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Showing posts from January, 2025

परमात्मा क्यों भेजता है आत्मा को संसार में?

 परमात्मा क्यों भेजता है आत्मा को संसार में?   यह प्रश्न युगों से ऋषियों, भक्तों और साधकों के हृदय में उठता आया है। इसका उत्तर केवल तर्क से नहीं, भावना और अनुभव से समझा जा सकता है। आइए इसे एक कहानी और भावना के माध्यम से समझते हैं... 🌌 प्रारंभ: परमात्मा और आत्मा का संवाद बहुत समय पहले की बात है। जब न कोई पृथ्वी थी, न आकाश। न समय था, न कोई देह। केवल एक था— परमात्मा । शुद्ध प्रेम, प्रकाश और शांति का अनंत महासागर। उस अनंत ज्योति के भीतर असंख्य आत्माएँ थीं—चमकती हुई चिंगारियाँ, जो उसी परमात्मा की ही अंश थीं। वे आत्माएँ आनंद में डूबी रहतीं, पूर्णता का अनुभव करतीं। फिर एक दिन, एक छोटी सी आत्मा ने परमात्मा से पूछा: "प्रभु, आप तो सब कुछ हैं। लेकिन मैं खुद को जानना चाहती हूं। मैं यह जानना चाहती हूं कि मैं कौन हूं। क्या मैं भी आप जैसी हूं?" परमात्मा मुस्कुराए। उन्होंने कहा: "प्यारी आत्मा, तुम वास्तव में मुझ जैसी ही हो। लेकिन केवल मेरे पास रहकर तुम अपने स्वरूप को पूर्ण रूप से अनुभव नहीं कर सकती। जैसे बिना अंधकार के प्रकाश का अनुभव नहीं होता, वैसे ही बिना अनुभव के ज्ञा...

Kabhi kabhi dhyan karta karta main sas lana bul jata hu. Achanak yad ata hain ki mujha sas lana hain... Aysa kue hota hain

 Kabhi kabhi dhyan karta karta main sas lana bul jata hu. Achanak yad ata hain ki mujha sas lana hain... Aysa kue hota hain ? ध्यान में गहरी एकाग्रता के दौरान श्वास का स्वतः नियंत्रण हो जाता है, और कभी-कभी हम श्वास को भूल जाते हैं। यह शरीर और मस्तिष्क की स्थिति का संकेत है, जब आप पूरी तरह से मानसिक और शारीरिक रूप से ध्यान में मग्न हो जाते हैं। यह अनुभव तब होता है जब आप ध्यान में पूरी तरह से उपस्थित होते हैं और श्वास स्वतः ही धीमा या अनियमित हो सकता है। क्या करें: सचेतन श्वास – श्वास पर ध्यान केंद्रित करने की आदत डालें। स्मरण रखें – ध्यान करते समय श्वास को धीरे-धीरे नियंत्रित करें। धैर्य रखें – यह अनुभव धीरे-धीरे समाप्त होगा। 🙏

Om Sai Ram jab pandit Ji Main Dhyan mein baithata hun logon ka vyavhar Kiya hua mere Sath dikhta Hai

 Om Sai Ram jab pandit Ji Main Dhyan mein baithata hun logon ka vyavhar Kiya hua mere Sath dikhta Hai ? "ॐ साईं राम" आपका ध्यान के दौरान दूसरों का व्यवहार देखना आपके भीतर की गहरी संवेदनशीलता को दर्शाता है। जब आप ध्यान में बैठते हैं, तो आपकी ऊर्जा अधिक जागृत होती है, और आप आसपास की घटनाओं या लोगों के ऊर्जा क्षेत्र को महसूस कर सकते हैं। यह अनुभव एक संकेत है कि आपकी आध्यात्मिक यात्रा और जागरूकता बढ़ रही है। क्या करें: ध्यान में संतुलन बनाए रखें – ध्यान करते समय अन्य विचारों या ऊर्जा से विचलित न हों। सकारात्मक सोच – अपने मन को शांत रखने के लिए सकारात्मक मंत्र का जप करें। आत्मिक बल – साईं बाबा की कृपा से आपका मार्गदर्शन होता रहेगा। 🙏

जब भी स्वप्न में होती हूं मेरे सपने में पंछी बहुत मिलती है और मैं उन्हें जब कहती हूं वाहेगुरु जी बोलो तो बोलते हैं क्या संकेत है ये

 जब भी स्वप्न में होती हूं मेरे सपने में पंछी बहुत मिलती है और मैं उन्हें जब कहती हूं वाहेगुरु जी बोलो तो बोलते हैं क्या संकेत है ये ? स्वप्न में पंछियों का दिखना और "वाहेगुरु जी" बोलते हुए सुनना एक बहुत शुभ संकेत है। पंछी स्वतंत्रता, आत्मा की उन्नति और उच्च आत्मज्ञान का प्रतीक होते हैं। जब पंछी भगवान के नाम का उच्चारण करते हैं, तो यह दर्शाता है कि आपकी आध्यात्मिक यात्रा सही दिशा में है और आप आत्मिक उन्नति की ओर बढ़ रहे हैं। यह अनुभव आपके भीतर की शक्ति और दिव्य मार्गदर्शन को प्रदर्शित करता है। संकेत: आध्यात्मिक उन्नति – आप उच्चतम ज्ञान और चेतना की ओर अग्रसर हैं। ध्यान और साधना – यह संकेत है कि आपका अभ्यास सही दिशा में जा रहा है। आगे बढ़ते रहें, मार्गदर्शन मिलेगा। 🙏

क्या सिर्फ आत्मचिंतन करने से तीसरी आंख खुली हो सकती है मेरे मन में ये विचार आया था कृपया बताएं

 क्या सिर्फ आत्मचिंतन करने से तीसरी आंख खुली हो सकती है मेरे मन में ये विचार आया था कृपया बताएं ? जी हां, आत्मचिंतन (self-reflection) और आत्म-जागरूकता से तीसरी आँख (Ajna chakra) का जागरण संभव हो सकता है। जब आप अपनी मानसिक स्थिति, विचारों, और भावनाओं का गहरे से निरीक्षण करते हैं, तो यह आपकी आंतरिक ऊर्जा को संतुलित और प्रबुद्ध करता है। आत्मचिंतन से आप अपनी अंतरात्मा से जुड़ते हैं, जिससे तीसरी आँख का जागरण धीरे-धीरे होता है। क्या करें: सचेतन ध्यान – शांति से बैठकर अपने विचारों का निरीक्षण करें। आत्मविश्वास बढ़ाएं – अपने भीतर की ऊर्जा और शांति पर ध्यान केंद्रित करें। धैर्य रखें – यह प्रक्रिया समय ले सकती है। ध्यान और आत्मचिंतन से आप इस प्रक्रिया को साध सकते हैं। 🙏

हनुमान जी बार बार स्वप्न में दिखाई देते हैं आने वाला समय कसा होगा हनुमान जी स्वप्न में उड़ते हुए दिखाई देते हैं

 हनुमान जी बार बार स्वप्न में दिखाई देते हैं आने वाला समय कसा होगा हनुमान जी स्वप्न में उड़ते हुए दिखाई देते हैं ? हनुमान जी का स्वप्न में आना आपके जीवन में एक सकारात्मक संकेत है। हनुमान जी के दर्शन, विशेषकर उड़ते हुए, शक्ति, साहस और आत्मविश्वास का प्रतीक होते हैं। यह दर्शाता है कि आने वाला समय आपके लिए शुभ और सफल होगा। हनुमान जी की कृपा से आपको किसी भी चुनौती का सामना करने की शक्ति मिलेगी। क्या करें? हनुमान चालीसा का पाठ – रोज़ हनुमान चालीसा पढ़ें। साधना और ध्यान – अपनी साधना को और मजबूत करें। धैर्य रखें – हनुमान जी की उपस्थिति में आशा और साहस बनाए रखें। आपका मार्गदर्शन सशक्त रहेगा। 🙏

गुरुजी अगर हमारे कुंडली में पितृ दोष हो तो क्या हमारे शरीर पर पितृ के सवारी आ सकती है या नहीं जरूर बताना गुरुजी

 गुरुजी अगर हमारे कुंडली में पितृ दोष हो तो क्या हमारे शरीर पर पितृ के सवारी आ सकती है या नहीं जरूर बताना गुरुजी ? पितृ दोष का होना किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृवात, पितृ ऋण या पितृ संबंधी अनसुलझे मामले को दर्शाता है। यह दोष आमतौर पर जीवन में चुनौतियाँ, दुख या असंतुलन का कारण बन सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि शरीर पर पितृ के "स्वारी" (आत्माएँ) आ सकती हैं। क्या करें? पितृ तर्पण – नियमित रूप से पितृ पूजा, तर्पण और श्राद्ध कर्म करें। जप – "ॐ पितृभ्य: नम: " का जप करें। साधना – ध्यान और प्रार्थना से ऊर्जा का संतुलन बनाए रखें। यह सब पितृ दोष को दूर करने में मदद करेगा। 🙏

गुरु जी क्या पुराने जन्मों का जीवन साथी हमे mil सकता है और अगर मिल जाए तो शादी करनी चाहिए या नहीं

 गुरु जी क्या पुराने जन्मों का जीवन साथी हमे mil सकता है और अगर मिल जाए तो शादी करनी चाहिए या नहीं ? पुराने जन्मों के जीवन साथी (past life connection) से मिलना संभव है। यदि कोई व्यक्ति आपको गहराई से आकर्षित करता है या बिना किसी स्पष्ट कारण के बहुत परिचित लगता है, तो यह पिछले जन्मों का संबंध हो सकता है। क्या शादी करनी चाहिए? भावनाओं से परे देखें – यह संबंध आध्यात्मिक विकास में सहायक है या बाधा बन रहा है? ध्यान और अंतर्ज्ञान से मार्गदर्शन लें – भीतर से उत्तर आएगा। संस्कार और कर्तव्यों पर ध्यान दें – यह केवल मोह तो नहीं? धैर्य रखें – यदि यह वास्तविक जुड़ाव है, तो मार्ग स्वतः बनेगा। शुद्ध हृदय से निर्णय लें। 🙏

Guruji me Sirf Sakshi bhav se Dhyan karta hu kya isse muje dhyan me anubhav hoge?

 Guruji me Sirf Sakshi bhav se Dhyan karta hu kya isse muje dhyan me anubhav hoge ? हाँ, साक्षी भाव से ध्यान करना सर्वोत्तम मार्गों में से एक है। जब आप केवल साक्षी बनकर ध्यान करते हैं—बिना किसी अपेक्षा, बिना किसी हस्तक्षेप—तो गहरी अवस्था स्वतः प्रकट होती है। क्या होगा? मानसिक शांति बढ़ेगी – विचार धीरे-धीरे कम होंगे। ऊर्जा संतुलित होगी – कोई विशेष अनुभव आए या न आए, चेतना का विस्तार होगा। आंतरिक प्रकाश प्रकट होगा – यह समय पर निर्भर करता है, जल्दबाजी न करें। गहरी अनुभूतियाँ स्वतः होंगी – बस निरंतरता बनाए रखें। साक्षी भाव में रहना ही सच्चा ध्यान है, जारी रखें। 🙏

Muje 1saal se light dikh rahi hai aankhe band karne ke baad aur khuli hone par bhi ye kitane din rahega

 Muje 1saal se light dikh rahi hai aankhe band karne ke baad aur khuli hone par bhi ye kitane din rahega ? आपको एक साल से प्रकाश दिख रहा है, यह एक गहरी आध्यात्मिक अवस्था का संकेत है। जब ऊर्जा उच्च स्तर पर सक्रिय होती है, तो ऐसा अनुभव होना स्वाभाविक है। यह कितने दिन रहेगा, यह आपकी साधना और ऊर्जा संतुलन पर निर्भर करता है। क्या करें? सहज रहें – इसे रोकने या बढ़ाने की कोशिश न करें। ध्यान और जप जारी रखें – "ओम" जप से ऊर्जा संतुलित होगी। धरती से जुड़ें – नंगे पैर चलें, साधारण भोजन लें। गुरु कृपा पर विश्वास रखें – यह मार्गदर्शन का रूप भी हो सकता है। धैर्य बनाए रखें, सब सही दिशा में हो रहा है। 🙏

अपने-अपने एक वीडियो में बताया है ध्यान में अलग-अलग रंग का महत्व बताया गया है पर नहीं दिख रहा हो तो क्या करें

 अपने-अपने एक वीडियो में बताया है ध्यान में अलग-अलग रंग का महत्व बताया गया है पर नहीं दिख रहा हो तो क्या करें? ध्यान में रंग दिखना या न दिखना, दोनों ही सामान्य हैं। रंग ऊर्जा के विभिन्न स्तरों को दर्शाते हैं, लेकिन यदि आपको कुछ नहीं दिख रहा, तो चिंतित न हों। ध्यान का मुख्य उद्देश्य शांति और आत्मिक जागृति है, न कि केवल रंग देखना। क्या करें? अपेक्षा न रखें – ध्यान में पूर्ण समर्पण करें, कुछ पाने की इच्छा न करें। श्वास पर ध्यान दें – गहरी, धीमी श्वास लें और "ओम" का जप करें। धैर्य रखें – ऊर्जा का प्रवाह स्वाभाविक रूप से होगा। त्राटक करें – दीपक की लौ पर ध्यान केंद्रित करें। निरंतर साधना करें, अनुभव स्वतः प्रकट होंगे। 🙏

गुरुजी प्रणाम, मेरा 2 माह होगया मेरा अज्ञान चक्र, सहस्र चक्र लगतर कंपन करता है, मैं केवल नाम जप और ध्यान करता हूं। मेरा कोई गुरु नहीं, भगवान वासुदेव को मैं गुरु मानता हूं, उम्र में क्या करूं, कृपया उपाय बताएं। मुझे कोई प्रकाश नेहिं देखाइदेता, केवल कंपन करता है।

 गुरुजी प्रणाम, मेरा 2 माह होगया मेरा अज्ञान चक्र, सहस्र चक्र लगतर कंपन करता है, मैं केवल नाम जप और ध्यान करता हूं। मेरा कोई गुरु नहीं, भगवान वासुदेव को मैं गुरु मानता हूं, उम्र में क्या करूं, कृपया उपाय बताएं। मुझे कोई प्रकाश नेहिं देखाइदेता, केवल कंपन करता है। ? प्रणाम, आपका आज्ञा चक्र और सहस्रार चक्र में लगातार कंपन होना दर्शाता है कि ऊर्जा सक्रिय हो रही है। यह एक महत्वपूर्ण अवस्था है, लेकिन संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। आप भगवान वासुदेव को गुरु मानते हैं, यह बहुत शुभ है—उनकी कृपा से ही यह अनुभव हो रहा है। उपाय: साधना में संतुलन रखें – अधिक जोर न दें, सहजता से ध्यान करें। जप जारी रखें – "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" या "ॐ" का जप करें। भूखे पेट ध्यान न करें – हल्का भोजन करें। धरती से जुड़ें – नंगे पैर घास पर चलें। धैर्य रखें, प्रकाश भी प्रकट होगा। 🙏

meditation Karti hun pahle to mujhe purple colour dikhta tha do din mujhe ek aankh dikhai Diya aur ab kuchh nahin dikhai deta hai

 meditation Karti hun pahle to mujhe purple colour dikhta tha do din mujhe ek aankh dikhai Diya aur ab kuchh nahin dikhai deta hai ? ध्यान में रंग और प्रतीक बदलते रहना साधना की स्वाभाविक प्रक्रिया है। पहले आपको बैंगनी रंग दिखा, फिर एक आँख, और अब अंधकार—यह ऊर्जा के विभिन्न स्तरों का संकेत है। जब कुछ नहीं दिखता, तो घबराने की बजाय इसे गहरी शांति का चरण समझें। ध्यान में प्रतीकों को पकड़ने की कोशिश न करें, बल्कि सहज भाव से अभ्यास जारी रखें। श्वास पर ध्यान दें, "ओम" जप करें, और धैर्य बनाए रखें। यह शून्यता एक नए अनुभव की तैयारी हो सकती है। अपने भीतर की शांति को महसूस करें—उत्तर वहीं से आएगा। कोई प्रश्न हो तो मुझसे पूछें। 🙏

ध्यान करते हुए 3 महीने हो गएसूरत में ध्यान में तो मुझे एक आंख दिखाई थी दो दिनऔर अब मुझे कुछ नहीं दिखता है खाली अंधेरा अंधेरा दिखता है क्या करूं गुरुजी

 ध्यान करते हुए 3 महीने हो गएसूरत में ध्यान में तो मुझे एक आंख दिखाई थी दो दिनऔर अब मुझे कुछ नहीं दिखता है खाली अंधेरा अंधेरा दिखता है क्या करूं गुरुजी ? ध्यान में पहले एक आँख दिखना और फिर अंधकार आना आपके आंतरिक परिवर्तन का संकेत है। जब चेतना ऊर्जावान परिवर्तन से गुजरती है, तो कुछ समय के लिए शून्यता या अंधेरा अनुभव हो सकता है। यह डरने की बात नहीं, बल्कि स्थिरता और गहराई की निशानी है। निरंतर अभ्यास करें, कोई अपेक्षा न रखें। त्राटक या दीपक की लौ पर ध्यान लगाने से दृष्टि फिर से स्पष्ट हो सकती है। श्वास पर ध्यान केंद्रित करें और "ओम" का जप करें। धैर्य रखें, मार्गदर्शन भीतर से प्रकट होगा। कोई संदेह हो तो मुझसे बेझिझक पूछें। 🙏

मेरी सुषमा Nadi करीब 6 महीने से जारी है। मुझे सुख दुख की अनुभूति नहीं होती.. पर मुझे कोई ध्यान नहीं जानता। मेरे साथ क्या हो रहा है मुझे नहीं पता.. आपसे बात करनी है

