ पर रेंगने के अनुभव का कारण: ऊर्जा का प्रवाह : ध्यान के दौरान, शरीर में ऊर्जा नाड़ियों (energy channels) के माध्यम से बहती है। जब यह ऊर्जा जागृत होती है, तो शरीर में एक कंपन, रेंगने, या सिहरन जैसा अनुभव हो सकता है। कुंडलिनी जागरण : कुंडलिनी शक्ति, जो मेरुदंड (spine) के निचले हिस्से में सुप्त रहती है, जब सक्रिय होती है, तो यह मेरुदंड के माध्यम से ऊपर की ओर चलती है। इसका प्रभाव पीठ पर रेंगने जैसा लग सकता है। अवरोधों का खुलना : ध्यान और साधना के दौरान यदि ऊर्जा किसी चक्र या नाड़ी में अटकी होती है, तो यह अवरोध धीरे-धीरे खुलने लगता है। इसका अनुभव पीठ पर हलचल या रेंगने जैसा हो सकता है। क्या यह अनुभव पूरा जीवन रहेगा? स्थायी ...

ध्यान में हमारा गले पर थोड़ा नीचे प्रकाश हमको दिखता है -In meditation we see light a little below our neck.

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 ध्यान में हमारा गले पर थोड़ा नीचे प्रकाश हमको दिखता है -In meditation we see light a little below our neck. गले पर थोड़ा नीचे प्रकाश का दिखना एक आध्यात्मिक अनुभव हो सकता है। यह अनुभव अक्सर ध्यान, प्राणायाम, या आध्यात्मिक साधना के दौरान होता है। गले के थोड़ा नीचे का क्षेत्र हमारे विशुद्धि चक्र (throat chakra) से जुड़ा होता है। यह चक्र सात मुख्य चक्रों में से एक है और इसे अभिव्यक्ति, संचार, और सच्चाई का केंद्र माना जाता है। प्रकाश दिखने का अर्थ: चक्र का सक्रिय होना : गले के पास प्रकाश देखना संकेत हो सकता है कि आपका विशुद्धि चक्र जागृत या सक्रिय हो रहा है। जब यह चक्र संतुलित होता है, तो व्यक्ति को स्पष्टता, रचनात्मकता और सच्चाई को व्यक्त करने की शक्ति मिलती है। ऊर्जा प्रवाह : यह अनुभव यह भी दर्शाता है कि आपके शरीर में ऊर्जा का प्रवाह बढ़ रहा है और वह विशुद्धि चक्र पर केंद्रित हो रहा है। आध्यात्मिक संकेत : प्रकाश अक्सर दिव्य उपस्थिति, चेतना के उच्च स्तर, या ऊर्जा की शुद्धता का प्रतीक होता है। यह दर्शाता है कि आप एक गहरी आध्यात्मिक प्रक्रिया में हैं। स्वयं का विकास : यदि आप ध्यान या स...

आंख बंद करने के बाद ऐसा लगता है आंख के बीच में कोई रोशनी उजाला हो तेज रोशनी रहती है पूरी लाइट बंद करने के बाद भी दोनो आँखो के

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 आंख बंद करने के बाद ऐसा लगता है आंख के बीच में कोई रोशनी उजाला हो तेज रोशनी रहती है  पूरी लाइट बंद करने के बाद भी दोनो आँखो के  After closing the eyes it seems as if there is a bright light in the middle of the eye.  Even after turning off the lights, the light still remains between the two eyes. यह ध्यान (मेडिटेशन) या आत्मसाक्षात्कार के दौरान होने वाले अनुभवों में से एक हो सकता है। संभावित कारण: अज्ञा चक्र (तीसरा नेत्र) का सक्रिय होना: यह अनुभव अक्सर अज्ञा चक्र के सक्रिय होने या उस पर ध्यान केंद्रित करने से होता है। अज्ञा चक्र के जागृत होने पर आंखों के बीच तेज रोशनी, रंग, या ऊर्जा का अनुभव होता है। आंतरिक चेतना का जागरण: यह संकेत हो सकता है कि आपकी आंतरिक चेतना जागृत हो रही है और आप अपनी साधना में गहराई तक जा रहे हैं। ध्यान के दौरान ऊर्जा का प्रवाह: यदि आप ध्यान करते हैं, तो यह रोशनी ऊर्जा प्रवाह का परिणाम हो सकती है, जो आपकी आंखों के बीच केंद्रित हो रही है। दृष्टि भ्रम या नेत्र तंत्रिका का प्रभाव: यदि यह अनुभव लगातार होता है, तो यह आंखों की तंत्रिकाओं की प्रतिक्रि...