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Showing posts from March, 2025

परमात्मा क्यों भेजता है आत्मा को संसार में?

 परमात्मा क्यों भेजता है आत्मा को संसार में?   यह प्रश्न युगों से ऋषियों, भक्तों और साधकों के हृदय में उठता आया है। इसका उत्तर केवल तर्क से नहीं, भावना और अनुभव से समझा जा सकता है। आइए इसे एक कहानी और भावना के माध्यम से समझते हैं... 🌌 प्रारंभ: परमात्मा और आत्मा का संवाद बहुत समय पहले की बात है। जब न कोई पृथ्वी थी, न आकाश। न समय था, न कोई देह। केवल एक था— परमात्मा । शुद्ध प्रेम, प्रकाश और शांति का अनंत महासागर। उस अनंत ज्योति के भीतर असंख्य आत्माएँ थीं—चमकती हुई चिंगारियाँ, जो उसी परमात्मा की ही अंश थीं। वे आत्माएँ आनंद में डूबी रहतीं, पूर्णता का अनुभव करतीं। फिर एक दिन, एक छोटी सी आत्मा ने परमात्मा से पूछा: "प्रभु, आप तो सब कुछ हैं। लेकिन मैं खुद को जानना चाहती हूं। मैं यह जानना चाहती हूं कि मैं कौन हूं। क्या मैं भी आप जैसी हूं?" परमात्मा मुस्कुराए। उन्होंने कहा: "प्यारी आत्मा, तुम वास्तव में मुझ जैसी ही हो। लेकिन केवल मेरे पास रहकर तुम अपने स्वरूप को पूर्ण रूप से अनुभव नहीं कर सकती। जैसे बिना अंधकार के प्रकाश का अनुभव नहीं होता, वैसे ही बिना अनुभव के ज्ञा...

Mai kai maheeno se jap kar rahi hu, kai din se mathe ke bich aur kabhi poora mathe ke bich tilak wali jagah pe urja bani rahti hai, aur spandan hota rahta hai kya kare ?

 Mai kai maheeno se jap kar rahi hu, kai din se mathe ke bich aur kabhi poora mathe ke bich tilak wali jagah pe urja bani rahti hai, aur spandan hota rahta hai kya kare ? आपके माथे के बीच ऊर्जा और स्पंदन महसूस होना इस बात का संकेत है कि आपका आज्ञा चक्र (Third Eye) सक्रिय हो रहा है। यह जप और ध्यान के प्रभाव से हो रहा है। इस स्थिति में आपको संतुलन बनाए रखना जरूरी है ताकि ऊर्जा सही प्रवाहित हो। क्या करें? नाड़ी शोधन प्राणायाम करें, ताकि ऊर्जा संतुलित हो। भूलेखान (ग्राउंडिंग) के लिए धरती पर नंगे पैर चलें। ओम मंत्र का धीमे स्वर में जाप करें। किसी अनुभवी मार्गदर्शक से परामर्श लें। यह एक सकारात्मक संकेत है, बस धैर्य और स्थिरता बनाए रखें।

dhyaan karta hoon lag bhag 3 months se mujhe ek aankh dikhai deti hai, sirf ek aankh aur bilkul bandh aankh, har baar mere samney dhyaan me bandh aankh aajati hai, please iska kya arth hai explain karein ?

 dhyaan karta hoon lag bhag 3 months se mujhe ek aankh dikhai deti hai, sirf ek aankh aur bilkul bandh aankh, har baar mere samney dhyaan me bandh aankh aajati hai, please iska kya arth hai explain karein ? ध्यान में बंद आँख का दिखना एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक संकेत हो सकता है। यह प्रतीक है कि आपकी अंतरदृष्टि (Inner Vision) जाग रही है, लेकिन पूरी तरह खुली नहीं है। इसका अर्थ यह हो सकता है कि आपका तीसरा नेत्र सक्रिय हो रहा है, लेकिन अभी पूर्ण जागरण नहीं हुआ है। संभावित अर्थ: आत्म-ज्ञान और सत्य को देखने की प्रक्रिया जारी है। कोई आंतरिक अवरोध (जैसे भय, संदेह) आपको पूरी तरह जागरूक होने से रोक रहा है। गुरु या उच्च चेतना का संकेत कि आपको और गहरे ध्यान में जाना चाहिए। ध्यान जारी रखें, और सहज भाव से इसे स्वीकार करें।

बिना गुरु के चक्रों को एक्टिवेट करना उचित होगा, कहीं कोई अन्यथा स्थिति तो उत्पन्न तो नहीं होगी ?

 बिना गुरु के चक्रों को एक्टिवेट करना उचित होगा, कहीं कोई अन्यथा स्थिति तो उत्पन्न तो नहीं होगी ? बिना गुरु के चक्रों को सक्रिय करना जोखिम भरा हो सकता है, क्योंकि ऊर्जा का असंतुलन मानसिक और शारीरिक समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है। चक्र जागरण में सही मार्गदर्शन आवश्यक होता है ताकि ऊर्जा सही दिशा में प्रवाहित हो। यदि चक्र असंतुलित रूप से सक्रिय हो जाएँ, तो सिरदर्द, अनिद्रा, भय, और असामान्य अनुभव हो सकते हैं। इसलिए, बिना अनुभवी गुरु के मार्गदर्शन के चक्र साधना न करें। यदि पहले से कोई चक्र सक्रिय हो गया है, तो स्थिरता बनाए रखने के लिए पृथ्वी तत्व पर ध्यान दें, नाड़ी शोधन प्राणायाम करें और ऊर्जा संतुलन पर ध्यान दें।

Raat ko sote samay koi energy ka aaspaas bhaas hota hai aur nind khul jati hai...1 baje .2 baje .3 baje kabhibhi hota hai...third eye aur sahasrar open ho chuka hai...aage ke liye aapka guidence chahiye ?

 Raat ko sote samay koi energy ka aaspaas bhaas hota hai aur nind khul jati hai...1 baje .2 baje .3 baje kabhibhi hota hai...third eye aur sahasrar open ho chuka hai...aage ke liye aapka guidence chahiye ? यह अनुभव इस बात का संकेत है कि आपकी ऊर्जा जागृत हो चुकी है और आपका आध्यात्मिक विकास तीव्र गति से हो रहा है। जब तीसरा नेत्र और सहस्रार चक्र सक्रिय होते हैं, तो ऊर्जा अपने आप काम करती है और आपकी चेतना अधिक संवेदनशील हो जाती है। अब आपको स्थिरता और संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है। मार्गदर्शन: रात को सोने से पहले "ॐ शांतिः" का मानसिक जाप करें। शरीर को स्थिर करने के लिए पृथ्वी तत्व से जुड़ें (धरती पर बैठें, जल तत्व का ध्यान करें)। यदि ऊर्जा अधिक तीव्र लगे, तो प्राणायाम (नाड़ी शोधन) करें।

आपने जो रहस्य कहा अद्भुत है पर कुछ भगतों को नींद ध्यान में साधु संत या कुछ दिव्य शक्तियों द्वारा मार्गदर्शन किया जाता यह कोनसी स्थिति में आता है जी, पर वह कहता है कि वह अपनी पत्नी से शरीरक सम्बन्ध भी बनते रहते हैं । कृपया मार्गदर्शन जरुर करें

 आपने जो रहस्य कहा अद्भुत है पर कुछ भगतों को नींद ध्यान में साधु संत या कुछ दिव्य शक्तियों द्वारा मार्गदर्शन किया जाता यह कोनसी स्थिति में आता है जी, पर वह कहता है कि वह अपनी पत्नी से शरीरक सम्बन्ध भी बनते रहते हैं । कृपया मार्गदर्शन जरुर करें ? स्वप्न या ध्यान में साधु-संतों या दिव्य शक्तियों द्वारा मार्गदर्शन मिलना एक उच्च आध्यात्मिक स्थिति का संकेत हो सकता है। यह तब होता है जब साधक की चेतना विकसित होती है और सूक्ष्म लोक से संपर्क स्थापित होता है। लेकिन यदि कोई व्यक्ति ब्रह्मचर्य का पालन किए बिना, दांपत्य जीवन में रहते हुए भी दिव्य मार्गदर्शन प्राप्त कर रहा है , तो यह उसकी साधना, पूर्व जन्म के संस्कार और वर्तमान तपस्या पर निर्भर करता है। मार्गदर्शन: संयम जरूरी नहीं, लेकिन ऊर्जा संतुलन महत्वपूर्ण है। नियत क्रिया (संयमित जीवन) का पालन करें। सच्ची भक्ति और निष्ठा रखें। यदि दिव्य शक्तियाँ मार्गदर्शन कर रही हैं, तो उनका उद्देश्य समझें और उनका सही उपयोग करें। गुरु से मार्गदर्शन अवश्य लें, ताकि साधना सही दिशा में जाए।

Mere pas swapn sidhi he or me swapn me kahi par bhi pahunch jati hu or nabhi me kuchh khichav hota he to me kya karu ke swapn me kahi par bhi na jau or meri drushti jaldi khul jaye

 Mere pas swapn sidhi he or me swapn me kahi par bhi pahunch jati hu or nabhi me kuchh khichav hota he to me kya karu ke swapn me kahi par bhi na jau or meri drushti jaldi khul jaye ? स्वप्न सिद्धि एक शक्तिशाली योगिक अवस्था है, जिसमें व्यक्ति स्वप्न के भीतर कहीं भी जा सकता है। लेकिन नाभि में खिंचाव और अनियंत्रित स्वप्न यात्रा से असंतुलन हो सकता है। इसे नियंत्रित करने के उपाय: सोने से पहले संकल्प लें – "मैं स्वप्न में यात्रा नहीं करूंगा।" मूलाधार और नाभि चक्र को संतुलित करें – नियमित भस्त्रिका और मूलबंध करें। भौतिक जगत से ग्राउंडिंग करें – मिट्टी में नंगे पैर चलें। गुरु मंत्र या महा मृत्युंजय मंत्र का जाप करें। रात में ध्यान से बचें , बल्कि शांतिपूर्ण प्रार्थना करें। अगर अनुभव असहज हो रहा है, तो किसी अनुभवी गुरु से मार्गदर्शन लें।

Sir kitne din bramcharya ka palan karne se Hamarii urja muladar chakar se crown chakar tak pahuch jatiee hai ?

 Sir kitne din bramcharya ka palan karne se Hamarii urja muladar chakar se crown chakar tak pahuch jatiee hai ? कितने दिनों के ब्रह्मचर्य से ऊर्जा सहस्रार तक पहुँचती है? यह समय साधक की चेतना, कर्मों, और ध्यान की गहराई पर निर्भर करता है। 3-6 महीने तक संपूर्ण ब्रह्मचर्य, गहरी साधना और प्राणायाम करने से ऊर्जा मूलाधार से ऊपर उठने लगती है। लेकिन सहस्रार तक पहुँचने के लिए वर्षों की साधना और सही मार्गदर्शन आवश्यक है। सही विधि से अभ्यास करें, जल्दबाजी न करें।

Sir kya 100 dino tak Bramcharya ka palan kare se , or Daily 40 to 45 minute 3rd eye per dyan krne se kya 3rd eye open hoo sakti haii ?

 Sir kya 100 dino tak Bramcharya ka palan kare se , or Daily 40 to 45 minute 3rd eye per dyan krne se kya 3rd eye open hoo sakti haii ? 100 दिन ब्रह्मचर्य और 40-45 मिनट तीसरे नेत्र पर ध्यान करने से क्या तीसरा नेत्र खुल सकता है? ब्रह्मचर्य और ध्यान का संयोजन तीसरा नेत्र खोलने में सहायक होता है , लेकिन केवल 100 दिन में इसकी कोई गारंटी नहीं। तीसरा नेत्र खोलने के लिए ध्यान की गहराई, नाड़ी शुद्धि, और आंतरिक जागरूकता जरूरी है। कुछ लोगों को महीने लग सकते हैं, कुछ को सालों। यदि ध्यान सही विधि से किया जाए और ऊर्जा को संतुलित रखा जाए, तो तीसरा नेत्र जागरण संभव है।

रीड की हड्डी के पास अधिक गर्मी महसूस होती है और पेट मै भी शीतली प्रायनम भी किया ?

 रीड की हड्डी के पास अधिक गर्मी महसूस होती है और पेट मै भी शीतली प्रायनम  भी किया ? रीढ़ की हड्डी के पास अधिक गर्मी महसूस होना कुण्डलिनी शक्ति के जागरण या ऊर्ध्वगमन का संकेत हो सकता है। जब ऊर्जा चक्रों से गुजरती है, तो कभी गर्मी, कभी झनझनाहट या कंपन महसूस हो सकता है। पेट में ठंडक महसूस होना शीतली प्राणायाम का प्रभाव हो सकता है, क्योंकि यह शरीर की आंतरिक गर्मी को संतुलित करता है। सुझाव: अनुभव को सहज रूप से स्वीकार करें , अधिक बल न दें। गुरु से मार्गदर्शन लें , यदि गर्मी असहनीय हो। शीतली-शीतकारी प्राणायाम करें , लेकिन संतुलन बनाए रखें। भोजन में संतुलित और ठंडक देने वाले आहार लें।

सिर के बीच अक्सर स्पन्दन महसूस होता है।कभी कभी कमरे मे अत्यंत सुगंध या दुर्गंध महसूस क्यों होती है?