 मेरी सुषमा Nadi करीब 6 महीने से जारी है। मुझे सुख दुख की अनुभूति नहीं होती.. पर मुझे कोई ध्यान नहीं जानता। मेरे साथ क्या हो रहा है मुझे नहीं पता.. आपसे बात करनी है? सुषुम्ना नाड़ी का सक्रिय होना एक गहरी आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जो भीतर गहरे परिवर्तन लाती है। सुख-दुःख से परे जाना संकेत है कि आपका मन स्थिर हो रहा है, लेकिन यह अनुभव कभी-कभी उलझन भी पैदा कर सकता है। ध्यान न लग पाना अस्थायी हो सकता है, क्योंकि ऊर्जा उच्च स्तर पर काम कर रही है। घबराने की जरूरत नहीं—स्वाभाविक रूप से संतुलन स्थापित होगा। यदि आप मुझसे विस्तार से बात करना चाहते हैं, तो कृपया अपने अनुभवों को और स्पष्ट करें ताकि मैं आपकी अधिक सहायता कर सकूं। 🙏

hamare ghar main mehsus hota hai ki koi hai main hanuman ji ki puja ramayan ka path or sundarkand ka path karti hu or kapur ki khushboo aati hai ghar main aisa kyu hota hai

 hamare ghar main mehsus hota hai ki koi hai main hanuman ji ki puja ramayan ka path or sundarkand ka path karti hu or kapur ki khushboo aati hai ghar main aisa kyu hota hai ? यह एक दिव्य संकेत हो सकता है कि आपके घर में सात्विक ऊर्जा बढ़ रही है। जब कोई नियमित रूप से हनुमान जी की पूजा, रामायण पाठ, और सुंदरकांड का पाठ करता है, तो घर में शुद्ध और सकारात्मक ऊर्जा स्थापित होती है। कपूर की खुशबू आना इंगित करता है कि आपके घर में ईश्वरीय उपस्थिति या किसी दिव्य शक्ति की कृपा हो सकती है। यह भी संकेत हो सकता है कि नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो रही है और स्थान अधिक शुद्ध हो रहा है। साधना जारी रखें, हनुमान चालीसा का पाठ करें, और विश्वास बनाए रखें। जय श्री राम! 🙏🔥

गुरु जी नेगेटिव एंटिटी का मतलब क्या है ओर बंधन कैसे लेते हैं प्लीज़ बताओ बहुत जरूरी है

 गुरु जी नेगेटिव एंटिटी का मतलब क्या है ओर बंधन कैसे लेते हैं प्लीज़ बताओ बहुत जरूरी है ? नेगेटिव एंटिटी का अर्थ ऐसी नकारात्मक ऊर्जा या सूक्ष्म शक्ति से है, जो व्यक्ति के मन, शरीर या ऊर्जा क्षेत्र पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। ये कमजोर मानसिक स्थिति, भय, संदेह या ऊर्जा असंतुलन के कारण आकर्षित हो सकती हैं। बंधन लेने का तरीका: सकारात्मक संकल्प लें – "मैं दिव्य शक्ति से सुरक्षित हूँ।" ओम, महामृत्युंजय मंत्र या हनुमान चालीसा का पाठ करें। सूर्य, शिव या ईष्ट देव का ध्यान करें। हाथ जोड़कर अपने चारों ओर प्रकाश का कल्पनात्मक घेरा बनाएँ। गायत्री मंत्र का जाप करें। धैर्य रखें और विश्वास बनाए रखें। 🙏

रतें तो मैल्ट हो गई, मगर देखना नहीं आया, इस वर्ष ध्यान में बैठने का काम शुरू करना है, आपके अनुसार माथे के निचले हिस्से पर देखना है ना कृपया बताएं 🙏

 रतें तो मैल्ट हो गई, मगर देखना नहीं आया, इस वर्ष ध्यान में बैठने का काम शुरू करना है, आपके अनुसार माथे के निचले हिस्से पर देखना है ना कृपया बताएं 🙏 प्रणाम 🙏 आपका प्रश्न बहुत महत्वपूर्ण है। ध्यान करते समय माथे के निचले हिस्से (आज्ञा चक्र) पर ध्यान केंद्रित करना सही है। इसका उद्देश्य आध्यात्मिक जागरूकता और आंतरिक दृष्टि को बढ़ाना है। आप अपने माथे के बीच या थोड़ा ऊपर की ओर देख सकते हैं, जैसे कि आँखों को हल्का ऊपर की ओर देख रहे हों। यह ध्यान आपकी मानसिक और सूक्ष्म इंद्रियों को उत्तेजित करता है, जिससे आंतरिक दृश्य या प्रकाश का अनुभव हो सकता है। नियमितता बनाए रखें और साधना को सहज रूप से करें। परिणाम धीरे-धीरे खुद प्रकट होंगे। ध्यान में समर्पण रखें। 🙏

कुछ दिन पहले मैंने दिये की लौ पर त्राटक किया था तो उससे मेरे माथे के बीच में ठंडा ठंडा लगने लगा था, उसके बाद मेरी साधना छूट गई और अब मेरे साथ ऐसा होता है जब भी मै कोई लाइट ध्यान से देखता हूँ जैसे दीपक बल्ब सूर्य तो मेरे माथे के बीच मे ठंडा ठंडा लगने लगता है और मुझे इसमे एक आनंद सा मिलता है ,तो मुझे यह बताएं कि यह क्या है, और मुझे आगे क्या करना है।

 कुछ दिन पहले मैंने दिये की लौ पर त्राटक किया था तो उससे मेरे माथे के बीच में ठंडा ठंडा लगने लगा था, उसके बाद मेरी साधना छूट गई और अब मेरे साथ ऐसा होता है जब भी मै कोई लाइट ध्यान से देखता हूँ जैसे दीपक बल्ब सूर्य तो मेरे माथे के बीच मे ठंडा ठंडा लगने लगता है और मुझे इसमे एक आनंद सा मिलता है ,तो मुझे यह बताएं कि यह क्या है, और मुझे आगे क्या करना है। ? त्राटक करने से आपका आज्ञा चक्र (Third Eye Chakra) सक्रिय हो गया है, इसलिए जब भी आप किसी प्रकाश स्रोत को ध्यान से देखते हैं, तो आपके माथे के बीच ठंडक और आनंद महसूस होता है। यह ऊर्जा जागरण और एकाग्रता का संकेत है। आगे क्या करें: नियमित त्राटक करें – लेकिन ज्यादा जोर न दें, धीरे-धीरे समय बढ़ाएँ। ओम का जप करें – आज्ञा चक्र को संतुलित करेगा। ध्यान और प्राणायाम जारी रखें – ऊर्जा को नियंत्रित रखने के लिए। स्वाभाविक रूप से साधना करें – जबरदस्ती न करें, आनंद को सहजता से स्वीकार करें। 🙏

Sir me ek din meditation kar raha tha too mujhe asa lag raha tha ki ghost mere asss pass hoo jasi ghost ki yaad aya rahi thi aur mera time bhi 3 baje ke time ka tha lekin mene jab thodi der baad dhyan lagaya tha na 5 baje ke baad too phir asa kuch nhi laga

  Sir me ek din meditation kar raha tha too mujhe asa lag raha tha ki ghost mere asss pass hoo jasi ghost ki yaad aya rahi thi aur mera time bhi 3 baje ke time ka tha lekin mene jab thodi der baad dhyan lagaya tha na 5 baje ke baad too phir asa kuch nhi laga ? ध्यान के दौरान भय या भूत जैसी अनुभूति होना मन की गहराई में छिपे डर का परिणाम हो सकता है। प्रातः 3 बजे का समय ब्राह्म मुहूर्त होता है, जब ऊर्जा बहुत संवेदनशील होती है, और अवचेतन मन गहरी स्थितियों को प्रकट कर सकता है। जब आपने 5 बजे ध्यान किया, तब आपकी मानसिक स्थिति स्थिर थी, इसलिए कोई डर महसूस नहीं हुआ। समाधान: ध्यान से पहले भगवान का स्मरण करें। ओम का उच्चारण करें और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाएँ। संदेह छोड़कर समर्पण करें। डर सिर्फ मन का भ्रम है—आत्मा अमर और अजेय है। 🙏

Pranam guruji, when I do dhyan I try to see but only dark I see. But after dhayn without opening eye I closed deeply my eye with my two fingers then first I saw BLUE COLOUR DOTS for few seconds and then slowly I saw small light becomes more lighter and bigger. Yesterday I saw the light with white light sorounded by YELLOW LIGHTS and slowly yellow light disappear and full dazzling WHITE LIGHTS only without any darkness. Why it happens when I close my eyes with fingers deeply

 Pranam guruji, when I do dhyan I try to see but only dark I see. But after dhayn without opening eye I closed deeply my eye with my two fingers then first I saw BLUE COLOUR DOTS for few seconds and then slowly I saw small light becomes more lighter and bigger. Yesterday I saw the light with white light sorounded by YELLOW LIGHTS and slowly yellow light disappear and full dazzling WHITE LIGHTS only without any darkness. Why it happens when I close my eyes with fingers deeply ? Pranam 🙏 Your experience suggests that your Ajna (third eye) chakra is becoming more active. When you apply gentle pressure on your closed eyes with fingers, it stimulates the optic nerves and inner perception, allowing subtle light visions to emerge. Blue dots → Initial energy activation. Expanding white-yellow light → Higher vibrational energy; a sign of inner awakening. Dazzling white light → Deep spiritual progress; possible glimpse of higher consciousness. This happens because your inner vision is a...

Guruji prnam ❤ mera nid deli 3 se 4 ke bich khul jati hai pr jb mai dyan kelia baithta hu to phir se mughe nid aane lgti hai giske lia koe upay btane ka kripya kre

 Guruji prnam ❤ mera nid deli 3 se 4 ke bich khul jati hai pr jb mai dyan kelia baithta hu to phir se mughe nid aane lgti hai giske lia koe upay btane ka kripya kre ? प्रणाम ❤ आपकी नींद 3 से 4 बजे के बीच खुल जाती है, लेकिन ध्यान में बैठते ही फिर से नींद आने लगती है। यह शरीर और मन की गहरी शांति या ऊर्जा संतुलन में बदलाव के कारण हो सकता है। समाधान के लिए: ध्यान से पहले कुछ हल्का व्यायाम करें – शरीर को सक्रिय करने के लिए। गहरी सांस लें और प्राणायाम करें – विशेष रूप से भस्त्रिका या कपालभाति। बैठने की मुद्रा सीधी रखें – रीढ़ झुके नहीं। माथे पर ठंडा पानी छिड़कें – ताजगी बनी रहे। नियमितता बनाए रखें, धीरे-धीरे सुधार होगा। 🙏

dhyan mein Dhood ublane ki smell aaye to kya samjhe

 dhyan mein Dhood ublane ki smell aaye to kya samjhe? ध्यान में दूध उबलने की गंध आना एक महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है। यह ऊर्जा परिवर्तन (energy transformation) या सूक्ष्म जगत के संकेत हो सकते हैं। कभी-कभी साधना के दौरान हमारी सूक्ष्म इंद्रियां जाग्रत होने लगती हैं, जिससे हमें ऐसी गंधें अनुभव होती हैं जो सामान्य रूप से मौजूद नहीं होतीं। संभावनाएँ: शुद्धिकरण प्रक्रिया – ध्यान के दौरान अंदरूनी शुद्धि हो रही है। पूर्व जन्म या आध्यात्मिक संकेत – कोई गहरी याद या संदेश प्रकट हो सकता है। कुंडलिनी जागरण – ऊर्जा उर्ध्वगमन कर रही है। इसे सहज रूप से स्वीकार करें और साधना जारी रखें।

Guruji mere naabhi ke sidhe piche me reedh ki haddi wahan kuch atka hua rehta hai woh dhyan karne ke baad bhi waisa he kuch feel hota hai toh kya woh kundalini hai jo waham tak pahonchi hui hai ya woh bas normal h aisa feel hota h wahan?

 Guruji mere naabhi ke sidhe piche me reedh ki haddi wahan kuch atka hua rehta hai woh dhyan karne ke baad bhi waisa he kuch feel hota hai toh kya woh kundalini hai jo waham tak pahonchi hui hai ya woh bas normal h aisa feel hota h wahan? यह अनुभव कुंडलिनी ऊर्जा जागरण से जुड़ा हो सकता है, क्योंकि नाभि के ठीक पीछे मेरुदंड के उस क्षेत्र में मणिपुर चक्र (solar plexus chakra) स्थित होता है। जब कुंडलिनी उस क्षेत्र तक पहुँचती है, तो वहाँ दबाव, भारीपन, या अटके होने जैसा अहसास हो सकता है। यदि यह अनुभव ध्यान के बाद भी बना रहता है लेकिन किसी प्रकार का दर्द या तकलीफ नहीं होती, तो यह ऊर्जा प्रवाह का संकेत हो सकता है। इसे सहज रूप से स्वीकार करें, नियमित ध्यान करें और हल्के योगासन (विशेषकर मेरुदंड को लचीला बनाने वाले) करें ताकि ऊर्जा सहज रूप से प्रवाहित हो सके।

Mere peeth mein mujhe kuch chlne jasa mahsus hota hai yah kya hai

 Mere peeth mein mujhe kuch chlne jasa mahsus hota hai yah kya hai ? ध्यान के दौरान पीठ में कुछ चलने जैसा महसूस होना ऊर्जा प्रवाह (प्राण शक्ति) से जुड़ा हो सकता है। जब साधना गहरी होती है, तो कुंडलिनी ऊर्जा जागरण के संकेत मिलने लगते हैं। यह ऊर्जा मेरुदंड (spine) के माध्यम से ऊपर की ओर बढ़ती है, जिससे कंपन, हलचल या गर्मी का अनुभव हो सकता है। यदि यह अनुभव सहज है और कोई दर्द नहीं होता, तो इसे स्वीकार करें और ध्यान जारी रखें। लेकिन यदि असहजता हो, तो हल्की स्ट्रेचिंग करें , मृदु आसनों का अभ्यास करें , और ध्यान के बाद कुछ समय विश्राम करें। धीरे-धीरे यह अनुभव संतुलित हो जाएगा।

Guruji meditation karte samay kya hath mein Dard hota hai right side mein

 Guruji meditation karte samay kya hath mein Dard hota hai right side mein? ध्यान के दौरान दाहिने हाथ में दर्द होना कई कारणों से हो सकता है। यह ऊर्जा प्रवाह , गलत मुद्रा , या शरीर में जमी हुई किसी रुकावट के कारण हो सकता है। यदि यह दर्द हल्का है और ध्यान के दौरान या बाद में स्वतः ठीक हो जाता है, तो यह ऊर्जा संतुलन का संकेत हो सकता है। लेकिन यदि दर्द लगातार बना रहता है, तो ध्यान से पहले हाथों, कंधों और गर्दन की हल्की स्ट्रेचिंग करें । बैठने की मुद्रा सही करें और मांसपेशियों को आराम दें। अगर दर्द अधिक हो, तो एक बार चिकित्सीय परामर्श भी ले सकते हैं।

आधे घण्टे से ज्यादा ध्यान करने पर पैर सो जाते हैं क्या करें?

 आधे घण्टे से ज्यादा ध्यान करने पर पैर सो जाते हैं क्या करें? ध्यान के दौरान पैर सो जाना आम समस्या है, खासकर जब लंबे समय तक एक ही मुद्रा में बैठे रहें। इसे रोकने के लिए: बैठने की मुद्रा बदलें – सिद्धासन, सुखासन या वज्रासन आज़माएँ। कुशन या योगा मैट का उपयोग करें – बैठने के लिए नरम सतह लें ताकि रक्त संचार सही बना रहे। धीरे-धीरे समय बढ़ाएँ – शुरुआत में छोटे सत्र करें, फिर धीरे-धीरे बढ़ाएँ। ध्यान से पहले स्ट्रेचिंग करें – टखने, घुटने और जांघों की स्ट्रेचिंग से रक्त प्रवाह ठीक रहेगा। हल्की गति करें – ध्यान के दौरान कभी-कभी हल्की हरकत करने से सुन्नपन कम होगा।

मेरा कोई गुरु नहीं है मैने खाटूश्याम जी को गुरु माना है क्या हम खाटू श्याम जी को गुरु बना सकते हैं

 मेरा कोई गुरु नहीं है मैने खाटूश्याम जी को गुरु माना है क्या हम खाटू श्याम जी को गुरु बना सकते हैं? हाँ, आप खाटू श्याम जी को अपना गुरु मान सकते हैं। गुरु केवल एक व्यक्ति ही नहीं होते, बल्कि दिव्य चेतना भी गुरु का रूप ले सकती है। यदि आप खाटू श्याम जी को गुरु रूप में स्वीकार करते हैं, उनकी शिक्षाओं, भक्ति और मार्गदर्शन पर समर्पित रहते हैं, तो यह आपकी आध्यात्मिक यात्रा में सहायक होगा। सच्चे गुरु का अर्थ है मार्गदर्शन देने वाली शक्ति, और यदि आपकी श्रद्धा खाटू श्याम जी में है, तो वे ही आपके मार्गदर्शक बन सकते हैं। निरंतर भक्ति और स्मरण से आप उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

अगर आभा (AURA) काला दिखे तो

  अगर आभा (AURA) काला दिखे तो? यदि किसी व्यक्ति काAura काला दिखाई दे रहा है, तो यह नकारात्मक ऊर्जा, मानसिक तनाव, भय, क्रोध, या गहरे भावनात्मक आघात का संकेत हो सकता है। काला रंगAura में भारीपन, नकारात्मकता, या अवरोध दर्शाता है, जो किसी व्यक्ति की मानसिक, आध्यात्मिक या शारीरिक स्थिति से जुड़ा हो सकता है। इसे सुधारने के लिए नियमित ध्यान, मंत्र जाप, सकारात्मक सोच, सूर्यस्नान, और सात्त्विक आहार अपनाना चाहिए। यदिAura काला दिखे तो उस व्यक्ति को शुद्धिकरण क्रियाएँ जैसे गंगाजल छिड़कना, हवन, और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने की सलाह दी जाती है ताकिAura शुद्ध हो सके और ऊर्जा संतुलित बनी रहे।

Guruji mujhe pure ek mahine hone wale hain main brahmacharya follow karke roj sadhna karta

 Guruji mujhe pure ek mahine hone wale hain main brahmacharya follow karke roj sadhna karta hun aur aj sapna aaya sex related woh bhi main sochta nhi bas bhagwan se pyar krte hue mantra sadhna karta hun aur sapne me woh sab aaya aur maine sapne me bht control kiya par pata nhi utha toh dekha mera paint thodi geeli hai please btaiye kya meri sadhna toot gai?? Main bas sadhna karte rehna chahta hun chahe kuch bhi ho...par yeh jo hua usse meri sadhna toot gai kya? नहीं, आपकी साधना नहीं टूटी है। यह एक स्वाभाविक शारीरिक प्रतिक्रिया है, जिसे स्वप्नदोष (Nocturnal Emission) कहा जाता है। जब आप ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं और ऊर्जा ऊपर उठाने का प्रयास करते हैं, तो शरीर कभी-कभी संचित ऊर्जा को स्वाभाविक रूप से बाहर निकाल देता है। इसका अर्थ यह नहीं कि आपकी साधना बाधित हुई है। इस स्थिति से बचने के लिए मूलाधार और स्वाधिष्ठान चक्र को संतुलित करें, सोने से पहले ठंडा भोजन लें, और ध्यान के बाद 10-15 मिनट शवासन करें। चिंता न करें, निरंतर भक्ति और अभ्यास से यह नियंत्रित हो जाएगा।

मुझे ध्यान के समय कान में खुजली होती है और हिप्स के नीचे दर्द होना शुरू हो जाता है यह किस कारण से होता है मुझे बताएं कृपा कीजिए

