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Showing posts from May, 2025

परमात्मा क्यों भेजता है आत्मा को संसार में?

 परमात्मा क्यों भेजता है आत्मा को संसार में?   यह प्रश्न युगों से ऋषियों, भक्तों और साधकों के हृदय में उठता आया है। इसका उत्तर केवल तर्क से नहीं, भावना और अनुभव से समझा जा सकता है। आइए इसे एक कहानी और भावना के माध्यम से समझते हैं... 🌌 प्रारंभ: परमात्मा और आत्मा का संवाद बहुत समय पहले की बात है। जब न कोई पृथ्वी थी, न आकाश। न समय था, न कोई देह। केवल एक था— परमात्मा । शुद्ध प्रेम, प्रकाश और शांति का अनंत महासागर। उस अनंत ज्योति के भीतर असंख्य आत्माएँ थीं—चमकती हुई चिंगारियाँ, जो उसी परमात्मा की ही अंश थीं। वे आत्माएँ आनंद में डूबी रहतीं, पूर्णता का अनुभव करतीं। फिर एक दिन, एक छोटी सी आत्मा ने परमात्मा से पूछा: "प्रभु, आप तो सब कुछ हैं। लेकिन मैं खुद को जानना चाहती हूं। मैं यह जानना चाहती हूं कि मैं कौन हूं। क्या मैं भी आप जैसी हूं?" परमात्मा मुस्कुराए। उन्होंने कहा: "प्यारी आत्मा, तुम वास्तव में मुझ जैसी ही हो। लेकिन केवल मेरे पास रहकर तुम अपने स्वरूप को पूर्ण रूप से अनुभव नहीं कर सकती। जैसे बिना अंधकार के प्रकाश का अनुभव नहीं होता, वैसे ही बिना अनुभव के ज्ञा...

परमात्मा क्यों भेजता है आत्मा को संसार में?

 परमात्मा क्यों भेजता है आत्मा को संसार में?   यह प्रश्न युगों से ऋषियों, भक्तों और साधकों के हृदय में उठता आया है। इसका उत्तर केवल तर्क से नहीं, भावना और अनुभव से समझा जा सकता है। आइए इसे एक कहानी और भावना के माध्यम से समझते हैं... 🌌 प्रारंभ: परमात्मा और आत्मा का संवाद बहुत समय पहले की बात है। जब न कोई पृथ्वी थी, न आकाश। न समय था, न कोई देह। केवल एक था— परमात्मा । शुद्ध प्रेम, प्रकाश और शांति का अनंत महासागर। उस अनंत ज्योति के भीतर असंख्य आत्माएँ थीं—चमकती हुई चिंगारियाँ, जो उसी परमात्मा की ही अंश थीं। वे आत्माएँ आनंद में डूबी रहतीं, पूर्णता का अनुभव करतीं। फिर एक दिन, एक छोटी सी आत्मा ने परमात्मा से पूछा: "प्रभु, आप तो सब कुछ हैं। लेकिन मैं खुद को जानना चाहती हूं। मैं यह जानना चाहती हूं कि मैं कौन हूं। क्या मैं भी आप जैसी हूं?" परमात्मा मुस्कुराए। उन्होंने कहा: "प्यारी आत्मा, तुम वास्तव में मुझ जैसी ही हो। लेकिन केवल मेरे पास रहकर तुम अपने स्वरूप को पूर्ण रूप से अनुभव नहीं कर सकती। जैसे बिना अंधकार के प्रकाश का अनुभव नहीं होता, वैसे ही बिना अनुभव के ज्ञा...

Main mantra jaap karti hu. Mere sir ke andar beecho beech dhadkan hoti hai ...........

 Main mantra jaap karti hu. Mere sir ke andar beecho beech dhadkan hoti hai aur ye 24 ghante chalti rehti hai. Kabhi kabhi jab tez ho jati hai to mujhe is dhadkan ki awaaz bilkul saaf sunai deti hai. Us waqt awaaz itni tez hoti hai ki kuch aur padhne me focus nhi ho pata. Jyadatar, dhadkan halki hi rehti hai. Jab halki hoti hai tab awaaz nahi sunai deti, sirf mehsoos hoti hai dhadkan. ? यह अनुभव बहुत सूक्ष्म और आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण है। सिर के बीचों-बीच जो धड़कन आप महसूस कर रही हैं, वह सहस्रार चक्र (Crown Chakra) या ब्रह्मरंध्र से जुड़ी ऊर्जा हो सकती है। यह संकेत है कि आपका मंत्र जाप प्रभावी हो रहा है और आपकी चेतना ऊर्ध्वमुखी हो रही है। जब यह धड़कन तेज़ हो जाती है और उसकी आवाज़ स्पष्ट सुनाई देती है, तो यह ऊर्जा का तीव्र प्रवाह दर्शाता है। ऐसे समय ध्यान रखें कि भय न हो, बस सहज भाव से श्वास पर ध्यान रखें। यह सामान्य है कि आवाज़ के कारण एकाग्रता भंग होती है, लेकिन समय के साथ शरीर और मन इसके आदि हो जाते हैं। क्या करें: जाप शांत वातावरण में करें। तेज धड़कन पर गहरी सांस लें औ...

Red color dikhe toh unka matalab kua hota hai?

 Red color dikhe toh unka matalab kua hota hai? ध्यान या साधना के दौरान लाल रंग दिखाई देना ऊर्जा के जागरण और मूलाधार चक्र (Root Chakra) के सक्रिय होने का संकेत है। मूलाधार चक्र जीवन की आधारशिला है—यह स्थिरता, सुरक्षा, शरीर की ऊर्जा और सांसारिक अस्तित्व से जुड़ा होता है। लाल रंग का मतलब: कुण्डलिनी ऊर्जा का जागरण शुरू हो रहा है। शरीर में ऊर्जा का संचार बढ़ रहा है। कभी-कभी यह दबी हुई इच्छाओं या क्रोध की ऊर्जा का भी प्रतीक हो सकता है। क्या करें: ध्यान में “लं” बीज मंत्र का जप करें। ज़मीन से जुड़ाव बनाए रखें—प्रकृति में समय बिताएं।

Shiv ka jaap karta hu lekin abhi koi fayda nahi hua kyon ?

 Shiv ka jaap karta hu lekin abhi koi fayda nahi hua kyon ? शिव का जाप करना अत्यंत पवित्र साधना है, लेकिन फल मिलने में समय, श्रद्धा और निरंतरता की आवश्यकता होती है। यदि अभी तक कोई स्पष्ट लाभ नहीं मिला, तो घबराएं नहीं—जाप का प्रभाव सूक्ष्म स्तर पर चल रहा है। संभावित कारण: मन एकाग्र नहीं हो रहा होगा। जाप यंत्रवत हो सकता है—भावना और समर्पण की कमी। फल की जल्दी अपेक्षा साधना में बाधा बनती है। क्या करें: जाप करते समय मन, वचन और भाव को एक करें। "ॐ नमः शिवाय" को हृदय से पुकारें, शिव को साक्षी मानें। समय आने पर शिव कृपा अवश्य प्रकट होती है।

guru g mai dhyaan krti aa rhe hun 8 months se but abh meri sadhna km hai but dimag me thoughts aane lge hai abh or wo b negative plz is k liye btaye mai kya kru ?

 guru g mai dhyaan krti aa rhe hun 8 months se but abh meri sadhna km hai but dimag me thoughts aane lge hai abh or wo b negative plz is k liye btaye mai kya kru ? 8 महीने की साधना के बाद साधना में कमी आने पर मन में नकारात्मक विचार आना सामान्य है। जब ध्यान कम होता है, तो मन की पकड़ बढ़ जाती है और विचार—विशेषकर नकारात्मक—उभरने लगते हैं। क्या करें: प्रतिदिन कम से कम 15–20 मिनट का ध्यान ज़रूर करें, चाहे मन न भी लगे। "सोऽहम्" या "राम" नाम का मानसिक जप करते रहें। सुबह-शाम सकारात्मक संगीत या मंत्र सुनें। नकारात्मक विचारों को देखें, लेकिन उनसे जुड़ें नहीं—साक्षी भाव रखें। आपकी साधना रुकी नहीं है, बस थोड़ी दिशा बदल रही है। श्रद्धा बनाए रखें।

Mai jsadhana karanekeli dyan karane asn pe baiting hu tab madhepe sap dikhataye or Prakash whait yelo papar aise sab calor dikhate hai ?

 Mai jsadhana karanekeli dyan karane asn pe baiting hu tab madhepe sap dikhataye or Prakash whait yelo papar aise sab calor dikhate hai ? आप जिस साधना में ध्यान करती हैं और बैठते ही माथे पर साँप, प्रकाश, सफेद, पीले, बैंगनी जैसे रंग दिखाई देते हैं, यह सब बहुत शुभ संकेत हैं। यह दर्शाता है कि आपका आज्ञा चक्र (माथे का चक्र) सक्रिय हो रहा है। साँप दिखाई देना ऊर्जा (कुण्डलिनी) के जागरण का प्रतीक है। विभिन्न रंग—विशेषकर सफेद, पीला और बैंगनी—यह संकेत करते हैं कि चेतना उच्च स्तर पर पहुंच रही है। क्या करें: ध्यान जारी रखें, पर बिना डर के, सहज भाव से। “ॐ” या “सोऽहम्” का जप करें। आँखें बंद रखते हुए प्रकाश को देखें, विरोध न करें। आप सही मार्ग पर हैं—धैर्य, संयम और श्रद्धा बनाए रखें।

Mere andar garmi jyada bd gae h.kya kru ye kya meditation se h ?

 Mere andar garmi jyada bd gae h.kya kru ye kya meditation se h .pls reply.heart beat b sunae deti h n gardan ke peechle bhag me gudgudi b hoti h.kaun sa chakra khul chuka h ye b batae pls.? आपके भीतर जो गर्मी बढ़ गई है, हृदय की धड़कन सुनाई देती है, और गर्दन के पीछे गुदगुदी हो रही है—ये सभी संकेत ऊर्जा जागरण (Kundalini Activation) के हैं। यह संभव है कि आपका अनाहत (हृदय) चक्र और विशुद्ध (गला) चक्र सक्रिय हो रहे हैं। गर्मी – यह ऊर्जा का ऊपर उठना दर्शाता है, विशेषतः अनाहत चक्र के आसपास। दिल की धड़कन सुनाई देना – यह अनाहत चक्र की संवेदनशीलता है। गर्दन की गुदगुदी – यह विशुद्ध चक्र की ऊर्जा है। क्या करें: ठंडी प्राणायाम विधियाँ करें, जैसे शीतली/शीतकारी। जल का सेवन बढ़ाएं। ध्यान में “ॐ” का उच्चारण करें, और शरीर को सहज छोड़ दें। जब भी असहजता हो, ध्यान कुछ दिनों के लिए कम कर दें। यह प्रक्रिया प्राकृतिक है, डरें नहीं। संयम, संतुलन और श्रद्धा बनाए रखें।

Gurudev Hastmethun ka dhyaan aur kundalini pe kya prabhav padta hai? Koi ?