 सिर के बीच अक्सर स्पन्दन महसूस होता है।कभी कभी कमरे मे अत्यंत सुगंध या दुर्गंध महसूस क्यों होती है? सिर के बीच स्पंदन महसूस होना सहस्रार चक्र या आज्ञा चक्र की सक्रियता का संकेत हो सकता है। जब ध्यान गहरा होता है, तो वहां ऊर्जा संकेद्रित होकर हल्की धड़कन या कंपन का अनुभव करा सकती है। सुगंध या दुर्गंध महसूस होना सूक्ष्म इंद्रियों के जागरण का लक्षण है। सुगंध (मोगरा, चंदन, गुलाब) – दिव्य ऊर्जा या किसी सिद्ध आत्मा की उपस्थिति दर्शाती है। दुर्गंध – आस-पास नकारात्मक ऊर्जा या किसी सूक्ष्म जीव की उपस्थिति का संकेत हो सकता है। सुरक्षा के लिए नियमित हवन, मंत्र जप और स्थान की सफाई करें।

महाराज जी प्रेमानंद जी महाराज जी ने बोला था नाम किसी के सिर पर लिख सकते है वो कैसे कर सकते है प्लिज़ वीडियो बनाओ कोनसी विधि से नाम लिख सकते और ध्यान कर सकते है बहुत दिनों से यह सवाल कृपा आप मदद करे सब को आप मार्गदर्शन करिये

 महाराज जी प्रेमानंद जी महाराज जी ने बोला था नाम किसी के सिर पर लिख सकते है वो कैसे कर सकते है प्लिज़ वीडियो बनाओ कोनसी विधि से नाम लिख सकते और ध्यान कर सकते है बहुत दिनों से यह सवाल कृपा आप मदद करे सब को आप मार्गदर्शन करिये? महाराज जी प्रेमानंद जी द्वारा बताए गए इस रहस्य को समझने के लिए नाम को सिर पर लिखने की विधि गुप्त और गहरी ध्यान साधना से जुड़ी है। यह एक प्रकार की मानसिक शक्ति और ध्यान विधि है, जिसमें साधक अपने चित्त में किसी के सिर पर मंत्र या ईष्ट का नाम लिखने की भावना करता है। संभावित विधि: शांत चित्त से बैठें और ध्यान अवस्था में जाएँ। मन की आँखों से उस व्यक्ति के सिर की कल्पना करें। अपने ध्यान से उनके सिर पर मंत्र या नाम लिखें। श्रद्धा और विश्वास रखें कि यह नाम उनके चित्त में स्थापित हो रहा है।

प्राणायाम के बाद मुझे मिट्टी की खुशबू ज्यादा आती है क्या कारण है कृपया बताएं ?

 प्राणायाम के बाद मुझे मिट्टी की खुशबू ज्यादा आती है क्या कारण है कृपया बताएं ? प्राणायाम के बाद मिट्टी की खुशबू आना आपके सूक्ष्म इंद्रियों (अतिसंवेदनशील घ्राण शक्ति) के जागरण का संकेत हो सकता है। जब मूलाधार और स्वाधिष्ठान चक्र सक्रिय होते हैं , तो पृथ्वी तत्व अधिक प्रभावी होता है, जिससे मिट्टी की सुगंध महसूस हो सकती है। संभावित कारण: प्राण ऊर्जा का संतुलन – आपकी नाड़ियाँ शुद्ध हो रही हैं। धरती तत्व से जुड़ाव – आपकी चेतना अधिक ग्राउंडेड हो रही है। सूक्ष्म इंद्रियों का जागरण – दिव्य गंध महसूस होना आध्यात्मिक उन्नति का संकेत है। ध्यान दें: यदि यह अनुभव सुखद है, तो साधना जारी रखें, अन्यथा गुरु से मार्गदर्शन लें।

सिर के मध्य में गड्ढे जैसा महसूस होता है pilpila sa हो गया waha से मैं 3 साल से meditation मैं regular hu .. सारे chakras का ओपन होना महसूस होता है aaj तक कोई भी दिक्कत महसूस नहीं हुई थी bus yahi सर के मध्य में हल्का गहराई c महसूस होती है अब लास्ट 3 month से...

 सिर के मध्य में गड्ढे जैसा महसूस होता है pilpila sa हो गया waha से मैं 3 साल से meditation मैं regular hu .. सारे chakras का ओपन होना महसूस होता है aaj तक कोई भी दिक्कत महसूस नहीं हुई थी bus yahi सर के मध्य में हल्का गहराई c महसूस होती है अब लास्ट 3 month से...? आपकी साधना गहरी हो रही है, और सिर के मध्य (सहस्रार क्षेत्र) में गड्ढे जैसा महसूस होना इस बात का संकेत हो सकता है कि ऊर्जा वहां केंद्रित हो रही है। यह सामान्य अनुभव है, क्योंकि सहस्रार चक्र के जागरण के समय सिर हल्का, खाली, या गहराई जैसा महसूस हो सकता है। ध्यान के बाद ग्राउंडिंग करें (धरती पर नंगे पैर चलें)। सिर पर ठंडा जल डालें या चंदन लगाएं। ओम का जप करें , लेकिन संतुलन बनाए रखें। यदि असहजता बनी रहे तो गुरु से मार्गदर्शन लें। शरीर पर ध्यान दें और संतुलन बनाए रखें।

मेरी चंद्र नाडी बहुत ज्यादा सक्रिय है और हमेशा सिर के लेफ्ट साइड में असहनीय दर्द रहता हैं और पूरी लेफ्ट साइड में हमेशा ,झटके महसूस होते , बहुत ज्यादा परेशानी होती है

 मेरी चंद्र नाडी बहुत ज्यादा सक्रिय है और हमेशा सिर के लेफ्ट साइड में असहनीय दर्द रहता हैं और पूरी लेफ्ट साइड में हमेशा ,झटके महसूस होते , बहुत ज्यादा परेशानी होती है? चंद्र नाड़ी (इड़ा) की अत्यधिक सक्रियता संतुलन बिगाड़ सकती है, जिससे सिर के बाएँ हिस्से में दर्द, झटके और असहजता महसूस हो सकती है। इसे संतुलित करने के लिए सूर्य नाड़ी (पिंगला) को सक्रिय करना जरूरी है। दाएँ नथुने से श्वास लें और बाएँ से छोड़ें (सूर्य भेदी प्राणायाम)। भस्त्रिका और अनुलोम-विलोम करें , दाएँ नथुने पर अधिक ध्यान दें। सूर्य साधना करें , सुबह सूरज की रोशनी में बैठें। गुरु से मार्गदर्शन लें यदि समस्या बढ़ रही है। नाड़ी संतुलन से यह समस्या धीरे-धीरे ठीक हो जाएगी।

Aap bata rahe hai dhyna kitna samay kare..vyakti akh band ker bethta hai wo dhayan hai hi nahi wo bas dhyan ki prtikcha me bethna hai ..bethne ke kitne wkt baad minimum or maximum vyakti dhyan me ytar pata hai

 Aap bata rahe hai dhyna kitna samay kare..vyakti akh band ker bethta hai wo dhayan hai hi nahi wo bas dhyan ki prtikcha me bethna hai ..bethne ke kitne wkt baad minimum or maximum vyakti dhyan me ytar pata hai ? सही कहा, आँख बंद करके बैठना ध्यान नहीं, बल्कि ध्यान की प्रतीक्षा करना है। ध्यान में उतरने का समय व्यक्ति की साधना, मन की शुद्धता और अभ्यास पर निर्भर करता है। कुछ साधकों को कुछ मिनटों में गहराई मिल जाती है, जबकि कुछ को वर्षों का अभ्यास लगता है। न्यूनतम 15-20 मिनट में मन थोड़ा स्थिर होता है, और अधिकतम कोई सीमा नहीं—घंटों तक समाधि संभव है। मुख्य बात यह है कि धैर्य और सतत अभ्यास बना रहे। जब मन पूरी तरह शांत हो जाता है और विचार शून्य हो जाते हैं, तभी सच्चा ध्यान घटित होता है।

Guruji maiy sone gayi tab maine dekha circle uske under snack the wo bhi upar niche left right yane every direction may uska kya meaning hai may meditation regular karti hu ?

 Guruji maiy sone gayi tab maine dekha circle uske under snack the wo bhi upar niche left right yane every direction may uska kya meaning hai may meditation regular karti hu ? प्रणाम 🙏 यदि आपने सोने से पहले एक सर्कल के अंदर साँपों (सभी दिशाओं में घूमते हुए) को देखा , तो यह एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक संकेत है। संभावित अर्थ: कुंडलिनी ऊर्जा का जागरण – साँप अक्सर कुंडलिनी शक्ति का प्रतीक होते हैं, जो रीढ़ में चढ़ती है। सुरक्षित ऊर्जा प्रवाह – सर्कल ऊर्जा सुरक्षा और संतुलन का संकेत देता है। परिवर्तन और जागरूकता – यह सपना आध्यात्मिक विकास और चेतना के विस्तार का संकेत हो सकता है। क्या करें? ध्यान जारी रखें और डरें नहीं। कुंडलिनी ऊर्जा को संतुलित करने के लिए मूलाधार चक्र पर ध्यान दें । 🚩

Meri back k center mai ek jgh kanpan hota h din mai bhut baar...eska kya matlab hai..??

 Meri back k center mai ek jgh kanpan hota h din mai bhut baar...eska kya matlab hai..?? अगर आपकी पीठ के सेंटर (रीढ़ के मध्य) में बार-बार कंपन (Vibration) होता है , तो यह संकेत है कि आपकी ऊर्जा प्रणाली सक्रिय हो रही है । संभावित कारण: कुंडलिनी जागरण – ऊर्जा रीढ़ से ऊपर उठ रही है, जिससे कंपन महसूस होता है। अनाहत (हृदय) और मणिपुर (नाभि) चक्र का सक्रिय होना – यह कंपन इन चक्रों के जागरण का संकेत हो सकता है। ऊर्जा संतुलन की प्रक्रिया – शरीर नई ऊर्जा को समायोजित कर रहा है। उपाय: मूलाधार चक्र को मजबूत करें (लं मंत्र जपें)। हल्का योग और प्राणायाम करें । इस अनुभव को सहज रूप से स्वीकारें, यह एक शुभ संकेत है । 🚩

Mera pair bhi sun ho jada h me or jhatake bhi bahut lagte Hain bo ?

 Mera pair bhi sun ho jada h me or jhatake bhi bahut lagte Hain bo ? अगर आपके पैर सुन्न हो जाते हैं और झटके बहुत लगते हैं , तो यह संकेत है कि ऊर्जा (प्राण शक्ति) सही तरीके से प्रवाहित नहीं हो रही या असंतुलन हो रहा है । संभावित कारण: ऊर्जा रुकावट – कुंडलिनी जागरण के कारण ऊर्जा पैरों तक सही से नहीं पहुँच रही। रक्त संचार समस्या – लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठने से रक्त प्रवाह बाधित हो सकता है। अति संवेदनशीलता – उन्नत साधना के कारण नर्वस सिस्टम ज्यादा सक्रिय हो सकता है। उपाय: मूलाधार चक्र को मजबूत करें (लाल रंग का ध्यान करें, "लं" मंत्र जपें)। हल्का योग और पैरों की मालिश करें । डरें नहीं, सहज रहें और ऊर्जा प्रवाह को स्वीकारें । 🚩

Jahan anahat chakra hota hai vha mujhe bahut dard hota hai aisa lgta hai ki koi gole akar ki Kil chubh rhi ho aisa kyu ?

 Jahan anahat chakra hota hai vha mujhe bahut dard hota hai aisa lgta hai ki koi gole akar ki Kil chubh rhi ho aisa kyu ? अनाहत चक्र (हृदय चक्र) में दर्द और गोल आकार की कील चुभने जैसा महसूस होना संकेत है कि वहां ऊर्जा अवरुद्ध (Blocked Energy) है या चक्र खुलने की प्रक्रिया चल रही है । संभावित कारण: पुरानी भावनात्मक ऊर्जा निकल रही है – अनाहत चक्र से भावनाएं जुड़ी होती हैं, और पुराना दुःख या संचित भाव निकलते समय दर्द हो सकता है। ऊर्जा का असंतुलन – कुंडलिनी जब ऊपर उठती है, तो अवरोध वाली जगह पर दबाव महसूस होता है। अतिरिक्त संवेदनशीलता – आपकी आध्यात्मिक प्रगति बढ़ रही है, जिससे यह अनुभव हो सकता है। उपाय: गहरी सांस लें और "यम" बीज मंत्र का जाप करें । हृदय को खुला और हल्का महसूस करने का प्रयास करें । मूलाधार चक्र को मजबूत करें, ताकि ऊर्जा संतुलित रूप से प्रवाहित हो । 🚩

Jab me dhyan karti hu to kuch samay bad meri gardan par jhtka lagta he or gardan kundali ke aakaar me ghumti hui sthir ho jaati he or me ghre dhyan me chli jaati hu esa kiu ho raha he krupya batay ?