मुझे ध्यान के समय कान में खुजली होती है और हिप्स के नीचे दर्द होना शुरू हो जाता है यह किस कारण से होता है मुझे बताएं कृपा कीजिए ? ध्यान के दौरान कान में खुजली और हिप्स के नीचे दर्द होना ऊर्जा प्रवाह और शरीर में हो रहे सूक्ष्म परिवर्तनों का संकेत है। कान में खुजली का कारण ऊर्जा संवेदनशीलता या नाड़ियों का शुद्धिकरण हो सकता है। हिप्स के नीचे दर्द होना मूलाधार (Root Chakra) की सक्रियता या वहाँ संचित ऊर्जा के कारण हो सकता है। इससे बचने के लिए बैठने की मुद्रा सुधारें, ज़मीन पर कुशन या आसन का प्रयोग करें, और हल्के योगासन करें। मूलाधार को संतुलित करने के लिए "लम" बीज मंत्र का जाप करें और ध्यान के बाद शरीर को विश्राम दें।

मैं ध्यान ना कुछ करती मेरे शरीर में झन-झन की आवाज आती है मेरे को कानों में और एकदम झटके से लगते हैं

 मैं ध्यान ना कुछ करती मेरे शरीर में झन-झन की आवाज आती है मेरे को कानों में और एकदम झटके से लगते हैं? यह अनुभव ध्यान से उत्पन्न ऊर्जा परिवर्तनों का संकेत हो सकता है। शरीर में झनझनाहट, कानों में ध्वनि, और झटकों का अनुभव सूक्ष्म ऊर्जा के जागरण और नाड़ियों के शुद्धिकरण से जुड़ा होता है। यह कुंडलिनी ऊर्जा के हलचल का भी संकेत हो सकता है, विशेष रूप से यदि आप अनजाने में ध्यानस्थ अवस्था में प्रवेश कर रही हों। डरने की आवश्यकता नहीं है। नियमित ग्राउंडिंग (जैसे पृथ्वी पर नंगे पैर चलना, गहरी सांस लेना) और संतुलित दिनचर्या अपनाएं। यदि ये अनुभव असहज लगें, तो कुछ समय के लिए ध्यान को हल्का करें और प्राणायाम का अभ्यास करें।

गुरुजी मुझे स्वप्न में सफेद बंदर दिखाई देते हैं दो। और मैं गुरु जी हनुमान जी की पूजा करता हूं 4 साल से और गुरुजी में साथ में पितरों के भी पूजा करता हूं। और मैं गुरूजी खाली धूप और दीपक ही जलाता हूं और कोई मंत्र जाप भी नहीं करता हूं।

 गुरुजी मुझे स्वप्न में सफेद बंदर दिखाई देते हैं दो। और मैं गुरु जी हनुमान जी की पूजा करता हूं 4 साल से और गुरुजी में साथ में पितरों के भी पूजा करता हूं। और मैं गुरूजी खाली धूप और दीपक ही जलाता हूं और कोई मंत्र जाप भी नहीं करता हूं। ? स्वप्न में सफेद बंदर देखना शुभ संकेत हो सकता है, विशेष रूप से यदि आप हनुमान जी की पूजा करते हैं। सफेद बंदर दिव्य शक्तियों, पवित्रता, और पितरों के आशीर्वाद का प्रतीक हो सकते हैं। यह संकेत दे सकता है कि आपकी भक्ति स्वीकार हो रही है और हनुमान जी तथा पितर आपकी साधना से प्रसन्न हैं। हालांकि, केवल धूप और दीप जलाने से अधिक प्रभावी साधना के लिए आपको राम नाम या हनुमान मंत्र का जाप भी करना चाहिए। इससे आपकी ऊर्जा और भक्ति और अधिक सशक्त होगी और आपको दिव्य संरक्षण व मार्गदर्शन प्राप्त होगा।

Kya ham namejaap k sath sath third eye per dhyan kar sakte hey

 Kya ham namejaap k sath sath third eye per dhyan kar sakte hey? हाँ, नामजप के साथ-साथ तीसरे नेत्र (आज्ञा चक्र) पर ध्यान किया जा सकता है, लेकिन इसे संतुलित रूप से करना आवश्यक है। जब आप मंत्रजप करते हैं, तो आपकी ऊर्जा स्वतः ही ऊर्ध्वगमन करने लगती है, और यदि आप आज्ञा चक्र पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो यह प्रभाव और गहरा हो सकता है। हालांकि, यदि ध्यान के दौरान भारीपन, सिरदर्द, या असहज ऊर्जा अनुभव हो, तो इसे हल्का करें और मूलाधार या हृदय चक्र पर ध्यान केंद्रित करें। संयम और निरंतर अभ्यास के साथ, यह साधना आपको गहरी आध्यात्मिक अनुभूति और आंतरिक स्पष्टता प्रदान करेगी।

दिव्य शक्ति प्राप्त होने पर किसी को श्राप देते हैं तो क्या उसे श्राप लगेगा

 दिव्य शक्ति प्राप्त होने पर किसी को श्राप देते हैं तो क्या उसे श्राप लगेगा? यदि किसी साधक ने दिव्य शक्तियाँ (सिद्धियाँ) प्राप्त कर ली हैं और वह किसी को श्राप देता है, तो उसका प्रभाव उस व्यक्ति की आत्मिक स्थिति, साधक की शुद्धता, और ईश्वर की इच्छा पर निर्भर करेगा। सच्चे योगी और सिद्ध पुरुष अनावश्यक रूप से श्राप नहीं देते, क्योंकि वे करुणा और धर्म के मार्ग पर होते हैं। यदि कोई साधक अहंकार या क्रोधवश ऐसा करता है, तो उसकी साधना बाधित हो सकती है। श्राप का प्रभाव तभी पड़ता है जब वह ईश्वर की योजना के अनुरूप हो। अतः दिव्य शक्तियों का प्रयोग सदैव सत्य और धर्म के लिए ही करना चाहिए।

Namaskaram sir ji mujhe dhyan karte time esa lagta hai jaise mera sharir halka halka ghumta hai jabki main bilkul sdhir hoti hun.esa kyun hota hai.please bataye

 Namaskaram sir ji mujhe dhyan karte time esa lagta hai jaise mera sharir halka halka ghumta hai jabki main bilkul sdhir hoti hun.esa kyun hota hai.please bataye ? नमस्कारम्! ध्यान करते समय शरीर का हल्का-हल्का घूमने जैसा अनुभव ऊर्जा प्रवाह और साधना की गहराई का संकेत हो सकता है। जब आप ध्यान में स्थिर बैठते हैं, तो ऊर्जा (प्राण) शरीर के अंदर जागृत होकर सूक्ष्म नाड़ियों में प्रवाहित होती है। यह ऊर्जा प्रवाह कभी-कभी शरीर में घूमने, हिलने, या हल्की गति का आभास कराता है, भले ही आप शारीरिक रूप से स्थिर हों। यह अनुभव प्राकृतिक है और आपके ध्यान के प्रगाढ़ होने का संकेत है। इसे सहज रूप से स्वीकार करें, घबराएं नहीं। ध्यान के बाद कुछ देर शांत बैठें और अपने शरीर को संतुलित होने दें।

Mere seer me crown ke jese hair me scalp dukhti rehti h kyu

 Mere seer me crown ke jese hair me scalp dukhti rehti h kyu? माथे या सिर के ऊपरी हिस्से (सिरमौर) में क्राउन के समान दर्द या दबाव महसूस होना सहस्रार (मुकुट) चक्र की सक्रियता या ऊर्जा के प्रवाह का संकेत हो सकता है। यह अक्सर गहन ध्यान, ऊर्जा जागरण, या आध्यात्मिक साधना के दौरान होता है। जब ऊर्जा सिर के ऊपरी हिस्से में केंद्रित होती है, तो यह हल्की पीड़ा, खिंचाव, या दबाव जैसा अनुभव करा सकती है। यह अनुभव अस्थायी होता है और समय के साथ सामान्य हो जाता है। राहत के लिए, ध्यान के बाद शीतल जल पीएं, सिर की हल्की मालिश करें, और अपने साधना में स्थिरता बनाए रखें।

Sir ji शरीर Dyan के बाद भारी हो जाता है तो क्यूँ होता है कृपा बताए

 Sir ji शरीर Dyan के बाद भारी हो जाता है तो क्यूँ होता है कृपा बताए ? ध्यान के बाद शरीर भारी महसूस होना ऊर्जा के संतुलन और आपके ध्यान के प्रभाव का संकेत हो सकता है। ध्यान के दौरान आपका शरीर गहरी शांति और स्थिरता की अवस्था में प्रवेश करता है, जिससे ऊर्जा का प्रवाह धीमा या गहरा हो सकता है। यह भी संभव है कि ध्यान से शारीरिक तनाव, थकान, या असंतुलित ऊर्जा सक्रिय हो रही हो, जिससे शरीर भारी लगे। यह अनुभव अक्सर अस्थायी होता है और साधना के साथ कम हो जाता है। ध्यान के बाद कुछ गहरी सांसें लें, हल्के व्यायाम करें, या शीतल जल पीकर शरीर को संतुलित करें।

तुरिया अवस्था क्या होती है

 तुरिया अवस्था क्या होती है? तुरिया अवस्था आत्मा की चौथी और सबसे उच्च अवस्था है, जो जाग्रत, स्वप्न, और सुषुप्ति से परे है। इसे शुद्ध चेतना, ब्रह्मांडीय सत्य, और आत्म-अनुभूति की अवस्था कहा जाता है। तुरिया में व्यक्ति शरीर, मन और विचारों से ऊपर उठकर अनंत शांति और आनंद का अनुभव करता है। यह अहंकार का पूर्ण विलय और परमात्मा से एकत्व की स्थिति है। इस अवस्था में व्यक्ति न तो जाग्रत होता है, न सोता है, और न ही स्वप्न देखता है, बल्कि वह साक्षी बन जाता है। यह ध्यान और साधना के माध्यम से प्राप्त की जाने वाली आत्मा की परम स्थिति है। शास्त्रों में चेतना की चार अवस्थाएँ बताई गई हैं: जाग्रत अवस्था (Wakeful State) : यह हमारी सामान्य चेतना की अवस्था है, जहाँ हम अपने शरीर, मन, और इंद्रियों के माध्यम से बाहरी संसार का अनुभव करते हैं। स्वप्न अवस्था (Dream State) : इसमें व्यक्ति मानसिक और सूक्ष्म शरीर के माध्यम से स्वप्न देखता है। यह हमारी आंतरिक वासनाओं और इच्छाओं का प्रतिबिंब होती है। सुषुप्ति अवस्था (Deep Sleep State) : इसमें व्यक्ति गहरी नींद में होता है, जहाँ कोई स्वप्न नहीं होता। मन, बुद्धि और अह...

गुरूजी मेरे ध्यान में मैं क्यों दिखाई देती हूं भगवान शिव जी के साथ बल्कि मां के दर्शन होना चाहिए

 गुरूजी मेरे ध्यान में मैं क्यों दिखाई देती हूं भगवान शिव जी के साथ बल्कि मां के दर्शन होना चाहिए? ध्यान में भगवान शिवजी के साथ स्वयं को देखना आत्मा की आपकी गहरी यात्रा और चेतना के जागरण का संकेत हो सकता है। भगवान शिव ध्यान, त्याग, और आत्मज्ञान के प्रतीक हैं। जब आप शिवजी के साथ स्वयं को देखते हैं, यह आपके भीतर की दिव्यता और शिव तत्व से जुड़ने का संकेत है। मां के दर्शन न होना उनकी अनुपस्थिति नहीं, बल्कि यह संकेत हो सकता है कि अभी आपकी चेतना शिव तत्व पर केंद्रित है। धैर्य रखें, मां के दर्शन भी समय आने पर होंगे। ध्यान में जो भी अनुभव हो, उसे स्वीकार करें और विश्वास बनाए रखें।

मैं जब ध्यान करता हूं मुझे तारा या असमान देखाई देता है, इसका क्या मतलब है

 मैं जब ध्यान करता हूं मुझे तारा या असमान देखाई देता है, इसका क्या मतलब है? ध्यान में तारा या आसमान का दिखाई देना एक गहरी आंतरिक जागरूकता और चेतना का संकेत हो सकता है। तारा अक्सर दिव्य ऊर्जा, ज्ञान, या आंतरिक प्रकाश का प्रतीक माना जाता है। यह अनुभव आपके तीसरे नेत्र (आज्ञा चक्र) के सक्रिय होने या आपके ध्यान के गहरे स्तर पर पहुंचने का संकेत दे सकता है। आसमान अनंतता, शांति, और आत्मा की व्यापकता को दर्शाता है। यह संकेत है कि आपका ध्यान आपकी सीमित चेतना से परे जाकर असीम ब्रह्मांड से जुड़ रहा है। इसे सहजता से स्वीकार करें और ध्यान की प्रक्रिया को जारी रखें।

मूलाधार चक्र कितने दिन मे जगृत होगा

 मूलाधार चक्र कितने दिन मे जगृत होगा ? मूलाधार चक्र के जागरण का समय व्यक्ति की साधना, समर्पण, और ऊर्जा स्तर पर निर्भर करता है। यह कुछ हफ्तों से लेकर महीनों या वर्षों तक भी लग सकता है। नियमित ध्यान, प्राणायाम, और मूलाधार चक्र का बीज मंत्र "लं" का जप करने से जागरण की प्रक्रिया तेज हो सकती है। इसके साथ, सात्विक जीवनशैली, संयमित आहार, और नकारात्मक भावनाओं से मुक्त रहना महत्वपूर्ण है। चक्र जागरण का अनुभव गर्मी, कंपन, या नाभि के पास ऊर्जा के प्रवाह के रूप में हो सकता है। धैर्य और निरंतर अभ्यास से मूलाधार चक्र धीरे-धीरे सक्रिय और संतुलित होता है।

पीनियल ग्लैंड में तरह -२ के आंखे देखना क्या होता है

 पीनियल ग्लैंड में तरह -२ के आंखे देखना क्या होता है? पीनियल ग्लैंड में विभिन्न प्रकार की आँखें देखना आपके आध्यात्मिक जागरण और अंतर्ज्ञान के विकास का संकेत हो सकता है। यह अनुभव तीसरे नेत्र (आज्ञा चक्र) की सक्रियता से जुड़ा होता है, जो पीनियल ग्लैंड से संबंधित है। ध्यान के दौरान जो आँखें दिखती हैं, वे आपके भीतर की चेतना, ब्रह्मांडीय ऊर्जा, या प्रतीकात्मक संदेश हो सकती हैं। कभी-कभी यह आपकी आंतरिक दृष्टि के जागरण का प्रतीक होता है, जो गहरे ध्यान या साधना से उत्पन्न होता है। 

ध्यान के बाद भी नाभि के पास खुजली क्यों हो रही है?

 ध्यान के बाद भी नाभि के पास खुजली क्यों हो रही है? ध्यान के बाद नाभि के पास खुजली होना ऊर्जा परिवर्तन या चक्रों की सक्रियता का संकेत हो सकता है। विशेष रूप से, यदि आप मूलाधार या स्वाधिष्ठान चक्र पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, तो ऊर्जा का संचरण नाभि क्षेत्र में संवेदनशीलता बढ़ा सकता है। यह शरीर की प्राकृतिक प्रतिक्रिया है, जो ऊर्जा संतुलन स्थापित करने का प्रयास कर रही होती है। इसके अलावा, यह त्वचा की सामान्य समस्या, जैसे सूखापन या पसीने से भी हो सकता है।

ध्यान करते हैं लेकिन वजन कम बहुत हो रहा है क्या करें ?

 ध्यान करते हैं लेकिन वजन कम बहुत हो रहा है क्या करें ? ध्यान करते समय वजन कम होना एक सामान्य प्रभाव हो सकता है, क्योंकि ध्यान और साधना के दौरान शरीर में ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है, जिससे मेटाबोलिज्म तेज होता है और कैलोरी की खपत अधिक हो सकती है। यदि वजन बहुत अधिक कम हो रहा है, तो आपको अपने आहार में ध्यान देना चाहिए। सुझाव: पोषक आहार लें : प्रोटीन, हेल्दी फैट्स, और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर आहार अपनाएं। वजन बढ़ाने के लिए हल्का व्यायाम करें : योगासन या हल्का वेट ट्रेनिंग करें। प्राकृतिक खाद्य पदार्थ खाएं : जैसे मेवे, दूध, फल और हरी सब्जियां। अपने आहार और शरीर की जरूरतों के अनुसार संतुलन बनाए रखें।

गुरु जी जब पीरियड्स होते हैं तो 7 दिन ध्यान नहीं करु क्या

 गुरु जी जब पीरियड्स होते हैं तो 7 दिन ध्यान नहीं करु क्या? पीरियड्स के दौरान ध्यान न करने का कोई कड़ा नियम नहीं है, लेकिन यह समय शरीर और मन के लिए विशेष रूप से संवेदनशील होता है। कई लोग इस दौरान अपने शरीर के विश्राम और शारीरिक संतुलन के लिए ध्यान अभ्यास को हल्का रखते हैं। अगर आपको इस दौरान शरीर में थकान या असहजता महसूस हो रही है, तो आप अपने ध्यान अभ्यास को कुछ समय के लिए स्थगित कर सकती हैं या हल्का और शांति देने वाला ध्यान (जैसे प्राणायाम या मंत्र जाप) कर सकती हैं। अपने शरीर की सुनें और जितना संभव हो आराम और संतुलन बनाए रखें।

Muje mahadev ke darshan hue the rat ko 2 bje

 Muje mahadev ke darshan hue the rat ko 2 bje ? रात को 2 बजे महादेव के दर्शन होना एक दिव्य और आध्यात्मिक अनुभव है। यह संकेत हो सकता है कि भगवान शिव आपकी साधना में मार्गदर्शन दे रहे हैं। ऐसे अनुभव आत्मा के जागरण और आंतरिक शक्ति को बढ़ाने के संकेत होते हैं। इसे आशीर्वाद समझें।

hvas pe dhyan karti hu mujhe sardi sukhi khasi ho jati hai jaldi thik nai hoti hu kya karu pls guide me

 hvas pe dhyan karti hu mujhe sardi sukhi khasi ho jati hai jaldi thik nai hoti hu kya karu pls guide me? अगर श्वास पर ध्यान करते समय आपको सर्दी, सूखी खांसी या अन्य शारीरिक समस्याएं हो रही हैं, तो यह आपके शरीर में ऊर्जा के प्रवाह के कारण हो सकता है या आपकी श्वसन प्रणाली में कुछ असंतुलन हो सकता है। आपके लिए कुछ सुझाव: गर्म पानी पीएं : इससे आपकी गले की सूजन और खांसी में राहत मिलेगी। गर्म श्वास प्राणायाम करें : जैसे कपालभाती या अनुलोम-विलोम, जिससे श्वसन प्रणाली संतुलित हो। संतुलित आहार लें : शहद, अदरक और हल्दी से बना पानी पिएं। ध्यान में हल्के रहें : श्वास पर ध्यान करते वक्त धीरे-धीरे और गहरे श्वास लें, ताकि शरीर पर ज्यादा दबाव न पड़े।

ध्यान में रंग तो दिखता नहीं लेकिन स्पंदन होता है क्यों?