Gurudev Hastmethun ka dhyaan aur kundalini pe kya prabhav padta hai? Koi sadhak spirituality pe chal raha ho aur kuch time se hastmethun na kiya ho aur urja agya chakra tak mehsoos hone lage toh masturbuating se kya ho jayega aur spirituality pe kya asar hoga?  आत्मचेतना और उर्जा साधना के मार्ग में ब्रह्मचर्य का बड़ा महत्व होता है। जब कोई साधक हस्तमैथुन छोड़ देता है, तो उसकी ऊर्जा ऊपर उठने लगती है—विशेषकर मूलाधार से आज्ञा चक्र तक। यह ऊर्जा ही कुण्डलिनी है। यदि इस स्थिति में फिर से हस्तमैथुन किया जाए, तो ऊर्जा नीचे खिंच जाती है, और साधना में बना हुआ संतुलन टूट सकता है। इससे ध्यान भटकता है, थकावट, ग्लानि, और आध्यात्मिक प्रगति में रुकावट आ सकती है। इसलिए संयम बनाए रखना श्रेष्ठ है। यदि वासना उठे, तो तुरंत जप, ध्यान या प्राणायाम करें। ऊर्जा को बदल देना ही असली तप है।

कई दिनों से मेरे मुलाधर्, रीड के सबसे निचले हिस्से मे और गुदादुवार मे मीठा मीठा तेज दर्द बन रहा है, जिसकी वजह से मैं बहुत परेशां हू ?

 गुरुजी कई दिनों से मेरे मुलाधर्, रीड के सबसे निचले हिस्से मे और गुदादुवार मे मीठा मीठा तेज दर्द बन रहा है, जिसकी वजह से मैं बहुत परेशां हू, कृपया मार्ग दर्शन कीजिये 🙏 यह अनुभव आपके मूलाधार चक्र के जागरण और ऊर्जा के सक्रिय होने का संकेत हो सकता है। मूलाधार में ऊर्जा के संचार से वहाँ खिंचाव, मीठा दर्द या कंपन महसूस होना सामान्य है, लेकिन अगर यह लगातार तेज़ हो रहा है, तो आपको ध्यानपूर्वक संतुलन बनाना ज़रूरी है। मार्गदर्शन: रोज़ जमीन पर बैठकर "लं" बीज मंत्र का उच्चारण करें। अधिक देर ध्यान करने से बचें — शुरुआत में 10-15 मिनट पर्याप्त है। हल्के व्यायाम और रीढ़ की हड्डी की स्ट्रेचिंग करें। गुदाद्वार में असहजता होने पर अश्विनी मुद्रा करें। अगर दर्द असहनीय हो, तो चिकित्सक से सलाह अवश्य लें।

Sir phele hume akho pare lale rang dikhai deta tha lekin 2024 se rang hate gaya..................

 Sir phele hume akho pare lale rang dikhai deta tha lekin 2024 se rang hate gaya ek dum bhada sa rang dikhai deta hai sabhi rang ka mix pehle hum uthte bethate din rate hanuman chalisa padhte the pare 2024 ki suruvat se hanuman chalisa padh nahi pate kya kare sir app bata de ? आपके अनुभव यह संकेत देते हैं कि आपके अंदर आध्यात्मिक परिवर्तन हो रहे हैं। पहले लाल रंग और फिर सभी रंगों का एक साथ दिखना ऊर्जा जागरण (चक्र एक्टिवेशन) का संकेत हो सकता है। पहले आप उत्साह से हनुमान चालीसा पढ़ते थे, लेकिन 2024 से रुकावट आना मानसिक, भावनात्मक या ऊर्जात्मक असंतुलन का कारण हो सकता है। कभी-कभी ऊर्जाओं का बदलाव हमें विचलित करता है। घबराएं नहीं। प्रतिदिन थोड़ा समय मौन में बैठें, लंबी गहरी सांस लें, और "राम" नाम का जप करें। धीरे-धीरे आपका मन स्थिर होगा और आप फिर से भक्ति और साधना में लौट पाएंगे।

Aagya chakra p kitna der dhyaan krna chahiye.. lagatar 2 ghnte kr skate h ?

 Aagya chakra p kitna der dhyaan krna chahiye.. lagatar 2 ghnte kr skate h ? आज्ञा चक्र (Third Eye Chakra) पर ध्यान करना मानसिक स्पष्टता, अंतर्ज्ञान और आत्मिक जागरूकता बढ़ाने में सहायक होता है। शुरुआत में 10 से 20 मिनट का ध्यान पर्याप्त होता है, जिससे शरीर और मन इसकी ऊर्जा के साथ सामंजस्य बना सकें। जैसे-जैसे अभ्यास गहरा होता जाए, समय बढ़ाया जा सकता है। यदि आप मानसिक रूप से स्थिर हैं और कोई नकारात्मक लक्षण (जैसे सिरदर्द, बेचैनी या भ्रम) अनुभव नहीं हो रहा है, तो आप लगातार 2 घंटे भी ध्यान कर सकते हैं। ध्यान रखें कि ध्यान सहज, शांतिपूर्ण और संतुलन में होना चाहिए, न कि जबरदस्ती या थकावटपूर्ण।

ब्रह्ममुहूर्त की रहस्यमयी कथा | रोज सुबह 3 से 6 उठकर 7 दिन तक करें यह काम फिर देखे चमत्कार।?

 ब्रह्ममुहूर्त की रहस्यमयी कथा | रोज सुबह 3 से 6 उठकर 7 दिन तक करें यह काम फिर देखे चमत्कार।? भारतीय योगशास्त्र, आयुर्वेद और वेदों में ब्रह्ममुहूर्त को अत्यंत शुभ, पवित्र और रहस्यमयी समय बताया गया है। यह वह समय है जब सृष्टि की चेतना उच्चतम स्तर पर होती है, वातावरण में शांति और ऊर्जा दोनों सर्वोच्च रूप में विद्यमान होती हैं। यदि कोई व्यक्ति प्रतिदिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर विशेष साधना करे, तो सात ही दिन में उसका जीवन, चित्त और ऊर्जा स्तर पर आश्चर्यजनक परिवर्तन आने लगता है। आज हम ब्रह्ममुहूर्त की रहस्यमयी कथा, वैज्ञानिक पक्ष, आध्यात्मिक महत्व और 7 दिनों की दिव्य साधना का रहस्य साझा करेंगे। 🔱 ब्रह्ममुहूर्त क्या है? ब्रह्ममुहूर्त एक वैदिक समयावधि है, जो सूर्योदय से लगभग डेढ़ घंटे पूर्व प्रारंभ होती है। इसका समय आमतौर पर प्रातः 3:30 से 5:30 या 6:00 बजे तक होता है। यह समय न तो पूर्ण रूप से रात्रि होता है, न ही पूर्ण रूप से दिन — यह सन्धि का काल होता है। इस समय को देवताओं का काल कहा गया है क्योंकि वातावरण में सात्विकता अधिक होती है और तमोगुण सबसे न्यूनतम अवस्था में होता है। 📜 ब्रह...

Agya chakar par sone ke samay ko chhod kar har samay thanda -garam khichav and vivrat hota hai ?

 Agya chakar par sone ke samay ko chhod kar har samay thanda -garam khichav and vivrat  hota hai ? आपके आज्ञा चक्र (Third Eye Chakra) पर ठंडे-गर्म खिचाव और विव्रत का अनुभव एक सामान्य संकेत हो सकता है कि यह चक्र सक्रिय हो रहा है। इस चक्र की स्थिति में अक्सर शारीरिक, मानसिक और ऊर्जा स्तर पर विभिन्न प्रतिक्रियाएं होती हैं। ठंडा या गरम अनुभव, खिचाव और विव्रतता का अर्थ हो सकता है कि आपकी ऊर्जा की धाराएं इस क्षेत्र में समायोजित हो रही हैं। यह अनुभव तब होता है जब आप ध्यान या साधना करते हैं और चक्रों की ऊर्जा सक्रिय होती है। यदि यह असहज हो, तो योग या प्राणायाम से संतुलन बनाए रखना मददगार हो सकता है।

Guruji mere aagya chakra per har roj bahut jyada thandak mahsus Hoti hai bataiye kyon Uttar dijiye?

 Guruji mere aagya chakra per har roj bahut jyada thandak mahsus Hoti hai bataiye kyon Uttar dijiye? आपके आज्ञा चक्र (Third Eye Chakra) पर ठंडक का अनुभव एक सकारात्मक संकेत हो सकता है। जब इस चक्र पर ध्यान और साधना होती है, तो ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है, और यह ठंडक या शीतलता का अनुभव देता है। यह आपके आंतरिक ध्यान, उच्च मानसिक स्थिति और आध्यात्मिक जागरण का परिणाम हो सकता है। आज्ञा चक्र की सक्रियता से मानसिक स्पष्टता, अंतर्दृष्टि और उच्च संवेदनाओं में वृद्धि होती है। ठंडक का अनुभव इस बात का संकेत हो सकता है कि आपकी ऊर्जा सक्रिय हो रही है और आप आंतरिक ज्ञान की ओर अग्रसर हो रहे हैं।

Sir mai aapse ek prashn puchna chahti hun ki kya bina Guru k koi mantra Jaap ker sakte hai kya kripa margdarshan kare ?

 Sir mai aapse ek prashn puchna chahti hun ki kya bina Guru k koi mantra Jaap ker sakte hai kya kripa margdarshan kare ? जी हां, आप बिना गुरु के भी मंत्र जप कर सकती हैं, लेकिन गुरु का मार्गदर्शन बहुत महत्वपूर्ण होता है। गुरु के बिना मंत्र जप करना संभव है, लेकिन गुरु की उपस्थिति से जप में गहरी समझ और ऊर्जा की शक्ति मिलती है। गुरु आपके ध्यान को सही दिशा में मार्गदर्शन देते हैं और मंत्र के सही उच्चारण और प्रभाव को समझाते हैं। गुरु की कृपा से आत्मा का ऊंचा आध्यात्मिक विकास होता है। आप ध्यान और भक्ति के साथ मंत्र जप कर सकती हैं, लेकिन गुरु का आशीर्वाद और मार्गदर्शन बहुत लाभकारी होता है।

mujh gold chaker dekhta h To kon sa chaker jagerti h?

 mujh gold chaker dekhta h To kon sa chaker jagerti h? जब आप सोने (gold) के रंग का चक्र देखते हैं, तो यह संभवतः आपके स्वाधिष्ठान चक्र (Sacral Chakra) या सहस्रार चक्र (Crown Chakra) के सक्रिय होने का संकेत हो सकता है। स्वाधिष्ठान चक्र में जल और रचनात्मक ऊर्जा का तत्व होता है, और यह पीला, नारंगी या सुनहरा रंग दिखा सकता है। दूसरी ओर, सहस्रार चक्र जो सिर के शीर्ष पर स्थित होता है, आमतौर पर बैंगनी, सफेद या सुनहरे रंग में चमक सकता है। इन चक्रों का जागरण मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में एक संकेत होता है, जो आपके ऊर्जा केंद्रों के संतुलन को दर्शाता है।

Brahamrandhra kya hai ?