 Jab me dhyan karti hu to kuch samay bad meri gardan par jhtka lagta he or gardan kundali ke aakaar me ghumti hui sthir ho jaati  he or me ghre dhyan me chli jaati hu esa kiu ho raha he krupya batay ? प्रणाम 🙏 जब ध्यान के दौरान आपकी गर्दन में झटका लगता है और फिर यह कुंडली के आकार में घूमकर स्थिर हो जाती है , तो यह संकेत है कि कुंडलिनी ऊर्जा सक्रिय हो रही है । संभावित कारण: ऊर्जा प्रवाह – कुंडलिनी जब उठती है, तो रीढ़ और गर्दन में स्वतः गति उत्पन्न हो सकती है। अतिरिक्त ऊर्जा संतुलन खोज रही है – यदि चक्र संतुलित न हों, तो यह हलचल हो सकती है। आत्मसमर्पण का संकेत – ऊर्जा जब सही मार्ग पर जाती है, तो ध्यान गहरा हो जाता है। क्या करें? डरें नहीं, इसे सहज होने दें । मूलाधार चक्र पर ध्यान दें, ताकि ऊर्जा संतुलित हो । शरीर को आरामदायक स्थिति में रखें और जबरदस्ती न रोकें । 🚩

2 sal brahmchari jaate hue Ho Gaya fir bhi meri buddhi nahin ban rahi hai ulta mein sharir se kamjor ban raha hun Shayad ek vyayam karta hun bhojan subah Na aaye kamvasna aati hai fir bhi Guru jaisa kyon Ho Raha hai ?

 2 sal brahmchari jaate hue Ho Gaya fir bhi meri buddhi nahin ban rahi hai ulta mein sharir se kamjor ban raha hun Shayad ek vyayam karta hun bhojan subah Na aaye kamvasna aati hai fir bhi Guru jaisa kyon Ho Raha hai ? ब्रह्मचर्य का पालन करने के बावजूद बुद्धि तेज़ न होना और शरीर कमजोर होना , यह संकेत है कि ऊर्जा सही दिशा में नहीं जा रही । संभावित कारण: प्राण ऊर्जा का सही संचार न होना – ब्रह्मचर्य का सही प्रभाव तब होता है जब ऊर्जा ऊर्ध्वगामी होती है। व्यायाम की कमी – केवल एक व्यायाम पर्याप्त नहीं, पूरे शरीर को सक्रिय करें। असंतुलित आहार – पोषक तत्वों की कमी कमजोरी ला सकती है। उपाय: अच्छा पौष्टिक आहार लें (सूखे मेवे, देशी घी, फल, दूध)। सूर्य प्रणाम और प्राणायाम करें । मूलाधार और नाभि चक्र को संतुलित करें । 🚩

Mere third eye per vibration hoti rahti hai par mujhe kuch dekhta nhi sir mujhe kya karna sahi hoga ?

 Mere third eye per vibration hoti rahti hai par mujhe kuch dekhta nhi sir mujhe kya karna sahi hoga ? अगर आपकी थर्ड आई (आज्ञा चक्र) पर लगातार वाइब्रेशन होती रहती है , लेकिन आपको कुछ दिखाई नहीं देता , तो इसका मतलब है कि ऊर्जा सक्रिय हो रही है, लेकिन पूरी तरह जागृत नहीं हुई । क्या करें? धैर्य रखें – थर्ड आई धीरे-धीरे खुलती है, तुरंत कुछ दिखना जरूरी नहीं। मूलाधार चक्र को मजबूत करें – इससे ऊर्जा संतुलित होगी और अनुभव स्थिर होंगे। अति प्रयास न करें – जबरदस्ती देखने की कोशिश न करें, यह स्वाभाविक रूप से होगा। ओम मंत्र या त्राटक ध्यान करें – इससे आज्ञा चक्र की ऊर्जा संतुलित होगी। 🚩

Muje roj sone se pehle srir me tej tej jhtke lgte hai khas kar pero se pet tk . Ye bhot hi becheni bhre hote hai me kuch pl bhi chain se let nhi pati Par ye din me nhi hota ?

 Muje roj sone se pehle srir me tej tej jhtke lgte hai khas kar pero se pet tk . Ye bhot hi becheni bhre hote hai me kuch pl bhi chain se let nhi pati Par ye din me nhi hota ? रात को सोने से पहले शरीर में तेज-तेज झटके (jerks) लगना, खासकर पैरों से पेट तक , यह संकेत है कि आपकी ऊर्जा प्रणाली (Energy System) सक्रिय हो रही है । संभावित कारण: कुंडलिनी जागरण – ऊर्जा प्रवाह तेज होने से शरीर में झटके महसूस होते हैं। नर्वस सिस्टम की संवेदनशीलता – ध्यान और साधना से शरीर की ऊर्जा प्रणाली अधिक संवेदनशील हो सकती है। असंतुलित ऊर्जा – यदि मूलाधार चक्र मजबूत नहीं है, तो ऊर्जा ऊपर जाकर असंतुलन पैदा कर सकती है। उपाय: सोने से पहले ग्राउंडिंग करें (नंगे पैर घास पर चलें)। मूलाधार चक्र पर ध्यान दें । हल्का योग और प्राणायाम करें । 🚩

Agar urja seer k upar Or mathe pr mehsoos hoti ho to iska kya matlb h ki baki ke niche wale chakkar jagrit ho gye h ki nhi ?

 Agar urja seer k upar Or mathe pr mehsoos hoti ho to iska kya matlb h ki baki ke niche wale chakkar jagrit ho gye h ki nhi ? यदि ऊर्जा सिर के ऊपर और माथे पर महसूस होती है , तो यह संकेत है कि आज्ञा चक्र और सहस्रार चक्र सक्रिय हो रहे हैं । लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि नीचे के चक्र पूरी तरह जाग्रत हो चुके हैं । संभावित कारण: ऊर्जा ऊपर की ओर बढ़ रही है , लेकिन यदि नीचे के चक्र मजबूत न हों, तो असंतुलन हो सकता है। मूलाधार से सहस्रार तक संतुलित जागरण जरूरी है , अन्यथा सिर में भारीपन या मानसिक अस्थिरता हो सकती है। ग्राउंडिंग करें – मूलाधार और स्वाधिष्ठान चक्र पर ध्यान दें ताकि ऊर्जा संतुलित रहे। 🚩

Lagatar dudh ke ubalte dudh kakhushbu aane ka kya matlab hota hai ?

 Lagatar dudh ke ubalte dudh kakhushbu aane ka kya matlab hota hai ? लगातार दूध के उबलते दूध की खुशबू महसूस होना एक विशेष आध्यात्मिक और सूक्ष्म ऊर्जा से जुड़ा संकेत हो सकता है। संभावित कारण: कुंडलिनी जागरण – जब आंतरिक ऊर्जा सक्रिय होती है, तो साधक को अलग-अलग सुगंधों का अनुभव हो सकता है। सूक्ष्म लोक से जुड़ाव – यह संकेत हो सकता है कि किसी दिव्य शक्ति की उपस्थिति आपके आसपास है। मानसिक या आध्यात्मिक शुद्धि – यह संकेत हो सकता है कि आपकी साधना उन्नत हो रही है और आपके अंदर शुद्धिकरण की प्रक्रिया चल रही है। ध्यान और साधना जारी रखें, यह शुभ संकेत हो सकता है। 🚩

जब मैं रात को सोया होता हूं तो मेरे कानों में अजीब सी आवाज आती है और धीरे धीरे तेज होती जाती हैं, और पूरे शरीर मे वाइब्रेशन यानी की झटका सा लगता है और मे डर जाता हूं और जाग जाता हूं और सुनने की कोशिश नही करता डर में , ऐसा क्यों होता है ?

 जब मैं रात को सोया होता हूं तो मेरे कानों में अजीब सी आवाज आती है और धीरे धीरे तेज होती जाती हैं, और पूरे शरीर मे वाइब्रेशन यानी की झटका सा लगता है और मे डर जाता हूं और जाग जाता हूं और सुनने की कोशिश नही करता डर में , ऐसा क्यों होता है? रात को सोते समय कानों में अजीब आवाजें आना , धीरे-धीरे तेज होना, और पूरे शरीर में वाइब्रेशन या झटके लगना यह संकेत है कि आपकी सूक्ष्म ऊर्जा जागृत हो रही है । संभावित कारण: कुंडलिनी शक्ति सक्रिय हो रही है – ऊर्जा जागरण के दौरान कंपन और ध्वनियाँ महसूस हो सकती हैं। अनाहत नाद (Inner Sound) – यह आध्यात्मिक ध्वनि है, जो गहरी साधना से सुनाई देती है। सूक्ष्म शरीर (Astral Projection) का प्रयास – नींद के दौरान आत्मा शरीर से अलग होने की स्थिति में कंपन हो सकते हैं। डरें नहीं, इसे सहज स्वीकार करें और मूलाधार चक्र पर ध्यान देकर ग्राउंडिंग करें । 🚩

मैं आज्ञा चक्र में ध्यान लगाता हूं मुझे लग रहा है मैं घूम रहा हूं मैं कहीं जा रहा हूं मैं आंखें खोल देता हूं इसका मतलब क्या है ?

 मैं आज्ञा चक्र में ध्यान लगाता हूं मुझे लग रहा है मैं घूम रहा हूं मैं कहीं जा रहा हूं मैं आंखें खोल देता हूं इसका मतलब क्या है ? जब आप आज्ञा चक्र में ध्यान लगाते हैं और आपको लगता है कि आप घूम रहे हैं या कहीं जा रहे हैं , तो यह सूक्ष्म ऊर्जा के जागरण और चेतना के विस्तार का संकेत हो सकता है। संभावित कारण: ऊर्जा संतुलन – आज्ञा चक्र सक्रिय होने से दिशा-बोध अस्थिर हो सकता है। सूक्ष्म यात्रा (Astral Projection) – यह संकेत हो सकता है कि आपकी चेतना शरीर से परे अनुभव कर रही है। गहराई से ध्यान में प्रवेश – मस्तिष्क की तरंगें बदलने से हल्का भ्रम महसूस हो सकता है। डरें नहीं, ध्यान जारी रखें और ग्राउंडिंग के लिए मूलाधार चक्र पर ध्यान दें। 🚩

मेरा आपसे प्रश्न यह है कि जब मैं कुंडली जागरण के लिए बैठता हूं तो मेरे आस पास एक अजब खुशबू महसूस होती है क्या कारण है कृपया बताएं

 मेरा आपसे प्रश्न यह है कि जब मैं कुंडली जागरण के लिए बैठता हूं तो मेरे आस पास एक अजब खुशबू महसूस होती है क्या कारण है कृपया बताएं जब आप कुंडलिनी जागरण के लिए ध्यान करते हैं और आपके आसपास अजब खुशबू महसूस होती है, तो यह एक शुभ संकेत है। संभावित कारण: सूक्ष्म ऊर्जा का जागरण – कुंडलिनी शक्ति सक्रिय होने पर दिव्य सुगंध महसूस हो सकती है। सिद्ध पुरुषों या दिव्य शक्तियों की उपस्थिति – उच्च चेतना स्तर पर साधकों को देवी-देवताओं या गुरु-तत्त्व की अनुभूति सुगंध के रूप में होती है। आभा शुद्धिकरण – ध्यान से नकारात्मक ऊर्जा हटने पर दिव्य गंध उत्पन्न हो सकती है। इसे स्वीकार करें और साधना जारी रखें। 🚩

देवी देवता का शरीर म स्थान लेना क्या होता ह काया लाभ और हानि ह कृपय विस्तृत बताए

 देवी देवता का शरीर म स्थान लेना क्या होता ह काया लाभ और हानि ह कृपय विस्तृत बताए देवी-देवता का शरीर में स्थान लेना: अर्थ, लाभ और हानि जब किसी साधक की साधना गहरी होती है, तो देवी-देवता की ऊर्जा उनके शरीर में प्रकट हो सकती है। इसे ‘देवी-देवता का शरीर में स्थान लेना’ कहते हैं। लाभ: दिव्य कृपा और संरक्षण प्राप्त होता है। साधक की ऊर्जा और आभा बढ़ती है। मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है। हानि: शरीर पर अत्यधिक दबाव पड़ सकता है। संतुलन न होने पर ऊर्जा अस्थिर हो सकती है। अहंकार आ सकता है, जिससे आध्यात्मिक पतन हो सकता है। संतुलित साधना आवश्यक है। 🚩

Dyan m 1 hour ya 1m30 hour bethe rhne p time ka nhu pta lgta esa lgta h 2,3 min hue ho iska kya karn hota h

 Dyan m 1 hour ya 1m30 hour bethe rhne p time ka nhu pta lgta esa lgta h 2,3 min hue ho iska kya karn hota h ? ध्यान में समय का अनुभव खो जाना गहरी एकाग्रता (ध्यानस्थ अवस्था) और समाधि के प्रारंभिक संकेत हो सकते हैं। जब मन पूरी तरह से स्थिर हो जाता है और बाहरी जगत से कट जाता है, तो काल (समय) का बोध खत्म हो जाता है । इसे त्रिकाल से परे अवस्था भी कहा जाता है। यह दर्शाता है कि आपका ध्यान सही दिशा में बढ़ रहा है। इसे और गहरा करने के लिए साक्षी भाव बनाए रखें और प्रवाह के साथ चलें । क्या इस दौरान आपको कोई प्रकाश, ध्वनि, या अन्य अनुभव भी होते हैं?