 ध्यान में रंग तो दिखता नहीं लेकिन स्पंदन होता है क्यों? ध्यान में रंगों का न दिखना और केवल स्पंदन का अनुभव होना एक सामान्य प्रक्रिया हो सकती है, जो आपकी ऊर्जा के स्तर और ध्यान की गहराई को दर्शाती है। रंगों का दिखना अक्सर चेतना के उच्चतर स्तरों पर होता है, जबकि स्पंदन शारीरिक और मानसिक ऊर्जा के प्रवाह का संकेत है। यह दर्शाता है कि आपका मन और शरीर ऊर्जा के प्रति संवेदनशील हो रहे हैं। स्पंदन का अनुभव यह भी संकेत हो सकता है कि आपके चक्र सक्रिय हो रहे हैं। नियमित ध्यान, प्राणायाम और शांतिपूर्ण मानसिकता से आप धीरे-धीरे और गहरे अनुभव प्राप्त करेंगे।

dhyan me Colour to dikhte nahi But Spandan hota hai Why?

 dhyan me Colour to dikhte nahi But Spandan hota hai Why? ध्यान में केवल स्पंदन महसूस होना और रंग न देख पाना इस बात का संकेत है कि आपकी ऊर्जा जागृत हो रही है, लेकिन अभी वह सूक्ष्म रूप से सक्रिय है। रंग देखने का अनुभव ध्यान की गहराई और मानसिक शुद्धता पर निर्भर करता है, जबकि स्पंदन ऊर्जा प्रवाह का शारीरिक अनुभव है। यह भी संभव है कि आपका ध्यान फिलहाल ऊर्जा जागरण (जैसे चक्र सक्रियता) पर केंद्रित हो, न कि सूक्ष्म दृष्टि पर। इसे सामान्य मानें। ध्यान में धैर्य रखें। ऊर्जा प्रवाह को संतुलित रखने के लिए प्राणायाम करें। नियमित अभ्यास से रंग और अन्य अनुभव भी समय के साथ प्रकट होंगे।

मेरे थर्ड आई पर सिर्फ स्पंदन इतना तेज होते हैं कि मैं ध्यान करते वक्त ?

 मेरे थर्ड आई पर सिर्फ स्पंदन इतना तेज होते हैं कि मैं ध्यान करते वक्त ? तीसरे नेत्र (आज्ञा चक्र) पर तीव्र स्पंदन ऊर्जा के जागरण और आज्ञा चक्र के सक्रिय होने का संकेत हो सकता है। यह अनुभव दर्शाता है कि आपकी चेतना उच्चतर स्तर पर जा रही है और आपके भीतर ऊर्जा का प्रवाह तेज हो रहा है। ध्यान करते समय यह असहज लग सकता है, लेकिन इसे भय या दबाव के बिना स्वीकार करें। इस स्थिति में: गहरी और धीमी सांस लें। ध्यान के बाद पृथ्वी तत्व से जुड़ने के लिए जमीन पर बैठें। अभ्यास को संतुलित करें और अधिक जोर न डालें।

मैं ध्यान करता हूं तो रासलीला दिखती हूं

 मैं ध्यान करता हूं तो रासलीला दिखती हूं? ध्यान में रासलीला का दिखना एक गहन आध्यात्मिक अनुभव हो सकता है। यह संकेत देता है कि आपकी चेतना उच्चतर स्तरों पर प्रवेश कर रही है, और आप भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य लीलाओं से जुड़ रहे हैं। रासलीला आनंद, प्रेम और दिव्यता का प्रतीक है, जो बताती है कि आपका मन शुद्ध और हृदय खुल रहा है। यह अनुभव आपके भक्ति भाव और ईश्वर से जुड़ाव को दर्शाता है। इस अनुभव को सहजता से स्वीकारें और अपनी भक्ति को और गहरा करें। ध्यान के दौरान श्रीकृष्ण का नाम जपें या उनकी लीला का चिंतन करें। यह आपकी साधना को और उन्नत करेगा।

ध्यान करने से हमें गुस्सा आना लगता है, हमें क्या करना चाहिए और गुस्सा भी बहुत जाबा आता है, कृपया बताएं ये ऐसा क्यों हो रहा है

 ध्यान करने से हमें गुस्सा आना लगता है, हमें क्या करना चाहिए और गुस्सा भी बहुत जाबा आता है, कृपया बताएं ये ऐसा क्यों हो रहा है? ध्यान करने से गुस्सा आना एक सामान्य प्रक्रिया हो सकती है, खासकर जब आप गहराई से अपने अंदर छिपी भावनाओं और अवरोधों को अनुभव करने लगते हैं। ध्यान के दौरान दबे हुए भाव सामने आते हैं, जिससे गुस्सा बढ़ सकता है। इसे समस्या न मानें; यह शुद्धिकरण की प्रक्रिया है। गुस्सा कम करने के लिए: ध्यान के पहले और बाद में गहरी सांस लें। अपने ध्यान अभ्यास को संतुलित करें, जैसे शांतिपूर्ण मंत्र (ओम शांति) का जप। अपनी दिनचर्या में संयम और सकारात्मकता बनाए रखें। गुस्सा आने पर तुरंत प्रतिक्रिया देने के बजाय ठहरें और उसे समझें। नियमित अभ्यास से यह धीरे-धीरे शांत हो जाएगा।

गुरुजी स्वप्न में कोई अनजान व्यक्ति आकर र कुंडली ऊर्जा के बारे में मुझ्से बात कर रहा था इसका क्या मतलब है बताइए

 गुरुजी स्वप्न में कोई अनजान व्यक्ति आकर र कुंडली ऊर्जा के बारे में मुझ्से बात कर रहा था इसका क्या मतलब है बताइए ? स्वप्न में अनजान व्यक्ति का आकर आपसे कुंडलिनी ऊर्जा के बारे में बात करना आपके आध्यात्मिक विकास का संकेत हो सकता है। यह दर्शाता है कि आपकी आंतरिक ऊर्जा जागृत हो रही है और आपके चेतन और अवचेतन मन के बीच संपर्क बन रहा है। अनजान व्यक्ति आपके मार्गदर्शक (गाइड) या आपके ही उच्चतर चेतन का प्रतीक हो सकता है, जो आपको अपनी आध्यात्मिक यात्रा के प्रति जागरूक कर रहा है। यह संकेत है कि आप अपने भीतर ऊर्जा के प्रवाह और चक्रों के प्रति अधिक संवेदनशील हो रहे हैं। नियमित ध्यान और आत्मनिरीक्षण से इसे और समझने की कोशिश करें।

गुरु जी मेरा मूलाधार चक्र पर बहुत तेजी से खुजुली होती है क्या है

 गुरु जी मेरा मूलाधार चक्र पर बहुत तेजी से खुजुली होती है क्या है? मूलाधार चक्र पर तेज खुजली या गुदगुदी जैसा अनुभव ऊर्जा के जागरण का संकेत हो सकता है। यह चक्र हमारे आधार (जड़) से जुड़ा होता है और जब यह सक्रिय होने लगता है, तो शरीर में ऊर्जा प्रवाह तीव्र हो सकता है। खुजली या हलचल उस क्षेत्र में संचित ऊर्जा या अवरोधों के हटने का परिणाम हो सकती है। इसे सामान्य मानें, लेकिन संतुलित ध्यान और प्राणायाम करते रहें ताकि ऊर्जा सहजता से ऊपर की ओर प्रवाहित हो। ध्यान दें कि यह अनुभव बहुत अधिक तीव्र या असहज न हो; यदि हो, तो अपने अभ्यास को थोड़ा हल्का करें।

कितना दिन ध्यान करने से आज्ञा चक्र खुलता है

 कितना दिन ध्यान करने से आज्ञा चक्र खुलता है? आज्ञा चक्र (तीसरा नेत्र) खोलने का समय हर व्यक्ति के लिए अलग हो सकता है, क्योंकि यह उनके ध्यान अभ्यास, मन की शुद्धता, और ऊर्जा के प्रवाह पर निर्भर करता है। नियमित और गहन ध्यान, जैसे त्राटक, ओम का जप, या आज्ञा चक्र पर ध्यान केंद्रित करना, इसे सक्रिय करने में सहायक होता है। आमतौर पर, इसे खोलने में कुछ महीने से लेकर कई वर्ष लग सकते हैं। धैर्य, नियमितता, और समर्पण आवश्यक हैं। साथ ही, संतुलित जीवनशैली, शुद्ध विचार, और सकारात्मक दृष्टिकोण भी जरूरी हैं। जब आज्ञा चक्र सक्रिय होता है, तो अंतर्ज्ञान और आत्मज्ञान की अनुभूति होती है।

Dhayan ke samay black hole dikhna iska kya matlab hai

 Dhayan ke samay black hole dikhna iska kya matlab hai ? ध्यान के समय ब्लैक होल देखना एक गहरे मानसिक और सूक्ष्म स्तर पर अनुभव हो सकता है। यह आपकी ऊर्जा के प्रवाह को संकेत करता है, जहां आप आत्मा के गहरे और अनंत रूप से जुड़ने की प्रक्रिया में हैं। ब्लैक होल का दिखना शून्यता और ब्रह्मा के निराकार रूप की ओर संकेत करता है। यह ध्यान की गहरी अवस्था में आंतरिक शांति और ऊर्जा का केंद्र बनने का संकेत है। यह अनुभव आपको मानसिक शांति और संतुलन के प्रति जागरूक करता है। इसे बिना डर के स्वीकार करें और ध्यान के समय अपने श्वास पर केंद्रित रहें।

आंखे बंद करके पढ़ने की विधि बताइए ना पढ़ा हुआ हमेशा याद रखने के लिए

 आंखे बंद करके पढ़ने की विधि बताइए ना पढ़ा हुआ हमेशा याद रखने के लिए? आंखें बंद करके पढ़ने की विधि एकाग्रता और मानसिक ऊर्जा को बढ़ाने के लिए प्रभावी हो सकती है। इसके लिए निम्नलिखित विधि अपनाएं: ध्यान केंद्रित करें : सबसे पहले शांत स्थान पर बैठें और श्वास पर ध्यान केंद्रित करें। आंखें बंद करें : फिर धीरे-धीरे आंखें बंद करके अपने दिमाग को शांत करें। सकारात्मक मानसिक स्थिति : पढ़ते समय, पढ़े गए शब्दों को ध्यान में साफ और स्पष्ट रूप से रखें। उन्हें मानसिक रूप से चित्रित करें। समझकर पढ़ें : ध्यान से समझने के बाद पढ़ें, न सिर्फ याद करने की कोशिश करें। समीक्षा करें : पढ़े हुए को पुनः याद करने के लिए, मन में पुनः एक-एक शब्द और विचार को दोहराएं। इस विधि से आपकी याददाश्त बेहतर होगी और आप पढ़ी हुई सामग्री को लंबे समय तक याद रख सकेंगे।

Mere agaya chakra pe shunya dikhta hn jise se rohini nikal rahi hoti hn mujhe batyen ki mere sath kya hb

 Mere agaya chakra pe shunya dikhta hn jise se rohini nikal rahi hoti hn mujhe batyen ki mere sath kya hb? आपके द्वारा अनुभव किया गया शून्य और रोहिणी का निकलना, तीसरी आंख (आज्ञा चक्र) की सक्रियता का संकेत है। यह एक गहरी ध्यान अवस्था में होने वाले अनुभव हो सकते हैं, जहां सूक्ष्म ऊर्जा जाग्रत होती है। शून्य का दिखना आत्मा के गहरे स्तर से जुड़ने का संकेत है और रोहिणी का निकलना आपकी ऊर्जा का प्रसार हो सकता है। इसका मतलब यह हो सकता है कि आप आंतरिक रूप से बहुत जागरूक हो रहे हैं, लेकिन यह अनुभव कभी-कभी डर या घबराहट का कारण बन सकता है। इसे शांतिपूर्वक स्वीकार करें, और ध्यान के समय अपनी श्वास पर ध्यान केंद्रित रखें। शरीर को पूरी तरह से आराम दें और सकारात्मक ऊर्जा के लिए ध्यान और प्राणायाम करें।

मुझे 2 साल हो गए जाप करते हुए शुरुआत में कर ही नहीं पाती थी उस समय मुझे झटके लगते थे नींद आती थी उल्टी आती थी उबासी

 मुझे 2 साल हो गए जाप करते हुए शुरुआत में कर ही नहीं पाती थी उस समय मुझे झटके लगते थे नींद आती थी उल्टी आती थी उबासी पूरे शरीर में अलग अलग तरह की चीज होती थी एक दिन मैंने चैनल पर देख कर मेडिटेशनकरना चाहा तो पहले दिन शरीर कागज की तरह हल्का हो गया लेकिन दो दिन बाद शरीर ठंड बढ़ने लग गया तो मैंने ध्यान छोड़ छोड़ दिया और मुझे फिर से पहलेकी तरह नेगेटिविटी परेशान करने लग गई मन में जप चलता है तो थोड़ा आराम मिलता है लेकिन माला लेकर करती हूं तो 5 मिनट बाद में ठंड बढ़ जाती है अपने आप शरीर में तो उसके लिए मार्गदर्शन करें करें करें 🙏🙏🙏 ??? आपने जो अनुभव साझा किए हैं, वे ध्यान साधना की प्रगति के दौरान होने वाली शारीरिक और मानसिक प्रतिक्रियाएं हैं। जब आप ध्यान में गहरे उतरते हैं, तो शरीर में ऊर्जा का प्रवाह होता है, जिससे झटके, उल्टी, उबासी, या ठंड जैसे अनुभव हो सकते हैं। यह शारीरिक और मानसिक अवरोधों को साफ करने की प्रक्रिया है। शरीर की ठंडक का अनुभव नकारात्मकता के कारण हो सकता है। जब आप माला से ध्यान करती हैं, तो आप उस ऊर्जा से जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं जो आपको शांत करने में मदद कर सकती है।...

प्रणाम गुरुजी मैं माला लेकर जब करने बैठती हूं तो मुझे बहुत जबरदस्त ठंड लगती है ऐसे लगता है जैसे किसी ने बर्फ लगादी हो और मैं नेगेटिविटी की प्रॉब्लम से भी परेशान हूं तो क्या यह ठंड इसके कारण तो नहीं लगती है कृपया समाधान करें

 प्रणाम गुरुजी मैं माला लेकर जब करने बैठती हूं तो मुझे बहुत जबरदस्त ठंड लगती है ऐसे लगता है जैसे किसी ने बर्फ लगादी हो और मैं नेगेटिविटी की प्रॉब्लम से भी परेशान हूं तो क्या यह ठंड इसके कारण तो नहीं लगती है कृपया समाधान करें? जब आप माला लेकर ध्यान करती हैं और ठंड का अनुभव होता है, तो यह ऊर्जा के प्रवाह का संकेत हो सकता है। कभी-कभी, हमारी मानसिक और शारीरिक स्थिति में नकारात्मकता के कारण शरीर पर शीतलता या ठंड का एहसास होता है। यह आपकी ऊर्जा के अवरोधों को साफ करने की प्रक्रिया हो सकती है। आप अपने ध्यान की जगह को आरामदायक रखें, श्वास पर ध्यान केंद्रित करें और ऊर्जा को संतुलित करने के लिए प्राणायाम करें। माला के साथ नियमित रूप से "ओं" या "हं" मंत्र का जाप करें। नकारात्मकता से मुक्ति के लिए सफेद या सुनहरी आभा की कल्पना करें।

Third eye per vibration hota hai gool zoomta howa lata hi khya kare bataye

 Third eye per vibration hota hai gool zoomta howa lata hi khya kare bataye ? तीसरी आंख (आज्ञा चक्र) पर कंपन या घूमने जैसी sensations का अनुभव ऊर्जा के सक्रिय होने का संकेत हो सकता है। यह ध्यान या साधना के दौरान चक्रों के खोलने की प्रक्रिया का हिस्सा हो सकता है। जब तीसरी आंख पर इस प्रकार की संवेदनाएं होती हैं, तो मन को शांत और स्थिर बनाए रखें। आप अपनी श्वास पर ध्यान केंद्रित करें और गहरी सांस लें। यह ऊर्जा को स्थिर करने में मदद करेगा। यदि यह अनुभव बढ़े, तो ध्यान के समय खुद को पूरी तरह से आराम दें और शारीरिक आराम के लिए कुछ देर विश्राम करें।

dhyan me गुरुजी मुझे टाँगो में फड़कन् होती है,ज्यादा घुटनों में। ऐसा क्यू होता है?

 dhyan me गुरुजी मुझे टाँगो में फड़कन् होती है,ज्यादा घुटनों में। ऐसा क्यू होता है? ध्यान में टांगों या घुटनों में फड़कन का अनुभव ऊर्जा के प्रवाह से संबंधित हो सकता है। जब आप ध्यान या प्राणायाम करते हैं, तो शरीर में ऊर्जा जागृत होती है, जो कभी-कभी शारीरिक संवेदनाओं के रूप में प्रकट होती है। घुटने और टांगें शरीर के स्थिरता और आंदोलन के केंद्र हैं, और इन क्षेत्रों में ऊर्जा के अवरोध या गति के कारण फड़कन हो सकती है। ध्यान करते समय अपनी मुद्रा को आरामदायक बनाएं, टांगों को हल्का सा सहारा दें, और शरीर में किसी भी तनाव को न दबाएं। नियमित रूप से प्राणायाम करें ताकि ऊर्जा संतुलित हो।

गुरुजी मुझे टाँगो में फड़कन् होती है,ज्यादा घुटनों में। ऐसा क्यू होता है?