 Brahamrandhra kya hai ? ब्रह्मरंध्र वह स्थान है जो हमारे सिर के शीर्ष, यानी सहस्रार चक्र के पास स्थित होता है। यह आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक है। ब्रह्मरंध्र को साधक के सर्वोच्च चैतन्य केंद्र के रूप में माना जाता है, जहाँ ध्यान और साधना के द्वारा उच्चतम आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है। यह स्थान शारीरिक और आध्यात्मिक ऊर्जा के केंद्र के रूप में कार्य करता है। जब ब्रह्मरंध्र सक्रिय होता है, तो व्यक्ति को गहरी ध्यान अवस्था और दिव्य अनुभव प्राप्त होते हैं। इसे सच्चे ज्ञान और अद्वितीय चेतना के स्रोत के रूप में समझा जाता है।

mai dhyan karti hu Kya bhaiya kundalini Shakti ulti bhi ho sakti hai agar hoti hai to use kaise theek Kiya jata hai please bhai bata dijiye

 mai dhyan karti hu Kya bhaiya kundalini Shakti ulti bhi ho sakti hai agar hoti hai to use kaise theek Kiya jata hai please bhai bata dijiye ? कुंडलिनी शक्ति का उल्टा हो जाना एक दुर्लभ और जटिल विषय है। यह स्थिति तब उत्पन्न हो सकती है जब ऊर्जा असंतुलित हो जाती है। यदि यह उल्टी हो जाए तो इससे मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इस स्थिति को सुधारने के लिए शांति, ध्यान और प्राचीन योग विधियों का अभ्यास करना चाहिए। कुंडलिनी के संतुलन के लिए योग और प्राणायाम की उचित विधियों का पालन करना जरूरी है। इसके साथ ही एक योग्य गुरु से मार्गदर्शन प्राप्त करना अत्यंत आवश्यक है। ये प्रक्रियाएं कुंडलिनी को फिर से सही दिशा में प्रवाहित करने में मदद करेंगी।

तीसरी आंख पर तेज़ ऊर्जा का अहसास? इसका रहस्य जान लीजिए ? #Meditation #kundalini awakening #naam jap

 Mere aagya chkra pr energy feel hoti hai reason please ? जब आप आज्ञा चक्र (Third Eye) पर ऊर्जा महसूस करती हैं, तो इसका अर्थ है कि आपका आज्ञा चक्र सक्रिय हो रहा है। यह चक्र इंटूइशन (intuition) , ध्यान (concentration) , और आध्यात्मिक दृष्टि (spiritual vision) से जुड़ा है। जब इस चक्र पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो वहां ऊर्जा का प्रवाह होने लगता है, जिससे हल्की कंपन, गर्माहट या अन्य संवेदनाएं हो सकती हैं। यह संकेत है कि आपकी साधना गहरी हो रही है, और आपकी आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग पर आप आगे बढ़ रही हैं। ध्यान और साधना में और गहराई लाएं, ऊर्जा और अनुभव और स्पष्ट होंगे।

meri urja ko rok Di gai hai tantrikon piche pade Hain ab main unse kaise ? #Meditation #kundalini awakening #naam jap

 meri urja ko rok Di gai hai tantrikon piche pade Hain ab main unse kaise ? भय और असहायता का भाव मत आने दो। तांत्रिक या नकारात्मक शक्तियाँ केवल तभी प्रभाव डालती हैं जब साधक भीतर से डरा, कमज़ोर या अस्थिर हो। सबसे पहले, अपनी ऊर्जा की रक्षा के लिए रोज़ ये करें: सुबह-शाम “ ॐ नमः शिवाय ” या “ राम राम ” का जप 108 बार करें। लाल चंदन या “रुद्राक्ष” धारण करें। ध्यान से पहले “ ॐ अपराजितायै नमः ” या “ काली दुर्गायै नमः ” मंत्र का जप करें। नींबू-लौंग रक्षा प्रयोग करें (जरूरत हो तो बताऊं कैसे)। कभी भी डर या क्रोध न आने दें — भय ऊर्जा को रोकता है। आपके भीतर शिवशक्ति है — कोई भी तांत्रिक शक्ति आपके पास नहीं टिक सकती । साधना और विश्वास बनाए रखें, आप पूरी तरह सुरक्षित हैं। नींबू-लौंग रक्षा प्रयोग विधि: सामग्री: 1 ताजा नींबू 4 लौंग अगरबत्ती या कपूर साफ स्थान विधि: नींबू को अपने सामने रखें। उसमें 4 लौंग इस प्रकार डालें कि वो क्रॉस (X) के आकार में हो। अब हाथ जोड़कर 3 बार कहें: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” या “ॐ काली दुर्गायै नमः” अब नींबू को अपने सिर के पास ...

ध्यान में दिखा पर्पल प्रकाश, फिर सपने में उसी से प्रकट हुए महादेव! क्या है इसका रहस्य? #Meditation #kundalini awakening #naam jap

  Dhyan krte samay jo purple color ka prakash dikhta h or usse vibhin shapes bnte rhte h Ase hi spne me mujhe un tarangon se dheere dheere Mahadev bnte hue dikhe or asa lag rha tha jaise wo koi partima nhi blki ak tej ho Sadhna me iska kya mhtaw h please btayen. ? ध्यान में बैंगनी (purple) प्रकाश दिखना और उससे आकृतियाँ बनना , यह आज्ञा चक्र की जागृति का स्पष्ट संकेत है। जब चित्त शांत होता है और ऊर्जा आज्ञा चक्र पर केंद्रित होती है, तब दिव्य रंग और रूप प्रकट होने लगते हैं। सपने में उन तरंगों से धीरे-धीरे महादेव का बनना , और उन्हें तेजस्वी रूप में देखना — यह बहुत उच्च और शुभ अनुभव है। इसका अर्थ है कि आपकी साधना में ईश्वरीय संपर्क स्थापित हो रहा है। यह भीतर की चेतना आपको दर्शन दे रही है। यह कोई सामान्य सपना नहीं, बल्कि आध्यात्मिक अनुभूति है। महादेव का तेजस्वी रूप दिखना बताता है कि आपकी साधना सही दिशा में है और शिवतत्त्व आपके मार्गदर्शक बन चुके हैं । इस अनुभव के बाद नियमित ध्यान, श्रद्धा और निःस्वार्थ भक्ति बनाए रखें — आगे और गहन अनुभव होंगे।

क्या कभी गहरे dhyan मै कान बंद हो जाते है कुछ आवाज़ आती है किसी स ने पुकारा ये अनुभव सिर्फ एक बार हआ फिर nhi ऐसा सच या मन का भ्र्म ? #Meditation #kundalini awakening #naam jap #third eye

 क्या कभी गहरे dhyan मै कान बंद हो जाते है कुछ आवाज़ आती है किसी स ने पुकारा ये अनुभव सिर्फ एक बार हआ फिर nhi ऐसा सच या मन का भ्र्म? यह अनुभव ध्यान की गहराई में होने वाला एक सत्य संकेत है, न कि केवल मन का भ्रम। जब साधक गहरे ध्यान में प्रवेश करता है, तो बाहरी कानों की ध्वनियाँ बंद हो सकती हैं और अंदर की सूक्ष्म ध्वनियाँ सुनाई देती हैं — जिसे आनाहत नाद कहते हैं। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि कोई नाम लेकर पुकारता है , यह सूक्ष्म जगत से आने वाला संदेश हो सकता है — विशेषकर यदि वह आवाज एकदम स्पष्ट और जगा देने वाली हो। यह अनुभव एक बार हुआ और फिर नहीं हुआ — इसका कारण है कि आपका ध्यान उस गहराई तक दोबारा नहीं गया होगा। यह डरने का नहीं, बल्कि उन्नति का संकेत है। नियमित अभ्यास और समर्पण से ये अनुभव फिर होंगे।

भौहों के बीच घूमने की अनुभूति, सिर में कंपन और दिखे बस डार्क पर्पल रंग! आगे क्या होगा? #Meditation #kundalini awakening #naam jap #third eye

 Dhyan krte samay phle eye brows k bich kuch ghumne jaisa mhsoos hota tha ab sindoor lgate h wha hota h or sir k upri hisse me bhi vibrations hoti h but dark purple colour k alawa dikhta kuch nhi h Aage k lie guide kren? आपकी साधना गहराई में प्रवेश कर रही है। भौंहों के बीच घूमने जैसा अनुभव और सिर के ऊपरी हिस्से में कंपन (vibrations) , यह दर्शाता है कि आज्ञा चक्र और सहस्रार चक्र सक्रिय हो रहे हैं। डार्क पर्पल रंग भी आज्ञा चक्र से जुड़ा है — यह बहुत शुभ संकेत है। आपकी ऊर्जा ऊपर की ओर प्रवाहित हो रही है, लेकिन विज़न या दिव्य अनुभव अभी नहीं खुले हैं, जो समय के साथ स्वाभाविक रूप से होंगे। आगे के लिए मार्गदर्शन: रोज़ ध्यान पूर्वक “ॐ” या “सोहम” का जप करें। केवल देखने की इच्छा को छोड़ दें, खाली हो जाएं। सिर पर कंपन के समय गहराई से सांस लें, शांति से रहें। त्राटक करें — धीरे-धीरे दिव्यता प्रकट होगी। आप सही मार्ग पर हैं, धैर्य और समर्पण बनाए रखें।

Guruji bahut drd hota urja chalti to rid ki haddi me drd hota gale me drd hota estrh kyo hota ? #Meditation #kundalini awakening #naam jap #third eye