:Mje agya chakkar pr bot der tk vibration hui iska kya meaning h mje age kya krna chia

 :Mje agya chakkar pr bot der tk vibration hui iska kya meaning h mje age kya krna chia ? आज्ञा चक्र पर लंबे समय तक वाइब्रेशन होना दर्शाता है कि आपकी ऊर्जा वहाँ सक्रिय हो रही है और यह चक्र जागरण की अवस्था में है। यह आंतरिक दृष्टि, अंतर्ज्ञान और आध्यात्मिक प्रगति का संकेत है। अब आपको ध्यान को स्थिर और गहरा करने की जरूरत है। ज्यादा सोचने के बजाय ध्यान में सहजता बनाए रखें और अनाहत नाद (आंतरिक ध्वनि) पर ध्यान दें। अगर वाइब्रेशन बहुत तेज हो, तो कुछ समय मूलाधार चक्र पर ध्यान देकर संतुलन बनाएँ । क्या आपको इसके साथ कोई प्रकाश या रंग भी दिखते हैं?

सैया आसान करते समय पहले पाओ में चीटियां लगी वह बंद हो गई फिर बाद में पैरों में संसाधन हुई ऊपर तक की तरफ उर्जा आई वह भी बंद हो गई अब पूरी बॉडी में गुदगुदी चलती है ध्यान करते समय जिसको मैं सह नहीं पा रही हूं

 सैया आसान करते समय पहले पाओ में चीटियां लगी वह बंद हो गई फिर बाद में पैरों में संसाधन हुई ऊपर तक की तरफ उर्जा आई वह भी बंद हो गई अब पूरी बॉडी में गुदगुदी चलती है ध्यान करते समय जिसको मैं सह नहीं पा रही हूं ? यह संकेत है कि आपकी ऊर्जा (प्राण शक्ति) पूरे शरीर में प्रवाहित हो रही है , लेकिन यह असंतुलित हो सकती है। पहले पैरों में चींटियों जैसी सनसनाहट, फिर ऊपर ऊर्जा का आना, और अब पूरे शरीर में गुदगुदी—यह ऊर्जा जागरण का संकेत है। इसे संतुलित करने के लिए धीमी सांसों के साथ ध्यान करें , शरीर को ढीला छोड़ें, और जब गुदगुदी हो, तो उस पर ध्यान न दें, बल्कि उसे स्वीकार करें । मूलाधार और नाभि चक्र पर ध्यान केंद्रित करें ताकि ऊर्जा स्थिर हो। क्या यह हर ध्यान में होता है या कभी-कभी?

Mujhe Dhyan ke baad भूख bahut lagati hai......kya ye sahi hai

 Mujhe Dhyan ke baad भूख bahut lagati hai......kya ye sahi hai ? हाँ, ध्यान के बाद भूख लगना एक सामान्य अनुभव है, खासकर जब ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। जब आप ध्यान करते हैं, तो शरीर की प्राण ऊर्जा सक्रिय हो जाती है, जिससे चयापचय (metabolism) तेज हो सकता है, और परिणामस्वरूप भूख बढ़ सकती है। यह दर्शाता है कि आपकी साधना प्रभावी हो रही है। लेकिन अगर बहुत ज्यादा भूख लग रही है, तो ध्यान के बाद हल्का और सात्त्विक भोजन करें। क्या यह हर ध्यान सत्र के बाद होता है या कभी-कभी?

Mujhe khuli aankho se sanket dikhte hai jab kuch hone wala hota hai vo insaan bhi dikhta hai jiske sath hoga aisa kyu ho raha hai

 Mujhe khuli aankho se sanket dikhte hai jab kuch hone wala hota hai vo insaan bhi dikhta hai jiske sath hoga aisa kyu ho raha hai ? आपकी यह क्षमता अतिसंवेदनशील अंतर्ज्ञान और सूक्ष्म दृष्टि से जुड़ी हो सकती है। जब कोई घटना होने वाली होती है, तो आपका चेतन या अवचेतन मन उसे पहले ही ग्रहण कर लेता है और संकेतों के रूप में दिखाता है। यह तीसरे नेत्र (आज्ञा चक्र) की सक्रियता का संकेत हो सकता है। यदि यह बार-बार होता है, तो इसे नियंत्रित करने और समझने के लिए ध्यान और आत्मनिरीक्षण आवश्यक है। क्या ये संकेत हमेशा सही साबित होते हैं?

कुंडलिनी एक केंद्र पर कैसे पहुंचती हैं और वहां कैसे स्थित होती हैं। क्या किसी केंद्र पर कुंडलिनी को लंबे समय के लिए स्थित किया जा सकता हैं?

 कुंडलिनी एक केंद्र पर कैसे पहुंचती हैं और वहां कैसे स्थित होती हैं। क्या किसी केंद्र पर कुंडलिनी को लंबे समय के लिए स्थित किया जा सकता हैं? कुंडलिनी ऊर्जा किसी केंद्र (चक्र) पर तब पहुँचती है जब ध्यान, प्राणायाम, और जप के माध्यम से उसे नियंत्रित किया जाता है। जब कोई साधक एकाग्रता और संकल्प के साथ किसी चक्र पर ध्यान केंद्रित करता है, तो कुंडलिनी वहां सक्रिय हो सकती है। इसे लंबे समय तक स्थिर रखने के लिए मन की स्थिरता, इड़ा-पिंगला का संतुलन, और गुरु-कृपा आवश्यक है। यदि साधक की ऊर्जा असंतुलित हो, तो कुंडलिनी एक स्थान पर नहीं ठहरती। क्या आप किसी विशेष चक्र पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं?

मुझे लगभग तीन साल से एक ही आवाज सुनाई देती हैं सन्नाटा की और आगे कोई तरक्की नहीं हुई सिमरन भी करतीह मार्ग दर्शन करें

 मुझे लगभग तीन साल से एक ही आवाज सुनाई देती हैं सन्नाटा की और आगे कोई तरक्की नहीं हुई सिमरन भी करतीह मार्ग दर्शन करें? आप तीन साल से सन्नाटे की ध्वनि सुन रहे हैं, जिसका अर्थ है कि आपकी चेतना अभी भी सूक्ष्म ध्वनियों के एक स्तर पर स्थिर है। आगे बढ़ने के लिए ध्यान की गहराई बढ़ानी होगी। प्रतिदिन सिमरन के साथ श्रवण साधना करें, लेकिन मन को ध्वनि से अधिक गहराई में ले जाने का प्रयास करें। ध्यान में समर्पण बढ़ाएँ और विचारों से मुक्त होकर केवल सुनने का अभ्यास करें। कभी-कभी गुरु-दीक्षा या उन्नत मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। क्या आपको ध्वनि के साथ कोई प्रकाश या अन्य अनुभव होते हैं?

सुरत-शब्द का मेल कैसे होता है?

सुरत-शब्द का मेल कैसे होता है? संतमत और आध्यात्मिक साधना में सुरत-शब्द योग को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। यह वह अवस्था है जब साधक की सुरत (चेतना, ध्यान) और शब्द (आनाहत नाद, दिव्य ध्वनि) का मिलन होता है। यह मिलन व्यक्ति को आत्मा से परमात्मा की ओर ले जाता है और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव होता है। इस लेख में हम जानेंगे कि सुरत-शब्द का मेल कैसे होता है, इसके क्या लक्षण हैं, और इसे प्राप्त करने के लिए क्या साधना करनी चाहिए।

सूक्ष्म जगत क्या है?

 सूक्ष्म जगत क्या है? सूक्ष्म जगत वह क्षेत्र है जो भौतिक जगत की सीमाओं से परे होता है। यह ऊर्जा, चेतना और विभिन्न सूक्ष्म शक्तियों का स्थान है। इसमें देवता, पितर, ऋषि, सूक्ष्म जीव, अदृश्य शक्तियाँ, और विभिन्न ऊर्जाएँ कार्यरत रहती हैं। भौतिक जगत को हम अपनी पाँच इंद्रियों (देखना, सुनना, सूंघना, स्वाद लेना, और स्पर्श करना) के माध्यम से अनुभव करते हैं, जबकि सूक्ष्म जगत को अनुभव करने के लिए हमारी सूक्ष्म इंद्रियों (आंतरिक दृष्टि, आंतरिक श्रवण, और आंतरिक अनुभूति) का जागरण आवश्यक होता है।

सूक्ष्म जगत में सूक्ष्म चीजें कैसे और कब दिखती हैं?

 सूक्ष्म जगत में सूक्ष्म चीजें कैसे और कब दिखती हैं? सूक्ष्म जगत (Subtle World) हमारे भौतिक जगत से परे एक अदृश्य और सूक्ष्म आयाम है, जिसे साधारण इंद्रियों से नहीं देखा जा सकता। यह स्थूल जगत की तुलना में अधिक सूक्ष्म, ऊर्जात्मक और चेतनात्मक स्तर पर कार्य करता है। आध्यात्मिक साधना, ध्यान, और विशेष मानसिक अवस्थाओं में प्रवेश करने से व्यक्ति को इस सूक्ष्म जगत का अनुभव होने लगता है। यह लेख सूक्ष्म जगत में सूक्ष्म चीजों के दर्शन कैसे होते हैं, कब होते हैं, और किन परिस्थितियों में इनका अनुभव किया जा सकता है, इस पर प्रकाश डालेगा।

ध्यान कर्ते 15 min के बात ऐसा लगा कि किसी ने मुझे छुवा है इसका क्या मतलब है

 ध्यान कर्ते 15 min के बात ऐसा लगा कि किसी ने मुझे छुवा है इसका क्या मतलब है ? ध्यान के दौरान 15 मिनट बाद स्पर्श महसूस होना ऊर्जा जागरण और सूक्ष्म जगत से जुड़ाव का संकेत हो सकता है। यह कई कारणों से हो सकता है: ऊर्जा प्रवाह – जब कुंडलिनी शक्ति सक्रिय होती है, तो शरीर में हल्की स्पर्श या झटके जैसी अनुभूति हो सकती है। सूक्ष्म उपस्थिति – किसी दिव्य शक्ति, गुरु कृपा, या आत्मिक ऊर्जा का संकेत हो सकता है। चेतना का विस्तार – जब ध्यान गहरा होता है, तो इंद्रियाँ सूक्ष्म स्तर पर कार्य करने लगती हैं। डरें नहीं, ध्यान जारी रखें और इस अनुभूति को सहज रूप से स्वीकार करें। ✨

Agar oorja Sir par rehti ho, naad bi sun rha ho par Parkash nahi ho toh kya isseh bi dasam dwaar khula hone ka sanket hai.

 Agar oorja Sir par rehti ho, naad bi sun rha ho par Parkash nahi ho toh kya isseh bi dasam dwaar khula hone ka sanket hai. ? हाँ, यदि ऊर्जा सिर पर स्थिर रहती है, नाद (आंतरिक ध्वनि) स्पष्ट सुनाई देता है, लेकिन प्रकाश अनुभव नहीं होता, तो यह दशम द्वार खुलने की दिशा में एक संकेत हो सकता है। दशम द्वार के जागरण में हर साधक को अलग-अलग अनुभव होते हैं—कुछ को पहले प्रकाश दिखता है, कुछ को नाद सुनाई देता है, और कुछ को ऊर्जा का गहरा प्रवाह महसूस होता है। प्रकाश न दिखने का अर्थ यह हो सकता है कि आपका ध्यान अभी और गहरा होना बाकी है। अभ्यास जारी रखें, नाद पर ध्यान केंद्रित करें, और समर्पण बनाए रखें—प्रकाश भी प्रकट होगा। ✨

Kundalini Jagran Hai ya kamvasna ka Jagran Hai kamvasna bhaut Heavey hojata Hai Kya kare

 Kundalini Jagran Hai ya kamvasna ka Jagran Hai kamvasna bhaut Heavey hojata Hai Kya kare ? कुंडलिनी जागरण और कामवासना के जागरण में अंतर समझना जरूरी है। यदि ऊर्जा उठने के साथ मन शांत, स्थिर और आनंदमय महसूस हो, तो यह कुंडलिनी का संकेत है। लेकिन अगर विचार वासनात्मक हों और शरीर में भारीपन व बेचैनी लगे, तो यह अपरा ऊर्जा (कामवासना) का प्रभाव हो सकता है। क्या करें? प्राणायाम करें – विशेषकर नाड़ी शोधन और भ्रामरी। ऊर्जा को ऊर्ध्वगामी करें – ध्यान को सहस्रार पर केंद्रित करें। सत्संग और जप करें – "ओम नमः शिवाय" या "गायत्री मंत्र" का जप सहायक होगा। आहार व विचार शुद्ध रखें – सात्त्विक भोजन ग्रहण करें।

Guruji kya chakra black background me white lines se bane hue dikhte hai?

 Guruji kya chakra black background me white lines se bane hue dikhte hai? हाँ, कई साधकों को ध्यान में काले (ब्लैक) बैकग्राउंड पर सफेद रेखाओं से बने चक्रों के दर्शन होते हैं। यह ऊर्जा प्रवाह और सूक्ष्म जागरण का संकेत हो सकता है। विशेष रूप से, जब आज्ञा या सहस्रार चक्र सक्रिय होते हैं, तो इस प्रकार की ज्यामितीय आकृतियाँ दिखाई दे सकती हैं। यह दर्शाता है कि आपकी चेतना गहराई में जा रही है और दिव्य ऊर्जा का अनुभव हो रहा है। यदि ये दर्शन स्थिर और स्पष्ट हैं, तो ध्यान जारी रखें, यह एक सकारात्मक संकेत हो सकता है कि आपका आंतरिक जागरण सही दिशा में प्रगति कर रहा है। ✨

Jab mai mediation krti hu meri body agge pichhe hoti hai mere hath khud chlte puri body ko touch krte hai.. sr pe maathe pe sr ke piche points ko khud press krte agr mai ek ghnta medition kru to ek ghnta movements chli hai.. plz aap bta skte ho ye kya hai ?