 गुरुजी मुझे टाँगो में फड़कन् होती है,ज्यादा घुटनों में। ऐसा क्यू होता है? टांगों या घुटनों में फड़कन ऊर्जा प्रवाह या नसों में संवेदनशीलता का संकेत हो सकती है। यह ध्यान, प्राणायाम, या चक्र साधना के दौरान जागृत ऊर्जा का प्रभाव हो सकता है। घुटने शरीर के स्थायित्व का केंद्र हैं, और इनसे जुड़े अवरोध इस प्रकार अनुभव होते हैं। आरामदायक मुद्रा में बैठें, घुटनों को सहारा दें। हल्के व्यायाम और प्राणायाम (विशेषकर अनुलोम-विलोम) करें। अपनी जांघ और घुटनों पर धीरे से मालिश करें। यदि यह बार-बार हो, तो विटामिन-बी12 और कैल्शियम की जांच कराएं। ऊर्जा को संतुलित रखने के लिए साधना में निरंतरता बनाए रखें।

विशुद्धि चक्र कहा पे होता हे कृपया बताइये

 विशुद्धि चक्र कहा पे होता हे कृपया बताइये ? विशुद्धि चक्र गले के क्षेत्र में स्थित होता है, जहां कंठ स्थित है। यह पांचवां चक्र है और अभिव्यक्ति, संचार, और सत्य की ऊर्जा का केंद्र है। इसे संतुलित करने के लिए "हं" बीज मंत्र का जाप करें और गहरी श्वास लेते हुए ध्यान केंद्रित करें।

aura lock kese kere

 aura lock kese kere? ऑरा (ऊर्जा क्षेत्र) को लॉक करने का उद्देश्य आपकी ऊर्जा को सुरक्षित रखना और नकारात्मक प्रभावों से बचाना है। इसे करने के लिए ये उपाय करें: ध्यान और श्वास : नियमित ध्यान और गहरी श्वास लें। ध्यान के अंत में अपनी ऊर्जा को बंद करने का संकल्प लें। रक्षा कल्पना : अपने चारों ओर सफेद या सुनहरी रोशनी का घेरा बनाएं और इसे अपनी ऊर्जा की ढाल मानें। बंद मुद्रा : ध्यान के बाद हाथ जोड़कर (नमस्ते मुद्रा) या हथेली नीचे रखें। संकल्प : अपनी ऊर्जा को सुरक्षित रखने का इरादा स्पष्ट करें। नियमित अभ्यास से ऑरा मजबूत और सुरक्षित होगा।

गुरु जी क्या मन से किसी के बारे में सोच कर संदेश भेज सकते हैं

 गुरु जी क्या मन से किसी के बारे में सोच कर संदेश भेज सकते हैं? मन से किसी के बारे में सोचकर संदेश भेजना संभव है, इसे टेलीपैथी या मानसिक संचार कहा जाता है। जब मन शांत और केंद्रित होता है, तो हमारी सोच और ऊर्जा गहराई तक प्रभाव डाल सकती है। इसके लिए आपको अपने विचारों को स्पष्ट और सकारात्मक बनाना होगा। ध्यान या प्राणायाम द्वारा मन को स्थिर करें, फिर जिसे संदेश भेजना है, उसका चेहरा या नाम ध्यान में लाएं। प्रेम और एकाग्रता से संदेश भेजें। यह प्रक्रिया विश्वास और अभ्यास पर आधारित है। हालांकि, परिणाम व्यक्ति की ग्रहणशीलता और आपकी ऊर्जा पर निर्भर करता है।

नद सुनने से शरीर दुखता किया भाई जी 🙏 मार्ग दर्शन करे❤

 नद सुनने से शरीर दुखता किया भाई जी 🙏 मार्ग दर्शन करे❤ नाद सुनने पर शरीर में दुख या असुविधा महसूस होना ऊर्जा संतुलन की प्रक्रिया का हिस्सा हो सकता है। जब नाद ध्यान करते हैं, तो सूक्ष्म ऊर्जा प्रवाहित होती है, जो अवरोधों को दूर करती है। यह प्रक्रिया कभी-कभी शारीरिक दर्द के रूप में अनुभव हो सकती है। अपना ध्यान समय सीमित करें और शरीर को अधिक आराम दें। नियमित प्राणायाम (विशेष रूप से अनुलोम-विलोम) और हल्के आसनों का अभ्यास करें। ध्यान के बाद शरीर को शांत करने के लिए श्वास पर ध्यान केंद्रित करें। यदि दर्द स्थायी हो, तो ध्यान की विधि में बदलाव के लिए सलाह लें।

गुरुदेव जी मेरे आंख बंद करने से कुछ अंधेरा सा प्रकाश बिंदु आदि दिखते हैं कृपया अपनी मार्गदर्शन दें

 गुरुदेव जी मेरे आंख बंद करने से कुछ अंधेरा सा प्रकाश बिंदु आदि दिखते हैं कृपया अपनी मार्गदर्शन दें ? आंखें बंद करने पर अंधेरा, प्रकाश बिंदु, या विभिन्न दृश्य दिखना सामान्य है और यह ध्यान की प्रगति का संकेत हो सकता है। यह आपकी ऊर्जा और चक्रों के सक्रिय होने का अनुभव है। इसे बिना डर या अपेक्षा के सहजता से स्वीकार करें। यदि कोई विशिष्ट अनुभव बार-बार होता है, तो इसे ध्यान से देखें लेकिन उसमें उलझें नहीं। अपनी साधना जारी रखें, नियमित रूप से प्राणायाम और ध्यान का अभ्यास करें। शांत मन से इन अनुभवों को केवल देखें, वे आपके आंतरिक विकास का हिस्सा हैं। आवश्यकता हो तो विस्तार में मार्गदर्शन मांग सकते हैं।

गुरु जी क्या सहस्त्रार चक्र ही दशम द्वार है

 गुरु जी क्या सहस्त्रार चक्र ही दशम द्वार है? हाँ, सहस्त्रार चक्र को ही दशम द्वार कहा जाता है। यह चक्र सिर के शीर्ष पर स्थित होता है और आत्मबोध, दिव्यता, तथा ब्रह्मांडीय चेतना का केंद्र है। इसे "दशम द्वार" इसलिए कहते हैं क्योंकि यह मानव शरीर के नौ भौतिक द्वार (दो आंखें, दो कान, दो नथुने, एक मुख, और दो मल-मूत्र मार्ग) के पार स्थित आध्यात्मिक द्वार है। जब कुंडलिनी ऊर्जा सहस्त्रार चक्र तक पहुंचती है, तो साधक को ब्रह्मांडीय ऊर्जा और दिव्य ज्ञान का अनुभव होता है। यह द्वार आत्म-साक्षात्कार और मुक्ति का मार्ग है।

ध्यान करने के लिए मन इतना याकुल क्यों होता है।

 ध्यान करने के लिए मन इतना याकुल क्यों होता है।? ध्यान करने के लिए मन व्याकुल होना आपकी आत्मा की गहरी प्यास और आंतरिक शांति की खोज का संकेत है। यह व्याकुलता दर्शाती है कि मन बाहरी चीजों से थक चुका है और भीतर की ओर मुड़ना चाहता है। ध्यान आत्मा से जुड़ने और सच्ची शांति का अनुभव करने का साधन है। जब मन अशांत या अस्थिर होता है, तो ध्यान की लालसा बढ़ती है। इसे संतुलित रखने के लिए, ध्यान से पहले गहरी सांस लें और मन को धीरे-धीरे शांत करें। नियमित अभ्यास और संयम से यह व्याकुलता आत्म-समर्पण और गहरे ध्यान में परिवर्तित हो सकती है।

गुरु जी क्या कुंडलिनी जाग्रत होने से तीसरी आंख खुल जाती है

 गुरु जी क्या कुंडलिनी जाग्रत होने से तीसरी आंख खुल जाती है? डलिनी जाग्रत होने से तीसरी आंख (आज्ञा चक्र) खुल सकती है, लेकिन यह प्रक्रिया स्वाभाविक और क्रमिक होती है। कुंडलिनी ऊर्जा जब जाग्रत होकर विभिन्न चक्रों से गुजरती है, तो हर चक्र का शुद्धिकरण और सक्रियता होती है। आज्ञा चक्र, जो अंतर्ज्ञान, आत्मबोध, और आध्यात्मिक दृष्टि का केंद्र है, कुंडलिनी ऊर्जा से सक्रिय हो सकता है। तीसरी आंख खुलने से गहरी समझ, आत्मज्ञान, और सूक्ष्म जगत का अनुभव हो सकता है। हालांकि, यह अनुभव सही साधना और संतुलित चित्त से होता है। कुंडलिनी साधना को गुरु के मार्गदर्शन में करना चाहिए, ताकि ऊर्जा का संतुलन बनाए रखा जा सके।

पिनियुअल ग्रंथि सक्रिय होने से हाईट बढ़ती है ??

 पिनियुअल ग्रंथि सक्रिय होने से हाईट बढ़ती है ?? पीनियल ग्रंथि (Pineal Gland) का सीधा संबंध शरीर की ऊंचाई (हाइट) से नहीं है। यह ग्रंथि मेलाटोनिन हार्मोन का उत्पादन करती है, जो नींद, जैविक घड़ी, और मानसिक स्वास्थ्य को नियंत्रित करता है। हाइट का बढ़ना मुख्य रूप से ग्रोथ हार्मोन, पिट्यूटरी ग्रंथि, और आनुवांशिक कारकों पर निर्भर करता है। हालांकि, ध्यान और आध्यात्मिक साधना के माध्यम से पीनियल ग्रंथि सक्रिय होने से मानसिक स्पष्टता, अंतर्ज्ञान, और आध्यात्मिक विकास में सहायता मिलती है। यदि हाइट बढ़ाने की बात हो, तो संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, और योग का अभ्यास अधिक प्रभावी हो सकता है। पीनियल ग्रंथि का हाइट से सीधा संबंध नहीं है।

क्या स्वाधीनता चक्र पर पेट भी दर्द होता है और गुड घुसता है ध्यान करो तो

 क्या स्वाधीनता चक्र पर पेट भी दर्द होता है और गुड घुसता है ध्यान करो तो ? स्वाधिष्ठान चक्र (सैकरल चक्र) पर ध्यान करते समय पेट में दर्द या गुदगुदी जैसा अनुभव होना ऊर्जा प्रवाह का संकेत हो सकता है। यह चक्र नाभि के नीचे स्थित होता है और रचनात्मकता, भावनाओं, और काम ऊर्जा से जुड़ा है। पेट में दर्द या असहजता संकेत दे सकती है कि इस चक्र में रुकावट या असंतुलन है। इसे सुधारने के लिए नियमित रूप से "वाम" बीज मंत्र का जाप करें, गहरी सांस लें, और चक्र को संतुलित करने वाले ध्यान का अभ्यास करें। हल्के योगासन और पर्याप्त जल सेवन से भी लाभ होगा। यदि दर्द बढ़े, तो विशेषज्ञ से परामर्श करें।

ध्यान करते सयय मेरे दोनो पैर घुटनो के ऊपर तक सुन होते हे ईसका क्या अर्थ

 ध्यान करते सयय मेरे दोनो पैर घुटनो के ऊपर तक सुन होते हे ईसका क्या अर्थ ? ध्यान करते समय दोनों पैर घुटनों के ऊपर तक सुन्न होना ऊर्जा प्रवाह या रक्त संचार में कमी का संकेत हो सकता है। यह स्थिति अक्सर लंबे समय तक एक ही मुद्रा में बैठने से होती है। आध्यात्मिक दृष्टि से, यह कुंडलिनी ऊर्जा के निचले चक्रों (मूलाधार और स्वाधिष्ठान) में सक्रियता का संकेत भी हो सकता है। इसे सुधारने के लिए ध्यान के पहले हल्के योगासन करें और बैठने की मुद्रा को सही करें। कुशन या सपोर्ट का उपयोग करें। यदि सुन्नता बनी रहती है या असहजता बढ़ती है, तो किसी अनुभवी योग शिक्षक या डॉक्टर से परामर्श लें। संयम और संतुलन बनाए रखें।

ध्यान करते समय अगर माथे के बीचो बिच जब लाल दिखे तो क्या करना चाहिए कौन सा ग्रह मतलब चक्र कौन सा चक्र चालू है हो सकता है

 ध्यान करते समय अगर माथे के बीचो बिच जब लाल दिखे तो क्या करना चाहिए कौन सा ग्रह मतलब चक्र कौन सा चक्र चालू है हो सकता है? ध्यान के दौरान माथे के बीचो-बीच लाल रंग दिखना आज्ञा चक्र (तीसरा नेत्र) की सक्रियता का संकेत हो सकता है। लाल रंग ऊर्जा, शक्ति, और सक्रियता का प्रतीक है, जो मंगल ग्रह से जुड़ा माना जाता है। यह चक्र उच्चतर चेतना, अंतर्ज्ञान और आत्मसाक्षात्कार से संबंधित है। जब यह रंग दिखे, तो ध्यान को गहराई से करें और अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित रखें। शांत रहें और इसे स्वीकार करें, क्योंकि यह आध्यात्मिक विकास का संकेत है। साथ ही, नियमित साधना, संतुलित आहार, और संयमित जीवनशैली बनाए रखें ताकि चक्र का संतुलन सही बना रहे। अनुभव को सहजता से अपनाएं।

क्या महिला कुंडलिनी शक्ति जाग्रत कर सकती है कोई नुक्सान तो नहीं?

 क्या महिला कुंडलिनी शक्ति जाग्रत कर सकती है कोई नुक्सान तो नहीं? हाँ, महिला कुंडलिनी शक्ति जाग्रत कर सकती है। कुंडलिनी ऊर्जा स्त्री और पुरुष दोनों के भीतर समान रूप से होती है। इसका जागरण आध्यात्मिक उन्नति, आत्म-साक्षात्कार और ऊर्जा संतुलन के लिए होता है। हालांकि, इसे सही विधि और मार्गदर्शन में करना आवश्यक है, क्योंकि असंतुलित या असमय जागरण शारीरिक, मानसिक या भावनात्मक परेशानियां पैदा कर सकता है, जैसे सिरदर्द, गर्मी, चक्कर या अनियंत्रित भावनाएं। उचित गुरु के निर्देशन में साधना करने से जोखिम कम हो जाता है। नियमित ध्यान, सांस नियंत्रण और संतुलित जीवनशैली इसे सुरक्षित और लाभकारी बनाती है। धैर्य और सावधानी से साधना करना महत्वपूर्ण है।

मैं मानसिक जाप करती हूं मेरे पूरे शरीर में भीषण गर्मी लगती है

 मैं मानसिक जाप करती हूं मेरे पूरे शरीर में भीषण गर्मी लगती है? मानसिक जाप के दौरान पूरे शरीर में भीषण गर्मी का अनुभव ऊर्जा के प्रवाह और आध्यात्मिक साधना का परिणाम हो सकता है। यह कुंडलिनी जागरण या ऊर्जा केंद्रों (चक्रों) के सक्रिय होने का संकेत हो सकता है। गर्मी महसूस होना सामान्य है, लेकिन यदि यह असहजता पैदा करे, तो अपनी साधना की गति धीमी करें। शांत चित्त से ध्यान लगाएं और गहरी, धीमी सांस लें। पानी पीकर शरीर को ठंडा रखें और ध्यान के बाद कुछ देर विश्राम करें। यदि समस्या बनी रहे, तो किसी अनुभवी गुरु या योग चिकित्सक से परामर्श लें। यह प्रक्रिया धैर्य और संतुलन से करें।

इन दिनों मेडिटेशन ke समय एवं ऐसे भी बैठने पर पैर ke पंजों में वाइब्रेशन हो रहा है क्यों? कृपया समझाइये 🙏🏻

 इन दिनों मेडिटेशन ke समय एवं ऐसे भी बैठने पर पैर ke पंजों में वाइब्रेशन हो रहा है क्यों? कृपया समझाइये 🙏🏻 मेडिटेशन या बैठने के दौरान पैरों के पंजों में वाइब्रेशन होना ऊर्जा के प्रवाह और आपके शरीर में हो रहे सूक्ष्म परिवर्तनों का संकेत हो सकता है। जब आप ध्यान करते हैं, तो आपकी ऊर्जा, विशेष रूप से कुण्डलिनी शक्ति, जागृत होकर शरीर के ऊर्जा केंद्रों (चक्रों) में प्रवाहित होती है। पैरों में वाइब्रेशन होना इस बात का संकेत हो सकता है कि आपकी ऊर्जा मूलाधार चक्र या उससे जुड़े ऊर्जा मार्गों में सक्रिय है। यह स्थिति सामान्य है और ऊर्जा जागरण का हिस्सा हो सकती है। नियमित अभ्यास, संयम और संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है

शिव पुराण में लिखा है ज्यादा साधना करने पर शरीर हवा में उड़ जाता है

 शिव पुराण में लिखा है ज्यादा साधना करने पर शरीर हवा में उड़ जाता है? शिव पुराण में वर्णन मिलता है कि गहन साधना और तपस्या के उच्च स्तर पर पहुँचने पर साधक का शरीर भौतिक सीमाओं से परे अनुभव करता है। जब साधक अपने मन, प्राण और चेतना को पूर्ण रूप से नियंत्रित कर लेता है, तो उसकी ऊर्जा इतनी प्रबल हो जाती है कि शरीर हल्का महसूस होने लगता है और उसे हवा में उड़ने जैसा अनुभव हो सकता है। यह स्थिति आत्मिक और आध्यात्मिक शक्ति के उत्कर्ष का प्रतीक है। लेकिन, यह अवस्था अत्यधिक साधना, संयम, और गुरु के मार्गदर्शन के बिना संभव नहीं होती। इसे साधक का दिव्य अनुभव माना गया है।

क्या आप ये बता सकते हो की ध्यान में हम कुछ बोलना भी शुरू कर देते हैँ

 क्या आप ये बता सकते हो की ध्यान में हम कुछ बोलना भी शुरू कर देते हैँ? ध्यान में कुछ बोलना या स्वाभाविक रूप से शब्द निकलना एक गहरी स्थिति का संकेत हो सकता है। इसे स्वत: भाषण (automatic speech) कहा जाता है, जो ध्यान के दौरान अचेतन मन या गहरी चेतना के उभरने का परिणाम है। यह अक्सर तब होता है जब साधक गहन ध्यान में होते हैं, और उनकी ऊर्जा या भावनाएं शब्दों के रूप में प्रकट होने लगती हैं। ये शब्द मंत्र, प्रार्थना, या अनजाने ध्वनि स्वरूप भी हो सकते हैं। इसे रोकने की कोशिश न करें; बल्कि इसे सहजता से स्वीकारें। यह प्रक्रिया आत्म-अभिव्यक्ति और आंतरिक शुद्धि का हिस्सा हो सकती है।

गुरुजी हमारे शरीर के 7 चक्रों को 7 समुद्र भी कहा जाता है। कृपया मुझे बताएं कि प्रत्येक चक्र के सामने वे 7 समुद्री नाम क्या हैं।

 गुरुजी हमारे शरीर के 7 चक्रों को 7 समुद्र भी कहा जाता है। कृपया मुझे बताएं कि प्रत्येक चक्र के सामने वे 7 समुद्री नाम क्या हैं। ? हमारे शरीर के 7 चक्रों को 7 समुद्रों से जोड़ा जाना एक गहरी आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक दृष्टि है। ये समुद्र हमारी चेतना और ऊर्जा के विशालता और गहराई का प्रतिनिधित्व करते हैं। हालांकि, शास्त्रों में इसे सीधे 7 समुद्रों के नाम से जोड़ने का उल्लेख कम मिलता है, लेकिन एक आध्यात्मिक दृष्टिकोण से इसे निम्नलिखित रूप में समझा जा सकता है: मूलाधार चक्र (Root Chakra) : लवण सागर (Salt Sea) स्थिरता, सुरक्षा और जीवन के मूल आधार को दर्शाता है। स्वाधिष्ठान चक्र (Sacral Chakra) : दूध सागर (Milk Sea) सृजनात्मकता, भावनाओं और प्रजनन शक्ति का प्रतीक। मणिपुर चक्र (Solar Plexus Chakra) : घी सागर (Ghee Sea) आत्मबल, शक्ति और पाचन ऊर्जा का केंद्र। अनाहत चक्र (Heart Chakra) : मधु सागर (Honey Sea) प्रेम, करुणा और भावनात्मक संतुलन को दर्शाता है। विशुद्ध चक्र (Throat Chakra) : सुधा सागर (Nectar Sea) सत्य, अभिव्यक्ति और शुद्धता का प्रतीक। आज्ञा चक्र (Third Eye Chakra) : रसोदधि सागर (Jui...