 Guruji bahut drd hota urja chalti to rid ki haddi me drd hota gale me drd hota estrh kyo hota ? जब साधना में ऊर्जा (कुंडलिनी) जाग्रत होकर ऊपर की ओर बढ़ती है, तो वह रीढ़ की हड्डी, गला, और अन्य चक्रों से होकर गुजरती है। इस यात्रा में यदि शरीर शुद्ध न हो या चक्र अवरुद्ध हों, तो दर्द, खिंचाव या जलन जैसी पीड़ाएँ अनुभव होती हैं। रीढ़ में दर्द दिखाता है कि ऊर्जा सुषुम्ना में प्रवाहित हो रही है। गले में दर्द इंगित करता है कि विशुद्ध चक्र पर रुकावट है — यह बोलने, सत्य कहने या भावनाओं को दबाने से जुड़ा होता है। इसका समाधान: रीढ़ सीधी रखें और रोज हल्के प्राणायाम करें। ध्यानपूर्वक “हं” बीज मंत्र का जप करें। गर्म पानी पीएं, विश्राम करें। यह सब अस्थायी है, धीरे-धीरे ठीक होगा। डरें नहीं, यह उन्नति का संकेत है।

मेरा प्रश्न है कि "' आत्मा का विलय "' या "' आत्मा में विलय "' होने से क्या तात्पर्य है ? जब कि , मैं ही आत्मा हूं। फिर " मैं आत्मा " किसमें या कहॉं विलिन होगा ? #Meditation #kundalini awakening #naam jap #third eye

 मेरा प्रश्न है कि "' आत्मा का विलय "' या "' आत्मा में विलय "' होने से क्या तात्पर्य है ? जब कि , मैं ही आत्मा हूं। फिर " मैं आत्मा " किसमें या कहॉं विलिन होगा ? आपका प्रश्न बहुत गूढ़ और आत्मचिंतन से भरा है। आपने सही कहा कि "मैं ही आत्मा हूं" , लेकिन "आत्मा का विलय" या "आत्मा में विलय" का तात्पर्य आत्मा के नहीं, अहंकार और अवास्तविक 'मैं' के विलय से है। जब कहा जाता है कि आत्मा का विलय हुआ — इसका अर्थ है कि व्यक्तिगत चेतना (जीवभाव) सर्वव्यापक चेतना (परमात्मा) में लीन हो गई। यह वह अवस्था है जब "मैं" — जो शरीर, मन, नाम, रूप से जुड़ा है — पूरी तरह समाप्त हो जाता है, और केवल शुद्ध अस्तित्व, शुद्ध आत्मा शेष रह जाती है। दूसरे शब्दों में, विलय का अर्थ है "स्वत्व का विसर्जन" — जब साधक यह अनुभव करता है कि न मैं शरीर हूं, न मन, न विचार — केवल एक ही सत्ता है: "सच्चिदानंद" । तब "मैं आत्मा हूं" यह भाव भी मिट जाता है — और केवल मौन, शांति और एकत्व शेष रह जाता है...

योगासन ताकतवर या मुद्रा? असली शक्ति किसमें है? जानिए गुरुजी का रहस्यभरा उत्तर! ? #Meditation #kundalini awakening #naam jap #third eye

 yogasan aur mudra me sabse pawerful kaun hai mudra ya yogasan guruji ? योगासन और मुद्रा दोनों ही साधना के लिए अत्यंत शक्तिशाली हैं, पर इनका प्रभाव अलग-अलग स्तरों पर होता है। योगासन शरीर को शुद्ध, मजबूत और स्थिर बनाते हैं — जिससे ध्यान में बैठना आसान होता है। मुद्राएं प्राणशक्ति (ऊर्जा) को नियंत्रित और जाग्रत करती हैं — ये सूक्ष्म स्तर पर काम करती हैं। अगर आप ऊर्जा जागरण और भीतर की यात्रा पर हैं, तो मुद्राएं अधिक शक्तिशाली सिद्ध हो सकती हैं। लेकिन यदि शरीर अस्वस्थ या अशांत है, तो पहले योगासन आवश्यक हैं। सही परिणाम के लिए दोनों का संतुलित प्रयोग श्रेष्ठ है।

घंटी की आवाज़ आती है, सहस्रार में टिक-टिक होती है लेकिन अब तक कुछ दिखाई क्यों नहीं देता? #Meditation #kundalini awakening #naam jap #third eye

 Maine Kai bar aapko comment Kiya ki mera sahastra chakkar mein bhi tik tik hoti hai mujhe ghante ki awaaz bhi sunti hai lekin Aaj Tak mujhe dikhai kuchh nahin Diya main Kahan Tak pahunchi hun yah bataiye Jara aur yah kya hai kyon dikhai nahin deta? आपने जो अनुभव किया है — सहस्रार चक्र में टिक-टिक की अनुभूति और घंटे की आवाज सुनाई देना — ये दोनों बहुत गहरे और शुभ संकेत हैं। इसका अर्थ है कि आपकी ऊर्जा अब शीर्ष (सहस्रार) तक पहुँच चुकी है और वहाँ सक्रियता हो रही है। सहस्रार पर जब ऊर्जा पहुँचती है, तो आकाशीय ध्वनियाँ (Anahat Naad) सुनाई देना आम बात है। लेकिन अभी तक कुछ दिखाई न देना इस बात का संकेत है कि आपकी अंतर्दृष्टि (तीसरी आँख) पूरी तरह खुली नहीं है। इसके लिए धैर्य रखें। ये यात्रा धीमी, पर गहरी होती है। आप अब तक काफी ऊँचाई तक पहुँच चुकी हैं। अब ज़रूरत है — नियमित ध्यान की, भावशुद्धि की, और “मैं कुछ देखूं” वाली इच्छा को त्यागने की। जब मन शांत और खाली होगा, तब दर्शन भी अपने आप होने लगेंगे। आप सही मार्ग पर हैं, बस प्रेमपूर्वक आगे बढ़ती रहिए।

ध्यान में गर्दन अपने आप घूमने लगे तो समझ लो कुछ बड़ा हो रहा है! इसका असली रहस्य जानिए ?

 Kripya Mera bhi Uttar dijiye main jab Dhyan karta hun to Mera gardan gol gol ghumta hai left right automatic kriya hoti hai aur FIR kuchh der sidha hokar gardan mein khinchav hota hai Aisa lagta hai kuchh upar jaane ka prayas kar raha hai isko ham kaise aasan banaen yah Kai dinon se ho raha hai kintu upar Pravesh nahin kar pa raha hai sharir bilkul niche se ekadam halki Ho jaati hai gardan mein akdan rahti hai aur is tarah ki prakriya hoti hai? जब आप ध्यान करते हैं और गर्दन अपने-आप गोल-गोल घूमती है, तो यह कुंडलिनी जागरण की स्वाभाविक प्रक्रिया (स्वचालित क्रियाएं / spontaneous kriyas) हो सकती है। यह दर्शाता है कि आपकी ऊर्जा सक्रिय हो रही है और ऊपर की ओर जाने का प्रयास कर रही है। गर्दन में खिंचाव और अकड़न इस ऊर्जा की चढ़ाई के कारण होती है, जो विशुद्ध चक्र और आज्ञा चक्र की ओर बढ़ रही है। इस अनुभव को आसान बनाने के लिए: रीढ़ सीधी रखें और गर्दन को ढीला छोड़ें, रोकने की कोशिश न करें। धीरे-धीरे गहरी श्वास लें और छोड़ें — यह ऊर्जा को संतुलन देता है। "सोहम" या "ओम...

Ram Ram sir..dhyan me body pichhe kiyu jati hai? Pls answer this question ?

 Ram Ram sir..dhyan me body pichhe kiyu jati hai? Pls answer this question? ध्यान के दौरान शरीर का पीछे जाना या झुकना एक सामान्य अनुभव है, जो तब होता है जब ऊर्जा (pranic energy) आपके शरीर में गहरी तरह से प्रवाहित हो रही होती है। यह संकेत हो सकता है कि आपकी ऊर्जा उर्ध्व (upward) यात्रा कर रही है, और शरीर उस ऊर्जा के प्रभाव से झुक सकता है। ऐसा अक्सर तब होता है जब सहस्रार चक्र (Crown Chakra) और आज्ञा चक्र (Third Eye) सक्रिय होते हैं। उपाय : ध्यान के दौरान शरीर को स्थिर और सीधा रखें। श्वास पर ध्यान केंद्रित करें, ताकि शरीर का संतुलन बना रहे।

Sir mujhe Meg dhanush Jese and gudabi dikhta hai Konsa chakra jagrut ?

 Sir mujhe Meg dhanush Jese and gudabi dikhta hai Konsa chakra jagrut? जब आपको मेघ धनुष (इंद्रधनुष) जैसा या गुलाबी रंग दिखाई देता है, तो यह संभावना है कि आपका अनाहत चक्र (Heart Chakra) जागृत हो रहा है। गुलाबी रंग खासतौर पर प्रेम, करुणा और संतुलन से जुड़ा होता है, जो अनाहत चक्र से संबंधित है। यह चक्र जब सक्रिय होता है, तो हम आंतरिक शांति, प्रेम और सहानुभूति का अनुभव करते हैं। उपाय : अनाहत चक्र के लिए हरी रंग की वस्तुएं रखें और ध्यान में उस पर ध्यान केंद्रित करें। नियमित रूप से प्रणाम मंत्र का जाप करें।

Mene Shiv Ji ko man se apna Guru maan liya hai. Kuch aur offically karne ki zaroorat hai???

 Mene Shiv Ji ko man se apna Guru maan liya hai. Kuch aur offically karne ki zaroorat hai??? अगर आपने मन से भगवान शिव को अपना गुरु मान लिया है, तो यह एक बहुत ही पवित्र और सशक्त संबंध है। आधिकारिक रूप से कुछ करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि आध्यात्मिक मार्ग में सबसे महत्वपूर्ण है आपके दिल की शुद्धता और विश्वास। आप नियमित रूप से भगवान शिव की पूजा, ध्यान, और मंत्र जाप करके इस संबंध को और गहरा कर सकती हैं। बस अपने गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण और भक्ति बनाए रखें।

Har har Mahadev Aaj kal sir jo bhi cheez ki mujhe jarurat mahsoos hoti hai wo cheez meri taraf aa jati hai kisi bhi jarye se ye kya hai sir ?