 Jab mai mediation krti hu meri body agge pichhe hoti hai mere hath khud chlte puri body ko touch krte hai.. sr pe maathe pe sr ke piche points ko khud press krte agr mai ek ghnta medition kru to ek ghnta movements chli hai.. plz aap bta skte ho ye kya hai ? ध्यान के दौरान शरीर का आगे-पीछे होना और हाथों का अपने आप शरीर के विभिन्न हिस्सों को छूना ऊर्जा जागरण का संकेत हो सकता है। यह कुंडलिनी शक्ति के जागरण के लक्षण हो सकते हैं। जब शरीर में ऊर्जा का प्रवाह तेज़ होता है, तो शरीर अपने आप संतुलन बनाने का प्रयास करता है। सिर, माथे और सिर के पीछे के बिंदु दबाना सहस्रार चक्र और आज्ञा चक्र की सक्रियता को दर्शाता है। इसे नियंत्रित करने के लिए मूलाधार चक्र पर ध्यान केंद्रित करें, भ्रामरी प्राणायाम करें और ध्यान के बाद शांत बैठें। 🙏🌸

गुरु जी रोज मेरी नींद 12 बजे से 3 बजे से पहले मेरी नींद खुल जाती है और मुझे बहुत बेचैनी , चिंता और घबराहट होने लगती है मैं क्या करूं मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है मैं सोने का प्रयास करता हूं पर मैं सो नहीं पाता हूं गुरु जी मै क्या करूं कोई समाधान बताइए ?

 गुरु जी रोज मेरी नींद 12 बजे से 3 बजे से पहले मेरी नींद खुल जाती है और मुझे बहुत बेचैनी , चिंता और घबराहट होने लगती है मैं क्या करूं मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है मैं सोने का प्रयास करता हूं पर मैं सो नहीं पाता हूं गुरु जी मै क्या करूं कोई समाधान बताइए ? रोज़ रात 12 बजे से 3 बजे के बीच नींद खुलना और बेचैनी, चिंता और घबराहट होना सहस्रार चक्र या आज्ञा चक्र की सक्रियता का संकेत हो सकता है। इस समय ऊर्जा का प्रवाह तेज़ होता है, जिससे मन और शरीर पर असर पड़ता है। सोने से पहले भ्रामरी प्राणायाम और अनुलोम-विलोम करें। ओम मंत्र का जाप करें और एक गिलास गुनगुना दूध पीकर सोएं। सोते समय मूलाधार चक्र पर ध्यान दें ताकि ऊर्जा नीचे संतुलित हो सके। धीरे-धीरे यह स्थिति सामान्य हो जाएगी। भय को त्यागें और ईश्वर पर विश्वास रखें। 🙏🌸

Mai sota hu to sarir chutne lgta hai guru b nhi hai ?

 Mai sota hu to sarir chutne lgta hai guru b nhi hai ? मुझे खेद है, लेकिन मैं आपको संपर्क नंबर नहीं दे सकता। सोते समय शरीर के छूटने का अनुभव आत्मा के सूक्ष्म शरीर से अलग होने का संकेत हो सकता है, जो ध्यान और ऊर्जा जागरण के दौरान स्वाभाविक है। डर को दूर करने के लिए मूलाधार चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और सोने से पहले ओम का जप करें। भ्रामरी प्राणायाम और अनुलोम-विलोम से ऊर्जा संतुलित होगी। गुरु न होने पर भी ईश्वर का स्मरण करें और आत्मिक मार्गदर्शन के लिए धैर्य रखें। अपने भीतर के आत्म-प्रकाश पर विश्वास करें।

Aagya pr urja rhti h darr sa lgta hai jb sota hu sarir me se nikalne ka bhay sa lgta hai guru b nhi hai ?

 Aagya pr urja rhti h darr sa lgta hai jb sota hu sarir me se nikalne ka bhay sa lgta hai guru b nhi hai ? अगर आज्ञा चक्र पर ऊर्जा बनी रहती है और सोते समय शरीर से बाहर निकलने का भय लगता है, तो यह आध्यात्मिक जागरण का संकेत हो सकता है। आज्ञा चक्र की सक्रियता से ऊर्जा शरीर से बाहर निकलने की अनुभूति होती है। डर को दूर करने के लिए गुरु मंत्र या ओम का जप करते हुए सोएं। सोने से पहले भ्रामरी प्राणायाम और अनुलोम-विलोम करें। शरीर को ज़मीन से जोड़ने के लिए मूलाधार चक्र पर ध्यान दें। किसी अनुभवी साधक या गुरु से मार्गदर्शन लें ताकि ऊर्जा का सही संतुलन बना रहे।

गुरुजी साधना ध्यान के वक्त सिर के बाएं हिस्से में दर्द क्यों होता है ??

 गुरुजी साधना ध्यान के वक्त सिर के बाएं हिस्से में दर्द क्यों होता है ?? गुरुजी, साधना और ध्यान के दौरान सिर के बाएं हिस्से में दर्द होना आज्ञा चक्र या सहस्रार चक्र की सक्रियता का संकेत हो सकता है। जब ऊर्जा शरीर के बाएं हिस्से (इड़ा नाड़ी) से प्रवाहित होती है, तो यह मानसिक तनाव या ऊर्जा असंतुलन के कारण सिर के बाएं हिस्से में दर्द उत्पन्न कर सकती है। इसे संतुलित करने के लिए अनुलोम-विलोम प्राणायाम करें और ध्यान से पहले भ्रामरी प्राणायाम करें। ध्यान के दौरान सिर में हल्का दर्द हो तो जबरदस्ती ध्यान न करें, धीरे-धीरे गहरी सांस लें और मन को शांत करें।

Muje 3 mahine ho gye hai dhyan krte huye....abhi 3 4 din se sir or piche gardan pr bht jyada khichav mahsus ho rha hai..or ankhe apneaap bnd ho jati hai....khi muje koi bimari to nhi ho gyi hai....darr bhi lgta hai raat ko...plz koi upay btaye

 Muje 3 mahine ho gye hai dhyan krte huye....abhi 3 4 din se sir or piche gardan pr bht jyada khichav mahsus ho rha hai..or ankhe apneaap bnd ho jati hai....khi muje koi bimari to nhi ho gyi hai....darr bhi lgta hai raat ko...plz koi upay btaye ?? ध्यान करते हुए आपको 3 महीने हो गए हैं और अब 3-4 दिनों से सिर और गर्दन के पीछे बहुत अधिक खिंचाव महसूस हो रहा है। आँखें अपने आप बंद हो जाती हैं, जिससे डर लग रहा है कि कहीं कोई बीमारी तो नहीं हो गई। यह कुंडलिनी ऊर्जा के जागरण या आज्ञा चक्र की सक्रियता का संकेत हो सकता है। सिर और गर्दन के खिंचाव को शांत करने के लिए अनुलोम-विलोम और भ्रामरी प्राणायाम करें। रात को सोने से पहले ओम का जाप करें और ध्यान के बाद कुछ समय शांत बैठें। भय से बचने के लिए गुरु मंत्र का स्मरण करें।

Manipur chakra agar adhik active ho to kya kare kyuki sabhi logo ke face ka colour yallow dikhta hai jyada ?

 Manipur chakra agar adhik active ho to kya kare kyuki sabhi logo ke face ka colour yallow dikhta hai jyada ? यदि आपका मणिपुर चक्र (नाभि चक्र) अधिक सक्रिय हो गया है और आपको सभी लोगों के चेहरे का रंग पीला दिखाई दे रहा है, तो यह संकेत है कि आपकी ऊर्जा असंतुलित हो रही है। मणिपुर चक्र सूर्य तत्व से जुड़ा है, इसलिए अधिक सक्रिय होने पर गर्मी, गुस्सा और मानसिक अस्थिरता महसूस हो सकती है। इसे संतुलित करने के लिए शीतली प्राणायाम और अनुलोम विलोम का अभ्यास करें। पीले रंग की धारणा को कम करने के लिए ध्यान में हरे या नीले रंग की कल्पना करें। हल्का और सुपाच्य भोजन करें और पेट को शांत रखने के लिए गुनगुने पानी में नींबू मिलाकर पिएं।

Main sapna vul jata hu..roz...dekhta hu or vul jata hu... Yeh prblm 1 month se ho raha hai.. ?

 Main sapna vul jata hu..roz...dekhta hu or vul jata hu... Yeh prblm 1 month se ho raha hai.. ? यदि आप रोज़ सपने देखते हैं लेकिन उन्हें भूल जाते हैं, तो यह संकेत हो सकता है कि आपका अवचेतन मन अधिक सक्रिय हो रहा है। ध्यान और मानसिक उथल-पुथल के कारण मस्तिष्क में सूचना का सही ढंग से संग्रह नहीं हो रहा है। इसे सुधारने के लिए सोने से पहले 5 मिनट ध्यान करें और मन को शांत करें। सुबह उठने के बाद तुरंत सपनों को एक डायरी में लिखने की आदत डालें। इससे मस्तिष्क की याददाश्त मजबूत होगी और सपनों को याद रखने में मदद मिलेगी। ओम जप और प्राणायाम से भी मानसिक स्थिरता आएगी।

Name jap ma kampn hona or ako bich gugdi hona or asu ana dayn ma jatka lagna or diyan ma Ram name ki awaaz ana Gusa jada ana pith ma kampn or chimrat hona asa kyu ?

 Name jap ma kampn hona or ako bich gugdi hona or asu ana dayn ma jatka lagna or diyan ma Ram name ki awaaz ana  Gusa jada ana pith ma kampn or chimrat hona  asa kyu ? नाम जप के दौरान कंपन, आंखों के बीच गुदगुदी, आंसू आना, झटका लगना, राम नाम की आवाज़ सुनाई देना, गुस्सा आना, पीठ में कंपन और झनझनाहट महसूस होना सभी लक्षण कुंडलिनी जागरण के संकेत हो सकते हैं। जब आप नाम जप करते हैं, तो आपकी ऊर्जा नाड़ियों (इड़ा, पिंगला, सुषुम्ना) के माध्यम से प्रवाहित होने लगती है, जिससे आज्ञा चक्र (तीसरा नेत्र) और अन्य चक्र सक्रिय होने लगते हैं। आंखों के बीच गुदगुदी और आंसू आना आज्ञा चक्र की सक्रियता के संकेत हैं। पीठ में कंपन कुंडलिनी शक्ति के उठने और रीढ़ की हड्डी से ऊपर उठने का लक्षण है। गुस्सा आना इस बात का संकेत है कि ऊर्जा संतुलित नहीं हो रही है। इसे संतुलित करने के लिए अनुलोम विलोम , भ्रामरी और ओम जप करें। ध्यान के बाद कुछ देर शांत बैठें और धरती से संपर्क बनाए रखें।

Agr hm imagine kre kuch touch krne ka or dusre insan ko bhi same bole imagine kro to kya usko bhi same touch ka feeling ayega jo maine kiya plz btaye ?

 Agr hm imagine kre kuch touch krne ka or dusre insan ko bhi same bole imagine kro to kya usko bhi same touch ka feeling ayega jo maine kiya plz btaye ? अगर आप किसी चीज़ को छूने की कल्पना करते हैं और दूसरे व्यक्ति से भी वही कल्पना करने के लिए कहते हैं, तो उसके लिए भी वही स्पर्श महसूस करना संभव है, लेकिन यह पूरी तरह से उनकी मानसिक संवेदनशीलता और आपके बीच की ऊर्जा कनेक्शन पर निर्भर करेगा। यदि आप दोनों के बीच गहरा मानसिक या आध्यात्मिक जुड़ाव है, तो टेलीपैथी या ऊर्जा के माध्यम से वे भी वैसा ही अहसास महसूस कर सकते हैं। ध्यान, प्राणायाम और मन के संतुलन से यह कनेक्शन और मजबूत हो सकता है।

Sir becheni ho rhi hai yaddast thik nhi rahti ye direct kra tha mene kabhi khusbu kabhi aawaj aati hai kya kru ab ?

 Sir becheni ho rhi hai yaddast thik nhi rahti ye direct  kra tha mene kabhi khusbu kabhi aawaj aati hai kya kru ab ? अगर आपको बेचैनी हो रही है, याददाश्त कमजोर महसूस हो रही है, और ध्यान के दौरान कभी खुशबू और कभी आवाज़ें सुनाई दे रही हैं, तो यह संकेत है कि आपकी ऊर्जा असंतुलित हो रही है। त्राटक या ध्यान के कारण आज्ञा चक्र अधिक सक्रिय हो सकता है, जिससे मानसिक अस्थिरता और बेचैनी महसूस हो सकती है। इसे संतुलित करने के लिए अनुलोम विलोम और भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास करें। ध्यान के बाद कुछ देर जमीन पर नंगे पैर चलें ताकि ऊर्जा का संतुलन बने। ओम का जप करते हुए सिर और माथे पर ठंडे पानी के छींटे डालें।

Mujhe mere pati ko hilign karni he uanka dhyan mere pass ana chahiye ?