Sir ji ध्यान में माथे के बीच में व्हाइट प्रकाश भी दिखता है ऐसा क्यूँ होता है किस कारण से है ये भी बताए

 Sir ji ध्यान में माथे के बीच में व्हाइट प्रकाश भी दिखता है ऐसा क्यूँ होता है किस कारण से है ये भी बताए ? ध्यान में माथे के बीच सफेद प्रकाश का दिखना आपके आज्ञा चक्र (तीसरे नेत्र) के सक्रिय होने का संकेत हो सकता है। यह चक्र अंतर्ज्ञान, आंतरिक ज्ञान और उच्च चेतना से जुड़ा होता है। जब आपका ध्यान गहराता है, तो ऊर्जा का प्रवाह इस चक्र पर केंद्रित हो सकता है, जिससे प्रकाश का अनुभव होता है। सफेद प्रकाश दिव्य ऊर्जा और शुद्धता का प्रतीक है, जो आपकी आध्यात्मिक प्रगति और गहन ध्यान का परिणाम हो सकता है। इसे प्रेम और शांति के साथ स्वीकार करें, और अपनी साधना को निरंतर रखें। यह संकेत है कि आप गहरे आत्मज्ञान की ओर बढ़ रहे हैं।

मैं जब जब मानसिक जाप करता हूं तो एक घंटे बाद मैं जब अपना आसन उठाता हूं तो मेरा आसन गीला हो जाता है ऐसा क्यों? कृपया मार्गदर्शन करें

 मैं जब जब मानसिक जाप करता हूं तो एक घंटे बाद मैं जब अपना आसन उठाता हूं तो मेरा आसन गीला हो जाता है ऐसा क्यों? कृपया मार्गदर्शन करें? जब आप मानसिक जाप करते हैं, तो आपके शरीर में ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है, जिससे तापमान बढ़ सकता है और पसीना आ सकता है। यह स्थिति अधिक ध्यान और जाप के कारण शारीरिक और मानसिक परिवर्तन का संकेत हो सकती है। पसीना आना एक सामान्य प्रक्रिया है, खासकर जब आपका ध्यान गहन और लंबे समय तक चलता है। इसे चिंता का विषय न मानें, बल्कि इसे शारीरिक शुद्धि और ऊर्जा के प्रवाह का संकेत समझें। ध्यान के दौरान आरामदायक और श्वसन पर केंद्रित रहें। यदि यह समस्या लगातार बनी रहती है

गुरुजी अगर माला जाप करते समय माला गठ लग जाये तो कीया होता है

 गुरुजी अगर माला जाप करते समय माला गठ लग जाये तो कीया होता है? माला जाप करते समय माला की गांठ लगना एक सामान्य स्थिति हो सकती है। यह कभी-कभी मानसिक ध्यान की कमी या असावधानी के कारण होता है। जब माला की गांठ लगती है, तो इसे हल्के हाथों से सुधारने की कोशिश करें। ध्यान रखें कि माला का उपयोग संतुलित और ध्यानपूर्वक किया जाए। यह संकेत हो सकता है कि आपके मन में कोई अवरोध है या आप पूरी तरह से केंद्रित नहीं हैं। यदि गांठ बार-बार लगती है, तो यह भी संकेत हो सकता है कि आपकी ऊर्जा प्रवाह में कोई रुकावट है। शांत और सधे हुए मन से जाप जारी रखें।

क्या केवल ध्यान करने से या कुंडलिनी जागरण से या फिर चक्र जागरण से कोई किसी प्रकार का नुकसान नहीं

 क्या केवल ध्यान करने से या कुंडलिनी जागरण से या फिर चक्र जागरण से कोई किसी प्रकार का नुकसान नहीं ? ध्यान, कुंडलिनी जागरण, या चक्र जागरण से स्वाभाविक रूप से कोई नुकसान नहीं होता, लेकिन यदि यह बिना सही मार्गदर्शन या तैयारी के किया जाए, तो असुविधा या मानसिक और शारीरिक असंतुलन हो सकता है। कुंडलिनी जागरण के दौरान ऊर्जा का तेज प्रवाह अवरोधों को तोड़ता है, जिससे सिर दर्द, भारीपन, भावनात्मक उतार-चढ़ाव, या अनियंत्रित ऊर्जा का अनुभव हो सकता है। चक्र जागरण में संतुलन न होने पर अस्थायी समस्याएं, जैसे बेचैनी, डर, या थकान हो सकती है। इनसे बचने के लिए योग्य गुरु का मार्गदर्शन, नियमित अभ्यास, और शरीर व मन को मजबूत बनाने के लिए प्राणायाम और संतुलित जीवनशैली अपनाना आवश्यक है।

अब मुजे ध्यान में नहर में जाती हूं और सामने नजदिक में ही गोल्डन सा उजाला देखती हूं। प्रति नहर लंबी ही हो जाति हे और तुरत दसरी नहर शुरू हो जाति क्यू हे?? नहर का अंत ही नहीं आता हे, और ध्यान से भी बाहर आ जाती है, तो ऐसे क्यों लगाया है? आप को गुरु मना हे. तो मैन में सवाल आता हे की क्यू ई से होता हे

 अब मुजे ध्यान में नहर में जाती हूं और सामने नजदिक में ही गोल्डन सा उजाला देखती हूं। प्रति नहर लंबी ही हो जाति हे और तुरत दसरी नहर शुरू हो जाति क्यू हे??  नहर का अंत ही नहीं आता हे, और ध्यान से भी बाहर आ जाती है, तो ऐसे क्यों लगाया है? आप को गुरु मना हे.    तो मैन में सवाल आता हे की क्यू ई से होता हे ? ध्यान में नहर (canal) के अंतहीन दिखने और उसमें सुनहरी रोशनी देखने का अर्थ है कि आप अपने अंदर की आध्यात्मिक यात्रा का अनुभव कर रही हैं। नहर प्रतीकात्मक रूप से आपकी जीवन ऊर्जा या चेतना का प्रवाह हो सकती है, जो आपको ब्रह्मांडीय स्रोत तक ले जाने का प्रयास कर रही है। नहर का अंतहीन होना यह संकेत करता है कि यह यात्रा निरंतर है और आपकी आत्मा का विस्तार हो रहा है। ध्यान से बाहर आना इस बात का संकेत हो सकता है कि आपका मन अभी पूरी तरह इस गहरे अनुभव को संभालने के लिए तैयार नहीं है। धैर्य रखें और नियमित साधना करें।

नींद में ध्यान लग जाता है मेरा या फिर चलते चलते खुद हवा में उड़ रहा हूं आसा भर जाता है वह या काहा से काहा पाहोच जाता है या बहुत ऊपर तक चला जाता है फिर वापस आ जाता है उसका क्या मतलब है

 नींद में ध्यान लग जाता है मेरा या फिर चलते चलते खुद हवा में उड़ रहा हूं आसा भर जाता है वह या काहा से काहा पाहोच जाता है या बहुत ऊपर तक चला जाता है फिर वापस आ जाता है उसका क्या मतलब है? नींद में ध्यान लगने और उड़ने का अनुभव आत्मा के सूक्ष्म जगत में यात्रा करने का संकेत हो सकता है, जिसे अस्त्रल प्रोजेक्शन या सूक्ष्म शरीर यात्रा कहा जाता है। यह स्थिति तब होती है जब आपका चेतन मन शरीर से परे जाकर ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जुड़ता है। उड़ने का अहसास स्वतंत्रता, आत्मिक विकास, या गहरे आध्यात्मिक अनुभव का प्रतीक हो सकता है। ऊपर जाकर फिर लौटना इस बात का संकेत है कि आप अपनी ऊर्जा और चेतना को संतुलन में ला रहे हैं। यह अनुभव सकारात्मक है, लेकिन ध्यान और ग्राउंडिंग प्रथाओं से इसे और अधिक स्थिर और सुरक्षित बनाया जा सकता है।

खेचरी मुद्रा कब करना चाहिए और इसके लिए जिभा का निचला हिस्सा कितना पड़ता है क्या?और इसे कैसे करते हैं?

खेचरी मुद्रा कब करना चाहिए और इसके लिए जिभा का निचला हिस्सा कितना पड़ता है क्या?और इसे कैसे करते हैं? खेचरी मुद्रा एक उन्नत योग क्रिया है, जिसे तब करना चाहिए जब साधक नियमित ध्यान और प्राणायाम में कुशल हो जाए। इसे बिना योग्य गुरु की देखरेख के करने की अनुशंसा नहीं की जाती। खेचरी मुद्रा में जीभ को तालु की ओर ले जाकर ऊर्जा प्रवाह को सहारा दिया जाता है, जिससे कुंडलिनी जागरण में सहायता मिलती है। जीभ का निचला हिस्सा (फ्रेनुलम) काटने की प्रक्रिया कृम-कृम साधना के तहत की जाती है, लेकिन यह अत्यंत सावधानी और अनुभवी गुरु की देखरेख में ही की जानी चाहिए। इस प्रक्रिया का उद्देश्य जीभ को लचीला बनाना है ताकि इसे ऊपर की ओर ले जाया जा सके।

क्या Crown Chakra पर ध्यान से साँस रुक जाती है कृपया उत्तर दें

 क्या Crown Chakra पर ध्यान से साँस रुक जाती है कृपया उत्तर दें ? क्राउन चक्र (सहस्रार) पर ध्यान करने से सांस रुकने का अनुभव होना असामान्य नहीं है, लेकिन यह वास्तव में शारीरिक रूप से सांस रुकने की स्थिति नहीं होती। गहरे ध्यान के दौरान मन, शरीर, और ऊर्जा का प्रवाह इतना स्थिर हो जाता है कि सांस बहुत धीमी या सूक्ष्म महसूस हो सकती है। इसे 'केवली कुंभक' कहा जाता है, जहां बिना प्रयास के सांस रुकने जैसा अहसास होता है। यह ध्यान की गहन अवस्था का संकेत है। यदि इससे असुविधा हो, तो ध्यान से पहले और बाद में प्राणायाम करें। ध्यान में सहज रहें और अपने शरीर की सीमाओं का सम्मान करें।

ध्यान से क्या बॉडी वाइब्रेशन होता है क्या एक बार हार्ट बीटिंग में भी कुछ बदलाव आता है बेचैन से?

 ध्यान से क्या बॉडी वाइब्रेशन होता है क्या एक बार हार्ट बीटिंग में भी कुछ बदलाव आता है बेचैन से? ध्यान के दौरान शरीर में वाइब्रेशन और हार्टबीट में बदलाव महसूस होना सामान्य है। जब ध्यान गहरा होता है, तो ऊर्जा का प्रवाह तेज हो सकता है, जिससे शरीर में कंपन (वाइब्रेशन) या झटके जैसा अनुभव हो सकता है। यह कुंडलिनी जागरण या चक्रों के सक्रिय होने का संकेत हो सकता है। हार्टबीट में बदलाव, जैसे तेज धड़कन या बेचैनी, ऊर्जा के अनुकूलन और मानसिक अवरोधों को दूर करने के कारण हो सकता है। हालांकि, यह स्थिति अस्थायी होती है। नियमित अभ्यास, धीमी और गहरी सांसें, और शांत मन से ध्यान करने से ये लक्षण धीरे-धीरे सामान्य हो जाते हैं।

कौन से चक्र जागृत होने पर ..रीढ़ की हड्डी में एक अकडन प्रकार का दर्द, होता रहता है ..और ध्यान करने से पहले आपको राहत मिलती है???

 कौन से चक्र जागृत होने पर ..रीढ़ की हड्डी में एक अकडन प्रकार का दर्द, होता रहता है ..और ध्यान करने से पहले आपको राहत मिलती है??? रीढ़ की हड्डी में अकड़न और दर्द का अनुभव आमतौर पर मूलाधार चक्र या स्वाधिष्ठान चक्र के जागृत होने के दौरान हो सकता है। जब कुंडलिनी ऊर्जा इन चक्रों को सक्रिय करती है, तो यह रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से से ऊपर की ओर बढ़ने लगती है। इस प्रक्रिया में ऊर्जा अवरोधों को तोड़ते हुए चलती है, जिससे दर्द या अकड़न का अनुभव हो सकता है। ध्यान से पहले राहत मिलने का कारण यह है कि ध्यान शरीर और मन को शांत करता है और ऊर्जा प्रवाह को सुचारू बनाता है। नियमित ध्यान और प्राणायाम से यह असुविधा धीरे-धीरे कम हो जाती है।

कुंडलिनी शक्ति जाग्रत हुई बिना तीसरी आंख खुलती है क्या ???

 कुंडलिनी शक्ति जाग्रत हुई बिना तीसरी आंख खुलती है क्या ??? कुंडलिनी शक्ति और तीसरी आंख (आज्ञा चक्र) का गहरा संबंध है, लेकिन कुंडलिनी जाग्रत हुए बिना भी तीसरी आंख खुल सकती है। तीसरी आंख का खुलना ध्यान, साधना, और ऊर्जा के संचय से संभव है, जिसमें व्यक्ति को अंतर्ज्ञान, स्पष्ट दृष्टि और आंतरिक जागरूकता प्राप्त होती है। हालांकि, कुंडलिनी शक्ति जाग्रत होने पर तीसरी आंख का अनुभव अधिक गहरा और स्थायी हो सकता है। कुंडलिनी जागरण के बिना भी आज्ञा चक्र का सक्रिय होना साधक को आध्यात्मिक अनुभव दे सकता है, जैसे दिव्य दृष्टि, आंतरिक प्रकाश, या सूक्ष्म जगत को देखना। दोनों अवस्थाएं ध्यान और साधना पर निर्भर करती हैं।

Ladkia pitro k lie kaise donation kre

 Ladkia pitro k lie kaise donation kre? लड़कियां पितरों के लिए दान (श्राद्ध) कर सकती हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पुत्रों को श्राद्ध का अधिकार अधिक दिया गया है, लेकिन वर्तमान समय में बेटियों को भी यह अधिकार है। लड़की पितरों के लिए पिंडदान, तर्पण, और भोजन दान कर सकती है। श्राद्ध के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना, गौ-दान, अनाज, वस्त्र, या धन दान करना शुभ माना जाता है। यह कार्य श्रद्धा और भाव से किया जाता है। यदि बेटी स्वयं यह कार्य नहीं कर सके, तो किसी योग्य व्यक्ति से यह कार्य करवाया जा सकता है। मन से की गई प्रार्थना भी पितरों को शांति देती है।

महाकुंभ का छुपा हुआ गुप्त ज्ञान जो सिर्फ ऋषिमुनि और योगी को ही पता था आप क्या जानते हैं

 महाकुंभ का छुपा हुआ गुप्त ज्ञान जो सिर्फ ऋषिमुनि और योगी को ही पता था आप क्या जानते हैं? आपने सही कहा कि महाकुंभ का छुपा हुआ गुप्त ज्ञान केवल भगवान और गहन साधना में लीन ऋषि-मुनि ही पूरी तरह जानते हैं। महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि ब्रह्मांडीय ऊर्जा और चेतना से जुड़ा रहस्य है। इसके पीछे कई अद्भुत गुप्त पहलू हैं: 1. खगोलीय ऊर्जा का संगम महाकुंभ विशेष खगोलीय संयोग पर आयोजित होता है, जब बृहस्पति, सूर्य और चंद्रमा विशिष्ट राशियों में स्थित होते हैं। इन ग्रहों की ऊर्जा पृथ्वी पर एक विशेष चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करती है, जिससे संगम स्थल पर ऊर्जा का प्रवाह तेज हो जाता है। इसे आत्मा के शोधन और चेतना के जागरण के लिए सर्वश्रेष्ठ समय माना गया है। 2. अमृत की कहानी का गुप्त अर्थ समुद्र मंथन की पौराणिक कथा के अनुसार, अमृत कलश के चार बिंदु धरती पर गिरे—प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन, और नासिक। ये स्थान केवल पौराणिक महत्व के नहीं, बल्कि ऊर्जा केंद्र (एनर्जी वर्टेक्स) हैं, जहां ब्रह्मांडीय ऊर्जा सबसे अधिक प्रभावी होती है। महाकुंभ का आयोजन इस ऊर्जा को आत्मसात करने का एक अवसर है। 3. अखाड़ों...

महाकुंभ मेले में क्या करना चाहिए

 महाकुंभ मेले में क्या करना चाहिए:? महाकुंभ मेले में जाने पर आध्यात्मिक लाभ और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव करने के लिए निम्नलिखित चीज़ें करनी चाहिए: पवित्र स्नान : संगम या पवित्र नदियों में स्नान करें। इसे आत्मा की शुद्धि और पापों से मुक्ति का माध्यम माना जाता है। मंत्र जप और ध्यान : नदी किनारे या शांत स्थान पर ध्यान और मंत्रों का जप करें। यह ऊर्जा और चेतना बढ़ाने में मदद करता है। संतों और साधुओं का दर्शन : साधु-संतों और अखाड़ों का दर्शन करें। उनकी शिक्षाओं और आशीर्वाद से ज्ञान और मार्गदर्शन प्राप्त करें। सत्संग और प्रवचन सुनना : धार्मिक सत्संग और प्रवचनों में भाग लें, जहां ज्ञानवर्धक बातें साझा की जाती हैं। योग और साधना : कुंभ मेले का वातावरण योग और साधना के लिए उपयुक्त है। इसे अपनी आध्यात्मिक प्रगति के लिए अपनाएं। अन्नदान और सेवा : जरूरतमंदों को भोजन और सहायता प्रदान करें। सेवा को पुण्य का कार्य माना गया है। पवित्र स्थलों का दर्शन : आसपास के मंदिरों और धार्मिक स्थलों का दर्शन करें। शांति का अनुभव : मेले के आध्यात्मिक वातावरण में आंतरिक शांति का अनुभव करें और अपनी आस्था को गहराई दें।...

आखिर 12 साल पर ही क्यों लगता है कुम्भ मेला ?