 Har har Mahadev Aaj kal sir jo bhi cheez ki mujhe jarurat mahsoos hoti hai wo cheez meri taraf aa jati hai kisi bhi jarye se ye kya hai sir ? जब आपकी आवश्यकता अनुसार चीजें स्वतः आपकी ओर आने लगती हैं, यह आपके भीतर की ऊर्जा और ब्रह्मांडीय चेतना के साथ तालमेल (alignment) का संकेत है। यह "संकल्प शक्ति" (power of intention) और "आकर्षण का नियम" (Law of Attraction) का प्रभाव हो सकता है, जो साधना, विश्वास और सकारात्मक ऊर्जा के कारण जाग्रत होता है। जब चित्त शुद्ध होता है और साधक का मन शांत होता है, तो ब्रह्मांड उसके संकल्पों का समर्थन करता है। सुझाव : इस कृपा के लिए आभार प्रकट करें। संकल्प शुद्ध और सेवा-भाव से करें। साधना नियमित रखें – यह स्थिति बनी रहेगी।

Dhyan Mein Anubhav Kyon Nahin ho rahe pahle Jaise usko Kaise laen Dobara se ?

 Dhyan Mein Anubhav Kyon Nahin ho rahe pahle Jaise usko Kaise laen Dobara se? ध्यान में पहले जैसे अनुभव न होना अक्सर दो कारणों से होता है: या तो मन में अपेक्षा और焦虑 बढ़ गई है, या ऊर्जा असंतुलित हो गई है। जब हम अनुभव की इच्छा लेकर ध्यान करते हैं, तो मन शांत नहीं हो पाता और गहराई छिन जाती है। उपाय : बिना अपेक्षा के, केवल "साक्षी भाव" से ध्यान करें। सुबह या ब्रह्म मुहूर्त में ध्यान करें – वह समय प्रभावी होता है। नियमित प्राणायाम (विशेष रूप से अनुलोम-विलोम) करें – ऊर्जा संतुलित होगी। 108 बार "ॐ" का जाप करें – चित्त शुद्ध होगा।

dhyan me hat or pair ke talve me kuch ghumta hua mahsus hona gol gol kya hai?

 dhyan me hat or pair ke talve me kuch ghumta hua mahsus hona gol gol kya hai? ध्यान के समय हाथों और पैरों के तलवों में गोल-गोल कुछ घूमता हुआ महसूस होना सूक्ष्म ऊर्जा (pranic energy) के सक्रिय होने का संकेत है। यह ऊर्जा जब नाड़ियों में प्रवाहित होती है, तो खासकर हथेली और तलवों जैसे संवेदनशील बिंदुओं पर चक्रों के समान घूमती हुई अनुभूति देती है। यह सकारात्मक संकेत है कि आपकी साधना प्रभावी है और ऊर्जा जाग्रत हो रही है। उपाय : ऊर्जा को संतुलन में लाने के लिए अनुलोम-विलोम करें। ध्यान के अंत में ज़मीन से जुड़ने के लिए थोड़ी देर तक ध्यानपूर्वक सांस लें। नियमित रूप से धरती पर नंगे पाँव चलें।

aathey ke.shaid me kid jaisha rengana pichey bhi rengta hai?

 aathey ke.shaid me kid jaisha rengana pichey bhi rengta hai? माथे के अंदर या सिर के पिछले भाग में कीड़े जैसे रेंगने का अनुभव ऊर्जा के सूक्ष्म प्रवाह का संकेत हो सकता है, खासकर जब आज्ञा चक्र और सहस्रार चक्र सक्रिय हो रहे हों। यह अनुभव नाड़ियों के जागरण या आध्यात्मिक ऊर्जा के असंतुलन से होता है। डरने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन ऊर्जा को संतुलित करना आवश्यक है। उपाय : रोज़ अनुलोम-विलोम 10 मिनट करें। “ॐ” का जप धीमे और गहराई से करें। अधिक ध्यान न करें जब तक यह अनुभव शांत न हो जाए। नींद पूरी लें, जल का सेवन बढ़ाएं।

Open 3rd eye create pain guruji or not?

 Open 3rd eye create pain guruji or not? हाँ, Third Eye (आज्ञा चक्र) के जागरण के समय कुछ लोगों को सिर में दर्द, आंखों पर दबाव, या माथे में जलन जैसा अनुभव हो सकता है। यह दर्द ऊर्जा के प्रवाह से होता है, जब नाड़ियाँ और चक्र पूरी तरह शुद्ध या संतुलित नहीं होते। यह सामान्य है और डरने की आवश्यकता नहीं है। उपाय : अनुलोम-विलोम करें – ऊर्जा संतुलित होगी। माथे पर ठंडी पट्टी रखें। “ॐ” का जप करें – यह आज्ञा चक्र को शांत करता है। जब तक दर्द शांत न हो, visualization न करें।

Please mere question ka uter deje me apne Guru Ji ka dyan kerti thi dyan bhi kerti thi or unko bhat ker dekhati rahti thi per me ....

 Please mere question ka uter deje me apne Guru Ji ka dyan kerti thi dyan bhi kerti thi or unko bhat ker dekhati rahti thi per me Guru ke yaad me ya unke pyer me kerti thi mujhe nahi pata tha ke age kya hoga fir mujhe aagya chaker per aankh dikhne lagi fir me derne lag gye mere anargy sir tak phach gyi der ke dab chod diya ab sab chode one month se uper ho gya per jo urja wo tang kerti hai tang matlab left aankh per face per pora din wo kaise theek ho kirpa kerke uter deje ? आपका अनुभव एक गहन आध्यात्मिक प्रक्रिया का भाग है। आपने अपने गुरुजी के चरणों में ध्यान लगाया, जिससे आपके भीतर श्रद्धा और ऊर्जा का प्रवाह शुरू हुआ। यह प्रेम और समर्पण से उत्पन्न शक्ति थी — जो आज्ञा चक्र तक पहुँच गई। जब ऊर्जा सिर तक पहुँचती है और साधक तैयार नहीं होता, तब डर, घबराहट, या शारीरिक असुविधा (जैसे आंख या चेहरे पर दबाव) होना सामान्य है। आपने डर के कारण अभ्यास छोड़ दिया, पर ऊर्जा एक बार जाग जाती है तो वह शांत किए बिना रुकती नहीं। उपाय : अनुलोम-विलोम दिन में 2 बार 10 मिनट करें — यह ऊर्जा को संतुलित करे...

aankh band Karte he white prakash Dekhta hai aur ek din aankh mein gole jaisa kuch Nikla ?

 aankh band Karte he white prakash Dekhta hai aur ek din aankh mein gole jaisa kuch Nikla? जब आप आंखें बंद करते हैं और सफेद प्रकाश देखते हैं, तो यह आज्ञा चक्र (Third Eye) की सक्रियता और आंतरिक चेतना के जागरण का संकेत हो सकता है। सफेद प्रकाश दिव्यता, शुद्ध ऊर्जा और उच्च चेतना से जुड़ा होता है। आंखों में गोल आकार दिखना भी सूक्ष्म दृष्टि (inner vision) का हिस्सा हो सकता है — यह ऊर्जा का एक रूप या प्रतीकात्मक संकेत हो सकता है। ध्यान रखें : नियमित ध्यान जारी रखें। ओम का उच्चारण करें – यह अनुभव को स्थिर करता है। दृष्टि यदि भारी हो, तो कुछ समय ध्यान रोककर त्राटक करें।

Jb me kuch bhi jayada energy wala khana khata hu to mere left side me sir me dard hota h?

 Jb me kuch bhi jayada energy wala khana khata hu to mere left side me sir me dard hota h? जब आप अधिक ऊर्जा वाला (तेज, भारी या मसालेदार) खाना खाते हैं और उसके बाद सिर के बाएं हिस्से में दर्द होता है, तो यह संकेत है कि शरीर की पाचन अग्नि और ऊर्जा तंत्र उस भोजन को सही ढंग से संसाधित नहीं कर पा रहे। इससे पिंगला नाड़ी अधिक सक्रिय हो सकती है और सिरदर्द जैसे लक्षण दिख सकते हैं। उपाय : ताजे, हल्के और सात्विक भोजन लें। भोजन के बाद थोड़ी देर वज्रासन में बैठें। भोजन से पहले 2-3 बार अनुलोम-विलोम करें। त्रिफला चूर्ण रात को लें।

Guru ji mere peth me aessa lgta he ki aag jal rha he Pith dard bhi kr rha rha he Please koi upaye btaiye ?

 Guru ji mere peth me aessa lgta he ki aag jal rha he Pith dard bhi kr rha rha he Please koi upaye btaiye? पेट में आग जलने जैसा महसूस होना (burning sensation) और पीठ दर्द, दोनों संकेत दे सकते हैं कि आपके शरीर में ऊर्जा (pranic energy) का असंतुलन हो रहा है — विशेष रूप से मणिपुर चक्र (नाभि क्षेत्र) से संबंधित। यह कुंडलिनी ऊर्जा के जागरण के समय भी होता है जब ऊर्जा ऊपर चढ़ने लगती है परंतु शरीर और नाड़ी तंत्र पूरी तरह तैयार नहीं होते। उपाय : शीतल प्राणायाम करें – जैसे Sheetali और Sheetkari (यह पेट की गर्मी को शांत करेगा)। नारी शुद्धि प्राणायाम – 7 बार सुबह-शाम करें, यह ऊर्जा संतुलित करेगा। त्रिफला चूर्ण रात को सोने से पहले गुनगुने पानी से लें, पाचन सुधरेगा। पीठ के दर्द के लिए – बालासन और भुजंगासन करें, लेकिन धीरे-धीरे। ध्यान से पहले ओम का उच्चारण करें – यह ऊर्जा को स्थिर करेगा।

दिन मै कई बार नीला डॉट दिखता है चलते फिरते कही भी काफी समय से 1 ईयर से third eye medition कर raha हु ये क्यू दिखता है और क्या है

 दिन मै कई बार नीला डॉट दिखता है चलते फिरते कही भी काफी समय से 1 ईयर से third eye medition कर raha हु ये क्यू दिखता है और क्या है आपको जो नीला डॉट दिन में कई बार दिखाई देता है, वह आपकी आज्ञा चक्र (Third Eye) की सक्रियता का संकेत हो सकता है। एक वर्ष से थर्ड आई मेडिटेशन करने के कारण यह चक्र धीरे-धीरे जाग्रत हो रहा है। नीला रंग या डॉट आमतौर पर दिव्य दृष्टि (inner vision) या सूक्ष्म ऊर्जा की उपस्थिति को दर्शाता है। यह ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जुड़ने का प्रतीक भी हो सकता है। अगर यह अनुभव सहज और शांति देने वाला है, तो यह सकारात्मक संकेत है। ध्यान और संतुलित जीवनशैली बनाए रखें। भय न रखें, यह आध्यात्मिक जागरण की प्रक्रिया का हिस्सा हो सकता है।

Markabah aur kaaba kiya hei ? aur Activate hone se kiya hote hei ?