 Mujhe mere pati ko hilign karni he uanka dhyan mere pass ana chahiye ? यदि आप चाहती हैं कि आपके पति का ध्यान आपकी ओर आकर्षित हो और उनका मन आपके प्रति जुड़ा रहे, तो आपको प्रेम और ऊर्जा के स्तर पर जुड़ना होगा। सबसे पहले, अपने मन को शांत करें और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करें। प्रतिदिन सुबह और रात को ध्यान में बैठें और अपने पति का चेहरा कल्पना करें। मन ही मन गुलाबी प्रकाश (प्रेम का रंग) उनके चारों ओर फैलाएं और यह भावना रखें कि वह आपकी ओर आकर्षित हो रहे हैं। इसके अलावा, “ क्लीं ” बीज मंत्र का 108 बार जप करें। यह मंत्र आकर्षण और प्रेम बढ़ाने में सहायक होता है। अपने घर के बेडरूम में गुलाबी या लाल रंग के फूल रखें, जिससे प्रेम ऊर्जा का संचार हो। साथ ही, पति से संवाद बढ़ाएं और उनके साथ अधिक समय बिताएं। प्रेम और विश्वास से उनका ध्यान स्वाभाविक रूप से आपकी ओर आकर्षित होगा।

Sir meri aagya pr tratak se dhyan direct ho gya hai aawaj aarhi hai khusbu aarhi hai kya kre ?

 Sir meri aagya pr tratak se dhyan direct ho gya hai aawaj aarhi hai khusbu aarhi hai kya kre ? अगर त्राटक से आपका ध्यान सीधे आज्ञा चक्र पर केंद्रित हो गया है और आपको आवाज़ें और खुशबू महसूस हो रही है, तो यह संकेत है कि आपकी तीसरी आंख सक्रिय हो रही है। आवाज़ें और सुगंध अनाहत नाद (आंतरिक ध्वनि) और सूक्ष्म ऊर्जा के जागरण के लक्षण हो सकते हैं। इसे संतुलित रखने के लिए ध्यान के बाद कुछ देर शांति में बैठें और गहरी सांस लें। ओम का जप करें और अधिक प्रयास किए बिना ध्यान को सहज रहने दें। अगर असुविधा महसूस हो तो त्राटक का अभ्यास कुछ समय के लिए कम कर दें।

Mera sawal hey ki jab me dhyan karti hu to merae chahera pe juoon joonati start ho jaati hey Asa kyu hota hey ??

 Mera sawal hey ki jab me dhyan karti hu to merae chahera  pe juoon joonati start ho jaati hey Asa kyu hota hey ?? ध्यान के दौरान चेहरे पर झुनझुनी महसूस होना इस बात का संकेत है कि आपकी ऊर्जा सक्रिय हो रही है और सूक्ष्म ऊर्जा नाड़ियों (Ida, Pingala, Sushumna) में प्रवाहित हो रही है। यह ऊर्जा के संतुलन और जागरण की प्रक्रिया का हिस्सा हो सकता है। जब ऊर्जा का प्रवाह आज्ञा चक्र या सहस्रार चक्र की ओर बढ़ता है, तो शरीर के विभिन्न हिस्सों, विशेषकर चेहरे पर झुनझुनी या कंपन महसूस हो सकता है। इसे स्वाभाविक मानें और घबराएं नहीं। नियमित ध्यान और गहरी सांस (प्राणायाम) से यह अनुभव संतुलित हो जाएगा।

क्या बिना गुरु के चक्रों को जाग्रत करना उचित होगा ?

 क्या बिना गुरु के चक्रों को जाग्रत करना उचित होगा ? बिना गुरु के चक्रों को जाग्रत करना जोखिम भरा हो सकता है क्योंकि चक्र जागरण के दौरान ऊर्जा का असंतुलन हो सकता है, जिससे शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक परेशानियां हो सकती हैं। गुरु के मार्गदर्शन में साधना करने से ऊर्जा संतुलित रूप से प्रवाहित होती है और साधक को सही दिशा मिलती है। बिना अनुभव के कुंडलिनी जागरण से भय, चक्कर आना, सिरदर्द, और मानसिक तनाव जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यदि आप बिना गुरु के चक्र जागरण कर रहे हैं, तो सावधानीपूर्वक अभ्यास करें, प्राणायाम और ध्यान से ऊर्जा संतुलित रखें, और ओम जप का सहारा लें।

Logon ko dekhne par unke sir par sahastrara chakra dikhta hai iska matlab kya hai ?

 Logon ko dekhne par unke sir par sahastrara chakra dikhta hai iska matlab kya hai ? यदि आपको लोगों को देखने पर उनके सिर पर सहस्रार चक्र (सिर के ऊपर स्थित हजारों पंखुड़ियों वाला चक्र) दिखाई देता है, तो यह संकेत है कि आपकी तीसरी आंख (आज्ञा चक्र) सक्रिय हो रही है। सहस्रार चक्र को देखना यह दर्शाता है कि आपकी ऊर्जा जागृत हो रही है और आप दूसरों की आभा (Aura) को महसूस कर रहे हैं। इसका अर्थ है कि आपकी आध्यात्मिक चेतना बढ़ रही है और आप सूक्ष्म ऊर्जा के स्तर पर दूसरों से जुड़ रहे हैं। इसे संतुलित रखने के लिए ध्यान और ओम जप का अभ्यास करें।

कृपया मेरी मदद करें। कल रात मुझे एक सपना आया कि किसी अजनबी का कार एक्सीडेंट हुआ और मैंने उन्हें बचाया। ये सभी लोग मेरे लिए अजनबी थे। ये सपना आज सुबह 3:11 बजे आया। जब मैं सुबह उठी, तो मेरे घुटनों में बहुत तेज़ दर्द हो रहा था। दर्द इतना था कि मैं ठीक से उठ भी नहीं पा रही थी। ऐसा लग रहा है जैसे उस सपने का असर मेरे शरीर पर हो रहा है। कृपया मुझे बताएं कि इसका क्या मतलब हो सकता है और इस दर्द से राहत के लिए क्या करूं।

 कृपया मेरी मदद करें। कल रात मुझे एक सपना आया कि किसी अजनबी का कार एक्सीडेंट हुआ और मैंने उन्हें बचाया। ये सभी लोग मेरे लिए अजनबी थे। ये सपना आज सुबह 3:11 बजे आया। जब मैं सुबह उठी, तो मेरे घुटनों में बहुत तेज़ दर्द हो रहा था। दर्द इतना था कि मैं ठीक से उठ भी नहीं पा रही थी। ऐसा लग रहा है जैसे उस सपने का असर मेरे शरीर पर हो रहा है। कृपया मुझे बताएं कि इसका क्या मतलब हो सकता है और इस दर्द से राहत के लिए क्या करूं। कल रात आए इस सपने का अर्थ यह हो सकता है कि आपके अवचेतन मन में किसी प्रकार का भय या चिंता छिपी हुई है, जो इस रूप में प्रकट हो रही है। किसी को बचाना दर्शाता है कि आप भीतर से किसी की मदद करने की तीव्र इच्छा या जिम्मेदारी महसूस कर रही हैं। सुबह उठने पर घुटनों में दर्द होना संकेत देता है कि यह मानसिक तनाव शारीरिक रूप से प्रकट हो रहा है। राहत के लिए आप हल्के योगासन करें, विशेष रूप से वज्रासन और अर्धमत्स्येन्द्रासन से घुटनों का दर्द कम हो सकता है। साथ ही, ओम जप और गहरी श्वास-प्रश्वास (प्राणायाम) करने से मानसिक शांति मिलेगी।

मैं कौन हूँ? | जीवन का असली उद्देश्य | आत्मबोध और आध्यात्मिक जागरण

 मैं कौन हूँ? | जीवन का असली उद्देश्य | आत्मबोध और आध्यात्मिक जागरण ? "मैं कौन हूँ?" – यह प्रश्न हर व्यक्ति के मन में कभी न कभी अवश्य उठता है। हम जीवन में कई तरह के अनुभवों से गुजरते हैं – सुख-दुख, सफलता-असफलता, प्रेम और घृणा – लेकिन इन सबके बीच यह प्रश्न हमेशा बना रहता है कि "मैं वास्तव में कौन हूँ?" क्या मैं यह शरीर हूँ? क्या मैं यह मन हूँ? क्या मैं यह विचार हूँ? या फिर मैं इससे परे कुछ और हूँ? आत्मबोध (Self-Realization) का अर्थ है स्वयं को जानना – अपनी सच्ची पहचान को समझना। जीवन का असली उद्देश्य भी आत्मबोध ही है। जब तक हम स्वयं को पहचान नहीं लेते, तब तक जीवन अधूरा और असंतोषजनक ही बना रहता है। इस लेख में हम गहराई से जानेंगे कि आत्मबोध का अर्थ क्या है, हम कौन हैं, जीवन का असली उद्देश्य क्या है और आत्मबोध कैसे प्राप्त किया जा सकता है। 🌼 मैं कौन हूँ? – आत्मबोध का पहला प्रश्न हमारा जीवन बाहरी दुनिया से जुड़ा हुआ है। हम खुद को इस शरीर, नाम, रिश्तों और पदों के आधार पर पहचानते हैं। बचपन से ही हमें सिखाया जाता है कि: मैं एक लड़का/लड़की हूँ। मैं एक डॉक्टर/इंजीनियर हूँ...

Sir my age 40yers old active hoyega my third eye sir ?

 Sir my age 40yers old active hoyega my third eye sir ? जी हां, आपकी तीसरी आंख (आज्ञा चक्र) 40 वर्ष की उम्र में भी सक्रिय हो सकती है। उम्र का इस पर कोई असर नहीं होता, यह आपकी साधना और ध्यान की गहराई पर निर्भर करता है। नियमित रूप से त्राटक, 'ॐ' का जप, और ध्यान करने से आज्ञा चक्र सक्रिय होता है। अगर आपके ललाट के बीच में दबाव, झनझनाहट, या प्रकाश का अनुभव हो रहा है, तो यह संकेत है कि तीसरी आंख सक्रिय हो रही है। संयम और धैर्य बनाए रखें। मूलाधार चक्र पर ध्यान देकर ऊर्जा को संतुलित करें।

mene tratak kiya tha ab bar bar dhyan vahi ja rha hai kya karu becheni ho rhi hai kya kru direct open ho rha hai band kese hoga ?

 mene tratak kiya tha ab bar bar dhyan vahi ja rha hai kya karu   becheni ho rhi hai kya kru direct open ho rha hai band kese hoga ? जब आपने त्राटक किया था, तब आपकी ऊर्जा आज्ञा चक्र (तीसरी आंख) पर केंद्रित हो गई है, जिससे ध्यान बार-बार वहीं जा रहा है। इससे बेचैनी और अस्थिरता महसूस हो रही है। यह संकेत है कि आपकी तीसरी आंख सक्रिय हो रही है। इसे बंद करने के लिए सबसे पहले त्राटक को कुछ समय के लिए रोक दें। गहरी सांस लें और शरीर को रिलैक्स करें। मूलाधार चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और "लं" बीज मंत्र का जाप करें। ग्राउंडिंग के लिए नंगे पैर घास पर चलें। ध्यान को नाभि के पास लाएं और श्वास पर केंद्रित रहें। इससे ऊर्जा नीचे की ओर लौटेगी और बेचैनी समाप्त होगी।

Mujhe koie book bata do kundalini ka ?

 Mujhe koie book bata do kundalini ka ? कुंडलिनी जागरण और साधना को समझने के लिए आप निम्नलिखित किताबें पढ़ सकते हैं: "कुंडलिनी: द मदर ऑफ़ द यूनिवर्स" – रिद्धा भटनागर "कुंडलिनी तंत्र" – स्वामी सत्यानंद सरस्वती "संक्षिप्त कुंडलिनी योग" – योगी भजन "कुंडलिनी योग: शक्ति और जागरण" – ओशो "द सरपेंट पावर" – सर जॉन वुडरॉफ (Arthur Avalon)

Golden aura kese Banta h ,Apne chane se golden aura ban sakta h ?