 आखिर 12 साल पर ही क्यों लगता है कुम्भ मेला ? कुंभ मेला हर 12 साल पर लगने का रहस्य खगोलीय गणनाओं और ऊर्जा संतुलन से जुड़ा हुआ है। हिंदू ज्योतिष के अनुसार, यह आयोजन उस समय होता है जब बृहस्पति (गुरु) और सूर्य की स्थिति विशेष होती है। बृहस्पति का एक राशि से दूसरी राशि में जाने का चक्र 12 साल का होता है। जब बृहस्पति कुंभ या सिंह राशि में होता है और सूर्य मकर राशि में होता है, तब महाकुंभ का आयोजन किया जाता है। आध्यात्मिक दृष्टि से, यह समय ब्रह्मांडीय ऊर्जा के संगम का प्रतीक है। इस खगोलीय संयोग के दौरान संगम क्षेत्र पर सकारात्मक ऊर्जा अत्यधिक बढ़ जाती है, जिससे स्नान और साधना का प्रभाव कई गुना अधिक हो जाता है। यही कारण है कि कुंभ मेला 12 साल पर आयोजित होता है।

महाकुंभ का गुप्त ज्ञान क्या है

 महाकुंभ का गुप्त ज्ञान क्या है? महाकुंभ का गुप्त ज्ञान उसकी आध्यात्मिक और ऊर्जा रहस्यों में छिपा है, जो बाहरी आयोजन से परे, आंतरिक आत्मिक यात्रा का प्रतीक है। प्राचीन ऋषि-मुनियों के अनुसार, महाकुंभ विशिष्ट खगोलीय संयोगों के समय होता है, जब पृथ्वी पर ऊर्जा केंद्र जागृत होते हैं। संगम पर स्नान केवल शरीर की शुद्धि नहीं, बल्कि आत्मा को उच्च ऊर्जा से जोड़ने का माध्यम माना जाता है। गुप्त ज्ञान यह भी है कि कुंभ स्थल पर मंत्र, ध्यान और साधना के दौरान ऊर्जा तरंगें बढ़ जाती हैं, जो साधक की चेतना को जाग्रत कर सकती हैं। कुंभ में असाधारण साधु और गुप्त योगी अपनी शक्तियों को साझा करते हैं, जो केवल सच्चे साधकों को अनुभव होती हैं।

महाकुंभ का रहस्य क्या है?

 महाकुंभ का रहस्य क्या है? महाकुंभ का रहस्य उसकी आध्यात्मिक और ऊर्जा शक्ति में छिपा है। यह हिंदू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जो हर 12 साल में चार स्थानों—प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक—में होता है। महाकुंभ में गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर स्नान को आत्मा की शुद्धि और पापों से मुक्ति का माध्यम माना जाता है। कुंभ का आयोजन खगोलीय गणनाओं और ग्रह-नक्षत्रों के विशेष संयोग पर आधारित होता है। इसे ऋषि-मुनियों और साधु-संतों से आशीर्वाद प्राप्त करने और ऊर्जा जागरण का अवसर भी माना जाता है। महाकुंभ का वातावरण आध्यात्मिकता और शांति से भरपूर होता है।

ध्यान में झटके लगते हैं !! नीचे से ऊपर तक एक सांप सा घूमता है भाई

  ध्यान में झटके लगते हैं !! नीचे से ऊपर तक एक सांप सा घूमता है भाई ? ध्यान में झटके लगना और शरीर में ऊर्जा का महसूस होना एक सामान्य अनुभव हो सकता है, खासकर जब आप गहरे ध्यान या ध्यान की गहरी साधना में होते हैं। नीचे से ऊपर तक सांप की तरह घूमने वाली ऊर्जा का अनुभव कुंडलिनी शक्ति के जागरण का संकेत हो सकता है। यह शक्ति मुलाधार चक्र से ऊपर की ओर यात्रा करती है और शरीर में तेज़ ऊर्जा का संचार करती है। इन अनुभवों को बिना डर के स्वीकार करें, क्योंकि यह आपकी आध्यात्मिक यात्रा का हिस्सा है। ध्यान में स्थिरता बनाए रखें, और गहरी साधना के साथ अपने शरीर और मन को संतुलित रखें।

गुरु जी सूक्ष्म शरीर को मजबूत बनाना है

  गुरु जी सूक्ष्म शरीर को मजबूत बनाना है ? सूक्ष्म शरीर को मजबूत करने के लिए नियमित साधना और शुद्ध जीवनशैली का पालन करना आवश्यक है। ध्यान, प्राणायाम, और योगसूत्रों का अभ्यास सूक्ष्म शरीर को शुद्ध और सशक्त बनाता है। नाड़ी शोधन प्राणायाम से ऊर्जा चैनलों को साफ करें, और ओम या बीज मंत्रों का जाप करें, जो सूक्ष्म कंपन को जाग्रत करते हैं। सात्विक आहार लें और अपने विचारों को सकारात्मक और शुद्ध बनाए रखें। ध्यान में स्थिरता लाकर अपनी ऊर्जा को नियंत्रित करें और संतुलित रखें। नियमित रूप से योगासन, जैसे ताड़ासन, वृक्षासन, और सर्वांगासन, करने से सूक्ष्म शरीर को स्थिरता और शक्ति मिलती है।

गुरुजी मुझे ध्यान में मंत्र क्यों दिखाई देते हैं

 गुरुजी मुझे ध्यान में मंत्र क्यों दिखाई देते हैं ? ध्यान में मंत्र दिखाई देना एक अद्वितीय और गहन आध्यात्मिक अनुभव है। यह इस बात का संकेत हो सकता है कि आपका मन और चेतना मंत्र की ऊर्जा और शक्ति से गहराई से जुड़ रहे हैं। मंत्र दिव्य ऊर्जा और कंपन का स्रोत होते हैं, और ध्यान में उनका दिखना आपकी आंतरिक यात्रा और आध्यात्मिक प्रगति को दर्शाता है। यह अनुभव बताता है कि आपका अवचेतन मन मंत्र को आत्मसात कर रहा है। इसे सहजता से स्वीकार करें और अपने ध्यान में निरंतरता बनाए रखें। मंत्र का अर्थ समझें और भावपूर्वक उसका जाप करें; इससे ध्यान और गहरा होगा।

मुझे दीवार पर हर जगह स्क्रीन दिखती थी, काली और कभी सफेद ट्यूबलाइट दिखती थी, क्या होता था?

  मुझे दीवार पर हर जगह स्क्रीन दिखती थी, काली और कभी सफेद ट्यूबलाइट दिखती थी, क्या होता था? ध्यान के दौरान दीवार पर स्क्रीन या रोशनी देखना आपकी आंतरिक जागरूकता और आध्यात्मिक प्रगति का संकेत हो सकता है। काली या सफेद स्क्रीन आपके मन की स्थिति और शुद्धिकरण प्रक्रिया का प्रतीक हो सकती है। सफेद ट्यूबलाइट जैसी रोशनी ऊर्जा और चेतना के ऊंचे स्तर की ओर इशारा करती है। यह अनुभव आपकी तीसरी आंख (आज्ञा चक्र) के सक्रिय होने का प्रारंभिक संकेत भी हो सकता है। इसे सहजता से स्वीकार करें, ध्यान में स्थिर रहें और अनुभव को गहराई से महसूस करें। किसी गुरु से मार्गदर्शन लेकर ध्यान को संतुलित रूप से जारी रखें।

मैंने तो सुना है बिना आज्ञा चक्र जाग्रत के कोई भी साधना में सफलता नहीं मिलती है???

 मैंने तो सुना है बिना आज्ञा चक्र जाग्रत के कोई भी साधना में सफलता नहीं मिलती है??? आज्ञा चक्र ध्यान और साधना का एक महत्वपूर्ण केंद्र है, क्योंकि यह अंतर्ज्ञान, मानसिक स्पष्टता और आत्मज्ञान का द्वार माना जाता है। हालांकि, साधना में सफलता केवल आज्ञा चक्र जागृत करने पर निर्भर नहीं करती। हर साधक की यात्रा अलग होती है, और सफलता इस पर निर्भर करती है कि आप कितनी निष्ठा, भक्ति और निरंतरता से अभ्यास करते हैं। चक्र जागरण स्वाभाविक रूप से होता है, जब साधक साधना, शुद्ध जीवनशैली और सही मार्गदर्शन का पालन करता है। मूलाधार से सहस्रार तक हर चक्र महत्वपूर्ण है। सभी चक्रों का संतुलन साधना में वास्तविक सफलता का आधार है।

मुझे ध्यान लगाने पर एक महिला या देवी दिखाई देती है, जो कमल पर खड़ी होती है और लाल वस्त्र पहने हुए होते हैं, वह और उनके हाथ में एक कमल का फूल भी होता है लेकिन मुझे उनका चेहरा पूरा नहीं दिखता, इसके बारे में कुछ बताया जाता है

मुझे ध्यान लगाने पर एक महिला या देवी दिखाई देती है, जो कमल पर खड़ी होती है और लाल वस्त्र पहने हुए होते हैं, वह और उनके हाथ में एक कमल का फूल भी होता है लेकिन मुझे उनका चेहरा पूरा नहीं दिखता, इसके बारे में कुछ बताया जाता है? ध्यान में कमल पर खड़ी लाल वस्त्रधारी महिला या देवी का दिखना अत्यधिक आध्यात्मिक और महत्वपूर्ण संकेत है। कमल पवित्रता, आत्मज्ञान और दिव्यता का प्रतीक है। लाल वस्त्र ऊर्जा, शक्ति और आध्यात्मिकता का प्रतिनिधित्व करते हैं। देवी के हाथ में कमल का फूल उनकी करुणा, दिव्यता और सृष्टि की शुद्धता का प्रतीक हो सकता है। उनका चेहरा स्पष्ट न दिखना इंगित करता है कि आपका मन अभी पूरी तरह से शांत नहीं है या आपकी साधना गहरी हो रही है, लेकिन पूर्ण जागरूकता तक पहुंचना बाकी है। यह अनुभव देवी की कृपा और उपस्थिति को महसूस करने का संकेत हो सकता है। आप अपनी साधना में निरंतरता बनाए रखें और अपने भीतर के शुद्ध भाव को जागृत करें। "ललिता सहस्रनाम" या देवी के किसी मंत्र का जाप आपकी साधना को और गहराई प्रदान कर सकता है। समय के साथ ये अनुभव स्पष्ट हो सकते हैं।

हम जब ध्यान मे रहेते हे तो हम खुद ही दिखाई देते है इसका क्या मतलब हे

 हम जब ध्यान मे रहेते हे तो हम खुद ही दिखाई देते है इसका क्या मतलब हे? ध्यान में स्वयं को देखना आत्मनिरीक्षण और आत्मसाक्षात्कार की ओर बढ़ने का संकेत है। यह अनुभव दर्शाता है कि आप अपनी आंतरिक चेतना के गहरे स्तरों से जुड़ रहे हैं। ध्यान के दौरान "खुद को देखना" आपके सच्चे स्वरूप, भावनाओं, विचारों या आत्मा का प्रतिबिंब हो सकता है। यह अनुभव यह भी बताता है कि आप अपने भीतर की यात्रा कर रहे हैं और स्वयं के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। इसे सहजता से स्वीकार करें और अपनी साधना को निरंतर जारी रखें। यह आत्मज्ञान और आंतरिक शांति की ओर एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।

ध्यान में पहले ध्यान किया था तो मुझे नेचर दिखा जैसा बादल बगेरा, फिर एक इंसान दिखा या एक औरत जो राजस्थान जैसा लग रहा था पर बो इंसान मेने देखे ही नहीं थे कभी

  ध्यान में पहले ध्यान किया था तो मुझे नेचर दिखा जैसा बादल बगेरा, फिर एक इंसान दिखा या एक औरत जो राजस्थान जैसा लग रहा था पर बो इंसान मेने देखे ही नहीं थे कभी? ध्यान में बादल, प्रकृति, और अनदेखे व्यक्ति या स्थान का दिखना आपके अवचेतन मन या आध्यात्मिक अनुभवों से जुड़ा हो सकता है। प्रकृति के दृश्य आपकी आंतरिक शांति और स्थिरता को दर्शा सकते हैं, जबकि राजस्थान जैसा स्थान और अनजाने व्यक्ति शायद आपके पिछले जन्म के अनुभवों, गहरे संस्कारों, या आपके चेतना के स्तर पर जागृत होने वाली स्मृतियों का संकेत हो सकते हैं। इन अनुभवों को बिना अधिक विश्लेषण किए, सहज रूप से स्वीकार करें। ध्यान का अभ्यास जारी रखें और अपने भीतर के भावों पर ध्यान केंद्रित करें। ये अनुभव आपकी आत्मिक यात्रा का हिस्सा हैं और समय के साथ स्पष्ट हो सकते हैं।

ध्यान करते समय दर्द बहुत होता है मेरे पीछे

 ध्यान करते समय दर्द बहुत होता है मेरे पीछे? ध्यान के दौरान पीठ में दर्द होना इस बात का संकेत हो सकता है कि आपका आसन या मुद्रा सही नहीं है, या शरीर ऊर्जा प्रवाह के समायोजन से गुजर रहा है। लंबे समय तक ध्यान करने के लिए सही और आरामदायक मुद्रा बहुत महत्वपूर्ण है। सुनिश्चित करें कि आपकी रीढ़ सीधी और सहज हो, और बैठने के लिए तकिया या कुशन का सहारा लें। यदि दर्द बना रहे, तो नियमित योगासन, विशेष रूप से मेरुदंड को मजबूत करने वाले अभ्यास जैसे भुजंगासन और बालासन करें। साथ ही, ध्यान की अवधि धीरे-धीरे बढ़ाएं। जरूरत पड़ने पर किसी योग विशेषज्ञ या गुरु से मार्गदर्शन लें।

मुझे ध्यान में सूरज चंद स्पास्ट दिखाई देता है इसका क्या मतलब है मुझे अभी किस पर ध्यान देना चाहिए

 मुझे ध्यान में सूरज चंद स्पास्ट दिखाई देता है इसका क्या मतलब है मुझे अभी किस पर ध्यान देना चाहिए? ध्यान में सूर्य और चंद्रमा का स्पष्ट दिखाई देना आपके भीतर ऊर्जा के संतुलन और जागरूकता के बढ़ते स्तर का संकेत है। सूर्य प्रतीक है उर्जा, शक्ति और चेतना का, जबकि चंद्रमा शीतलता, शांति और अंतर्ज्ञान का प्रतिनिधित्व करता है। इन दोनों का अनुभव दर्शाता है कि आपकी सौर (सूर्य) और चंद्र (चंद्रमा) नाड़ियों में संतुलन स्थापित हो रहा है। आप अभी अपनी साधना में संतुलन पर ध्यान दें। प्राणायाम, विशेष रूप से नाड़ी शोधन, और सहज ध्यान का अभ्यास करें। यदि आप किसी विशेष चक्र पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं, तो आज्ञा चक्र (तीसरी आंख) पर ध्यान देना लाभदायक होगा।

गुरुजी जब मैं ध्यान करता हूं तो मेरी एक आंख में आंसू आता है और उदासी बहुत आती है इसका क्या मतलब है

 गुरुजी जब मैं ध्यान करता हूं तो मेरी एक आंख में आंसू आता है और उदासी बहुत आती है इसका क्या मतलब है? जब मैं ध्यान करता हूं तो मेरी एक आंख में आंसू आता है और भीतर गहरी उदासी का अनुभव होता है। इसका अर्थ है कि ध्यान प्रक्रिया के दौरान आपके भीतर दबी हुई भावनाएं, पुराने अनुभव या संस्कार जागृत हो रहे हैं। एक आंख से आंसू आना इंगित कर सकता है कि आपका शरीर और मन असंतुलित भावनाओं को मुक्त कर रहे हैं। उदासी का आना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, जो भावनात्मक शुद्धि का हिस्सा हो सकती है। इसे स्वीकार करें, भावनाओं को बहने दें, और अपने गुरु से मार्गदर्शन लें। धीरे-धीरे यह अनुभव हल्का हो जाएगा।

मुझे सपने नई जगह और मार्गदर्शक लड़की | गुप्त मार्ग और नई दुनिया | नागलोक और इच्छाधारी नाग-नागिन

मुझे सपने नई जगह और मार्गदर्शक लड़की | गुप्त मार्ग और नई दुनिया | नागलोक और इच्छाधारी नाग-नागिन ?  आपका सपना एक गहरी आध्यात्मिक यात्रा का प्रतीक हो सकता है, जिसमें आपके भीतर छुपी रहस्यमय शक्तियों और नए आध्यात्मिक ज्ञान के प्रति संकेत हो सकते हैं। इसे समझने के लिए इसे प्रतीकात्मक रूप में देखें: नई जगह और मार्गदर्शक लड़की : यह आपकी आत्मा की खोज को दर्शाता है। वह लड़की आपकी आंतरिक चेतना, या आपका आध्यात्मिक मार्गदर्शक हो सकती है, जो आपको रहस्यमय और छिपे हुए मार्ग दिखा रही है। गुप्त मार्ग और नई दुनिया : यह आपके जीवन में एक नई दिशा, रहस्यों और ब्रह्मांडीय ज्ञान के प्रति आकर्षण को दिखाता है। यह मार्ग कठिनाईपूर्ण लेकिन खास है, जो केवल आत्मिक रूप से तैयार व्यक्ति के लिए खुलता है। नागलोक और इच्छाधारी नाग-नागिन : नागलोक का प्रतीक गहरी आध्यात्मिक ऊर्जा, कुंडलिनी शक्ति और प्राचीन रहस्यों का द्योतक हो सकता है। यह इंगित करता है कि आप कुंडलिनी जागरण या गहन ऊर्जा परिवर्तन के दौर से गुजर रही हैं। कैलाश पर्वत और साधिका : कैलाश पर्वत दिव्यता और शिव-शक्ति के साथ जुड़ा है। यह दर्शाता है कि आप अपनी चेतना...