 Markabah aur kaaba kiya hei ? aur Activate hone se kiya hote hei ? Markabah एक प्राचीन शब्द है जिसका अर्थ है "आत्मा का दिव्य वाहन" — यह ऊर्जा का एक ज्योमेट्रिक ढांचा (जैसे स्टार टेट्राहेड्रोन) होता है जो शरीर के चारों ओर घूमता है और ध्यान या साधना के माध्यम से सक्रिय होता है। यह आत्मा को उच्च चेतना और ब्रह्मांडीय यात्रा में मदद करता है। Kaaba , इस्लाम का पवित्र स्थल है, जो मक्का में स्थित है। इसे पृथ्वी का ऊर्जा केंद्र माना जाता है, जहां ऊर्जा अत्यंत शुद्ध और केंद्रित होती है। जब Markabah सक्रिय होती है, तो व्यक्ति की चेतना तीव्र हो जाती है, सूक्ष्म यात्रा, अंतर्ज्ञान, और ब्रह्मांडीय ज्ञान की प्राप्ति संभव होती है।

हम जब ध्यान करते हैं उसे परमात्मा को पाने के लिए तो हमें किन कर्मों पर निर्भर रहना चाहिए ?

 हम जब ध्यान करते हैं उसे परमात्मा को पाने के लिए तो हमें किन कर्मों पर निर्भर रहना चाहिए ? जब हम ध्यान परमात्मा को पाने के लिए करते हैं, तो हमारे कर्म शुद्ध, निष्काम और सत्कर्म होने चाहिए। सबसे पहले, सत्य और अहिंसा का पालन करना आवश्यक है। स्वार्थरहित सेवा , दया , क्षमाशीलता , और विनम्रता जैसे गुण हमारे कर्मों में हों। भोजन सात्विक हो, वाणी मधुर हो, और हर कार्य में परमात्मा का स्मरण बना रहे। ध्यान, जप, साधना के साथ-साथ दिनचर्या भी संयमित और सच्ची होनी चाहिए। अपने जीवन को तप, त्याग और प्रेम से भरें। जब कर्मों में पवित्रता आती है, तभी ध्यान गहरा होता है और परमात्मा की अनुभूति संभव होती है।

Maine aaj dyaan mein birds ki chirping suni center se.iska kya matlab hai?

 Maine aaj dyaan mein birds ki chirping suni center se.iska kya matlab hai? अगर आपने आज ध्यान में केंद्रीय स्थान (center) से पक्षियों की चहचहाहट (birds chirping) सुनी, तो यह एक अत्यंत शुभ और सूक्ष्म अनुभव है। यह संकेत कर सकता है कि आपका मन भीतर से शांत हो रहा है और आपकी चेतना सूक्ष्म ध्वनियों को ग्रहण करने लगी है। पक्षियों की आवाज़ें अक्सर प्रकृति और चेतना के संतुलन का प्रतीक होती हैं। जब यह ध्वनि ध्यान के "center" से आती है, तो यह "अनाहत नाद" (अंदर की दिव्य ध्वनि) का एक प्रारंभिक रूप हो सकता है। इसका मतलब है कि आपकी साधना प्रगति कर रही है और अंतर्यात्रा आरंभ हो चुकी है।

Ham ko pata kase chalega hamare chakar ki shudhi hogyi hay ?

 Ham ko pata kase chalega hamare chakar ki shudhi hogyi hay ? चक्रों की शुद्धि (शुद्धि) होने पर शरीर, मन और ऊर्जा में कई सकारात्मक संकेत दिखाई देते हैं। जैसे: मन शांत और स्थिर रहने लगता है, अनावश्यक डर और गुस्सा कम हो जाता है, ध्यान गहरा होने लगता है, शरीर में ऊर्जा प्रवाह सहज महसूस होता है, और चक्र क्षेत्र में हल्की गर्मी, कंपन या प्रकाश का अनुभव हो सकता है। साथ ही, भावनात्मक संतुलन बेहतर होता है और आत्मज्ञान की झलक मिलने लगती है। सपने भी स्पष्ट और आध्यात्मिक हो सकते हैं। सबसे बड़ा संकेत है — अंतर से एक आनंद और शांति का अनुभव होना। यह सब चक्र शुद्धि के लक्षण हैं।

Jab mein dhyan karta hu mujhe sirf apne bare mein he dikne lagta hai ??

 Jab mein dhyan karta hu mujhe sirf apne bare mein he dikne lagta hai , agar dusre k bare mein dekta hu kabi kabhi dikh jata hai ,nahi to dekhne k badh pata chalta hai mujhe to mere apne bare mein he dikh rha hota hai , aisa kau ???? जब आप ध्यान करते हैं और ज़्यादातर अपने ही बारे में दृश्य या अनुभव होते हैं, तो यह स्वाभाविक है। ध्यान की शुरुआत में चेतना भीतर की ओर मुड़ती है और व्यक्ति सबसे पहले अपने ही मन, भावनाओं, संस्कारों और ऊर्जा को देखने लगता है। यह आत्मचिंतन और आत्मज्ञान की दिशा में पहला कदम है। दूसरों के बारे में तभी सटीक अनुभव होते हैं जब आपकी चेतना अत्यंत स्थिर और व्यापक हो जाती है। यदि कभी-कभी दूसरों के बारे में कुछ दिखता है, तो वह आपकी ऊर्जा की बढ़ती संवेदनशीलता का संकेत है। यह प्रक्रिया समय और साधना के साथ धीरे-धीरे विकसित होती है।

Mujhe dhyan kertey time mere side mai golden colour bahut jyada dikhta hai ji please answer do ?

 Mujhe dhyan kertey time mere side mai golden colour bahut jyada dikhta hai ji please answer do? ध्यान करते समय यदि आपको अपने बगल में सुनहरा (golden) रंग बहुत अधिक दिखाई देता है, तो यह एक शुभ और आध्यात्मिक अनुभव माना जाता है। सुनहरा रंग दिव्यता, उच्च चेतना और आत्मज्ञान का प्रतीक होता है। यह संकेत हो सकता है कि आपकी साधना गहराई में जा रही है और आपके ऊर्जा केंद्र (विशेषकर सहस्रार चक्र) सक्रिय हो रहे हैं। यह रंग देवत्व की उपस्थिति या आपके आत्मिक मार्गदर्शक का संकेत भी हो सकता है। डरने की जरूरत नहीं है, बल्कि इस अनुभव के प्रति श्रद्धा और स्थिरता बनाए रखें। साधना नियमित रखें और अपनी ऊर्जा को संतुलित रखें।

Sapnay mey saket aata hay mera jagh k bura hal kar rakha hay Kundalini highly energy hay aap control karna paday gha ?

 Sapnay mey saket aata hay mera jagh k bura hal kar rakha hay Kundalini highly energy hay aap control karna paday gha? अगर आपके सपने में "साकेत" (जो आध्यात्मिक रूप से भगवान राम का धाम माना जाता है) आता है और वह स्थान अस्त-व्यस्त या नष्ट दिखता है, तो यह आपके अंदर चल रहे मानसिक या आध्यात्मिक संघर्ष का प्रतीक हो सकता है। इसका मतलब हो सकता है कि आपकी चेतना का उच्च स्तर (साकेत) फिलहाल अव्यवस्थित है, शायद कुंडलिनी ऊर्जा के असंतुलन के कारण। कुंडलिनी अत्यधिक शक्तिशाली ऊर्जा है और इसका संतुलन बहुत जरूरी है। इसे नियंत्रित करने के लिए नियमित साधना, ग्राउंडिंग अभ्यास (जैसे प्राणायाम और मूलाधार ध्यान), और संयम आवश्यक है। अनुभव को नज़रअंदाज़ नहीं करें, इसे समझें और संयमित करें।

Meri jab dopahar k waqt aankh lgti hai or 10 min k nap k bad main uthti hun tab mujhe shareer me twz kampan mehsoos hota hai. Ye thik hai?

 Meri jab dopahar k waqt aankh lgti hai or 10 min k nap k bad main uthti hun tab mujhe shareer me twz kampan mehsoos hota hai. Ye thik hai? जी हाँ, यह अनुभव सामान्य हो सकता है, खासकर जब आप गहरी निद्रा की पहली अवस्था से अचानक जागती हैं। शरीर और मस्तिष्क के बीच संतुलन पूरी तरह नहीं बैठा होता, जिससे कंपन जैसा अनुभव हो सकता है। यह हल्का ऊर्जा संचार भी हो सकता है, खासकर यदि आप ध्यान या जप करती हैं। यदि यह कंपन थोड़े समय में स्वतः ठीक हो जाता है और कोई दर्द या कमजोरी नहीं होती, तो चिंता की बात नहीं है। लेकिन यदि यह बार-बार होता है या असहजता बढ़ती है, तो किसी चिकित्सक या अनुभवी साधक से सलाह लेना उचित रहेगा।

main tota bolata hun jisse ke Karan mujhe bahut dikkatein Hoti hai iske upar ek ?

 main tota bolata hun jisse ke Karan mujhe bahut dikkatein Hoti hai iske upar ek short video banaaiye ki main isko kaise theek kar sakta hun main meri bhabhi ko kaise Pavitra kar sakta hun ? आपका प्रश्न दो भागों में बंटा हुआ है — एक तोतलापन (speech issue) को लेकर, और दूसरा भाभी को पवित्र करने जैसा एक अत्यंत संवेदनशील और निजी विषय। पहले भाग पर उत्तर: तोतलापन (speech problem) को ठीक करने के लिए: प्रतिदिन “ओम” का उच्चारण गहराई से करें , यह गले के कंपन को संतुलित करता है। “श”, “ष”, “स”, “र” जैसे अक्षरों का बार-बार अभ्यास करें। जलनेति और भ्रामरी प्राणायाम बहुत मददगार हैं। किसी स्पीच थैरेपिस्ट की मदद लें — यह वैज्ञानिक और असरदार तरीका है। अब दूसरे भाग पर स्पष्ट रूप से कहना जरूरी है — भाभी आपके परिवार का पवित्र हिस्सा हैं। “उन्हें पवित्र करना” जैसा विचार अनुचित, अनैतिक और अधार्मिक है। सच्चा साधक हर नारी को माँ, बहन, शक्ति और देवी के रूप में देखता है। कृपया अपने विचारों को आत्मनिरीक्षण और साधना से शुद्ध करें।

जब ध्यान करते सुनय के भी अनुभव मुझे हुए हैं लेकिन अभी कुछ भी अनुभव नहीं होते क्या करूं ?