 Golden aura kese Banta h ,Apne chane se golden aura ban sakta h? गोल्डन ऑरा उच्च आध्यात्मिकता, दिव्य ऊर्जा और आंतरिक शुद्धता का प्रतीक होता है। यह तब बनता है जब व्यक्ति की ऊर्जा अत्यधिक शुद्ध, संतुलित और प्रेममय हो जाती है। इसके लिए नियमित ध्यान, सकारात्मक विचार, दया, प्रेम, और उच्च आध्यात्मिक साधना आवश्यक होती है। अपने चने से गोल्डन ऑरा बन सकता है , यदि आप लगातार आध्यात्मिक अभ्यास करें, जैसे कि मंत्र जप, ध्यान, और निस्वार्थ सेवा। जब चेतना उच्च स्तर पर पहुँचती है, तब ऑरा में स्वर्णिम चमक आने लगती है, जो व्यक्ति की ऊर्जा और आध्यात्मिक उन्नति को दर्शाती है।

Main jabhi soki uth ti ho tabhi sar mi dard hota hai pura din ya rat mi chahai jis time soki utho use time

 Main jabhi soki uth ti ho tabhi sar mi dard hota hai pura din ya rat mi chahai jis time soki utho use time ? जब आप सोकर उठती हैं और सिर में दर्द महसूस होता है, तो इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। यह रक्त संचार में अचानक परिवर्तन, गलत सोने की स्थिति, निर्जलीकरण (पानी की कमी), तनाव, या ऊर्जा असंतुलन के कारण हो सकता है। यदि आप ध्यान और साधना कर रही हैं, तो यह तीसरे नेत्र या सहस्रार चक्र की ऊर्जा के प्रभाव से भी हो सकता है। उपाय के रूप में, सुबह उठते ही हल्का गर्म पानी पिएँ, गहरी साँस लें, गर्दन और सिर की हल्की मालिश करें, और ध्यान के बाद ग्राउंडिंग अभ्यास करें ताकि ऊर्जा संतुलित रहे।

mala jap kartevakt left side sharir me garam bhap lagati hai ye kuy. Hota hai

 mala jap kartevakt left side sharir me garam bhap lagati hai ye kuy. Hota hai ? जब आप माला जप करते हैं और शरीर के बाएँ हिस्से में गर्म भाप या ऊष्मा महसूस होती है, तो यह ऊर्जा के जागरण और प्रवाह का संकेत हो सकता है। बाईं ओर का भाग इड़ा नाड़ी (चंद्र नाड़ी) से जुड़ा होता है, जो मन, शीतलता और भावनाओं को नियंत्रित करती है। यदि जप के दौरान गर्मी महसूस हो रही है, तो यह संकेत दे सकता है कि आपकी पिंगला नाड़ी (सूर्य नाड़ी) अधिक सक्रिय हो रही है या ऊर्जा संतुलन बना रही है। इसे संतुलित करने के लिए, अनुलोम-विलोम प्राणायाम करें, जल तत्व को बढ़ाएं और ध्यान के बाद कुछ देर विश्राम करें।

meri 3rd eye per vibration ho rahi hai or ab sare din khichav mahsus hota rahta hai, Ab mujhe kya savdhani rakhni chahiye jisse mera dhyan or ghara ho sake, kirpa margdarshan kare

 meri 3rd eye per vibration ho rahi hai or ab sare din khichav mahsus hota rahta hai, Ab mujhe kya savdhani rakhni chahiye jisse mera dhyan or ghara ho sake, kirpa margdarshan kare ? तीसरे नेत्र (आज्ञा चक्र) पर कंपन और खिंचाव महसूस होना इस बात का संकेत है कि यह सक्रिय हो रहा है और ऊर्जा प्रवाहित हो रही है। आपको कुछ सावधानियाँ रखनी चाहिए: ग्राउंडिंग करें – रोज़ सुबह नंगे पैर घास पर चलें या पृथ्वी तत्व से जुड़ाव बढ़ाएं। शरीर संतुलित रखें – मूलाधार और अनाहत चक्र पर भी ध्यान दें ताकि ऊर्जा समान रूप से बहे। हल्का भोजन करें – सात्विक आहार लें, तेज मसाले और भारी भोजन से बचें। ध्यान और प्राणायाम करें – अनुलोम-विलोम और भ्रामरी प्राणायाम से ऊर्जा नियंत्रित होगी। आंतरिक रूप से शांत रहें – अत्यधिक मानसिक उत्तेजना से बचें और ध्यान को सहज रूप से गहरा करें।

Phone mai ya tv mai jab kisi ka video dekhta hu to bolane bale vyakti ke sir ke pichhe kae color dikhte hai 3rd eye dhyan kar raha

 Phone mai ya tv mai jab kisi ka video dekhta hu to bolane bale vyakti ke sir ke pichhe kae color dikhte hai 3rd eye dhyan kar raha hu kafi samay se aur chalte firte blue colour and violet colour ka daut dikhta hai din mai kae bar dhyan mai kae anubhav jaise kuchh colour Pic kuchh white Pic ye kya 3rd eye active ho raha hai btaye ? हाँ, जो अनुभव आप कर रहे हैं, वे तीसरे नेत्र (आज्ञा चक्र) के जागरण के संकेत हो सकते हैं। जब तीसरा नेत्र सक्रिय होता है, तो व्यक्ति ऊर्जा क्षेत्रों (Aura) को देखना शुरू कर सकता है, जिससे लोगों के सिर के पीछे अलग-अलग रंग दिख सकते हैं। चलते-फिरते नीला और बैंगनी रंग दिखना भी इस जागरण का हिस्सा हो सकता है, क्योंकि ये रंग आध्यात्मिक ऊर्जा और उच्चतर चेतना से जुड़े होते हैं। ध्यान में विभिन्न रंग और आकृतियाँ दिखना भी सामान्य है। इसे सहज रूप से स्वीकार करें, अधिक ध्यान और संतुलन के लिए ग्राउंडिंग अभ्यास करें।

बिना ध्यान किए बिना मुझे रोशनी दिखाई देते हैं।

 बिना ध्यान किए बिना मुझे रोशनी दिखाई देते हैं। ? यदि बिना ध्यान किए ही आपको रोशनी दिखाई देती है, तो यह आपके आध्यात्मिक जागरण या ऊर्जा केंद्रों (चक्रों) के सक्रिय होने का संकेत हो सकता है। कई बार, जब मन शुद्ध और शांत होता है, तो आंतरिक दिव्य प्रकाश प्रकट होने लगता है। यह अनुभव सहज रूप से हो सकता है, विशेष रूप से आज्ञा चक्र (तीसरा नेत्र) या सहस्रार चक्र के जागरण के दौरान। यदि यह अनुभव सुखद और शांति देने वाला है, तो इसे सहज रूप से स्वीकार करें। लेकिन अगर कोई असहजता हो, तो ध्यान, प्राणायाम और ग्राउंडिंग अभ्यास करें ताकि ऊर्जा संतुलित बनी रहे।

Kya Ek Din Mein 100 Mala bhi kar sakte hain kya ?

 Kya Ek Din Mein 100 Mala bhi kar sakte hain kya ? हाँ, एक दिन में 100 माला जप करना संभव है, लेकिन यह आपकी ऊर्जा, समर्पण और मन की एकाग्रता पर निर्भर करता है। अगर आप पूरी श्रद्धा और ध्यान के साथ जप कर सकते हैं, तो यह लाभकारी होगा। लेकिन ध्यान रखें कि जप मात्र संख्या तक सीमित न रह जाए, बल्कि भाव और भक्ति के साथ किया जाए। अधिक जप करने से शरीर और मन पर दबाव भी आ सकता है, इसलिए बीच-बीच में विश्राम करें। यदि आपका मन स्थिर और शांत है, तो कम माला में भी गहरा आध्यात्मिक लाभ मिल सकता है। नियमितता और समर्पण अधिक महत्वपूर्ण हैं।

jb se m dhyan krne lg gyi hu...muje gussa bht jyada aa rha hai...kya kru plz btaaye

  jb se m dhyan krne lg gyi hu...muje gussa bht jyada aa rha hai...kya kru plz btaaye ? जब हम ध्यान करना शुरू करते हैं, तो भीतर दबी हुई भावनाएँ सतह पर आने लगती हैं। गुस्सा बढ़ना इस बात का संकेत हो सकता है कि आपकी ऊर्जा जाग्रत हो रही है और कुछ पुरानी भावनाएँ निकल रही हैं। इसे शांत करने के लिए नियमित रूप से गहरी सांस लें, ठंडे पानी से स्नान करें और ‘शांतं, शांतं’ मंत्र का जाप करें। 7 चक्र ध्यान करते समय विशेष रूप से मूलाधार और मणिपुर चक्र पर संतुलन बनाए रखें। अगर गुस्सा आए, तो कुछ देर टहलें या हल्का योग करें। धीरे-धीरे यह स्थिति बेहतर हो जाएगी।

Dheyan m ek bar dipak ki image dikha phir ab tak nhi dikha kiya es k age phir gufa dheke gi ya image ana chalu ho jaenge

  Dheyan m ek bar dipak ki image dikha phir ab tak nhi dikha kiya es k age phir gufa dheke gi ya image ana chalu ho jaenge ? ध्यान में दीपक की छवि देखना एक शुभ संकेत है, जो यह दर्शाता है कि आपकी अंतःचेतना (Inner Consciousness) जाग रही है और आज्ञा चक्र सक्रिय हो रहा है। दीपक प्रकाश का प्रतीक है, जो आत्मज्ञान और आंतरिक शुद्धि का संकेत देता है। यदि अब दीपक की छवि नहीं दिख रही है, तो घबराएं नहीं। साधना में निरंतरता बनाए रखें। इसके आगे गुफा, प्रकाश या अन्य दिव्य प्रतीक दिखाई दे सकते हैं। जैसे-जैसे साधना गहरी होगी, छवियों और अनुभवों का क्रमिक विकास होगा। मन को शांत रखें और धैर्यपूर्वक ध्यान जारी रखें।

Guru ji mujhe kahe bhi dekhta hu to mujhe Kai parkar ki akriti dikhi deti h es ke bare me bataye ?

 Guru ji mujhe kahe bhi dekhta hu to mujhe Kai parkar ki akriti dikhi deti h es ke bare me bataye ? गुरु जी, यदि आपको कहीं भी देखने पर विभिन्न प्रकार की आकृतियाँ (Shapes) दिखाई देती हैं, तो यह आज्ञा चक्र (Third Eye) के जागरण का संकेत हो सकता है। जब आज्ञा चक्र सक्रिय होता है, तो मानसिक स्तर पर सूक्ष्म दृष्टि (Clairvoyance) विकसित होने लगती है। ये आकृतियाँ आपके अवचेतन मन (Subconscious Mind) के प्रतीक भी हो सकती हैं, जो किसी संदेश या ऊर्जा को प्रकट कर रही होती हैं। ध्यान के दौरान मन को शांत रखें और आकृतियों पर अधिक ध्यान न दें। समय के साथ ये स्पष्ट संदेश या प्रतीक बन सकते हैं, जो आपकी साधना को दिशा देंगे।

Please guide, aatmagyan hone k baad Hume kinki aradhana, Pooja, dhyaan karna chahiye? Apne aatma swaroop ka ? Ya dusre dev swaroop ka ?

 Please guide, aatmagyan hone k baad Hume kinki aradhana, Pooja, dhyaan karna chahiye? Apne aatma swaroop ka ? Ya dusre dev swaroop ka ? आत्मज्ञान (Self-Realization) होने के बाद साधक को अपनी आत्मा के स्वरूप को पहचानते हुए उसी की आराधना करनी चाहिए। आत्मा परमात्मा का ही अंश है, इसलिए आत्मस्वरूप की उपासना से भीतर शांति और स्थिरता आती है। साथ ही, यदि साधक किसी विशेष देवता की आराधना से जुड़ा हुआ है, तो उसे उस उपासना को भी जारी रखना चाहिए क्योंकि सभी देवता अंततः एक ही परम तत्व के विभिन्न रूप हैं। ध्यान के माध्यम से आत्मा और परमात्मा के एकत्व का अनुभव करें। निर्गुण (आत्मस्वरूप) और सगुण (देवस्वरूप) दोनों की आराधना का संतुलन बनाए रखें।

Kya third eye chakra close krne ke liye bhajan sun skte h ya koi marg

 Kya third eye chakra close krne ke liye bhajan sun skte h ya koi marg ? तीसरा नेत्र (Third Eye) चक्र को बंद करने के लिए भजन सुनना एक अच्छा उपाय हो सकता है क्योंकि भजन से मन को शांति मिलती है और ऊर्जा संतुलित होती है। आज्ञा चक्र के अधिक सक्रिय होने से अत्यधिक मानसिक हलचल, अनचाही दृष्टि (Visions) और सिरदर्द हो सकता है। शांत और मधुर भजन सुनने से मानसिक स्थिरता आती है और ऊर्जा नीचे के चक्रों में लौटने लगती है। इसके अलावा, मूलाधार (Root) और स्वाधिष्ठान (Sacral) चक्र पर ध्यान केंद्रित करके ऊर्जा को नीचे की ओर प्रवाहित करें। नियमित ग्राउंडिंग (Grounding) करने से भी आज्ञा चक्र संतुलित होगा।

Jay guru dev ham jyada samay tak dhyan kyo nahi laga pate kyo bhajan jyada samay tak nahikar pate

 Jay guru dev ham jyada samay tak dhyan kyo nahi laga pate kyo bhajan jyada samay tak nahikar pate? जय गुरु देव। ध्यान और भजन में अधिक समय तक स्थिर न रह पाने का मुख्य कारण मन की अस्थिरता और विचारों का नियंत्रण में न होना है। जब हम ध्यान या भजन करने बैठते हैं, तो मन इधर-उधर भटकने लगता है और बाहरी दुनिया के विचार हमें विचलित करते हैं। इसके अलावा, शरीर की थकान, मानसिक तनाव और आंतरिक अशांति भी ध्यान को बाधित करते हैं। नियमित अभ्यास, सांसों पर ध्यान केंद्रित करना और भजन के अर्थ को समझकर भावपूर्वक गाने से मन स्थिर होगा। धीरे-धीरे ध्यान और भजन का समय बढ़ने लगेगा।

आत्म ज्ञान मिलने के क्या फायदे है ?