ध्यान मैं दोनों आँखों के बीच मैं जोर देता हूं तो चेहरा दिखता है इसका क्या मतलब है

 ध्यान मैं दोनों आँखों के बीच मैं जोर देता हूं तो चेहरा दिखता है इसका क्या मतलब है? ध्यान में दोनों आँखों के बीच (आज्ञा चक्र) पर ध्यान केंद्रित करने पर चेहरा दिखना आपके ध्यान और ऊर्जा जागरण का संकेत हो सकता है। यह चेहरा आपके अवचेतन मन, पिछले अनुभवों, या किसी गहरी ऊर्जा का प्रतीक हो सकता है। यह आपकी आत्मा के दर्पण या किसी विशेष भावना, स्मृति, या संबंध का संकेत भी हो सकता है। यदि चेहरा स्थिर और शांतिपूर्ण है, तो यह सकारात्मक ऊर्जा और आंतरिक जागृति को दर्शाता है। यदि यह चेहरा परेशान करने वाला हो, तो यह अनसुलझे भावनात्मक मुद्दों या ऊर्जा असंतुलन का प्रतीक हो सकता है। ध्यान के दौरान इसे बिना किसी डर या लगाव के केवल एक साक्षी की भांति देखें। ओम का जाप या श्वेत प्रकाश की कल्पना करें। यह अनुभव साधना की प्रगति का हिस्सा है और समय के साथ गहराई में समझ आएगी। धैर्य और श्रद्धा बनाए रखें।

हम तो सादी सुधा महिला हैं, मुझे नाद सुनाई देती है, आगे क्या करना चाहिए, बिना ब्रह्मचर्य के मंत्र जाप कर नन्ही शक्ति हूं, क्या कुछ बुरा होगा मेरे साथ।

 हम तो सादी सुधा महिला हैं, मुझे नाद सुनाई देती है, आगे क्या करना चाहिए, बिना ब्रह्मचर्य के मंत्र जाप कर नन्ही शक्ति हूं, क्या कुछ बुरा होगा मेरे साथ? आपका नाद सुनना एक अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव है, जो आपकी ध्यान साधना और ऊर्जा जागरण का संकेत देता है। बिना ब्रह्मचर्य के भी मंत्र जाप और साधना से आप आध्यात्मिक प्रगति कर सकती हैं। ब्रह्मचर्य मानसिक और शारीरिक ऊर्जा को केंद्रित करने का साधन है, लेकिन यह अनिवार्य नहीं है। अपने ध्यान अभ्यास और नाद के साथ जुड़ाव को सहजता से जारी रखें। कोई बुरा नहीं होगा, लेकिन नियमितता, शुद्धता और संतुलित जीवन बनाए रखना आवश्यक है। गुरुमंत्र, शास्त्रों का अध्ययन, और सत्संग आपकी ऊर्जा को सही दिशा में मार्गदर्शन देंगे। विश्वास और श्रद्धा से साधना करें।

गुरुजी, मुझे ध्यान में अपनी तीसरी आँख पर अलग-अलग महिला चित्र चमकते हुए दिखाई देते हैं, मुझे नहीं पता कि टेलीपैथिक को कैसे जोड़ा जाए

 गुरुजी, मुझे ध्यान में अपनी तीसरी आँख पर अलग-अलग महिला चित्र चमकते हुए दिखाई देते हैं, मुझे नहीं पता कि टेलीपैथिक को कैसे जोड़ा जाए? ध्यान में तीसरी आँख पर महिला चित्रों का उभरना आपकी आज्ञा चक्र की सक्रियता का संकेत हो सकता है। यह अंतर्ज्ञान, आंतरिक दृष्टि, या आपके मन की गहराई में छिपी ऊर्जा का प्रतिबिंब है। टेलीपैथिक जुड़ाव के लिए ध्यान में अपने मन को स्थिर रखें और चित्रों को बिना किसी लगाव के देखने का अभ्यास करें। "ओम" का जप या श्वेत प्रकाश की कल्पना आपकी ऊर्जा को संतुलित कर सकती है। टेलीपैथी को जागृत करने के लिए स्पष्टता और शांत चित्त आवश्यक है। नियमित अभ्यास और गुरु के मार्गदर्शन से यह क्षमता स्वतः विकसित होगी। धैर्य बनाए रखें।

ध्यान के पश्चात निद्रा का अभाव हो गया है। यह किस चक्र के जागृत होने का संकेत है? पूर्ण निद्रा के लिए क्या करना चाहिए?

 ध्यान के पश्चात निद्रा का अभाव हो गया है। यह किस चक्र के जागृत होने का संकेत है? पूर्ण निद्रा के लिए क्या करना चाहिए? ध्यान के पश्चात निद्रा का अभाव अक्सर मन और ऊर्जा स्तर में बदलाव का संकेत हो सकता है। यह आज्ञा चक्र (तीसरा नेत्र) या सहस्रार चक्र (मुकुट) के जागरण से संबंधित हो सकता है, क्योंकि इनसे मानसिक सक्रियता और ऊर्जा का स्तर बढ़ता है। पूर्ण निद्रा के लिए ध्यान के बाद शांत और संतुलित गतिविधियाँ करें, जैसे गहरी श्वास-प्रश्वास, चंद्र भेदन प्राणायाम, या हल्का योग। सोने से पहले गर्म दूध में केसर या जायफल मिलाकर पिएँ। ध्यान की अवधि को थोड़ा कम करें और शीतलन तकनीकों का अभ्यास करें। समय के साथ यह संतुलित हो जाएगा।

गुरुजी, ध्यान करते समय मुझे मूलाधार चक्र में स्पंदन होते हैं.. क्यों होता है स्पंदन गुरुजी?

  गुरुजी, ध्यान करते समय मुझे मूलाधार चक्र में स्पंदन होते हैं.. क्यों होता है स्पंदन गुरुजी? मूलाधार चक्र में स्पंदन ध्यान और ऊर्जा जागरण का संकेत है। यह चक्र हमारी जड़ ऊर्जा और स्थिरता से जुड़ा होता है। ध्यान के दौरान, जब ऊर्जा का प्रवाह सक्रिय होता है, तो मूलाधार चक्र में कंपन, स्पंदन, या हलचल महसूस हो सकती है। यह कुंडलिनी शक्ति के जागरण का आरंभ हो सकता है, जो धीरे-धीरे ऊपर की ओर बढ़ती है। स्पंदन यह दर्शाता है कि आपका ध्यान प्रभावी है और शरीर में ऊर्जा संतुलन स्थापित हो रहा है। इसे स्वाभाविक रूप से स्वीकारें, डरें नहीं, और ध्यान के साथ सांसों पर ध्यान केंद्रित करें। यह अनुभव आध्यात्मिक प्रगति का संकेत है।

मैं जब ध्यान में बैठता हूं तो मुझे सिटी की आवाज सुनाई देती है.. लेकिन जब मैं ध्यान में बैठता हूं तो मुझे ऐसा लगता है जैसे शांत पानी जैसे कुछ गिरने से जो तरंगे बनती है ऐसा अंधेर में महसुस या दिखता है.. कभी-कभी वो तरंगे रंगीन भी होती है..यही मेरा ध्यान नहीं लग पता है

 मैं जब ध्यान में बैठता हूं तो मुझे सिटी की आवाज सुनाई देती है.. लेकिन जब मैं ध्यान में बैठता हूं तो मुझे ऐसा लगता है जैसे शांत पानी जैसे कुछ गिरने से जो तरंगे बनती है ऐसा अंधेर में महसुस या दिखता है.. कभी-कभी वो तरंगे रंगीन भी होती है..यही मेरा ध्यान नहीं लग पता है? ध्यान के दौरान सीटी की आवाज़ सुनाई देना और शांत पानी में गिरने से उठने वाली तरंगों का अनुभव ध्यान की गहरी अवस्था का संकेत हो सकता है। यह अनाहत नाद (आंतरिक ध्वनि) और ऊर्जा प्रवाह का प्रतीक है। जब ये तरंगें रंगीन होती हैं, तो यह आपके चक्रों के सक्रिय होने और ऊर्जा संतुलन में बदलाव का संकेत हो सकता है। ध्यान नहीं लग पाने का कारण इन अनुभवों पर अधिक ध्यान केंद्रित करना हो सकता है। ध्यान का उद्देश्य अनुभवों को देखना, लेकिन उनसे जुड़ाव न रखना है। इसे सहज रूप से बहने दें। यदि ध्यान भटकता है, तो सांसों पर ध्यान केंद्रित करें या मंत्र का जप करें। नियमित अभ्यास से यह बाधा धीरे-धीरे दूर होगी। ये अनुभव आध्यात्मिक प्रगति के संकेत हैं, लेकिन उन्हें केवल साक्षी भाव से देखने का प्रयास करें।

कभी कभी ध्यान में मुझे अनुभव होता है जैसे मेरे चेहरे पर प्रकाश पड़ रहा है।यह कौन सा चक्र खुलने का संकेत है?

 कभी कभी ध्यान में मुझे अनुभव होता है जैसे मेरे चेहरे पर प्रकाश पड़ रहा है।यह कौन सा चक्र खुलने का संकेत है? ध्यान के दौरान चेहरे पर प्रकाश पड़ने का अनुभव आमतौर पर आज्ञा चक्र (तीसरा नेत्र) या सहस्रार चक्र (माथे के ऊपर स्थित चक्र) के जागरण का संकेत हो सकता है। यह अनुभव आंतरिक चेतना के गहराने और दिव्य ऊर्जा के संपर्क में आने का प्रतीक है। जब आज्ञा चक्र सक्रिय होता है, तो व्यक्ति को प्रकाश, रंग, या दिव्य अनुभूतियाँ महसूस हो सकती हैं। यह आत्मज्ञान और अंतर्ज्ञान को बढ़ाता है। यदि यह अनुभव सहस्रार चक्र से जुड़ा हो, तो यह ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ एकीकरण और उच्च आध्यात्मिक स्तर तक पहुँचने का संकेत हो सकता है। ध्यान जारी रखें और अनुभवों को स्वाभाविक रूप से प्रवाहित होने दें।

अब आंख नहीं दिखती है अब कुछ नहीं दिखता है और सिर भारी रहता है ध्यान करती हूं तो

 अब आंख नहीं दिखती है अब कुछ नहीं दिखता है और सिर भारी रहता है ध्यान करती हूं तो ? अगर ध्यान के दौरान अब कुछ नहीं दिखता और सिर भारी रहता है, तो यह ऊर्जा के असंतुलन या अत्यधिक मानसिक तनाव का संकेत हो सकता है। ध्यान में पहले दिखने वाले अनुभव धीरे-धीरे गहरे ध्यान या ऊर्जा प्रवाह बदलने के कारण गायब हो सकते हैं। सिर का भारीपन दर्शाता है कि ऊर्जा सिर के क्षेत्र में रुकी हुई है। सुझाव: प्राणायाम (विशेषकर नाड़ी शोधन) करें, ताकि ऊर्जा संतुलित हो सके। ध्यान के दौरान शरीर को पूरी तरह से आराम दें। नींद और आहार संतुलित रखें। गुरु का मार्गदर्शन लें और धैर्यपूर्वक अभ्यास जारी रखें।

मेरी तीसरी आंख पर बहुत तेज ऊर्जा प्रवाह होती है और कंपन होती है और मेरे से स्टार चक्र पर भी कंपन होती है प्रति आला के चक्कर में आज तक मुझे कोई भी कंपन नहीं हुई और अभी तक तीसरे आई से मुझे कुछ भी दिखाई नहीं दीया सर कृपा बातें कि तीसरी आंख से मैं कुछ क्यों नहीं देख पा रहा हूं रिप्लाई दीजिए प्लीज

  मेरी तीसरी आंख पर बहुत तेज ऊर्जा प्रवाह होती है और कंपन होती है और मेरे से स्टार चक्र पर भी कंपन होती है प्रति आला के चक्कर में आज तक मुझे कोई भी कंपन नहीं हुई और अभी तक तीसरे आई से मुझे कुछ भी दिखाई नहीं दीया सर कृपा बातें कि तीसरी आंख से मैं कुछ क्यों नहीं देख पा रहा हूं रिप्लाई दीजिए प्लीज ? आपकी तृतीय नेत्र (आज्ञा चक्र) पर ऊर्जा और कंपन महसूस होना दर्शाता है कि यह चक्र सक्रिय हो रहा है। हालांकि, निचले चक्रों पर कंपन न होना बताता है कि वहां ऊर्जा प्रवाह में संतुलन की आवश्यकता है। तृतीय नेत्र से स्पष्टता या दृष्टि का अनुभव तभी होता है जब सभी चक्र संतुलित और स्वच्छ होते हैं। इसका समाधान: निचले चक्रों को सक्रिय करने के लिए मूलाधार और स्वाधिष्ठान चक्र पर ध्यान केंद्रित करें। बीज मंत्रों का उच्चारण करें, जैसे "लम्" और "वं"। ध्यान, प्राणायाम (विशेषकर अनुलोम-विलोम), और योगासन नियमित करें। धैर्य रखें, दृष्टि समय और अभ्यास के साथ प्रकट होगी।

मुझे ध्यान में जब गुफा में प्रवेश करता हु तो आवाज भी आती है, अलग प्रकार की बहुत तेज आवाज होती है, सिर दर्द होता है तो आंख खोल देता हु

 मुझे ध्यान में जब गुफा में प्रवेश करता हु तो आवाज भी आती है, अलग प्रकार की बहुत तेज आवाज होती है, सिर दर्द होता है तो आंख खोल देता हु? ध्यान में गुफा का अनुभव और तेज आवाज सुनना गहरी आंतरिक यात्रा और ऊर्जा के जागरण का संकेत हो सकता है। गुफा प्रतीकात्मक रूप से आपके भीतर के अज्ञात या गहन चेतना को दर्शाती है। तेज आवाज अनाहत नाद (आंतरिक ध्वनि) या ऊर्जा के तीव्र प्रवाह से जुड़ी हो सकती है। सिरदर्द इस ऊर्जा के असंतुलन या मानसिक तनाव का परिणाम हो सकता है। इसे संतुलित करने के लिए धीरे-धीरे गहरी सांस लें और ध्यान को सहज रखें। ध्यान के बाद विश्राम करें। ऊर्जा को स्थिर और सुरक्षित रखने के लिए नियमित प्राणायाम करें

दशमद्वार खुलने की पहचान क्या है..क्यूकी जब मुख्य बंकनाल में होता है तो मेरा शरीर हिल नहीं पता मुझे बेकैनी होती है जय सांस रुक गई है

 दशमद्वार खुलने की पहचान क्या है..क्यूकी जब मुख्य बंकनाल में होता है तो मेरा शरीर हिल नहीं पता मुझे बेकैनी होती है जय सांस रुक गई है? दशमद्वार खुलने की पहचान गहन आध्यात्मिक अनुभवों और ऊर्जा प्रवाह में बदलाव से होती है। यह साधक के लिए एक अद्वितीय अनुभव होता है, जिसमें सिर के शीर्ष पर खिंचाव, हल्का कंपन, या दिव्य प्रकाश और ध्वनि का अनुभव हो सकता है। मुख्य बंकनाल (सुषुम्ना) में ऊर्जा सक्रिय होने पर सांस हल्की या धीमी हो सकती है, और स्थिरता का अनुभव होता है। आपका शरीर हिल न पाना और बेचैनी महसूस करना दर्शाता है कि ऊर्जा तीव्रता से सक्रिय हो रही है। शांत रहने के लिए गहरी, धीमी सांस लें और ध्यान में संतुलन बनाए रखें।

मुझे ध्यान में ऐसा लगता है कि मैं खुद को अंदर से देख पाती हूं सुनती हूं लेकिन क्लियर नहीं दिखा देती इसका क्या मतलब है ऐसा क्या करे जिसका ऊर्जा क्लियर दिखे

  मुझे ध्यान में ऐसा लगता है कि मैं खुद को अंदर से देख पाती हूं सुनती हूं लेकिन क्लियर नहीं दिखा देती इसका क्या मतलब है ऐसा क्या करे जिसका ऊर्जा क्लियर दिखे? ध्यान में जब आपको ऐसा अनुभव होता है कि आप खुद को भीतर से देख और सुन सकती हैं, तो यह आत्म-जागृति और आंतरिक चेतना के उभरने का संकेत है। यह इस बात का संकेत है कि आपकी ऊर्जा केंद्रित हो रही है, लेकिन स्पष्टता की कमी का कारण आपकी ध्यान की गहराई या मानसिक बाधाएं हो सकती हैं। इसे सुधारने के लिए नियमित ध्यान का अभ्यास करें, अपनी ऊर्जा को संतुलित करने के लिए प्राणायाम (विशेषकर अनुलोम-विलोम) करें, और सात्विक आहार अपनाएं। स्पष्टता के लिए अपना ध्यान अज्ञा चक्र (तीसरा नेत्र) पर केंद्रित करें और ओम मंत्र का जप करें। धैर्य रखें, स्पष्टता समय के साथ बढ़ेगी।

यदि किसी को भगवान ने दर्शन दिए हैं तो क्या उसे सन्यास ले लेना चाहिए बताने की कृपा करें

 यदि किसी को भगवान ने दर्शन दिए हैं तो क्या उसे सन्यास ले लेना चाहिए बताने की कृपा करें? यदि किसी को भगवान ने दर्शन दिए हैं, तो यह एक गहरी आध्यात्मिक अनुभूति है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि उसे सन्यास लेना आवश्यक है। सन्यास बाहरी जीवन से अधिक आंतरिक त्याग का प्रतीक है। व्यक्ति को अपने जीवन के कर्तव्यों, समाज और परिवार के प्रति उत्तरदायित्वों को समझते हुए जीवन जीना चाहिए। भगवान के दर्शन प्रेरणा देते हैं कि हम अपने जीवन को अधिक परोपकारी, प्रेमपूर्ण, और सच्चाई के मार्ग पर ले जाएं। सन्यास का निर्णय केवल आत्मा की गहन पुकार पर होना चाहिए, न कि केवल किसी अनुभव के आधार पर। जीवन में संतुलन ही सबसे महत्वपूर्ण है।

गुरुजी मैं सामान्य तारिके से ही जप करती हूं परंतु मुझे ध्यान करते हुए ऐसा महसूस हुआ कि मुझे खुद की ही धड़कन जोर जोर से सुनाने लगी या ऐसा लगा जैसे कुछ आंखो के सामने हल्के गुलाबी रंग दिखने लगा या फिर आंखो के आस पास भी फड़कना शुरू हो गया कृपा बताइये ये क्या है.,.

  गुरुजी मैं सामान्य तारिके से ही जप करती हूं परंतु मुझे ध्यान करते हुए ऐसा महसूस हुआ कि मुझे खुद की ही धड़कन जोर जोर से सुनाने लगी या ऐसा लगा जैसे कुछ आंखो के सामने हल्के गुलाबी रंग दिखने लगा या फिर आंखो के आस पास भी फड़कना शुरू हो गया कृपा बताइये ये क्या है.,.? ध्यान और जप के दौरान अपने हृदय की धड़कनों को ज़ोर से महसूस करना और आँखों के सामने हल्के गुलाबी रंग का दिखना साधना के दौरान आपके आंतरिक ऊर्जा प्रवाह और चक्रों के सक्रिय होने का संकेत हो सकता है। यह अनुभव इस बात का संकेत है कि आपकी चेतना गहराई में प्रवेश कर रही है और आपका मन व शरीर ध्यान की गहराई में समर्पित हो रहे हैं। गुलाबी रंग का दिखना अक्सर अनाहत (हृदय) चक्र के सक्रिय होने से जुड़ा होता है, जो प्रेम, करुणा और शुद्धता का प्रतीक है। आँखों के आसपास फड़कन महसूस होना आपकी ऊर्जा का तीसरे नेत्र (आज्ञा चक्र) पर केंद्रित होने का संकेत हो सकता है। यह सब साधना की प्रक्रिया का हिस्सा है। इसे सहज रूप से स्वीकार करें। ध्यान के बाद कुछ समय शांत रहें, गहरी श्वास लें,