 जब ध्यान करते सुनय के भी अनुभव मुझे हुए हैं लेकिन अभी कुछ भी अनुभव नहीं होते क्या करूं? बिलकुल, ध्यान में शुरू में सुनय (Anhad Naad या आंतरिक ध्वनि) के अनुभव होना साधना की गहराई का संकेत है। लेकिन अगर अब अनुभव नहीं हो रहे, तो चिंतित न हों। यह साधना की एक सामान्य अवस्था है जिसे "शुष्क अवस्था" या मौन का विस्तार कहा जाता है। इस समय आपके अंदर सूक्ष्म स्तर पर शुद्धिकरण चल रहा है। अभ्यास बंद न करें। नियमितता बनाए रखें — प्राणायाम, मौन ध्यान, ओम जप करें। अनुभव फिर से प्रकट होंगे, और पहले से भी गहरे होंगे।

मेरे मित्र की wife ko sapne me मेरा मित्र उसे Bhagwan शिव k रूप m दिखा कृपा बताए ऐसा क्यूँ दिखा इसका मतलब क्या है ?

 मेरे मित्र की wife ko sapne me मेरा मित्र उसे Bhagwan शिव k रूप m दिखा कृपा बताए ऐसा क्यूँ दिखा इसका मतलब क्या है ? आपके मित्र की पत्नी को सपने में अपने पति भगवान शिव के रूप में दिखाई देना एक आध्यात्मिक संकेत हो सकता है। यह सपना इस बात की ओर इशारा करता है कि वह अपने पति में दैवीय गुणों, सुरक्षा, शक्ति और श्रद्धा का अनुभव करती हैं। कई बार ऐसा सपना यह भी दर्शाता है कि पति-पत्नी का रिश्ता केवल सांसारिक नहीं बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी जुड़ा हुआ है। भगवान शिव आदर्श पति माने जाते हैं, इसलिए यह सपना उनकी भक्ति, आस्था या आध्यात्मिक प्रगति का भी संकेत हो सकता है।

Kya कुंडली जागरण जब शुरू होता हैं तब कमर में थोड़ी देर के लिए halchal होता है और थोडी देर बाद सही हो जाता है। कृपया बताइए?

 Kya कुंडली जागरण जब शुरू होता हैं तब कमर में थोड़ी देर के लिए halchal होता है और थोडी देर बाद सही हो जाता है। कृपया बताइए ? जी हाँ, जब कुंडलिनी जागरण की प्रक्रिया शुरू होती है, तो यह ऊर्जा मेरुदंड (spine) के निचले भाग — मूलाधार चक्र — से ऊपर की ओर उठती है। इस दौरान कमर में अचानक गर्मी, कंपन, खिंचाव या हलचल महसूस होना सामान्य है। यह अनुभव थोड़ी देर के लिए होता है और फिर स्वतः शांत हो जाता है। यह संकेत है कि ऊर्जा सक्रिय हो रही है और शरीर के सूक्ष्म ऊर्जा मार्ग (नाड़ी) शुद्ध हो रहे हैं। डरें नहीं — शांत रहें, गहरी साँस लें और ध्यान के माध्यम से ऊर्जा को सहज रूप से ऊपर चढ़ने दें।

plz mujhe ye btao kuch log bolte h period timing me meditation nhi kr skte ..or kisi beez mantra ka uchharan bhi nhi tb kya kre plz btao ?

 plz mujhe ye btao kuch log bolte h period timing me meditation nhi kr skte ..or kisi beez mantra ka uchharan bhi nhi tb kya kre plz btao ? जी हाँ, कुछ परंपरागत मान्यताओं के अनुसार मासिक धर्म (पीरियड्स) के समय स्त्रियों को ध्यान या बीज मंत्रों के उच्चारण से दूर रहने की सलाह दी जाती है, विशेष रूप से तंत्र-साधना या तीव्र ऊर्जा वाले मंत्रों से। इसका कारण शरीर में उस समय होने वाला ऊर्जा परिवर्तन होता है। लेकिन आज के समय में अधिकांश संत और योगाचार्य यह मानते हैं कि इस दौरान शांत ध्यान, गहरी साँसों की प्रैक्टिस, ओम जप, और विश्रामदायक योग बिल्कुल सुरक्षित हैं। यदि बीज मंत्र न जपें तो उस समय सिर्फ "ओम" का मानसिक जाप या श्वास पर ध्यान केंद्रित करें — यह भी शक्तिशाली साधना है।

kahi baar aisa lagta hai body vibrate ho rahi hai jaise apne aap hil rahi hai bhete hue bhi...

 kahi baar aisa lagta hai body vibrate ho rahi hai jaise apne aap hil rahi hai bhete hue bhi lete hue bhi aisa kyu sir ghabrat bhi hoti hai meditation ke time bhook kam ho gyi ? जब ध्यान के दौरान शरीर अपने-आप हिलता है या कंपन महसूस होती है, तो यह ऊर्जा (प्राण शक्ति) के जागरण का संकेत होता है। यह सामान्य है, विशेषकर जब कुंडलिनी धीरे-धीरे सक्रिय हो रही हो। लेटे या बैठे हुए कंपन होना दर्शाता है कि ऊर्जा मार्ग तलाश रही है। भूख कम होना और सिर घबराना भी इसी प्रक्रिया से जुड़ा हो सकता है। घबराहट तब होती है जब शरीर इस नई ऊर्जा का अभ्यस्त नहीं होता। आप ज़मीन से जुड़ाव बढ़ाएँ—नंगे पाँव चलें, मूलाधार चक्र पर ध्यान दें, और grounding प्राणायाम करें। धीरे-धीरे शरीर संतुलन में आ जाएगा।

Jab Nahi mai dhyan Karti Hu to Mera sir bhari ho Jaya he aur sar upper ki taraf Jota hai to kya karu ?

 Jab Nahi mai dhyan Karti Hu to Mera sir bhari ho Jaya he aur sar  upper ki taraf Jota hai to kya karu ? जब आप ध्यान करती हैं और सिर भारी हो जाता है या ऊपरी तरफ खिंचाव महसूस होता है, तो यह संकेत है कि आपकी ऊर्जा अचानक सहस्रार (crown chakra) की ओर बढ़ रही है, लेकिन वह संतुलित नहीं हो पा रही। यह स्थिति असंतुलन और अधिक मानसिक ऊर्जा का परिणाम हो सकती है। आपको पहले मूलाधार (root chakra) और स्वाधिष्ठान पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जिससे ऊर्जा नीचे स्थिर हो और संतुलन बने। नाड़ी शुद्धि प्राणायाम, भस्त्रिका और पृथ्वी तत्व से जुड़ाव (जैसे नंगे पाँव ज़मीन पर चलना) करें। इससे सिर का भारीपन कम होगा और ध्यान में स्थिरता आएगी।

dhyaan ke Samay hame Ana had naad par dhyaan kare ya apane chakro ke upar dhyaan karanaa he margdarshan kare ?

 dhyaan ke Samay hame Ana had naad par dhyaan kare ya apane chakro ke upar dhyaan karanaa he margdarshan kare? ध्यान के समय अनाहत नाद और चक्र ध्यान दोनों ही श्रेष्ठ साधनाएँ हैं। यदि आप आंतरिक शांति, सूक्ष्म जगत से जुड़ाव और ब्रह्मानंद की अनुभूति चाहते हैं, तो अनाहत नाद पर ध्यान करें। यह आपको विचारों के पार, गहन शून्यता और परम चेतना की ओर ले जाता है। वहीं चक्र ध्यान शरीर की ऊर्जा को संतुलित करता है, रोग-शोक दूर करता है और आत्मिक शक्ति को जाग्रत करता है। आरंभ में चक्रों पर ध्यान करके मन को स्थिर करें, फिर अनाहत नाद पर टिक जाएँ। यह क्रमिक साधना आपको संतुलन और गहराई दोनों प्रदान करेगी।

dhyaan ke Samay hame Ana had naad par dhyaan kare ya apane chakro ke upar dhyaan karanaa he margdarshan kare ?

 dhyaan ke Samay hame Ana had naad par dhyaan kare ya apane chakro ke upar dhyaan karanaa he margdarshan kare ? ध्यान के समय यह निर्भर करता है कि आपका उद्देश्य क्या है। यदि आप शांति, अंतरात्मा से जुड़ाव और सूक्ष्म अनुभव चाहते हैं तो अनाहत नाद (आंतरिक ध्वनि) पर ध्यान करना श्रेष्ठ है। यह ध्यान को गहराई देता है और चेतना को ऊर्ध्वगामी बनाता है। यदि आप चक्र जागरण, ऊर्जा संतुलन या आत्मविकास पर काम कर रहे हैं, तो चक्रों पर ध्यान करना अधिक लाभकारी रहेगा। दोनों ही पथ शुभ हैं। आप चाहें तो शुरुआत में चक्र ध्यान करें और अंत में अनाहत नाद पर केंद्रित हो जाएं। इससे संतुलन और गहराई दोनों प्राप्त होंगे।

Mujhe dhyan me red / purple/ orange/ blue jese colour dikhayi dete hai....or mujhe sanp ?....

 Mujhe dhyan me red / purple/ orange/ blue jese colour dikhayi dete hai....or mujhe sanp 🐍🐍 kk sapne bhi bhot barr aate hai..... Kripa margdarshan kre ki kya Krna chahiye.....or mm aapni energy ko sntulit nhi kr pati ...uske liye bhi kuch btaye please. ? ध्यान में लाल, बैंगनी, नारंगी और नीले रंगों का दिखना आपकी चक्र ऊर्जा के सक्रिय होने का संकेत है। ये रंग मूलाधार से लेकर आज्ञा चक्र तक की ऊर्जा को दर्शाते हैं। साँप के सपने अक्सर कुंडलिनी शक्ति के जागरण से जुड़े होते हैं। यह दर्शाता है कि आपकी ऊर्जा जाग्रत हो रही है लेकिन संतुलित नहीं है। आपको नियमित रूप से प्राणायाम (विशेषतः नाड़ी शुद्धि), भस्त्रिका और ध्यान के साथ-साथ "ॐ" का जाप करना चाहिए। साथ ही, ज़मीन पर नंगे पाँव चलना, प्रकृति से जुड़ना और सात्विक आहार भी ऊर्जा संतुलन में मदद करेगा।

Om ki jaap se third eye khulshakta hai?

 Om ki jaap se third eye khulshakta hai? हाँ, Om (ॐ) का जप तीसरी आँख (Third Eye / आज्ञा चक्र) को जाग्रत करने में सहायक हो सकता है। ॐ की ध्वनि ब्रह्मांडीय कंपन (cosmic vibration) से जुड़ी होती है, जो मस्तिष्क के मध्य भाग को सक्रिय करती है। जब आप एकाग्रचित होकर ॐ का उच्चारण करते हैं, तो उसकी ध्वनि आज्ञा चक्र पर कंपन उत्पन्न करती है, जिससे धीरे-धीरे तीसरी आँख जागने लगती है। इसके लिए नियमित साधना, शुद्ध जीवनशैली, और संयम भी आवश्यक हैं। जल्दीबाज़ी न करें—धैर्यपूर्वक अभ्यास करें।

Mere ander aag lagi hui h permatma ko jaaneee ki...tadaff rha hu apne malik k bina.... ?