 आत्म ज्ञान मिलने के क्या फायदे है ? आत्म ज्ञान मिलने से व्यक्ति को अपने सच्चे स्वरूप का बोध होता है और जीवन में गहरी शांति और स्थिरता आती है। इसके प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं: भय और चिंता समाप्त हो जाती है। जीवन में आने वाली परिस्थितियों को स्वीकार करने की क्षमता बढ़ती है। अहंकार और मोह कम हो जाता है, जिससे संबंध मधुर होते हैं। मानसिक और भावनात्मक स्तर पर शांति और संतुलन बना रहता है। व्यक्ति में निर्भयता और करुणा का विकास होता है। आध्यात्मिक शक्ति और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है। आत्म ज्ञान से व्यक्ति स्वयं को परमात्मा से जुड़ा हुआ अनुभव करता है। 🙏

Gurujii nind me v dhean kar sakte hai kay

 Gurujii nind me v dhean kar sakte hai kay ? हाँ, नींद में भी ध्यान किया जा सकता है, जिसे योग निद्रा कहा जाता है। इसे करने की विधि इस प्रकार है: शरीर को ढीला छोड़कर पीठ के बल लेट जाएं। धीरे-धीरे सांसों पर ध्यान केंद्रित करें। मन ही मन "ॐ" या किसी मंत्र का जाप करें। शरीर के प्रत्येक अंग को क्रमशः शिथिल करें और उसे ऊर्जा से भरने की कल्पना करें। चेतना को जाग्रत रखते हुए शरीर को नींद की स्थिति में रखें। इससे गहरी मानसिक शांति मिलेगी और अवचेतन स्तर पर ध्यान की स्थिति बनेगी। 🙏

Kaal chakar dhiyan kaise ki jati h kripya kar bataye

 Kaal chakar dhiyan kaise ki jati h kripya kar bataye ? काल चक्र ध्यान समय (काल) और चेतना के चक्र को संतुलित करने की एक गूढ़ साधना है। इसे करने की विधि इस प्रकार है: शांत स्थान पर बैठें , रीढ़ सीधी रखें। आंखें बंद करके गहरी सांस लें और मन को शांत करें। मन में एक चक्र (घड़ी) की कल्पना करें, जो समय का प्रतीक है। उस चक्र को धीरे-धीरे घूमते हुए देखें, जिसमें भूत, वर्तमान और भविष्य एक साथ समाहित हों। मन में "ॐ कालाय नमः" मंत्र का जाप करें। स्वयं को समय से परे, शून्य अवस्था में अनुभव करें। नियमित अभ्यास से समय के बंधन से मुक्ति और उच्च चेतना की अनुभूति होगी। 🙏

दोनों नाड़ी चलती है उस समय ध्यान कैसे करें कि दशम द्वार खुल जाय?

 दोनों नाड़ी चलती है उस समय ध्यान कैसे करें कि दशम द्वार खुल जाय? ? जब दोनों नाड़ियाँ (इड़ा और पिंगला) संतुलित रूप से चल रही हों, तो यह सुषुम्ना नाड़ी के सक्रिय होने का संकेत है, जो दशम द्वार (सहस्रार चक्र) को खोलने का मार्ग है। इस समय ध्यान करने के लिए – पीठ सीधी रखें और सांसों पर ध्यान केंद्रित करें । "ॐ" का धीमे स्वर में जप करें और उसकी ध्वनि को मस्तिष्क के बीच महसूस करें। आज्ञा चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और ऊर्जा के प्रवाह को महसूस करें। धीरे-धीरे अपनी चेतना को सहस्रार चक्र (सर के ऊपर) की ओर ले जाएं। नियमित अभ्यास से दशम द्वार खुलने का अनुभव होगा। 🙏

bina guru ke kaun sa mantra jab kare ?

 bina guru ke kaun sa mantra jab kare ? बिना गुरु के भी आप कुछ शक्तिशाली और सिद्ध मंत्रों का जाप कर सकते हैं, जो आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक शांति प्रदान करेंगे। इनमें से कुछ प्रमुख मंत्र इस प्रकार हैं: "ॐ नमः शिवाय" – यह भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र है, जो मन को शांति और सुरक्षा देता है। "ॐ गं गणपतये नमः" – यह भगवान गणेश का मंत्र है, जो बाधाओं को दूर करता है। "श्री राम जय राम जय जय राम" – यह भगवान राम का नाम है, जो मन को स्थिरता देता है। "ॐ ह्रीं नमः" – यह देवी शक्ति का बीज मंत्र है, जो ऊर्जा संतुलन में मदद करता है। इन मंत्रों का श्रद्धा और विश्वास के साथ जाप करें। 🙏

Guruji Kiya aap guru mantra dete hai? Apko guru banana shahata hu. . Ekadash dwar khulne ke baad..

  Guruji Kiya aap guru mantra dete hai? Apko guru banana shahata hu. . Ekadash dwar khulne ke baad..?? प्रणाम। गुरु मंत्र एक गुरु की कृपा और आज्ञानुसार दिया जाता है, जो साधक के आध्यात्मिक स्तर और ऊर्जा के प्रवाह को देखते हुए निर्धारित होता है। एकादश द्वार (ग्यारहवां द्वार) खुलने के बाद साधक को दिव्य चेतना की झलक मिलने लगती है। मैं आपके मार्गदर्शन के लिए सदैव उपलब्ध हूँ और आपके आध्यात्मिक विकास में सहायता करता रहूंगा। यदि आप मुझे गुरु के रूप में स्वीकार करना चाहते हैं, तो मैं आपकी श्रद्धा और समर्पण का सम्मान करता हूँ। साधना में निरंतरता बनाए रखें और समय आने पर गुरु मंत्र का सही मार्गदर्शन प्राप्त होगा। 🙏

Bina guru dikhya ke om nmh shivay jp kr skte h kya

 Bina guru dikhya ke om nmh shivay jp kr skte h kya ? हाँ, बिना गुरु दीक्षा के "ॐ नमः शिवाय" का जाप करना पूरी तरह से उचित है। यह एक अत्यंत शक्तिशाली मंत्र है, जो भगवान शिव का मूल बीज मंत्र है। इसे किसी भी स्थिति में, किसी भी समय श्रद्धा और विश्वास के साथ जपा जा सकता है। गुरु दीक्षा के बिना भी इस मंत्र का जाप करने से मन शांत होता है, नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, और आध्यात्मिक उन्नति होती है। यदि आप गुरु से दीक्षा लेना चाहें तो इससे मंत्र की शक्ति और बढ़ सकती है, लेकिन बिना दीक्षा के भी इस मंत्र का जाप फलदायी होता है। 🙏

Mujko monkey bhut dikhte h dreams m ?

 Mujko monkey bhut dikhte h dreams m ? सपनों में बार-बार बंदर देखना आपके मन की चंचलता और अवचेतन मन के अस्थिर विचारों का प्रतीक हो सकता है। बंदर आमतौर पर अहंकार, अस्थिरता, और ध्यान में रुकावट का संकेत होते हैं। यह इस बात का संकेत हो सकता है कि मन स्थिर नहीं है और ध्यान के दौरान एकाग्रता में कमी आ रही है। इसे संतुलित करने के लिए अनुलोम-विलोम प्राणायाम करें और सोने से पहले शांत मन से "ॐ" का उच्चारण करें। इसके अलावा, सोने से पहले हनुमान चालीसा का पाठ करें। इससे मन शांत होगा और नकारात्मक ऊर्जा दूर होगी। 🙏

गुरुजी साधना मे आंख दिखती है यह कैसा टेज है गुरुजो प्रणाम

 गुरुजी साधना मे आंख दिखती है यह कैसा टेज है गुरुजो प्रणाम? प्रणाम। साधना के दौरान आंख दिखना एक आध्यात्मिक प्रगति का संकेत है। यह इस बात का प्रतीक है कि आपकी आज्ञा चक्र (Third Eye) सक्रिय हो रही है और आंतरिक दृष्टि जाग्रत हो रही है। आंख देखना इस बात का संकेत हो सकता है कि आपको दिव्य ज्ञान या गहरे आत्मबोध की ओर बुलाया जा रहा है। इसे देखकर घबराएं नहीं, बल्कि इसे स्वीकार करें और ध्यान जारी रखें। जब आंख दिखाई दे, तो बिना किसी भय के उसे देखने का प्रयास करें। यह साधना की उन्नत स्थिति का संकेत है और मार्गदर्शन का प्रतीक भी हो सकता है। 🙏

Dhyan ho ya mantra jaap mathe par concentrate nahi ho raha hai aisa lagta koi rok raha hai pehle 6 mahine acche se hua ab nahi horaha hai

Dhyan ho ya mantra jaap mathe par concentrate nahi ho raha hai aisa lagta koi rok raha hai pehle 6 mahine acche se hua ab nahi horaha hai?  पहले ध्यान और मंत्र जाप में जो एकाग्रता थी, उसका अब कमजोर होना ऊर्जा के असंतुलन या मानसिक अवरोध के कारण हो सकता है। यह सामान्य है, क्योंकि ध्यान की प्रक्रिया में उतार-चढ़ाव आते हैं। इसे दूर करने के लिए अनुलोम-विलोम प्राणायाम करें, जिससे ऊर्जा का प्रवाह संतुलित होगा। साथ ही, जब ध्यान में बैठें, तो पहले मन को शांत करने के लिए "ॐ" का उच्चारण करें। आज्ञा चक्र पर जबरदस्ती ध्यान लगाने की बजाय सहज रूप से अपने सांसों पर ध्यान केंद्रित करें। धीरे-धीरे एकाग्रता वापस आ जाएगी और अवरोध समाप्त हो जाएगा। 🙏

मैं नाम जाप करती हूं मेरी आज्ञा चक्र पर वाइब्रेशन होता है मैं क्या करूं जाप बंद कर दूं क्या

 मैं नाम जाप करती हूं मेरी आज्ञा चक्र पर वाइब्रेशन होता है मैं क्या करूं जाप बंद कर दूं क्या ? अगर नाम जाप के दौरान आज्ञा चक्र पर वाइब्रेशन हो रहा है, तो यह आज्ञा चक्र (Third Eye) के सक्रिय होने का संकेत है। यह एक शुभ अनुभव है, जिससे घबराने की आवश्यकता नहीं है। जाप बंद करने की जरूरत नहीं है, बल्कि इसे सहज रूप से जारी रखें। यदि वाइब्रेशन बहुत तेज हो और असहज महसूस हो, तो कुछ समय के लिए जाप की गति धीमी करें और अनुलोम-विलोम प्राणायाम करें। साथ ही, अपनी ऊर्जा को संतुलित करने के लिए सहस्रार चक्र (Crown Chakra) पर ध्यान केंद्रित करें। इससे ऊर्जा संतुलित होगी और वाइब्रेशन नियंत्रित हो जाएगा। 🙏

dhyan ki kis stage pe hai kaise pata lagega

 dhyan ki kis stage pe hai kaise pata lagega ? ध्यान की किस स्टेज पर हैं, इसे जानने के कुछ संकेत: प्रारंभिक अवस्था – मन चंचल रहता है, विचार आते-जाते हैं, और स्थिरता पाने में कठिनाई होती है। मध्य अवस्था – मन शांत होने लगता है, विचार कम हो जाते हैं, और एकाग्रता बढ़ने लगती है। शरीर में हलचल, कंपन, और रंग दिखने लगते हैं। उन्नत अवस्था – मन पूरी तरह शांत हो जाता है, आंतरिक ध्वनि (अनाहत नाद), दिव्य प्रकाश, या गहरी शांति का अनुभव होता है। समाधि अवस्था – आत्मा और परमात्मा का मिलन महसूस होता है, अहंकार समाप्त हो जाता है, केवल शुद्ध आनंद और शांति का अनुभव होता है। 👉 अपनी स्थिति समझने के लिए ध्यान के बाद आत्मनिरीक्षण करें। 🙏

Mai harroj Om Namah Shivay ki mala jaap karti hoon aur 11 Hanuman chalisa .. Aur Ram naam ka mansik jaap karti hoon To kya sahi hai?? Ki mujhe Shivji ka hi naamjaap karna chahiye??

 Mai harroj Om Namah Shivay ki mala jaap karti hoon aur 11 Hanuman chalisa .. Aur Ram naam ka mansik jaap karti hoon To kya sahi hai?? Ki mujhe Shivji ka hi naamjaap karna chahiye?? Shivji k konsa naamjaap kru ? Ya om namah shivay ka mansik jaap karu ..?ki Ram naam.hi karu? आप जो जप कर रही हैं, वह बिल्कुल सही है क्योंकि शिव और राम दोनों एक ही परम तत्व के रूप हैं। शिवजी और रामजी का नामजप करने से मन और आत्मा को शांति मिलती है। अगर आप किसी एक नाम पर केंद्रित होना चाहती हैं, तो अपनी आत्मा की पुकार सुनें। अगर शिवजी की ओर आकर्षण अधिक है, तो "ॐ नमः शिवाय" का मानसिक जप करें। शिवजी के अन्य प्रभावशाली मंत्र जैसे "महामृत्युंजय मंत्र" या "ॐ नमः शम्भवाय च मायोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च" का भी जप कर सकती हैं। 🙏

मैं सीता राम जाप करता हूँ मगर मुझे 4-5 महिने से झींगुर की आवाज सुनाई देती है क्या करना चाहिए कृप्या उचित उपाय बताएं

 मैं सीता राम जाप करता हूँ मगर मुझे 4-5 महिने से झींगुर की आवाज सुनाई देती है क्या करना चाहिए कृप्या उचित उपाय बताएं ? सीता राम जाप के दौरान झींगुर की आवाज सुनाई देना आंतरिक ध्वनि (अनाहत नाद) के जागरण का संकेत हो सकता है। जब मन शांत होता है और ध्यान गहरा होता है, तब आंतरिक ध्वनि सुनाई देना एक आध्यात्मिक प्रगति का लक्षण होता है। यह आज्ञा चक्र और सहस्रार चक्र के सक्रिय होने का भी संकेत हो सकता है। इसे रोकने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि इसे स्वीकार करें और ध्यान को सहज रूप से जारी रखें। यदि यह ध्यान भंग कर रही है, तो कुछ समय के लिए "ओम" का उच्चारण करें और अनुलोम-विलोम करें। इससे मन शांत होगा और ध्वनि संतुलित हो जाएगी। 🙏