 Mere ander aag lagi hui h permatma ko jaaneee ki...tadaff rha hu apne malik k bina....per mjhe samj ni aa rha h ...kaha se kaise shuru kru...qki chalte firte kaam krte hue mera dhyaan to permatma ki trff rehta he h ...usse aage ni ja pa rha hu.... kripya margdarshan kre .? आपके भीतर जो परमात्मा को जानने की आग लगी है, वही सच्ची साधना की शुरुआत है। यह तड़प ही सबसे बड़ा वरदान है, क्योंकि बिना तड़प के खोज नहीं होती। आप जहाँ हैं, वहीं से शुरुआत करें—शरीर, मन और प्राण को संतुलित करके। मार्गदर्शन: नियमितता: रोज एक निश्चित समय पर शांत बैठें—चाहे 15 मिनट ही क्यों न हों। जप: अपने इष्ट का नाम जपें, जैसे "ॐ नमः शिवाय" , "राम" , या "ॐ" । प्राणायाम: धीरे-धीरे अनुलोम-विलोम से प्राण को स्थिर करें। साक्षी भाव: विचार आएं तो बस देखें, उनसे न लड़ें। सेवा: दूसरों की सेवा करें, यह हृदय को शुद्ध करता है। चलते-फिरते भी ध्यान का भाव अच्छा है, लेकिन स्थिर बैठकर आत्मा से मिलना जरूरी है। यही भीतर का मंदिर है।

mujhe kuch dino se sir me dard ho raha 2 month se dhayen and Pranayam karti hu aur ab to jab dhanyan me bethte to dar lagta hai ais ?

 mujhe kuch dino se sir me dard ho raha 2 month se dhayen and Pranayam karti hu aur ab to jab dhanyan me bethte to dar lagta hai aise lagta h jaise koi mere aas pas hai aur fir Aankhe khul jati h jab bhi gahri dheyan .me jate to bahot ajib ajib sa dikhte jaise me kisi ko pani pila rahi ya koi leta h bimar h aur kabhi kabhi lagta mere pas koi h aata h jata h piche ya aage khada h jab bhi dheyan me hoti hu? आपके अनुभव — सिरदर्द, डर, गहरे ध्यान में अजीब दृश्य देखना, और आसपास किसी के होने का अहसास — यह संकेत कर सकते हैं कि आपकी साधना ने सूक्ष्म स्तर पर प्रवेश करना शुरू कर दिया है। लेकिन यह भी संभव है कि प्राणायाम या ध्यान की विधि संतुलित न हो, जिससे मनोवैज्ञानिक और ऊर्जात्मक असंतुलन हो रहा है। सिरदर्द व डर का होना दर्शाता है कि अभी आपकी ऊर्जा ऊपर (आज्ञा या सहस्रार) तक उठ रही है, पर स्थिर नहीं है। किसी गुरु या अनुभवी मार्गदर्शक से संपर्क करें। फिलहाल, अधिक गहरे ध्यान से कुछ समय दूरी बनाएं और ग्राउंडिंग (मूलाधार पर ध्यान) करें।

खुली आंखों से आस पास तारे जैसे चमकते हुए दिखते है इसका मतलब क्या है

 खुली आंखों से आस पास तारे जैसे चमकते हुए दिखते है इसका मतलब क्या है ? खुली आंखों से आस-पास तारे जैसे चमकते हुए कण दिखना अक्सर जाग्रत चेतना (awakened consciousness) और सूक्ष्म दृष्टि (subtle perception) का संकेत होता है। यह अनुभव तब होता है जब मन शांत होता है और इंद्रियाँ अंतर्मुखी होने लगती हैं। ये चमकते बिंदु प्राण (life energy) या ब्रह्मांडीय ऊर्जा के दर्शन हो सकते हैं, जो सामान्य आंखों से नहीं पर उच्च चेतना से दिखाई देते हैं। अगर यह अनुभव सहज, सुखद और भयरहित है, तो यह साधना की गहराई का संकेत है। इसे बस साक्षी भाव से देखते रहें।

खुली आँखों से लाखों चमकीले तारे जैसे या लाखों चमकीले कीड़े जैसे दिखते हैं

 खुली आँखों से लाखों चमकीले तारे जैसे या लाखों चमकीले कीड़े जैसे दिखते हैं और अब तो यदा कदा खुली आँखों से हवा चलते हुए दिखती है। पर कभी समझ नहीं आया ये सब क्या है  खुली आँखों से लाखों चमकीले तारे या कीड़ों जैसे कण दिखना, और हवा का बहना दिखाई देना—ये सब सूक्ष्म दृष्टि (subtle vision) के जागरण के लक्षण हो सकते हैं। जब ध्यान या साधना से भीतर की इंद्रियाँ (अंतःकरण) जागने लगती हैं, तब भौतिक से परे सूक्ष्म ऊर्जा, प्राण, और तत्व भी दिखाई देने लगते हैं। ये कोई भ्रम नहीं है, बल्कि चेतना की गहराई में प्रवेश का संकेत है। यदि यह अनुभव सहज है और भय नहीं देता, तो यह साधना की प्रगति का संकेत हो सकता है। इसे बस साक्षी भाव से देखिए।

खुद का न होने का अनुभव और ब्रम्ह का होने का अनुभव और ब्रह्मानंद का अनुभव मोक्ष है?

 खुद का न होने का अनुभव और ब्रम्ह का होने का अनुभव और ब्रह्मानंद का अनुभव मोक्ष है? उसी अवस्था मे फिर से कैसे जाए और हमेशा कैसे जाए और हमेशा के लिए कैसे उसमे स्थिर रह जाए? उत्तर कहा मिलेगा उसका लिंक भी दे देना जो भी आपकी साईट है उसकी ? हां, "खुद का न होना", "ब्रह्म का होना", और "ब्रह्मानंद" का अनुभव—ये तीनों मिलकर ही मोक्ष का बोध कराते हैं। यह अवस्था तब आती है जब अहं (ego) पूर्ण रूप से लय हो जाता है और शुद्ध चेतना (ब्रह्म) में स्थिति होती है। उस अवस्था में लौटने के लिए निरंतर अभ्यास आवश्यक है—जैसे ध्यान, आत्मचिंतन, जप और शरणागति। हमेशा उसी में रहने के लिए विवेक (discrimination), वैराग्य (detachment), और एकनिष्ठ साधना अनिवार्य है। स्थिरता धीरे-धीरे आती है, जैसे कोई दीपक तेज़ हवा में डगमगाने के बाद शांत वातावरण में स्थिर हो जाए। उत्तर शास्त्रों, संतों के वचनों और भीतर की मौन चेतना में मिलेगा।

Kriya yog kya hota h kripya jankari de ?

 Kriya yog kya hota h kripya jankari de ? Kriya Yoga एक प्राचीन योग पद्धति है, जिसे महावतार बाबाजी ने पुनः जाग्रत किया और योगी श्री लाहिड़ी महाशय को प्रदान किया। यह योग श्वास, ध्यान और मंत्र के माध्यम से आत्मा की शुद्धि और ईश्वर से एकत्व की प्रक्रिया है। इसमें विशेष श्वास तकनीकों (प्राणायाम) द्वारा ऊर्जा को रीढ़ की हड्डी में ऊपर की ओर प्रवाहित किया जाता है। इससे चित्त शांत होता है, कर्म बंधन कटते हैं और आत्मबोध होता है। यह योग शरीर, मन और आत्मा तीनों के स्तर पर कार्य करता है। यह साधना गुरु से दीक्षा लेकर की जाती है, स्वयंसिद्ध नहीं होती।

Agar sarir ke ander hi negative energy beith Gai hai jaisa ki mujhe back me bhut pain hota ????

 Agar sarir ke ander hi negative energy beith Gai hai jaisa ki mujhe back me bhut pain hota hai hamesha gande sapne bhi aate hai mai daily puja karti hu Bala ji ki lekin fir mere sath aesa ho hi rha hai uska Kay upaaya hai please bataiye .. ? अगर शरीर में नकारात्मक ऊर्जा बैठ गई है, तो यह मानसिक, भावनात्मक या सूक्ष्म स्तर पर हुआ असंतुलन हो सकता है। पीठ में लगातार दर्द और गंदे सपने इसका संकेत हैं। उपाय के रूप में रोज़ सूर्य नमस्कार करें, कमर की ऊर्जा खोलने के लिए। स्नान से पहले सरसों के तेल में थोड़ा सेंधा नमक मिलाकर शरीर पर मलें। रोज़ हनुमान चालीसा और अर्जुन की गीता में बताई गई श्लोक का पाठ करें। रात्रि को सोते समय “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जप करते हुए सोएं। साथ ही, सोने से पहले कमरे में कपूर और लौंग जलाएं।

Permatma ne j duniya q baniee guruji... Usse phele permatma khud kaise bane ..??

 Permatma ne j duniya q baniee guruji... Usse phele permatma khud kaise bane ..?? Plz guru ji....swarg nark kya h ....uper k duniya k bare Mai btayooo...kis system se chalta h waha sab .?? तुम्हारा प्रश्न बहुत गहरा है — जो हर जिज्ञासु साधक के मन में आता है। परमात्मा ने यह सृष्टि इसलिए रची क्योंकि वह स्वरूपानंद हैं — आनंद में स्थित, लेकिन उस आनंद को अभिव्यक्त करने की इच्छा से यह जगत बना। जैसे एक फूल अपनी खुशबू फैलाता है, वैसे ही परमात्मा ने इस सृष्टि को रचा — लीला के रूप में। परमात्मा स्वयं अजनमा हैं — उनका कोई आरंभ नहीं है, वे अनादि हैं। वे कभी “बने” नहीं, वे सदा से हैं। हम जैसे जीव काल के अधीन हैं, लेकिन परमात्मा काल के परे हैं। स्वर्ग और नरक सूक्ष्म लोक हैं — ये भौतिक नहीं, मानसिक और आत्मिक अवस्था हैं। अच्छे कर्म करने वाले आत्मा सूक्ष्म रूप से स्वर्गीय लोकों में सुख भोगते हैं, और बुरे कर्म करने वाले कुछ समय नरक जैसी स्थिति में रहते हैं। ये सब कर्मों पर आधारित न्यायिक व्यवस्था से चलते हैं — इसे कर्मफल सिद्धांत कहते हैं। ऊपरी लोकों का संचालन दिव्य शक्तियों द्वारा होता है — जै...